Winter Special: बचे ऊन से बनाएं कुछ नया

आप ने स्वैटर के लिए ऊन खरीदा तो थोड़ा ज्यादा ही लिया, क्योंकि आप यह जानती हैं कि बाद में ऊन खरीदने पर अकसर रंग में फर्क आ जाता है. ऐसा कई बार होने से ऊन के बहुत सारे छोटेबड़े गोले आप के पास इकट्ठा हो जाते हैं, जिन्हें संभालना एक मुसीबत है, क्योंकि गोले आपस में बुरी तरह उलझ भी जाते हैं. ऐसा न हो, इस से बचने के लिए क्यों न बचे ऊन का सुंदर प्रयोग कर इस सीजन में कुछ नया बना लिया जाए. आइए जानिए कि आप क्याक्या बना सकती हैं:

मोबाइल कवर

सामग्री: थोड़ा सा सफेद और लाल रंग का ऊन, लाल रंग के मोती, 10 नं. का क्रोशिया.

विधि: सफेद ऊन से 25 चे. बना लें. दूसरी ला. में 5 चे. बुनें, चा. से 3 चे. के बाद जोड़ दें. इसी कम्र में पूरी ला. बुनें. तीसरी ला. में 5 चे. बुनें, 2 चे. छोड़ कर तीसरी चे. में चा. से जोड़ें.

इसी तरह 15 ला. बुनें. दूसरा भाग भी इसी तरह बना कर सूई से सिल लें. लाल ऊन से कवर के चा. से किनारा और हैंडिल बुनें. नीचे की ओर 20 चे. बना कर गोले में जोड़ें. इसी तरह दूसरा भी बुनें. लाल मोतियों से सजाएं.

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ज्वैलरी सैट

सामग्री: लाल, पीले, हरे रंग के ऊन, सफेद और लाल रंग के मोती, 4 पीस सजावट के लिए लटकन, 3 हुक, थोड़ा सा टुकड़ा बकरम का, 12 नं. का क्रोशिया, पतली सूई.

विधि: तीनों रंगों के ऊन से मनचाही लंबाई की चे. बनाएं. पीले ऊन को बीच में रख कर 8 चे. लाल और 8 चे. हरे ऊन की ले कर गोल शेप दें. बीच में सूईधागे से मोती लगाएं. इसी क्रम को ऊपर तक दोहराएं. दूसरी लड़ी भी इसी प्रकार बनेगी.

पेंडिन बनाने के लिए: ओवल शेप में बकरम काट कर हरे, लाल, पीले रंगों के ऊन से लंबी चेन बुन कर चिपका दें. मोती लगाएं. बीच में ओवल शेप का शीशा लगाएं. नीचे की ओर लटकन लगाएं.

झुमके बनाने के लिए पेंडिन की तरह बकरम पर चे. बुन कर लगाएं. ऊपर हुक लगाएं, नीचे की तरफ लटकन लगाएं.

फूलों वाली टोकरी

सफेद ऊन से 12 चे. बनाएं. स्लिप स्टिच से 2 ला. बुनें. 6 ला.चा. बुनें. राउंड शेप में पूरी टोकरी बुनें. लाल और सफेद ऊन से किनारा और हैंडिल बनाएं. लेजीडेजी स्टिच से लाल फूल और हरी पत्तियां बनाएं.

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टैडी बीयर

सफेद ऊन से 10 चे. बना कर जोड़ें. ड.क्रो. में 4 ला. बुनें. अगली ला. में 6 चा. की 4 ला., 4 चा. सफेद ऊ. से, 6 चा. ब्राउन, 4 ला., 4 चा. सफेद से बुनें. सफेद ऊन से आउटलाइन बुनें. टैडी बीयर का चेहरा बनाने के लिए 6 चे. का घेरा बनाएं. 2 ला.चा. बुनें. ब्राउन ऊन से 1 ला.चा. की बुनें. कान के लिए 6-6 चा. की 4 ला. बुनें. इसी तरह दूसरा भाग बुना जाएगा. मोटी सूई से दोनों भागों को सिल लें. साइड में थोड़ा सा खुला रहने दें. वहां से टैडी में रुई भर दें. काले ऊन से आंख, मुंह, नाक की शेप बना दें. गले में लाल ऊन से बो बना कर बांध दें.

