Car Purchase & Sale: अभी हाल ही में लाल किला के पास जिस कार में आतंकी धमाका हुआ, वह कार कई बार खरीदी और बेची गई थी. दिल्ली ब्लास्ट के मामले में अब इस कार के पहले मालिक से ले कर जिनजिन लोगों के पास यह कार रही, सभी जांच के घेरे में हैं.
इस के आलावा भी कार व बाइक के चोरी के बहुत मामले सामने आते रहते हैं और दूसरी बात ट्रैफिक नियमों के मुताबिक भी आप के पास वाहन के डौक्यूमेंट्स होने चाहिए ताकि आप या हम में से कोई ऐसी किसी परेशानी में न पड़ जाएं. इसलिए जरूरी है कि कार या कोई अन्य वाहन बेचते या खरीदते समय सतर्क रहें और सावधानी बरतें.
कार बेचने से पहले क्या करना जरूरी है
बेचने वाले को वाहन का मूल आरसी (RC) देना चाहिए. बेचने और खरीदने वाले दोनों पक्षों द्वारा परिवहन सेवा पोर्टल पर औनलाइन या संबंधित आरटीओ के फौर्म 29 एवं फौर्म 30 भरना चाहिए. मोटर व्हीकल ऐक्ट 1988 की धारा 50 के तहत यह जरूरी है.
विक्रेता अपने पास बिक्री का प्रमाण (सेल एग्रीमेंट) रखें. आरसी में मालिक का नाम ट्रांसफर कराना जरूरी है. अगर यह ट्रांसफर नहीं हुआ तो वाहन का दुरुपयोग या दुर्घटना होती है या वाहन का चालान, ऋण आदि बनता है, तो विक्रेता रिकौर्ड में मालिक होने से उत्तरदायी माना जाएगा.
डौक्यूमेंट्स ट्रांसफर जरूरी
कार बेचने से पहले आप को कार के सभी जरूरी दस्तावेज जैसे आरसी और इंश्योरेंस पौलिसी नए ओनर को ट्रांसफर जरूर करनी चाहिए. यदि आप इन दस्तावेजों को ट्रांसफर नहीं करेंगे तो आप को भविष्य में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
ऐसा भी हो सकता है कि आप को आकर्षक कीमत पर चोरी किया हुआ हुआ वाहन बेचा जा रहा हो. इन मामलों से बचने के लिए आप को फाइनल डील से पहले कार का पेपरवर्क कराना चाहिए.
इसलिए यदि आप कार बेचने की तैयारी कर रहे हैं तो इस से जुड़े कागज जैसे इंश्योरैंस, रजिस्ट्रेशन बुक, टैक्सेसन बुक, इनवौयस प्रदूषण सर्टिफिकेट (PUC), आरसी आदि अपडेट करवा लें. अगर कार लोन पर थी तो आरसी से एचपी भी हटवा लें.
इस के लिए ईंधन प्रकार (Fuel type) जांचें कि आरसी में पैट्रोल, डीजल, सीएनजी या इलैक्ट्रिक में से क्या लिखा है. यह भविष्य के नियमों और प्रदूषण मानकों के लिए महत्त्वपूर्ण है. हाइपोथिकेशन यदि आरसी में हाइपोथिकेटेड लिखा है, तो इस का मतलब है कि कार पर लोन चल रहा है. सुनिश्चित करें कि विक्रेता लोन चुका दे और आप को बैंक से एनओसी (NOC – नो ओब्जैक्शन सर्टिफिकेट) प्राप्त हो जाए.
कार बेचने से पहले पेपर वर्क पूरा करें
कार बेचने से पहले आप को कार के नए ओनर को सभी बकाया भुगतान की जानकारी देनी चाहिए. इस के लिए आप को अपने जिले के आरटीओ औफिस से एनओसी लेनी होगी, जिस में साफ किया गया होता कि कार मालिक पर कोई टैक्स या फाइन बकाया नहीं है. वहीं आप को पौल्यूशन सर्टिफिकेट और कार की सर्विस हिस्ट्री नए मालिक के साथ शेयर करनी चाहिए.
