सवाल-
मैं 33 साल की विवाहित स्त्री हूं. मुझे पिछले कुछ सालों से टाइप 2 डायबिटीज है. लेकिन मैं नियम से दवा लेती हूं इसलिए मेरी ब्लड शुगर कंट्रोल में बनी हुई है. मेरा और मेरे पति का मन है कि हम अपने परिवार को आगे बढ़ाएं, लेकिन डायबिटीज होने के कारण डर लगता है कि कहीं इस का मुझ पर या हमारे बच्चे पर कोई बुरा असर न हो जाए. हमें क्या करना चाहिए?
जवाब-
प्रैगनैंट होने का मन बनाने से पहले आप अपने डाक्टर से खुल कर बातचीत कर लें. आप ने हमें यह नहीं लिखा है कि आप ब्लड शुगर कंट्रोल में रखने के लिए कौनकौन सी दवा ले रही हैं. अध्ययनों से यह बात साबित हो चुकी है कि प्रैगनैंसी में इंसुलिन सब से सुरक्षित और उपयुक्त साबित होता है. यह कितनी मात्रा में और किस रूप में लिया जाए, यह निर्णय आप की व्यक्तिगत जरूरत को समझ कर ही किया जा सकता है.
यदि प्रैगनैंट होने से पहले ब्लड शुगर संतुलित कर ली जाए और प्रैगनैंसी के दौरान में उस पर नियंत्रण बना रहे, तो डायबिटिक मदर के बच्चे में जन्मजात विकार होने की संभावना काफी घट जाती है. मां का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.
डायबिटीज एक क्रोनिक रोग है जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करता है. टाइप 1 डायबिटीज बच्चों और किशोरों में ज्यादा पाई जाती है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज ज्यादातर युवा और वयस्कों को होती है. डायबिटीज से पीडि़त बच्चों की देखभाल करना मुश्किल हो सकता है खासतौर पर तब जब आप को पता हो कि आप के बच्चे को जीवनभर इसी के साथ जीना पड़ सकता है.
मातापिता की तरह डायबिटीज का असर बच्चों के मन पर भी पड़ता है. वे हमेशा अपनेआप को दूसरे बच्चों से अलग महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें कई चीजों के लिए रोका जाता है. ऐसे में इन बच्चों का आत्मविश्वास भी कम हो सकता है.
पेश हैं, इस संदर्भ में डा. मुदित सबरवाल (कंसलटैंट डायबेटोलौजिस्ट एवं हैड औफ मैडिकल अफेयर्स, बीटो) के कुछ सु झाव:
डायबिटीज से ग्रस्त बच्चे का जीवन
टाइप 1 डायबिटीज एक क्रोनिक रोग है. इस स्थिति में पैंक्रियाज में इंसुलिन नहीं बनता है या कम मात्रा में बनता है. इसलिए शरीर को बाहर से इंसुलिन देना पड़ता है.
टाइप 1 डायबिटीज से पीडि़त बच्चा तनाव और थकान महसूस करता है. वह अपने भविष्य को ले कर चिंतित हो सकता है. ‘डायबिटीज बर्नआउट’ एक ऐसी स्थिति है जिस में व्यक्ति अपनी डायबिटीज को नियंत्रित करतेकरते थक जाता है. ऐसी स्थिति में बच्चे अपने ब्लड ग्लूकोस लैवल को मौनिटर करना, इसे रिकौर्ड करना या इंसुलिन लेना नहीं चाहते.
ऐसे में मातापिता होने के नाते आप को अपने बच्चे के डायबिटीज मैनेजमैंट में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी होती है. बच्चे को खुद अपनी स्थिति पर नियंत्रण रखने दें. इस बीच उसे पूरा सहयोग दें और मार्गदर्शन करें.