5 Tips: हैल्दी Eating पर महंगी नहीं 

अधिकांश लोगों को लगता है कि अगर हैल्दी फूड खाना है, तो अपनी जेब पर बोझ डालना पड़ेगा. तभी आप अपनी सेहत का ध्यान रख पाएंगे. लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता. आप इस बात से अनजान हैं कि अगर आपको फ़ास्ट फूड  व स्नैक्स की ज्यादा लत है, तो ये आपके हैल्दी फूड से ज्यादा महंगा व आपकी सेहत के लिए भी काफी नुकसानदेय साबित होता है. आपको बता दें कि अगर आप कुछ बातों का ध्यान रखकर हैल्दी फूड के ओप्शन को चूज़ करते हैं , तो ये इकोनोमिकली भी आपकी पौकेट को सूट करने के साथ आपकी हैल्थ का भी खास ध्यान रखने का काम करेगा. तो जानते हैं इस संबंध में न्यूट्रिशनिस्ट शिखा महाजन से.

1. सीजनल चीजें ही खाएं 

हमेशा सीजनल फल व सब्जियां ही खाएं. क्योंकि ये ज्यादा फ्रैश , स्वादिष्ट होने के साथ गैर मौसमी उत्पादों की तुलना में कम महंगे होते हैं. असल में इस तथ्य का कारण यह है कि मौसमी फल व सब्जियों को उनके पूरी तरह से पकने के बाद ही काटा जाता है. और उन्हें बहुत दूर तक नहीं ले जाया जाता. जिससे खेत से ग्रोसरी स्टोर शेल्फ तक पहुंचने वाले समय में कमी आती है. और सीजनल फल व सब्जियां ज्यादा फ्रैश व स्वादिष्ट लगती है. साथ ही हमें सस्ते दामों पर भी मिल पाती है.

विभिन्न प्रकार के इंटरनेट संसाधन हैं , जो आपको इस बात की जानकारी देंगे कि इस सीजन में आपके क्षेत्र में कौन से फल व सब्जियां उपलब्ध हैं. जिसकी जानकारी लेकर आप अपने नज़दीकी ग्रोसरी स्टोर या लोकल मार्केट से उसे खरीद कर अपनी पॉकेट व अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं.

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2. खुद से कटिंग करें 

आज हर चीज इतनी आसान हो गई है कि चाहे ग्रोसरी सामान को घर लाने की बात हो या फिर फ्रूट्स, वेजिज़ की कटिंग की, हर चीज हमें अपनी सुविधानुसार मिल जाती है. आपको फलों , सब्ज़ियों से लेकर मीट , नट्स, चीज सब कटा हुआ मिल जाता है. यहां तक कि रेडी टू ईट फूड भी. जो भले ही आपके काम को आसान बनाने का काम करें, लेकिन दुकानदार इसकी पैकेजिंग, कटिंग के नाम पर काफी पैसे वसूलते हैं. और साथ ही इन चीजों की फ्रेशनेस की भी कोई गारंटी नहीं होती है.  ऐसे में आप रेडी टू इट फ़ूड व कटी हुई फल व सब्जियों के आसान आप्शन को छोड़ कर खुद से ही घर पर फल, सब्जियों व अन्य चीजों को काटें. इससे आप एक्टिव भी रहेंगे, हैल्दी भी खाएंगे और साथ ही पैसों की भी बचत कर पाएंगे.

