आंखों में झाई समझकर, ना करें नजरअंदाज

अधिकतर लोग सिर्फ आंखों के आस पास होने वाली झाई के बारे में जानते हैं लेकिन आंखों के अंदर भी झाई की समस्या हो सकती इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं.

आंखों के अंदर होने वाली झाई को आई फ्रेकल्स(आंखों के धब्बे) कहते हैं. वैसे इस से आंखों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती. लेकिन इसकी जाँच होना बेहद जरूरी है क्योंकि कई बार जिन धब्बो को हम झाई समझकर नजरअंदाज़ कर देते हैं असल में वह समस्या कैंसर का रूप लें लेती है जिसे मेलेनोमा कहा जाता है. इसलिए धब्बे पुराने हो या नए, उनकी जांच जरूर करवानी चाहिए.

कारण जाने

आई फ्रैकल्स होने के कई कारण हो सकते हैं. आई फ्रैकल जन्मजात भी हो सकते हैं या जन्म के बाद भी. आईरिस में काले हिस्से का बढ़ना, आंखों के अंदर प्यूलिप में बदलाव होना, विजन में कमी आना भी इसके कारण हैं वहीं सूरज की तेज किरणों से भी यह समस्या हो सकती हैं इसका एक कारण मेलानोसाइट्स भी हैं जिस तरह आपकी त्वचा पर मेलानोसाइट्स के कारण झाई होने लगती हैं उसी तरह आँख के भीतर भी हो सकती हैं.

लक्षण पहचाने

ज्यादातर मेलेनोमा को शुरुवात में डिटेक्ट करना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि यह आंख के अंदर के उस हिस्से में विकसित होते हैं जिन्हें व्यक्ति देख नहीं सकता। यदि मेलेनोमा स्माल है तो आँख को कोई परेशानी नहीं होती लेकिन यदि यह बढ़ जाए तो आँखों की रौशनी कम हो सकती है। इसलिए यदि मेलेनोमा की समस्या है तो समय रहते आई स्पेशलिस्ट से सपंर्क करें।

 

बचाव की जरूरत

जिन लोगो की आँखों का रंग ब्लू या ग्रीन होता हैं उनमें मेलेनोमा कैंसर का खतरा अधिक होता है।,उम्र बढ़ने के साथ साथ मेलेनोमा की समस्या भी बढ़ सकती है,श्वेत लोगों में भी इसका खतरा अधिक होता है।

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आंखों की सुंदरता के लिए जरूरी यह है कि उस के आसपास की स्किन भी सुंदर हो. इससे आंखों की सुंदरता बढ़ जाती है. आंखों में होने वाली कुछ बीमारियों से उनके आसपास की स्किन खराब हो जाती है. इसलिए जरूरत इस बात की है कि इन बीमारियों से बचाव कर के आंखों को सुंदर बनाया जाए. ये बीमारियां किसी भी उम्र में हो सकती हैं. इनमें आदमी, औरतें और बच्चे सभी शामिल हैं. इन बीमारियों में पलकों में होने वाली रूसी, पलकों पर गांठ बनना, आंख आना, आंखों का रूखापन, डार्क सर्कल्स, भवों और पलकों के बीच चकत्तेनुमा हलके उभार प्रमुख हैं. आइए जानते हैं इन बिमारियों के बारे में…

1. डार्क सर्कल्स से पाएं छुटकारा

आंखों के आसपास की स्किन को खराब करने वाली सब से बड़ी बीमारी को डार्क सर्कल्स कहा जाता है. इस बीमारी में आंखों के चारों तरफ काले घेरे बन जाते हैं. यह कालापन नींद की कमी, मानसिक तनाव, शारीरिक थकान, भोजन में विटामिंस और दूसरे तत्त्वों की कमी से होता है. इसे दूर करने के लिए भरपूर नींद लें. तनाव कम करें. भोजन में फलों व हरी सब्जियों का प्रयोग खूब करें. खूब पानी पीएं. खीरे को काट कर आंखों के ऊपर रखने से डार्क सर्कल्स हटाने में मदद मिलती है.

