शुक्रवार को प्रदर्शित हो रही अपनी पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान के अभिनय वाली फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ के भारत के साथ-साथ पाकिस्तान में प्रदर्शन को सुनिश्चित करने के लिए करण जौहर ने सारे हथकंडे अपनाए, पर अफसोस उनकी फिल्म के साथ साथ अजय देवगन की फिल्म ‘शिवाय’ भी पाकिस्तान में प्रदर्शित नहीं हो पाएगी.

मजेदार बात यह है कि पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों के बैन से वहां के सिनेमा घर मालिक परेशान हैं. पाकिस्तानी सिनेमा घर के मालिकों और पाकिस्तानी एक्जीबेटर और डिस्ट्रीब्युशन एसोसिएशन के चेयरमैन जोरैज लशारी का मानना है कि पिछले तीन वर्षों में पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री कि स्थिति सुधरने के साथ साथ पाकिस्तान में जो मल्टीप्लैक्स की संख्या बढ़ी है, उसकी मुख्य वजह पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों का प्रदर्शन होना है.

लशारी ने कहा है कि, ‘पिछले तीन वर्षों में सिनेमा घर मालिक बॉक्स ऑफिस पर जो कमायी कर रहे थे, उसकी 75 प्रतिशत कमायी भारतीय फिल्मों के प्रदर्शन से हो रही था. हालात यह हैं कि भारतीय फिल्मों में बैन लगाने के बाद से पाकिस्तान के लगभग सभी मल्टीप्लैक्स खाली पड़े हुए हैं. सभी मल्टीप्लैक्स व सिनेमाघर मालिक चाहते हैं कि पाकिस्तान उनके यहां भारतीय फिल्में प्रदर्शित हो, मगर ऐसा नहीं हो पाया.

पाकिस्तानी अखबारों की मानें तो पाकिस्तान की एक्जबीटर और डिस्ट्रीब्यूटी एसोसिएशन के चेयरमैन जोरैज लशारी ने ही शर्त रखी थी कि यदि भारत में फवाद खान की फिल्म ऐ दिल है मुश्किल के प्रदर्शन की इजाजत मिलेगी, तो उनकी संस्था पाकिस्तान से भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध हटा देगी. इसके मायने यह हुए कि लशारी की बातों को ध्यान में रखते हुए करण जौहर ने दौड़ भाग की.

भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस व महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे के साथ बैठके कर अपनी फिल्म ऐ दिल है मुश्किल के भारत में प्रदर्शन को सुनिश्चित कराया. पर वह अपनी फिल्म को पाकिस्तान में प्रदर्शित करवाने में असफल रहे, जबकि फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान के ही कारण भारत में इसके प्रदर्शन में रूकावटें आ रही थी.

पाकिस्तानी अखबारों की मानें तो पाकिस्तानी सरकार के वित्त मंत्रालय ने करण जोहर की फिल्म ऐ दिल है मुश्किल और अजय देवगन की फिल्म शइवाय को हरी झंडी दे दी थी. उसके बाद यह दोनों फिल्में पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड के सामने भेजी गयीं. पर मामला वहां भी लटका हुआ है. वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार ने भी साफ किया है कि वह पाकिस्तानी कलाकारों का वीजा रद्द करने के बारे में नहीं सोच रही है. जबकि भारत के सूचना व प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा है, ‘भारत सरकार ने पाक कलाकारों के भारत में काम करने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है. लेकिन फिल्मकारों को देश की जनता, देश के लोगों की भावनाओं का ध्यान रखकर काम करना चाहिए. जब पाकिस्तान छल युद्ध कर रहा हो, तो देश के लोगों की भावनाएं क्या होंगी? उसका ख्याल फिल्मकार करें.’

देखा जाए, तो दोनों देशों कि सरकारों ने तो खुलकर कह दिया है कि उन्होनें किसी तरह का कोई बैन नहीं लगाया है. इसके बावजूद ‘पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेग्यूलेटरी अथॉरटी’ यानी कि ‘पेमरा’ ने पाकिस्तान के टीवी चैनलों, रेडियो व केबल ऑपरेटरों पर भारतीय सीरियल व भारतीय कंटेंट प्रसारित करने पर 21 अक्टूबर से पाबंदी लगा रखी है. वहीं पाकिस्तानी फिल्म एक्जबीटर व वितरक संस्था ने 25 अक्टूबर को भारतीय फिल्मों पर बैन हटाने के लिए बैठक बुलायी थी,पर उसी दिन क्वेटा पर हमले होने पर इरादा बदल गया.

फिल्हाल के लिए पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर बैन लगा हुआ है. इसका अर्थ यह है कि पाकिस्तान में ऐ दिल है मुश्किल और शिवाय प्रदर्शित नहीं हो सकती. मजेदार बात यह है कि फिल्म शिवाय के प्रवक्ता का दावा है कि शिवाय को पाकिस्तान में प्रदर्शन के लिए भेजा ही नही गया. तो फिर यह फिल्म पाकिस्तान सेंसर बोर्ड के पास कैसे पहुंची.

आश्चर्य जनक बात यह है कि हर बात पर पाकिस्तान का पक्ष लेने वाले तथा जब भारत में पाकिस्तानी कलाकारों की फिल्मों के प्रदर्शन पर बैन लगा था,तो इसका विरोध करते रहे महेश भट्ट, मुकेश भट्ट व हंसल मेहता चुप हैं. अब यह लोग पाकिस्तान के एक्जबीटर व वितरकों व उनकी संस्था को लेकर कुछ भी नहीं कह रहे हैं. बहरहाल, भारत में फवाद खान की फिल्म ए दिल है मुश्किल कितना व्यापार करेगी, यह तो वक्त बताएगा.

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