Multistarrer Movies: मल्टीस्टार फिल्मों का दौर आज से 57 साल पहले यश चोपङा निर्देशित फिल्म ‘वक्त’ से शुरू हुआ. इस फिल्म में बलराज साहनी, सुनील दत्त, राजकुमार, शर्मिला टैगोर, साधना जैसे दिग्गज कलाकारों को एक ही फ्रेम में ला कर फिल्म बनाई गई थी.

मशहूर कलाकारों से सजी फिल्म ‘वक्त’ न सिर्फ उस जमाने की सुपरहिट फिल्म थी, बल्कि एक मल्टीस्टारर फिल्म के जरीए एक ही टिकट के दाम पर दर्शकों को अपने पसंदीदा कलाकारों को एकसाथ फिल्म में देखने का मौका मिल गया.

इस फिल्म की लोकप्रियता के बाद  कई सारी मल्टीस्टारर फिल्में बनीं, जैसे ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘क्रांति’, ‘डौन’, ‘नमक हलाल’, ‘शान’, ‘शोले’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘पूरब पश्चिम’ आदि.

तकरीबन हर सफल हीरोहीरोइन के दौर में मल्टीस्टारर फिल्मों का बोलबाला रहा, फिर चाहे वह शाहरुख खान की ‘दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे’, ‘कभी खुशी कभी गम’, ‘दिल तो पागल है’ हो या सलमान खान के दौर में ‘हम आप के हैं कौन’, ‘जुड़वां’, ‘हम साथसाथ हैं’ आदि फिल्में ही क्यों न हों.

कहने का मतलब यह है कि सुनील दत्त, राजकुमार, शत्रुघ्न सिन्हा से ले कर अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, सलमान खान तक करीबन सभी हीरो ने मल्टीस्टारर और 2 हीरो वाली फिल्मों में काम किया है. लेकिन पिछले कुछ सालों में मल्टीस्टारर फिल्में बननी कम हो गई हैं. इस के पीछे क्या वजह है? कई कलाकारों से सजी फिल्मों के क्या फायदेनुकसान हैं? आने वाले समय में कौनकौन सी मल्टीस्टारर और 2 हीरो वाली फिल्में रिलीज होने जा रही हैं, आइए जानते हैं :

मल्टीस्टारर और 2 हीरो वाली फिल्मों के फायदेनुकसान

जब से फिल्मों का निर्माण शुरू हुआ है, तब से फिल्म निर्माण को ले कर नएनए आयाम मेकर्स पेश कर रहे हैं, जिस के तहत रोमांटिक, हौरर, सामाजिक, ऐक्शन आदि फिल्मों का निर्माण बरसों से चला आ रहा है.

ऐसे ही फिल्मों के दौर में एक नया आयाम शुरू हुआ और वह आयाम है मल्टीस्टारर और 2 हीरो 2 हीरोइन अभिनित फिल्मों का दौर. जैसे अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, विनोद खन्ना, शशि कपूर, रेखा, हेमा मालिनी आदि कलाकारों की फिल्में देखने के लिए दर्शक हमेशा उत्साहित रहते थे.

ऐसे में जब मेकर्स इन सितारों को एकसाथ जमा कर के एक ही फ्रेम में ला कर कोई फिल्म बनाते थे तो वह मल्टीस्टारर फिल्म सुपरहिट होती थी. जैसे सुभाष गई की फिल्म ‘राम लखन’, ‘विधाता’, ‘खलनायक’, ‘कर्मा’, ‘ताल.’

पहलाज निहलानी की फिल्में ‘आंखें’, ‘शोला और शबनम’, ‘हथकड़ी’, ‘पाप की दुनिया.’ प्रकाश मेहरा की फिल्में ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘नमक हलाल’, ‘शराबी’, ‘लावारिस’ आदि.

सूरज बड़जात्या की फिल्में ‘हम आप के हैं कौन’, ‘हम साथसाथ हैं’, करण जौहर की फिल्म ‘कुछकुछ होता है’, जिस में शाहरुख, सलमान, काजोल और रानी मुखर्जी थे, बरसों से मल्टीस्टारर फिल्मों को दर्शकों द्वारा हमेशा पसंद किया जा रहा था.