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2. पलकों में डैंड्रफ होने से बचें

पलकों में होने वाली रूसी से आंखों के आसपास की स्किन खराब हो जाती है. रूसी से पलकों में लगातार खुजली होती है. पलकों के बालों में रूसीनुमा पपड़ी सी जम जाती है. इससे पलकों पर भारीपन महसूस होता है. कभी-कभी सूजन भी आ जाती है. इस बीमारी से पलकें झड़ने लगती हैं. उसके आसपास की स्किन पर चकत्ते पड़ जाते हैं और वह बदरंग हो जाती है. जिन के सिर के बालों में रूसी होती है उन में यह बीमारी जल्दी हो जाती है. इसके अलावा गंदे हाथों से बार-बार पलकों को छूना, प्रदूषण वाले माहौल में रहना, खराब आईलाइनर, मसकारा, काजल, आर्टीफिशियल आईलैंस का प्रयोग करने, किसी दूसरे का प्रयोग किया कौस्मैटिक लगाने, जिन्हें यह बीमारी हो उन का तौलिया, तकिया, रूमाल आदि प्रयोग करने से यह बीमारी हो जाती है.

पलकों में रूसी की परेशानी हो तो सब से पहले बालों की रूसी का इलाज कराना चाहिए. इसके लिए उस शैंपू का प्रयोग करें, जिस में रूसी को खत्म करने की ताकत हो. यह शैंपू स्किन को नुकसान न पहुंचाता हो. जब भी बाहर से घर आएं एक बार कुनकुने पानी से पलकों को साफ कर के उन की सिंकाई जरूर करें. साफ हाथों से धीरे-धीरे मालिश करें. रूई की कुछ छोटी-छोटी गोलियां बना लें. फिर इन्हें थोड़े से पानी में उबाल कर थोड़ा ठंडा होने पर गोलियों का पानी निचोड़ कर पलकों के किनारों की इन से सिंकाई करें.

किसी अच्छी क्रीम को हाथ में थोड़ा सा ले कर पलकों और पलकों के किनारों पर ऊपर से नीचे की ओर कम से कम 15 से 20 बार हल्के दबाव के साथ मालिश करें. ऊपर की पलकों की मालिश पैरों की ओर देखते हुए करें. नीचे की पलकों की मालिश ऊपर देखते हुए करें. यह काम रात को सोने से पहले करें और ऐसा करने के बाद कभी भी आंखों में किसी तरह का कोई मेअकप न करें.

3. पलकों पर गांठ बनना

पलकों पर गांठ बन जाने को बिलौनी कहते हैं. इससे आंख के आसपास की स्किन काली पड़ जाती है. बिलनी की गांठ को दबाने से आमतौर पर दर्द नहीं होता है. केवल गांठ सी बन जाती है जो आंखों के आसपास की स्किन को खराब कर देती है. आंखों की खूबसूरत शेप बिगड़ जाती है. पानी और कपड़े की सिंकाई और मलहम की मालिश से यह परेशानी आमतौर पर ठीक हो जाती है.

अगर गांठ बार-बार निकले तो होथियार हो जाएं. इस का इलाज आंखों के डौक्टर से मिल कर करें. कभी- कभी ज्यादा मीठा खाने से भी यह परेशानी बढ़ जाती है. चश्मे का नंबर बढ़ने से भी ऐसा हो जाता है. अगर गांठ लंबे समय से हो और बड़ी हो तो डाक्टर से जरूर मिलें.

कभी-कभी यह बिलौनी आंखों के अंदर या बाहर की तरफ निकलती है तो बहुत दर्द करती है. इसके लिए भी कुनकुनी सिंकाई फायदेमंद होती है. अगर परेशानी इससे ठीक न हो तो डौक्टर से मिलें. वे इस जगह पर लगाने के लिए मलहम और आंखों में डालने के लिए आईड्रौप दे सकते हैं, जिससे यह परेशानी जल्दी ठीक हो जाती है. ये दाने आंखों की सही तरह से सफाई न करने से हो जाते हैं. मसकारा या आईलाइनर लगाने और रात को सोने से पहले उन को निकालने में सावधानी नहीं बरतने से ऐसा हो जाता है.