3. प्लांट बेस्ड प्रोटीन स्रोत को चुनें 

दिनोंदिन जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है. उसी तरह मीट, फिश, चिकन के रेट्स में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. भले ही ये प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं. लेकिन अगर बात सिर्फ प्रोटीन लेने की है तो आप इसे लेने के लिए अपनी डाइट में थोड़े सस्ते प्रोटीन के स्रोत जैसे बीन्स, पनीर, टोफू, छोले , दालें आदि को शामिल करें. क्योंकि ये चीजें प्रोटीन व फाइबर में हाई होने के साथ इसमें ढेरों विटामिन्स व मिनरल्स भी होते हैं. इन चीजों को आप पुलाव, सैलेड, स्टिर फ्राई, सूप इत्यादि में भी शामिल कर सकते हैं. लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं कि आप पूरी तरह से वेजिटेरियन बन जाएं. बस आप पहले प्लांट बेस्ड प्रोटीन डाइट को हफ्ते में 3 – 4 दिन शामिल करें और देखें कि ये कम पैसों में भी आपकी हैल्थ का ध्यान रखती है. यहां तक कि फ्लेक्सिटरियन डाइट भी आपको बड़ी मात्रा में प्लांट बेस्ड मील्स लेने की सलाह देती है और ओकेशनली एनिमल बेस्ड मील्स.  इसलिए समझदार बनकर पौकेट को सूट करने वाली प्रोटीन रिच फूड को अपनी डाइट में शामिल करें.

4. घर पर उगाएं सब्जियां 

आप अपने घर में सब्जियां उगा सकते हैं. अब आप ये सोच रहे होंगे कि हमारे आंगन में तो इतनी जगह ही नहीं है. तो आपको बता दें कि आप अपनी छोटी सी बालकनी में भी कम जगह घेरने वाले गमले लगाकर उसमें हरी पत्तेदार व मौसमी सब्जियां उगाकर घर बैठे खुद की सेहत का ध्यान रखने के साथसाथ नेचर के प्रति अपने प्यार को और जता सकते हैं. इसके लिए बस आपको सोइल, सीड और धूप वाले एरिया की जरूरत होगी. इसके लिए खिड़की के पास वाली जगह या फिर बालकनी का एरिया परफेक्ट है.

यदि आप सीमित धूप वाले अपार्टमेंट में रहते हैं तो आप इंडोर हाइड्रोपोनिक गार्डन के विकल्प को चुनें. क्योंकि ये पौधों को हवा देने के लिए एलईडी लाइट्स के साथ आते हैं. ताकि पौधों को पनपने के लिए अनुकूल वातावरण मिल सके.

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5. शौपिंग रूटीन बदलें 

क्या आज रोजाना फल व सब्जियां खरीदते हैं और हफ्ते भर बाद उसके खराब हो जाने के बाद उसे फ़ेंक देते हैं ? अगर ये नियमित रूप से होता है तो फ्रोज़न फूड सैक्शन में देखें कि फल व सब्जियां अपनी नूट्रिशनल वैल्यू नहीं खोते हैं , अगर उन्हें ताजा होने की स्तिथि में ही रख दिया जाता है. इसलिए जरूरत की चीजों को ही बाहर निकालें , बाकी को एडवांस्ड फ्रिजर  में सही टेम्परेचर पर स्टोर करके रख दें. ये ताजा रहने के साथसाथ ज्यादा महंगे भी नहीं पड़ेंगे. क्योंकि ख़राब होने पर फेंक देना मतलब पैसों की बर्बादी होना ही है. ऐसे में आप बिना नुकसान उठाए अपनी हैल्थ का रखें खयाल.

घर में ऐसे उगाएं मसाले और सब्जियां

हरी मिर्च, धनिया, पोदीना जैसी सब्जियों का हम हर रोज ही उपयोग करते हैं. किसी भी खाद्य पदार्थ का स्वाद बढ़ाने के साथ साथ ये उसका सौंदर्य भी बढ़ा देतीं हैं. कई बार हमें इनकी सख्त जरूरत होती है और ये घर में उपलब्ध नहीं होतीं और फिर हमें बिना इनके उपयोग के ही अपना काम चलाना पड़ता है. तो क्यों न इन्हें घर में ही उगा लिया जाए. इन्हें उगाना बहुत आसान होता है. तो आइए बताते हैं कि रोजमर्रा में काम आने वाली इन सब्जियों को हम कैसे उगा सकते हैं.

