Shraddha Das: खूबसूरत, शांत और हंसमुख अभिनेत्री श्रद्धा दास हिंदी के अलावा तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ और बांग्ला फिल्मों में अपने काम के लिए जानी जाती हैं.

बंगाली परिवार में जन्मीं श्रद्धा के पिता एक व्यवसायी हैं, जो पुरुलिया से हैं. उन की मां गृहिणी हैं.

मुंबई में पलीबड़ी हुईं श्रद्धा मास मीडिया में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अभिनय की ओर मुड़ीं, क्योंकि उन्हें हमेशा से अभिनय की इच्छा रही है. तेलुगु और बांग्ला फिल्मों के अलावा श्रद्धा ने कई हिंदी फिल्में भी की हैं, जिन में ‘लहौर’, ‘लकी कबूतर’, ‘जिद’, ‘सनम तेरी कसम’, ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’, ‘बाबुमोशाय’, ‘बंदूकबाज’ आदि हैं.

उन की सीरीज ‘सर्च द नैना मर्डर केस’ उन की सफल टीवी सीरीज है, जिस में उन के काम को दर्शकों ने काफी सराहा है.

उन्होंने खास गृहशोभा से बात की. पेश हैं, उन की कहानी उन की जबानी :

इंडस्ट्री में अंतर

श्रद्धा की टीवी सीरीज ‘सर्च द नैना मर्डर केस’ काफी हिट हुई है, जिस से श्रद्धा को कई काम मिलने लगे हैं. वे कहती हैं कि इस सीरीज के हिट होने के बाद मैं एक फिल्म मनोज बाजपेयी के साथ शूट कर चुकी हूं. मैं ने साउथ की फिल्मों से ले कर हिंदी फिल्मों में काम किया है. दोनों के काम में कोई अंतर नहीं होता, अंतर सिर्फ दर्शकों का होता है. हर चरित्र में इमोशनल, बौडी लैंग्वेज एकजैसा ही होता है. भाषा का अंतर होता है, जिसे मैं पहले सीखती हूं, क्योंकि उसे सैट पर बोलना पड़ता है.

वे कहती हैं कि साउथ के दर्शक अपने कलाकारों को ले कर काफी लौयल होते हैं. उन के काम को वे काफी महत्त्व देते हैं. इस के अलावा साउथ में अधिक उम्र के ऐक्टर को वे कास्ट कर लेते हैं, लेकिन ऐक्ट्रैस की उम्र का एक सीमित दायरा होता है, जिस में अधिकतर कैरेक्टर आर्टिस्ट की प्रधानता होती है, जबकि हिंदी सिनेमा में हीरोइन औरिऐंटेड फिल्में अधिक होती हैं.

मिली प्रेरणा

अभिनय के क्षेत्र में आने की प्रेरणा के बारे में श्रद्धा कहती हैं कि मुझे सुस्मिता सेन के साथ काम करना बहुत पसंद है. उन से मुझे बहुत प्रेरणा मिली है. जब मैं छोटी थी तो मैं ने उन्हें मिस यूनिवर्स बनते हुए देखा था. मुझे उन का व्यक्तित्व बहुत पसंद आया था.

वे कहती हैं कि मेरे पेरैंट्स चाहते थे कि मैं पढ़ाई पूरी करूं, इसलिए मैं पढ़ाई के साथसाथ मंच पर गाने भी गाया करती थी. जब मैं गाने की एक अलबम बनाने गई थी, तो मैं ने फोटोशूट किया, जिसे फिल्ममेकर देवानंद ने देखा और एक फिल्म का औफर मिला, हालांकि वह फिल्म तो नहीं बनी, लेकिन मुझे ऐक्टिंग का शौक हुआ. फिर मैं ने ऐक्टिंग की ट्रैनिंग ली और औडिशन देने लगी. इस से मुझे साउथ और हिंदी सिनेमा दोनों में काम करने का मौका मिलता गया.