4. नाखून को आंखों से रखें दूर

आंखों की श्लेष्मला में एक त्रिकोण जैसी भद्दी मटमैली चीज आंखों के अंदरूनी कोने से स्वच्छ पटल की ओर बढ़ने लगती है. इसका सिरा स्वच्छ पटल की ओर होता है. यह ज्यादातर आंख के नाक वाले कोने की तरफ से शुरू होता है. कभी-कभी यह बड़ी गोल पुतली की दोनों तरफ हो जाता है. यह आंखों में दाग का काम करता है. आंखों की सुंदरता को खराब करता है. यह अकसर गंदे पानी, धूल, धुआं और धूप से लाल होने वाली आंखों में होता है. इससे आंखें बदसूरत हो जाती हैं और यह आंखों में चुभने भी लगता है.

अगर नाखूनों के बढ़ने की रफ्तार ज्यादा है तो तत्काल डाक्टर से मिलें. धूप में निकलने से पहले रंगीन चश्मे का प्रयोग करें. चश्मा ऐसा हो जो आंखों को पूरी तरह ढक ले, जिस से आंखों को सीधे सूर्य की रोशनी न लगे. धूप, धुआं और धूल से आंखों को बचाएं. आंखों को ढकने के लिए अच्छी टोपी भी पहन सकते हैं. औपरेशन के जरीए ही इसे हटाया जा सकता है. यह औपरेशन आंखों के डाक्टर द्वारा किया जाता है और आसान होता है.

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5. कंजक्टिवाइटिस से बचें

आंखों का लाल होना, उन में कीचड़ आना, दर्द होना, पलकों का आपस में चिपक जाना और आंखों में जलन होना, आंख आना यानी कंजक्टिवाइटिस कहलाता है. यह अकसर मौसम बदलने और बीमार आदमी के संपर्क में आने से होता है. जब आप बीमार आदमी का तकिया, रूमाल और तौलिया इस्तेमाल करते हैं तो कंजक्टिवाइटिस हो जाता है. आमतौर पर जब घर में किसी एक को यह बीमारी हो जाती है तो दूसरे लोगों को भी यह बीमारी हो जाती है. कुछ सावधानियां बरत कर इस से बचा जा सकता है. जब भी इस रोग के रोगी के संपर्क में आएं तो हर बार अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह जरूर धोएं. इस तरह के रोगी की देखभाल सावधानी से करनी होती है. इस के लिए साफसफाई का पूरा खयाल रखना चाहिए.

पानी को उबाल कर थोड़ा ठंडा हो जाने दें. इस के बाद आंखों को इस से साफ करें और रूई के गोलों में पानी ले कर आंखों की सिंकाई भी करें. आंख में लाली और सूजन ज्यादा हो तो बर्फ से भी इस की सिंकाई की जा सकती है. डाक्टर की दी गई दवा आंखों में डालें. इस से लाभ होगा.

6. पलकों और पलकों के बीच पीले रंग के चकत्ते

पलकों और पलकों के बीच पीले रंग के चकत्ते बन जाते हैं. इस से कोई बहुत नुकसान नहीं होता. यह देखने में खराब लगता है. इसे काट कर निकाला जा सकता है. यह आमतौर पर स्किन की बीमारी होती है. इसे किसी तरह की क्रीम, लोशन और टैबलेट से दूर नहीं किया जा सकता है.

7. आंखों में रूखापन होने से बचें

आंखों में चुभन, रगड़न, जलन का होना, आंख का लाल हो जाना, चिपचिपा लगना और धुंधला नजर आना आंखों में रुखेपन की निशानी है. इस का कारण आंसुओं का अच्छी तरह से न बनना होता है. पलकों के ठीक से न खुलने और बंद होने से भी यह रोग हो जाता है. कम पानी पीने और मेनोपौज होने वाली औरतों को भी यह बहुत होता है. एअरकंडीशन में ज्यादा समय बैठने वालों को भी इस तरह की परेशानी हो जाती है. सही देखभाल और डाक्टर की सलाह से इसे दूर किया जा सकता है.

edited by rosy

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