-पोदीना के ताजे जड़ वाले डंठल को आप किसी भी साइज के गमले में बड़ी ही आसानी से लगा सकतीं है. अच्छी बढ़त के लिए नियमित रूप से पानी देना और छंटाई करना अत्यंत आवश्यक होता है. इसका प्रयोग चटनी, परांठा, रायता और पुलाव बनाने में किया जाता है.

-धनिया का प्रयोग मूलतः खाद्य पदार्थो की गार्निश करने और चटनी बनाने में किया जाता है. साबुत धनिया को किसी भारी बर्तन से दबाकर दरदरा कर लें और 5-6 इंच के गमले या ट्रे में तीन चौथाई मिट्टी और एक भाग गोबर की खाद डालकर दरदरे बीजों को बुरककर मिट्टी से ढक दें. ऊपर से पानी का छिड़काव करके गमले को धूप में रखें,कुछ ही दिनों में अंकुर निकल आएंगे.

-अजवायन को सीधे ही गमले में डालकर धूप में रखें. इसे बहुत अधिक देखभाल की आवश्यकता नहीं होती इसे सब्जियों में फ्लेवर के लिए प्रयोग किया जाता है.

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-साबुत लाल मिर्च को तोड़कर उसके बीज निकाल लें. इन बीजों को सीधे ही गमले में डालकर ऊपर से मिट्टी बुरक दें. कुछ ही दिनों में अंकुर निकल आएंगे.

-चायनीज और इटैलियन व्यंजनों में खासतौर से प्रयोग किया जाने वाले हरे प्याज और लहसुन को उगाने के लिए छोटे आकार के प्याज और लहसुन को गमले में गाढ़ दें, लगभग 15 दिनों के बाद इनमें अंकुर निकल आता है.

-पालक और मेथी जैसी सब्जियों को गमले की अपेक्षा आयताकार ट्रे में उगाना चाहिए. इनके बीजों को गमले या ट्रे में डालकर ऊपर से मिट्टी डाल दें कुछ समय के बाद इनमें अंकुरण हो जाता है.

ध्यान रखने योग्य बातें

-प्रारम्भिक अवस्था में जब अंकुर एकदम छोटे होते हैं, पानी बहुत सावधानी से फुहारे से धीरे धीरे देना चाहिए ताकि अंकुर टूटें नहीं.

-इन्हें सीधा धूप में थोड़ा बड़े होने पर ही रखें क्योंकि प्रारम्भ में अंकुर बहुत नाजुक होते हैं और वे सीधी धूप को सहन नहीं कर पाते.

-हर रोज पानी देने की अपेक्षा मिट्टी को उंगली से छूकर देखें और यदि वह नमीरहित है तो ही पानी दें.

-गमले में से पानी के निकास की समुचित व्यवस्था होनी अत्यंत आवश्यक है अन्यथा पौधा सड़ने लगता है

-सप्ताह में एक बार गमलों की मिट्टी की गुड़ाई अवश्य करें ताकि पौधे की जड़ों को हवा मिल सके.

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गर्मियों में आपके घर को ठंडक देगें ये 5 खूबसूरत पौधे

गर्मियों में सुबह के 9-10 बजे से ही धूल भरी आंधी और लू चलने लगती है ऐसे में ग्रीन नेट या खस की चटाई भी गर्मी को घर में प्रवेश करने से रोक नहीं पाते. ए सी और कूलर को भी हर समय चलाकर नहीं रखा जा सकता. सबसे अच्छा है कि अपने घर को स्वाभाविक तरीके से ठंडा रखने का प्रयास किया जाए.