श्रद्धा कहती हैं कि उसी दौरान मैं ने साउथ में अभिनेता अल्लु अर्जुन के साथ ज्यों ही ‘आर्या 2’ में अभिनय किया, इस के बाद से साउथ में मेरा कैरियर शुरू हो गया. इस के साथसाथ हिंदी में भी थोड़े काम करने मैं ने शुरू कर दिए थे.

परिवार का सहयोग

श्रद्धा कहती हैं कि मेरे परिवार में कोई भी फिल्म इंडस्ट्री से नहीं है. मेरे पिता जब वैस्ट बंगाल में पुरुलिया के एक गांव में थे, तो काफी दूर जा कर वे फिल्में देखते थे. मेरी मां भी गाना गाती हैं. मेरा परिवार कलाप्रेमी है. इसलिए मैं ने जब अभिनय की बात उन से कही, तो वे बहुत खुश हुए, लेकिन शर्त यह थी कि मैं अपनी पढ़ाई पूरी करूं. इस के बाद मुझे कुछ भी करने की आजादी हमेशा मिली.

वे कहती हैं कि मैं ने मास मीडिया में पढ़ाई की है, क्योंकि मुझे न्यूज ऐंकरिंग का बहुत शौक रहा है. मैं ने ब्रौडकास्ट में भी ट्रैनिंग ली है. आगे मुझे मौका मिले तो इस क्षेत्र में अवश्य काम करना चाहती हूं. मैं किसी न किसी दिन एक शो को होस्ट करने की इच्छा रखती हूं.

रहा संघर्ष

इंडस्ट्री में कोई गौडफादर न रहने पर काम मिलना मुश्किल होता है और ऐसा श्रद्धा के साथ हुआ भी है. वे कहती हैं कि मैं ने बहुत सारे औडिशन दिए, कई फिल्मों में पहले चुनी गई, लेकिन बाद में उन्होंने मना कर दिया. हजार बार रिजैक्ट कर दी गई. ऐसे में मैं ने सेकंड लीड, छोटीछोटी भूमिका जो भी मिला करती गई. मैं हर भाषा में काम करती रही, क्योंकि लगातार काम करते रहना इंडस्ट्री में बहुत जरूरी होता है, ताकि आप सब की नजरों में रह सकें. अंत में आ कर मैं अपनी मनमपसंद भूमिका कर पा रही हूं.

वे कहती हैं कि मेरे हिसाब से हर व्यक्ति की जर्नी अलगअलग होती है, किसी को पहले दिन ही अच्छा ब्रेक मिल जाता है, किसी को समय लगता है. इस में ऐक्टिंग कोर्स का फायदा कुछ हद तक हुआ, क्योंकि मैं ने अधिकतर अभिनय सैट पर जा कर और खुद की लाइफ ऐक्सपीरियंस से सीखा है. आज अगर मुझे रोने की सीन करनी है, तो मुझे ग्लिसरीन की जरूरत कभी नहीं पड़ी. मैं 20 बार भी रो सकती हूं, उतनी मैमोरी बैंक खुद के अंदर बनानी पड़ती है. इस के अलावा मैं ने वर्ल्ड सिनेमा काफी देखी है. इस से मुझे काम करना आसान हुआ है.

मिला ब्रेक

काफी सालों बाद श्रद्धा को बड़ा ब्रेक टीवी सीरीज ‘सर्च द नैना मर्डर केस’ में मिला, जिस उन्हें अपने मनपसंद कलाकार कोंकना सेन के साथ काम करने का मौका मिला. इस सीरीज में उन के काम को दर्शकों ने काफी सराहना की है. वे फिलहाल कई फिल्में और सीरीज में काम कर रही हैं.