लेकिन पिछले दिनों एक वक्त ऐसा भी आया जब मल्टीस्टार फिल्में बननी कम होने लगीं, जिस की वजह से कई मल्टीस्टार फिल्म का फ्लौप होना अहम वजह रही.

कई बिग बजट मल्टीस्टारर फिल्में जैसे संजय लीला भंसाली की रणबीर कपूर, सलमान खान, रानी मुखर्जी, सोनम कपूर अभिनीत ‘सांवरिया’, बोनी कपूर की फिल्म ‘रूप की रानी चोरों का राजा’, श्रीदेवी और अनिल कपूर अभिनीत, मल्टीस्टार कलाकारों से सजी ‘जानी दुश्मन’, सलमान खान की फिल्म ‘किसी का भाई किसी की जान’, ‘सिकंदर’, ‘रेस 3’, ‘ट्यूबलाइट’, ‘अंदाज अपना अपना’, अक्षय कुमार स्टारर ‘सम्राट पृथ्वीराज’, ‘सैल्फी’, ‘बड़े मियां छोटे मियां 2’, ‘खेलखेल में’, शाहरुख खान अभिनीत मल्टीस्टार फिल्में ‘त्रिमूर्ति’, ‘जीरो’, ‘दिल से’, ‘किंग अंकल’ आदि कई मल्टीस्टार फिल्में फ्लौप रहीं, जिस के बाद मेकर्स ऐसी भव्य मल्टीस्टारर फिल्में बनाने से पीछे हटने लगे क्योंकि ऐसी फिल्मों का बजट बहुत ज्यादा होता है और सभी को एकसाथ जमा कर के सभी की डेट्स ऐडजस्ट करना, सभी कलाकारों का ध्यान रखना आसान नहीं होता. इसलिए अगर एक मल्टीस्टार फिल्म फ्लौप होती है तो उस का असर ऐक्टर पर कम मेकर्स पर ज्यादा होता है.

मल्टीस्टार और 2 हीरो वाली फिल्मों में काम करने को ले कर आज के हीरोज की प्रतिक्रिया

बौलीवुड में आज के समय में कई ऐसे कलाकार हैं, जो मल्टीस्टार फिल्में करने के इच्छुक हैं. फिर चाहे वह अक्षय कुमार, आयुष्मान खुराना हों या शाहरुख खान, सलमान खान ही क्यों न हों, कई कलाकार ऐसे भी हैं जो मल्टीस्टारर फिल्में करने से हिचकिचाते हैं. इस की वजह है कई सारे कलाकारों से सजी मल्टीस्टारर फिल्म में भीड़ का हिस्सा बनने से इनकार होना, अपने रोल को ले कर एडिटिंग में कट जाने या कम होने का डर, बड़े ऐक्टर्स के साथ काम करते वक्त खुद की मौजूदगी का कम होना आदि कई बातों से डर कर आज कई सारे ऐक्टर्स मल्टीस्टार फिल्में रिजैक्ट कर देते हैं जबकि कुछ पुराने मेकर्स के अनुसार पहले के ऐक्टर के साथ में काम करना इतना पसंद करते थे कि फिल्म की कहानी भी नहीं सुनते थे और सिर्फ अपने पसंदीदा ऐक्टरों के साथ काम करने के लिए फिल्म साइन कर लेते थे ताकि काम के साथसाथ मौजमस्ती करने का भी मौका मिल जाए.

इस के अलावा पहले के कलाकार अपना ईगो साइड में रख कर दूसरे कलाकारों के हिसाब से अपनी शूटिंग की डेट ऐडजस्ट कर लेते थे. लेकिन आज के भागदौड़ वाले युग में निर्माताओं के लिए ऐक्टर की डेट्स शूटिंग के लिए ऐडजस्ट करना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाता है.

यही वजह है कि पहले के मुकाबले आज के समय में मल्टीस्टारर फिल्में कम बनती हैं जबकि आज भी मल्टीस्टार फिल्मों की डिमांड उतनी ही है जितनी कि पहले के समय में थी.

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