Joints Pain: 30 और 40 की उम्र में जोड़ों में दर्द या अकड़न को अकसर मामूली समस्या समझ लिया जाता है. लेकिन कई बार यह शरीर में चल रही सूजन, मसल्स की कमजोरी या आर्थराइटिस जैसी स्थिति की शुरुआत का संकेत देता है. इसीलिए समय रहते समझदारी से कदम उठाना बेहद जरूरी है.
जोड़ों के दर्द का कारण
जोड़ों का दर्द किसी एक कारण से नहीं होता. यह उम्र के साथ होने वाली प्राकृतिक घिसावट, लंबे समय तक फिजिकल ऐक्टिविटी की कमी, बढ़ते वजन या मसल्स के कमजोर होने का नतीजा हो सकता है.
महिलाओं में हार्मोनल बदलाव और औटोइम्यून बीमारियों का जोखिम भी इस दर्द को और जटिल बना देता है.
सही जानकारी, समय पर पहचान और संतुलित दिनचर्या से दर्द होगा कंट्रोल
कैलाश अस्पताल (देहरादून) के डाक्टर सुशील कुमार का कहना है कि समस्या तब बढ़ती है जब दर्द को नजरअंदाज किया जाता है और इलाज या लाइफस्टाइल बदलाव में देर हो जाती है. सही जानकारी, समय पर पहचान और संतुलित दिनचर्या अपना कर न सिर्फ दर्द को कंट्रोल किया जा सकता है, बल्कि जोड़ों की सेहत को लंबे समय तक बनाए भी रखा जा सकता है.
क्या जोड़ों का दर्द इतनी जल्दी शुरू हो सकता है
अकसर लोग आर्थराइटिस को सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी मानते हैं, लेकिन जोड़ों की टूटफूट 30–40 की उम्र में ही शुरू हो सकती है. जोड़ों के बीच मौजूद कार्टिलेज (जो कुशन का काम करता है) धीरेधीरे पतला होने लगता है और यह खुद को रिपेयर नहीं कर पाता. इस के साथ ही :
-कम फिजिकल ऐक्टिविटी.
-बढ़ता वजन.
-लंबे समय तक बैठ कर काम करना.
ये सभी मिल कर घुटनों, कूल्हों और कमर पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं. दर्द बढ़ने से ऐक्टिविटी कम होती है और एक निगेटिव साइकिल शुरू हो जाती है.
महिलाओं में जोड़ों से जुड़े खास रिस्क
महिलाओं में कुछ खास कारणों से जोड़ों की समस्या का रिस्क ज्यादा होता है :
रूमेटाइड आर्थराइटिस (आरए)
-यह एक औटोइम्यून बीमारी है.
-30–60 की उम्र में ज्यादा देखने को मिलती है.
-महिलाओं में पुरुषों से 3 गुना ज्यादा जोखिम.
-बिना इलाज के जोड़ों को स्थायी नुकसान हो सकता है.
मसल्स की कमजोरी और ज़्यादा बौडी फैट
स्टडीज बताती हैं कि जिन महिलाओं की जांघों की मसल्स कमजोर होती हैं और बौडी फैट ज्यादा होता है, उन में घुटनों का दर्द जल्दी शुरू होता है.
-कमजोर मसल्स शौक ऐब्जौर्ब नहीं कर पातीं और पूरा दबाव सीधे जोड़ पर पड़ता है.
कब यह दर्द रैड फ्लैग माना जाए
हर दर्द नौर्मल नहीं होता. इन लक्षणों पर खास ध्यान दें :
-शरीर के दोनों तरफ एकजैसे जोड़ों में दर्द (जैसे दोनों घुटने/कलाइयां)
-सुबह उठते समय या देर तक बैठने के बाद ज्यादा अकड़न.
-जोड़ में सूजन, लालिमा या गरमाहट.
-उंगलियों या पैर की उंगलियों में दर्द.
-कम ऐक्टिविटी के बावजूद ज्यादा दर्द.
-अचानक मूवमेंट में रुकावट.
ये लक्षण इन्फ्लेमेटरी आर्थराइटिस की ओर इशारा कर सकते हैं और डाक्टर को दिखाना जरूरी है.
जोड़ों के दर्द से कैसे निबटें
डाक्टर्स एक प्रोएक्टिव लाइफस्टाइल को सब से कारगर मानते हैं :
-वजन कंट्रोल में रखें.
-हर 1 किलोग्राम अतिरिक्त वजन, घुटनों पर लगभग 4–5 किलोग्राम दबाव बढ़ाता है.
स्ट्रैंथ ट्रेनिंग अपनाएं
-क्वाड्स, हैमस्ट्रिंग और कोर मसल्स को मजबूत करें.
-मजबूत मसल्स जोड़ों को सपोर्ट देती हैं.
-सही ऐक्सरसाइज चुनें.
जोड़ों के लिए बेहतर औप्शन
-स्विमिंग
-साइक्लिंग
-लो इंपैक्ट कार्डियो
-हाई इंपैक्ट ऐक्सरसाइज (जैसे ज़्यादा जंपिंग) दर्द बढ़ा सकती हैं.
30 और 40 की उम्र में जोड़ों का दर्द सामान्य मान कर नजरअंदाज करना सही नहीं है. यह मैकेनिकल घिसाव, मसल इमबैलेंस या रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसी बीमारी का संकेत हो सकता है. समय रहते शरीर के संकेतों को समझना, सही ऐक्सरसाइज अपनाना और जरूरत पड़ने पर डाक्टर से सलाह लेना लंबे समय तक ऐक्टिव और दर्दमुक्त जीवन की कुंजी है.
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