कार की वैल्यू चेक करें
यदि आप डीलर के पास या शोरूम नहीं जाना चाहते हैं तो इस के लिए आप इंटरनैट का सहारा ले सकते हैं. कई वैबसाइट और मोबाइल एप हैं जहां कारें खरीदी और बेची जाती हैं. यहां से भी आप अपने कार की वैल्यू चैक कर सकते हैं. आप 3-4 डीलरों से बात करें.
कार हो साफसुथरी
आप की कार जितनी साफसुथरी होगी और अच्छी कंडीशन में होगी, आप को उस की वैल्यू उतनी ही अच्छी मिलेगी. इसलिए कार को किसी को दिखाने से पहले उस की अच्छी तरह वाशिंग और सफाई कर लें. बेहतर होगा यदि आप कार की वाशिंग किसी सर्विस सैंटर से करा लें.
कार का डेटा पूरी तरह साफ करें
कार देने से पहले इनफोटेनमैंट सिस्टम से अपना गूगल या ऐपल अकाउंट लौगआउट करें. सेव्ड कौंटैक्ट्स, कौल हिस्ट्री, नैविगेशन एड्रेस आदि डिलीट कर दें.
फास्ट टैग (FasTag) हटाएं और अगर कोई जीपीएस (GPS) ट्रैकर या कनेक्टेड ऐप जैसे ब्लू लिंक (BlueLink) या आई-कनैक्ट (i-Connect) है, तो उसे भी डिसेबल करें. इस से आप की पर्सनल जानकारी सुरक्षित रहती है.
चालान और लोन क्लियर करें
गाड़ी बेचने से पहले सभी चालान, रोड टैक्स और फाइन चुका दें. अगर कार पर बैंक लोन है, तो बैंक से एनओसी ले कर हाइपोथिकेशन हटवाएं. ऐसा न करने पर आरसी ट्रांसफर रुक सकता है और खरीदार को परेशानी हो सकती है.
इंश्यारैंस करवाना भी जरूरी है
पुरानी कार खरीदने के बाद इंश्योरैंस पौलिसी नए मालिक के नाम पर ट्रांसफर कराना अनिवार्य है. इस से दुर्घटना या चोरी की स्थिति में सुरक्षा बनी रहती है. बिना ट्रांसफर के इंश्योरैंस कंपनी दावा स्वीकार नहीं करती है. इसलिए यह जरूरी है कि रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर होने के बाद आप के नाम पर ही वैलिड इंश्योरैंस होना चाहिए. ऐसा इसलिए अगर आरसी (RC) आप के नाम पर रजिस्टर्ड है और इंश्योरैंस अभी भी पुराने मालिक के नाम पर है तो आप की इंश्योरैंस पौलिसी निरस्त हो जाएगी.
सेल्फ अटेस्टेड पैनकार्ड
कार ट्रांसफर की प्रक्रिया के दौरान आरटीओ इंस्पेक्शन के लिए आप के पास सेल्फ अटेस्टेड पैनकार्ड की कापी होना आवश्यक है. यदि आप के पास पैनकार्ड नहीं है तो आप के पास फौर्म 60 होना आवश्यक है, जो आप आरटीओ से ही प्राप्त कर सकते हैं या फिर उस की वैबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं.
सेल्फ अटेस्टेड एड्रेस प्रूफ
भारत के कई राज्यों में कार बेचते समय एड्रेस प्रूफ पेश करना काफी आवश्यक होता है. आरटीओ में ओरिजनल एड्रेस प्रूफ इंसपैक्शन के दौरान दिखाना जरूरी होता है, वहीं इस की सेल्फ अटेस्टेड कापी पेपरवर्क के दौरान काम आती है.
