अक्सर मेरी निगाह इन दिनों राष्ट्रद्रोह शब्द पर पड़ जाती है. यह राष्ट्र द्रोही है!यह राष्ट्रद्रोही है!! वह राष्ट्रद्रोही है!!!अज्ञात चेहरे को “राष्ट्रदोही” कह कर हमारे नामचीन और अनाम चेहरे तलवार भांज रहे हैं.कुछ वर्ष पूर्व एक जनरल ने, एक पत्र  प्रधानमंत्री को लिखा था वह  लीक हो गया.उसमें  जनरल महाशय  ने बेहद गंभीर बातें लिखी थी, वह सारी बातें मीडिया में आ गई और हाय-तौबा मच गई . विपक्ष को मौका मिल गया. संसद का सत्र चल  रहा था . सरकार की किरकिरी हो गई तो उद्घोष हो गया -” जिसने पत्र लीक किया “राष्ट्रद्रोही” है !”

रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा,- पत्र लीक करने वाला देशद्रोही ही हो सकता है.”  मै मंत्री जी के स्टेटमेंट से गंभीर हो गया.हमारे रक्षा मंत्री अगर कह रहे हैं तो मानना पड़ेगा, पत्र को लीक करने वाला, भारत माता का सपूत हो ही नहीं सकता. जरूर उसकी माता “पाक की धरती” होगी या चीन की, इसलिए उसने ऐसा धतकरम किया होगा.

इधर जनरल  ने भी रक्षा मंत्री के स्वर में स्वर मिलाकर बयान दे डाला .जिसका लब्बोलुबाब यही था कि उसके द्वारा लिखित पत्र को लीक करने वाला देशद्रोही है. उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए.
अब इतना गंभीर विषय है. देश की सर्वोच्च विभूतियां अगर उसे देशद्रोही निरूपित कर रही हैं तो सवाल है वह विदेश से प्रेम करने वाला शख्स हमारे देश में कौन है ? वह कहां है ? क्या वह कोई विदेशी है या भारतीय ?
मुझे पूर्ण यकीन है यह काम किसी विदेशी बंदे का कतई नहीं है. जरूर यह कार्य हमारे देश के ही किसी सपूत ने किया है . अब सवाल है, जब पत्र लीक करने वाला इस देश का ही बाशिंदा है तो क्या वह देशद्रोह की सजा पाएगा ? क्या हमारे देश की पुलिस, सीबीआई, इंटेलिजेंस उसे गिरफ्तार करने और सजा देने में कामयाब हो पाएगी ?

मेरे  मन में एक प्रश्न और है- क्या गिरफ्तारी हो भी गई, तो कोर्ट में मामला ठहरेगा ? और ठहरेगा भी तो क्या इस देश के कानून के तहत उस शख्स को देशद्रोही ठहराया जा सकता है ?

मै जानता हूँ, यह संभव ही नहीं. जब  मेरे  जैसा अदना सा आदमी यह निष्कर्ष निकाल सकता है तो इत्ते पढ़े-लिखे देश को चलाने वाले नेता क्या यह बात नहीं जानते हैं… !
और अगरचे जानते हैं तो फिर ऐसी बातें क्यों कहते हैं, जिनका न हाथ है न ही पैर . यह तो कुछ ऐसी बात हुई-
मोहल्ले की दो महिलाएं लड़ पड़ी, एक दूसरे पर आक्षेप लगाने लगी ।
एक- तू छिनाल है!
दूसरी-  जा तू भी छिनाल है!!
एक- तू तो एक मर्द के पीछे मरी जा रही है. तूझे तो दूसरा घास ही नहीं डालता .
दूसरी – और तू एक से संतुष्ट नहीं है छिनाल.
एक- मेरे तो छत्तीस-छत्तीस आगे पीछे डोलते हैं .
या फिर गली के बदमाश बच्चे झगड़ते चिल्लाते मिल जाते हैं-
एक बच्चा- श्यामू!राजू से खिड्ड़ी हो जा ।
दूसरा बच्चा- क्यों ?
एक बच्चा- यह मेरा कहना नहीं मान रहा…
दूसरा बच्चा- जा, मैं भी तेरा कहना नहीं मानता.
गोकि मुझेको महसूस होता है जो पराया है वह आज भी राजनीति में देशद्रोही है. चाहे उसका अपराध क्षुद्र  सा ही क्यों न हो. और अगर अपना है तो देश को बेच भी रहा है, तो वह क्षम्य  है और आंख बंद कर ली जाती है . बड़े मजे की बात कहते हैं- “इस मुद्दे पर कहने से देश को हानि होगी. यह देश हित में नहीं होगा.”

वाह ! क्या तर्क है. अब काले धन की बात ही करें . जब जब कोई विदेश में बंदा कालेधन को लाने की बात करता है तो देश के कर्णधार अनसुनी कर देते हैं या फिर रटारटाया जवाब होता- यह राष्ट्रहित में नहीं है, उन नामों की घोषणा सार्वजनिक रूप से नहीं की जा सकती .
अब यह समझने वाली बात है, समझने वाले समझ गए की सूची में किनके नाम है.दरअसल, इन नामों में कुछ देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले भी होंगे . अब अगर इन नामों को उजागर कर दिया जाएगा तो देश भक्त और देशद्रोही की परिभाषा पुन: तय करने की स्थिति निर्मित होगी की नहीं .
तो हमे प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी लीक मामले में इंतजार है देशद्रोही की गिरफ्तारी का. पत्र में इतनी इतनी गंभीर बातें लिखी गई हैं कि देश के हालात आईने की तरह दुनिया के सामने है . विदेशी शक्तियों के समक्ष हम नंगे हो गए हैं . अब जब हम नग्न हैं और नंगे हो गए हैं, तो उस आदमी को कैसे छोड़ सकते हैं, जिसने हमें नग्न, सरे बाजार कर दिया है . सवाल यह नहीं है कि हम नंगे क्यों है, सवाल है, तुमने हमें दुनिया के समक्ष नंगा क्यों किया ? वाह रे भारतीय नेताओं के राष्ट्र प्रेम और राष्ट्र द्रोह की परिभाषा…

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