Kashika kapoor: 19 वर्षीया खूबसूरत, हंसमुख, विनम्र मौडल और अभिनेत्री कशिका कपूर मुंबई की है. उस की बचपन से ही अभिनय के क्षेत्र में जाने की इच्छा रही है. उस ने हिंदी फिल्मों, वैब सीरीज के अलावा कई म्यूजिक वीडियो और साउथ की कई फिल्मों में काम किया है. अपनी लगन और मेहनत के बल पर उस ने एक सफल मुकाम बहुत कम उम्र में हासिल कर लिया है. अभी वह 2 तेलुगू फिल्मों में मुख्य भूमिका के तौर पर अभिनय कर रही है.

कशिका ने न्यूयौर्क फिल्म एकेडमी से एक साल की ऐक्टिंग ट्रैनिंग ली है. इस के अलावा मुंबई में भी अभिनय की ट्रेनिंग ली है. उस की सोच के मुताबिक, ऐक्टिंग सिखाई नहीं जा सकती, वह इमोशन से आती है.

कशिका रियल लाइफ में शांत और मेहनत करना पसंद करती है. समय मिलते ही वह कुछ नया करने के बारे में सोचती रहती है. उसे अधिक रैस्ट करना पसंद नहीं.

उस ने अपनी जर्नी के बारे में बात की, जानते हैं उस की कहानी उसी की जबानी.

 

भाषा मेरे लिए समस्या नहीं

भाषा के बारे में सवाल करने पर कशिका कहती है, “अभी मैं साउथ की कई फिल्मों में काम कर रही हूं. मेरे 2 प्रोजैक्ट यहां पर हैं. ये सभी फ़िल्में पैन इंडिया रिलीज होने वाली हैं. इन फिल्मों की शूटिंग अधिकतर हैदराबाद में हो रही है. एक फिल्म रोमकोम है, दूसरी हौरर कौमेडी और सीरियस. इन दोनों में मुझे काम करने में भी अच्छा लग रहा है क्योंकि मेरी भूमिका मुख्य है.

“मेरी जो पहली तेलुगू डैब्यू फिल्म ‘लव योर फादर’ थी, उस में मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी. मैं ने तेलुगू सीखा है. भाषा को सीखना उस फिल्म को करने के लिए जरूरी होता है, इस से आप उसे अच्छी तरह से परफौर्म कर पाते हैं. ऐसी फिल्मों को करना मुश्किल नहीं होता. सैट पर जाने से पहले स्क्रिप्ट मिल जाती है, जिसे याद कर सैट पर जाना होता है. वर्कशौप जरूरी नहीं होता क्योंकि सैट पर कई बातें डायरैक्टर बता देते हैं, जिस से अभिनय करना आसान हो जाता है. मुझे तेलुगू भाषा पसंद है और मेरे लिए यह नया अनुभव है. मुझे बचपन से ही नई चीजें सीखना पसंद है.”

 

मुंबई से साउथ का सफर

कशिका हंसती हुई कहती हैं, “फिल्म की कहानी बड़ी दिलचस्प है. जब मैं ने एक वीडियो सौंग ‘इशका…’ किया था, वीडियो सुपरहिट हो गया. इस के बाद साउथ से मुझे फोन आया कि उन्हें मेरे जैसा चरित्र चाहिए. मेरे पिता जो मेरे मैनेजर हैं, उन के पास फोन आया कि उन्हें मैं एक फिल्म के लिए पसंद हूं और वे मुझ से मिलना चाहते हैं. मैं उन से मिली और मुझे काम मिल गया.”

 

होती है अच्छी कहानी

साउथ की फिल्में अधिकतर हीरो प्रधान होती हैं लेकिन कशिका को हमेशा अच्छी भूमिकाएं मिलीं. वह कहती है, “मुझे ऐसा कभी अनुभव नहीं हुआ कि फिल्म में मुझे अभिनय का मौका कम मिला हो क्योंकि मेरी भूमिकाएं उन फिल्मों के लिए अहम रही हैं. वैसे भी, साउथ की फिल्मों की कहानियां बहुत अच्छी होती हैं. सो, उन में काम करना भी अच्छा लगता है.”

 

जरूरत के अनुसार इंटीमेट सीन्स 

कशिका का मानना है, “इंटीमेट सीन्स अगर नौर्मल हों और उन में कुछ डीप न हो तो करने में कोई हर्ज नहीं. दर्शक अभिनय को देखना पसंद करते हैं, जो आंखों के जरिए भी किया जा सकता है और इस के लिए इंटीमेट सीन्स को दिखाना जरूरी नहीं. ये सब उस प्रोजैक्ट पर निर्भर करेगा. उस के बारे में अभी कुछ कहना मेरे लिए मुश्किल है.”

 

मिली प्रेरणा

कशिका एक ऐथलीट भी थी और पढ़ाई अच्छी करती रही. वह कहती है, “कहने को मैं एक स्पौर्ट्सपर्सन थी और बास्केटबौल की नैशनल प्लेयर रही. जब में 12 साल की थी, तब मैं ने अचानक पेरैंट्स से कहा कि मैं ऐक्ट्रेस बनने वाली हूं. उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि मैं वाकई ऐसी बनूंगी. उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब भी हमारे घर पर कोई फंक्शन होता, मैं अच्छा डांस करती थी.

“जब मैं 10वीं की बोर्ड की परीक्षा खत्म कर खाली बैठी थी, तो एक एजेंसी से कौल आया कि मैं किसी एड के लिए चुन ली गई. मैं और मेरी मां चुपके से वहां चले गए. प्रोजैक्ट का समय आया तब पिता को पता चला, क्योंकि वहां उन के हस्ताक्षर की आवश्यकता थी. पिता नहीं चाहते थे कि मैं इस इंडस्ट्री में काम करूं.”