एड्रेस प्रूफ के लिए आप चाहें तो निम्न डौक्यूमेंट्स पेश कर सकते हैं :
-आधार कार्ड
-पासपोर्ट
-राशन कार्ड
-वोटर आईडी कार्ड
लिखित कौन्ट्रैक्ट बनवाएं
जब लोग नई कार खरीदने जाते हैं तब वे सभी दस्तावेजों आदि का खयाल रखते हैं. इस बात का ध्यान उन्हें अपनी पुरानी कार बेचते समय भी रखनी चाहिए. पुरानी कार को बेचते समय कार की स्थिति, बिक्री मूल्य और ट्रांसफर आदि के लिए लिखित कौन्ट्रैक्ट बनवाएं ताकि भविष्य में अगर कोई उस कार का गलत उपयोग करे तो आप के पास सुबूत के तौर पर दस्तावेज हों.
जानपहचान में ही बेचें कार
अगर हो सके तो किसी भी व्यक्ति को अपनी कार बेचने से पहले उस के बैकग्राउंड के बारे में पता कर लें. यह जानने की कोशिश करें कि वह गलत लोगों या गलत कामों में जुड़ा तो नहीं है. ऐसा हो तो उसे कार न बेचें. कोशिश करें कि अपने किसी जानपहचान वाले व्यक्ति को ही कार बेचें.
कार खरीदते समय आरसी में क्या जांचें
मालिक का नाम (Owner’s Name) : यह सुनिश्चित करें कि आरसी (RC) पर लिखा नाम, बेचने वाले व्यक्ति का पहचान प्रमाण (ID Proof) से पूरी तरह मेल खाता हो. अगर नाम अलग है, तो मालिक का कानूनी रूप से सही अधिकार (Legal Authority) जांचें.
चेसिस और इंजन नंबर (Chassis & Engine Number) : यह नंबर कार के वास्तविक चेसिस और इंजन पर लिखे नंबर से बिलकुल मेल खाना चाहिए. यह सब से जरूरी जांच है जो धोखाधड़ी (Fraud) को रोकती है.
पंजीकरण संख्या (Registration Number) : आरसी (RC) पर लिखा नंबर, कार की नंबर प्लेट पर लिखे नंबर से मिलना चाहिए.
ओनर सीरियल नंबर (Owner Serial No) : यह जांचें कि आप पहले (1st), दूसरे (2nd) या तीसरे (3rd) मालिक हैं. यह संख्या कार के पुनर्विक्रय मूल्य (Resale Value) को प्रभावित करती है.
पंजीकरण की तिथि (Date of Registration) : इस से पता चलता है कि कार कितनी पुरानी है. यह कार के मौडल वर्ष से मेल खाना चाहिए.
पुरानी कार खरीदते समय चैक करें मैंटनेंस रिकौर्ड
पुरानी कार खरीदते समय उस की मैंटनेंस हिस्ट्री को देखना बेहद जरूरी है. इस से पता चलता है कि उस कार की सर्विसिंग सही समय पर चल रही थी या नहीं. अगर कार विक्रेता सर्विसिंग का रिसीप्ट या रिकौर्ड रखता है तो आप आसानी से जान सकते हैं कि कार की मैंटनेंस कैसी है. इसलिए कार बेचने वाले से मैंटनेंस रिकौर्ड की मांग करें.
नो क्लेम बोनस की करें जांच
यह कार बीमा से संबंधित है. नो क्लेम बोनस इंश्योरैस प्रीमियम को हलका बना देता है. यह पौलिसी अवधि के दौरान दावा दायर नहीं करने का इनाम है. इसलिए, इसे नो क्लेम बोनस (NCB) के रूप में जाना जाता है. कार की कंप्रिहेंसिव बीमा पौलिसी लेते समय यह बोनस आप को प्रीमियम में छूट प्रदान कर सकता है.
पुलिस वैरीफिकेशन कराएं
अगर आप यह सोच रहे हैं कि पुरानी कार खरीदने के लिए पुलिस वैरीफिकेशन की क्या जरूरत है, तो आप को बता दें कि कई लोग अपनी कार को इसलिए बेच देते हैं क्योंकि वह किसी अपराध जैसे हिट ऐंड रन केस और ड्रग्स ट्रांसपोर्टेशन आदि में शामिल होती है.
इस कारण हमेशा पुरानी कार लेने से पहले उस का पुलिस वैरीफिकेशन जरूर करा लें.
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