पेड़ पौधे हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं घर में रखे ये पौधे जहां घर के सौंदर्य में तो चार चांद लगाते ही हैं साथ ही घर को ठंडक भी प्रदान करते हैं परन्तु इसके लिए आवश्यक है कि घर के अंदर वे ही पौधे लगाए जाएं जो बिना धूप के भी जीवित रह सकें. जानकारी के अभाव में हम नर्सरी से अक्सर वे पौधे ले आते हैं जो घर के अंदर जीवित नहीं रह पाते. तो आइए आज हम आपको ऐसे पौधों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें आप घर के अंदर आराम से रख सकते हैं जो आपके घर को ठंडा रखने के साथ साथ सुंदर भी बनाएंगे.

1. बैम्बू प्लांट

घर के एंट्रेंस, लॉबी या ड्राइंग रूम कहीं पर भी आप इसे रख सकतीं हैं. यह तेज, कम या बिना धूप के भी बड़ी आसानी से पनप जाता है. यह बहुत सफाई पसन्द करता है इसलिए प्रति सप्ताह इसके पॉट को धोकर पानी अवश्य बदलना चाहिए. इसका कोई भी मेंटेनेंस नहीं होता. इसे बहुत अधिक छोटे पॉट की अपेक्षा मध्यम आकार के पॉट में लगाना उत्तम रहता है. आकार के अनुसार पॉट को बदलते रहना चाहिए.

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2. स्नैक प्लांट

अपना ध्यान खुद ही रखने वाला पौधा है ये. हल्के, गहरे रंग और विविध आकार में पाए जाने वाले ये पौधे देखने में तो सुंदर लगते ही हैं साथ ही घर को शुद्ध हवा और ठंडक भी प्रदान करते हैं. इनका नाममात्र का मेंटेनेंस है कि इन्हें बहुत अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती.

3. रबर ट्री प्लांट

अगर आपके घर में बालकनी है तो आप इसे ले सकतीं हैं क्योंकि इसे अच्छी धूप की आवश्यकता होती है इसलिए घर के जिस कोने में सीधी अच्छी धूप आती हो इसे आप वहीं रखें. इसके चौड़े हरे रंग के पत्ते देखकर मन को शान्ति और सुकून का अहसास होता है. जब भी आपको इसकी मिट्टी की सतह सूखी दिखे तो पानी दें. पत्तों को साफ करने के लिए स्प्रे बॉटल का प्रयोग करें.

4. पाम प्लांट

यदि आपके घर में सूरज कीरोशनी का अभाव है तो आपके लिए यह बहुत अच्छा विकल्प है. इसे बहुत कम रोशनी और पानी की आवश्यकता होती है. हल्की नमी वाली मिट्टी में भी यह बहुत अच्छी तरह पनप जाते हैं.

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5. मोन्स्टेरा प्लांट

बहुत ही कम धूप की चाहत रखने वाले ये पौधे बाथरूम के लिए बहुत उपयुक्त रहते है तो यदि आप अपने बाथरूम को स्वाभाविक लुक देना चाहते हैं तो इस पौधे का ही चयन करें. इसे बहुत कम नमी की आवश्यकता होती है. इसकी पत्तियों को पानी से साफ करना ही पर्याप्त होता है.

बच्चों में ऐसे डालें हैंडवौश की आदत

बच्चों के नन्हें-नन्हें हाथ जहां प्यारे-प्यारे से लगते हैं, वहीं वे जर्म से भी भरे होते हैं, क्योंकि वे अकसर मिट्टी में खेलते हैं. उन का दिमाग हर समय शरारतों में लगा रहता है. ऐसे में उन्हें मस्ती की इस उम्र में शरारतें करने से तो नहीं रोक सकते लेकिन उन्हें हैंडवौश का महत्त्व जरूर बता सकते हैं. अकसर संक्रामक रोग का कारण गंदगी व हाथ नहीं धोना ही होता है और इस कारण कई बच्चे बीमार व मृत्यु के शिकार हो जाते हैं. ऐसे में हैंडवौश की हैबिट इस अनुपात को आधा करने में सहायक हो सकती है.