 

परिवार का सहयोग

कशिका बताती है, “मेरे पिता व्यवसाय करते हैं. वे शुरू में थोड़ा झिझक रहे थे. वे मेरे लिए बहुत सुरक्षात्मक हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि मुझे पता हो कि मैं क्या कर रही हूं. मेरी मां ने पहले दिन से ही मुझ में जोश देखा. उन के अटूट समर्थन ने मुझे वो ताकत दी जिस की मुझे ज़रूरत थी. आखिरकार, पिताजी ने मेरा कमिटमैंट देखा और आज वे मुझे पूरा सहयोग देते हैं.”

 

हुई काम की शुरुआत

काशिका का कहना है, “मैं ने पहले हिंदी की एक वैब सीरीज से काम शुरू किया. उस के बाद फिल्म ‘आयुष्मती गीता मेट्रिक पास’ किया. यह फिल्म बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर थी. अच्छी कहानी थी इस की. मेरी पहली कमर्शियल फिल्म भी यह थी. यह एक फैमिली ड्रामा फिल्म थी. इस के बाद मुझे साउथ की फिल्मों में काम करने का औफर मिला.”

 

रहा संघर्ष

काशिका बताती है, “एक काम करने के बाद कई काम आए. लेकिन जिस भूमिका से मैं खुद को जुड़ाव महसूस नहीं कर पाती, उस में मैं काम नहीं कर सकती. मैं जो भी फिल्म करूं, औडियंस को खुशी मिलनी चाहिए. इस के अलावा कहानी स्ट्रौंग होनी चाहिए. मुझे याद है कि फिल्म ‘पिंक’ में तापसी की भूमिका बहुत स्ट्रौंग थी. उस का प्रभाव हर दर्शक पर पड़ा. ऐसा चरित्र जिस से थिएटर में मौजूद सारे दर्शक हिल जाएं, ऐसी फिल्में मुझे करनी हैं और उस के लिए चुनौती कितनी भी आए, मैं लेने के लिए तैयार हूं. इस में प्रोडक्शन हाउस कितना भी बड़ा हो या छोटा, कहानी सही न होने पर मैं उस में काम करना पसंद नहीं करती. मेरी कोई भी गलत चौइस मेरे कैरियर पर असर कर सकती है. मैं किसी भी प्रोजैक्ट को चुनते समय इस बात का खास ध्यान रखती हूं.”

 

औडिशन में रिजैक्शन को संभालना मुश्किल नहीं

काशिका का कहना है, “औडिशन में रिजैक्शन को हमेशा सकारात्मक रूप में लिया, क्योंकि किसी भी रिजैक्शन के पीछे मुझे एक अच्छा काम हमेशा मिला है. कोई प्रोजैक्ट अगर मुझे नहीं मिला तो मुझे पता है कि कुछ बड़ा मेरे पास आने वाला है.”

 

नहीं किया सामना कास्टिंग काउच का

कशिका का मानना है, “आप जैसे किसी को दिखोगे, इंसान आप को आगे वैसा ही मिलेगा. मैं जहां भी मीटिंग के लिए जाती हूं, बात खत्म होते ही घर लौट आती हूं. फुजूल की बातें करना, रौंग सिग्नल देना और गौसिप नहीं करती. मैं हर मीटिंग में अपनी मां या पिता के साथ जाती हूं ताकि उन्हें किसी प्रकार का गलत सिग्नल न मिले. डिग्निटी के साथ काम करना बहुत जरूरी है.”

 

नहीं होती प्रभावित ग्लैमर से

कशिका कहती है, “ग्लैमर से मैं अधिक प्रभावित नहीं होती क्योंकि वह कभी है, कभी नहीं. मैं अपना चरित्र किसी के लिए बदलना पसंद नहीं करती. मैं इंसानियत, अच्छे एटीट्यूड, काइंडनैस आदि को बनाए रखना चाहती हूं. दरअसल, किसी भी कलाकार का स्वभाव ही उसे आगे बढ़ने में मदद करता है.

“इस कड़ी में मुझे अभिनेत्री दीपिका पादुकोण बहुत पसंद हैं. उन का काम, आंखें और व्यवहार मुझे बहुत पसंद है. चाहे फिल्म ‘पद्मावत’ हो या ‘ये जवानी है दीवानी’, हर फिल्म में उन की ऐक्टिंग बहुत सहज है. इस के अलावा उन का ड्रैसिंग सैंस भी बहुत ही सिंपल है.”

 

अच्छी कहानी में काम करना है ड्रीम

काशिका का ड्रीम है कि वह एक बहुत ही अच्छी कहानी के साथ कुछ मैसेज वाली फिल्म करे. वह कहती है कि फिल्में समाज में बड़ा बदलाव ला सकती हैं. इस में कोऐक्टर और डायरैक्टर कोई माने नहीं रखते, स्टोरी अच्छी होनी चाहिए. इस के अलावा कशिका को आरामदायक कपड़े पहनना पसंद है. वह अधिक मेकअप पसंद नहीं करती. उसे स्ट्रीट फूड्स में भेलपूरी, सेवपूरी, पावभाजी आदि खाना पसंद हैं.

वह कहती है, “मुझे यूथ से यह कहना है कि वे जैसे हैं वैसे ही रहें, किसी की तरह बनने की कोशिश न करें, तभी वे आगे बढ़ सकते हैं.”

Kashika kapoor

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