फिल्म ‘ स्टूडेंट औफ द इयर’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाले अभिनेता वरुण धवन, डेविड धवन के बेटे हैं. उन्होंने इससे पहले फिल्म ‘माय नेम इज खान’ में करण जौहर के साथ सहायक निर्देशक के रूप में काम किया था. फिल्मी परिवार में पैदा हुए वरुण को बचपन से ही अभिनय का शौक था. वे एक अच्छे डांसर भी हैं और गोविंदा के डांस से बहुत प्रभावित हैं. उन्हें हर तरह की फिल्में पसंद है और हर प्रकार के अभिनय करने की इच्छा रखते हैं. हंसमुख और विनम्र स्वभाव के वरुण अपनी फिल्म ‘सुई धागा’ के प्रमोशन पर हैं, जिसमें उन्होंने हेंडीक्राफ्ट और उससे जुड़े कारीगरों की दशा को दिखाने की कोशिश की है, पेश है कुछ अंश.
आप हैण्डमेड चीजो को खरीदना कितना पसंद करते हैं और अब तक क्या-क्या खरीदा है?
मैं भारतीय हैण्डमेड चीजे हमेशा से पसंद करता हूं. कश्मीर का क्रिकेट बैट काफी प्रसिद्द है और मैंने उसे क्रिकेट खेलने के लिए खरीदा था. इसके अलावा कई ऐसी चीजे हमारे देश की हैं, जो बहुत अच्छी है जैसे हमारा खाना, पहनावा सब खास है, जो किसी दूसरे देश में मिलना संभव नहीं. इसे बाहर के देश भी पसंद करते हैं.
आपके जीवन का धागा कौन है?
मेरे जीवन का धागा मेरा परिवार और दोस्त है, जिन्होंने हमेशा मुझे आगे बढ़ने में सहयोग दिया और मेरे जिंदगी को बेहतरीन रूप से बुना है. इसमें मेरी मां की भूमिका सबसे बड़ी है.
अब तक आपने एक अच्छी जर्नी की है और कई अलग-अलग फिल्मों में काम किया है, ये फिल्म बाकी फिल्मों से कितनी अलग है?
ये फिल्म अलग पारिवारिक फिल्म है, जिसमें बुनकरों की दशा को बताया गया है. इसमें बातचीत के लहजे और सिलाई मशीन को सीखना मेरे लिए चुनौती था, लेकिन इसे करने में बहुत मजा आया.
सफलता और असफलता आपकी जिंदगी में क्या माईने रखते हैं?
सफलता और असफलता दोनों ही आपके जिंदगी में चलते रहते है. जो बात आपको खुशी दे वह सफलता है और जो न दे वह असफलता. मैं इस पर अधिक ध्यान नहीं देता. मैं बहुत खुश हूं, क्योंकि मेरे परिवार में एक भतीजे का जन्म हुआ है. इसकी खुशी मेरे किसी भी फिल्म के सफल होने से कहीं अधिक है.
आप अपनी ग्रोथ को कैसे देखते हैं ?
पर्सनल लाइफ में काफी बदलाव आया है, पहले मैं एक बच्चे के रूप में इंडस्ट्री में दाखिल हुआ था, लेकिन अब काफी बड़ा हो चुका हूं, मेरी समझदारी भी बढ़ी है और अधिक रिस्पोंसिबल बनने की कोशिश कर रहा हूं.
किसी फिल्म को चुनते समय किस बात का अधिक ध्यान रखते हैं?
सही फिल्म चुनना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन मैं सही कहानी और सही स्क्रिप्ट को चुनने की कोशिश करता हूं.
ऐसा देखा गया है कि बुनकर काम करते हैं और डिजाइनर्स अपना नाम लगाकर उसे बेचते हैं, ऐसे में उनकी भूमिका कहां रह जाती है और आप इस बारें में क्या कहना चाहेंगे?
मेरे कई दोस्त हैं जो बुनकरों को सही दाम देते हैं और डिजाइनर कई डिजाईन को लेकर ही पोशाक बनाते है, जो दूर दराज के ग्रामीण अंचलों से वे लाते हैं. ऐसे में बुनकरों को अपने सामान सही दाम में बाजार में बेचने का अवसर मिलता है, जो बहुत अधिक जरुरी है.
आगे आपकी क्या योजनायें हैं ?
मैं आगे अपने पिता के साथ एक फिल्म बनाने की कोशिश कर रहा हूं. ये डेविड धवन वाली मजेदार फिल्म होगी. वेब सीरीज भी करना चाहता हूं.
आजकल फिल्मों का ट्रेंड पहले से काफी बदल चुका है, बायोपिक और मेसेज वाली फिल्में अधिक बन रही हैं, मनोरंजन फिल्मों से गायब है, क्या आपको नहीं लगता कि फिल्मों में मनोरंजन आवश्यक है ?
हर तरह की फिल्में बननी चाहिए, क्योंकि आज हर तरह के दर्शक मौजूद हैं, लेकिन महिला सशक्तिकरण, कौमेडी, मनोरंजक आदि फिल्में हमेशा बनायीं जानी चाहिए, ताकि दर्शक एक अच्छी फिल्म का आनंद ले सकें.
आपने कई अच्छी फिल्में की हैं, लेकिन क्या आपको अच्छी फिल्म पाने के लिए संघर्ष करने पड़े ?
ये सही है कि मुझे पहली फिल्म आसानी से मिली, लेकिन एक अच्छी फिल्म पाने के लिए हमेशा ही संघर्ष रहता है. करियर बनाने में बहुत मेहनत लगती है. मैं उस बारें में अधिक बात नहीं करना चाहता, लेकिन इतना जानता हूं कि मेरी जिंदगी बाकि लोगों की तुलना में बहुत आसान है, क्योंकि मेरे पिता ने अपनी एक पहचान बनायीं है और उसका फायदा मुझे मिला है. मुझे लोग पसंद करें, हौल तक फिल्म को देखने आये, इसके लिए मैं खुद अपनी किरदार को जीवंत करने के लिए बहुत शोध करता हूं. ऐसे बहुत सारें उदाहरण हैं, जो इंडस्ट्री से होने के बावजूद भी नहीं चल पाते.
सोशल मीडिया पर आप कितना एक्टिव हैं ?
मैं सोशल मीडिया पर एक्टिव हूं और अपनी किसी भी बात को खुद ही शेयर करता हूं. कई बार चीजे ट्रोल हो जाती हैं, पर ये कोई बड़ी बात नहीं है.
आपकी कुछ फिल्में बौक्स औफिस पर सफल रही और कुछ नहीं इसे कैसे लेते हैं ?
मैं कमर्शियल फिल्म और समानांतर फिल्मों के लिए अलग चार्ज करता हूं. कुछ फिल्में कम पैसे में इसलिए भी करता हूं कि मुझे उसकी स्क्रिप्ट अच्छी लगी. फिल्म ‘अक्टूबर’ ऐसी ही फिल्म थी. डिजिटली ये फिल्म बहुत चली थी.