मिली मायूसी

श्रद्धा कहती हैं कि किसी अच्छे औडिशन के बाद अचानक रिजैक्शन का सामना करने पर 1-2 दिनों तक मायूसी रहती है. मगर फिर भूल कर आगे बढ़ जाती हूं

श्रद्धा कहती हैं कि मुझे याद है जब मैं ने एक तेलुगु फिल्म के लिए 5 लुक टेस्ट दिए थे. उन्होंने मुझे साइनिंग अमाउंट भी दिए थे और मैं उस समय अपने पिता को मुंबई से ले कर गई थी. उन्होंने मुहूर्त किया. मैं और मेरे पिता दोनों सुबहसुबह तैयार हो कर गए. मुहूर्त होने के बाद उन्होंने मुझे फिल्म से निकाल दिया, क्योंकि मैं साड़ी में भी बहुत ग्लैमरस दिखती हूं. मैं बहुत हर्ट हुई थी, क्योंकि वह मेरा डैब्यू काम था.

श्रद्धा आगे कहती हैं कि मुझे यह समझ में नहीं आता है कि मुझे लोग ग्लैमरस क्यों कहते हैं. मेरी ऐक्टिंग पर विश्वास क्यों नहीं करते, क्योंकि एक कलाकार एक भिखारी से ले कर कुछ भी बन सकता है और यह सारी चीजें मेकअप से किए जा सकते हैं.

सीमारेखा जरूरी

फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच को ले कर श्रद्धा का कहना है कि अगर आप सुंदर और ग्लैमरस हैं, तो किसी भी क्षेत्र में लोग आप के करीब आना चाहेंगे, लेकिन इस में तय यह करना पड़ता है कि आप उन्हें कितना हद तक पास आने की परमिशन देते हैं. मीटू के बाद हर कौन्ट्रैक्ट में एक क्लौज सैक्सुअल मिसकंडक्ट का होता है, जिसे साइन करना पड़ता है. मुझे ऐसा अभी तक फेस नहीं करना पड़ा है.

कहानी में ओरिजनैलिटी का होना जरूरी

श्रद्धा के अनुसार, पहले से कहानी और दर्शकों की सोच में बदलाव काफी है, लेकिन एक तरह की कहानी के हिट होने पर सभी वैसी ही फिल्में बनाते हैं, जिसे दर्शक नकार देते हैं. ओरिजिनल कहानी वाली हर तरह की जोनर वाली फिल्में हमेशा ही हिट होती हैं, फिर चाहे वह ओटीटी हो या थिएटर हौल. जैनरेशन की इस में कोई गलती नहीं. 5 मिनट से अधिक अगर कोई फिल्म दर्शकों को बांधे रख सकती है, फिर चाहे वह हौरर, रोमांटिक या थ्रिलर हो, तो वह फिल्म सफल होती है. इसे फिल्ममेकर को फिल्म को बनाने से पहले उस की गहराई को समझने की जरूरत है.

समय मिलने पर

श्रद्धा अभिनय के अलावा गाने भी गाती हैं. उन्होंने कई फिल्मों में गाने भी गाए हैं. आगे वे खुद का म्यूजिक अलबम इंटरनैशनल तरीके से निकालना चाहती हैं, क्योंकि उन्होंने कैरियर की शुरुआत सिंगिंग से की है.

फैशन और फूड

श्रद्धा को साधारण व आरामदायक कपड़े पहनना पसंद है, क्योंकि बाकी समय फैशन डिजाइनरों द्वारा दिए गए कपड़े पहनती हैं. इस के अलावा अलगअलग डिशेज ट्राई करना उन्हें पसंद है.

श्रद्धा सोशल मीडिया फौलो नहीं करतीं, क्योंकि उन्हें रील्स देखना पसंद नहीं और खुद को किसी के साथ तुलना करना भी उन्हें अच्छा नहीं लगता. उन्हें अगर सुपर पावर मिले, तो मुंबई जैसे शहर में सब के लिए सस्ता घर दिलवाने की कोशिश जरूर करेंगी.

Shraddha Das

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