हाथों में सब से ज्यादा जर्म

हाथों में 2 तरह के रोगाणु होते हैं, जिन्हें सूक्ष्मजीव भी कहा जाता है. एक रैजिडैंट और दूसरे ट्रैजेंट सूक्ष्मजीव. जो रैजिडैंट सूक्ष्मजीव होते है, वे स्वस्थ लोगों में बीमारियों का कारण नहीं बनते हैं, क्योंकि वे हमेशा हाथों में रहते हैं और हैंडवौश से भी नहीं हटते, जबकि ट्रैजेंट सूक्ष्मजीव आतेजाते रहते हैं. ये खांसने, छींकने, दूषित भोजन को छूने से हाथों पर स्थानांतरित हो जाते हैं. फिर जब एक बार कीटाणु हाथों को दूषित कर देते हैं तो संक्रमण का कारण बनते हैं. इसलिए हाथों को साबुन से धोना बहुत जरूरी है.

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न्यूजीलैंड में हुई एक रिसर्च के अनुसार, टौयलेट के बाद 92% महिलाएं व 81% पुरुष ही साबुन का इस्तेमाल करते हैं, जबकि यूएस की रिसर्च के अनुसार सिर्फ 63% लोग ही टौयलेट के बाद हाथ धोते हैं. उन में भी सिर्फ 2% ही साबुन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप पानी व साबुन से हैंडवौश की आदत डालें ताकि आप के बच्चे भी आप को देख कर यह सीखें. क्या हैं ट्रिक्स, जो बच्चों में हैंडवौश की आदत डालेंगे:

फन विद लर्न

आप अपने बच्चों को सिखाएं कि जब भी बाहर से आएं, टौयलेट यूज करें. जब भी किसी ऐनिमल को टच करें, छींकें, खांसें तब हैंडवौश जरूर करें वरना कीटाणु बीमार कर देंगे. आप भी उन के इस रूटीन में भागीदार बनें. उन से कहें कि जो जल्दी हैंडवौश करेगा वही विनर बनेगा. अब देखते हैं तुम या मैं, यह फन विद लर्न गेम उन में हैंडवौश की हैबिट को डैवलप करने का काम करेगा.

स्मार्ट स्टूल्स

कई घरों में हैंडवौश करने की जगह बहुत ऊंची होती है, जिस कारण बच्चे बारबार उस जगह जाना पसंद नहीं करते. ऐसे में आप उन के लिए स्मार्ट सा स्टूल रखें, जिस पर चढ़ना उन्हें अच्छा लगे और वे उस पर चढ़ कर हैंडवौश करें. साथ ही टैप्स में स्मार्ट किड्स फौसिट ऐक्सटैंड, जो बर्ड्स की शेप के आते हैं लगाएं. ये सब चीजें बच्चों को अट्रैक्ट करने के साथसाथ उन में हैंडवौश की आदत डालने का काम करती हैं.
जर्म फ्री हैंड्स

‘जर्म मेक मी सिक’ क्या तुम चाहते हो कि तुम्हें जर्म बीमार कर दें और तुम उस कारण न तो स्कूल जा पाओ और न ही दोस्तों के साथ खेल पाओ? नहीं न, तो फिर जब भी हैंडवौश करो तो सिर्फ पानी से ही नहीं, बल्कि साबुन से रगड़रगड़ कर अपनी उंगलियों, हथेलियों व अंगूठों को अच्छी तरह साफ करो. इस से तुम्हें जर्म फ्री हैंड्स मिलेंगे.

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टीच बाई ग्लिटर मैथड

अगर आप के बच्चे अच्छी तरह हैंडवौश नहीं करते हैं तो आप उन्हें ग्लिटर के माध्यम से जर्म के बारे में समझाएं. इस के लिए आप उन के हाथों पर ग्लिटर डालें, फिर थोड़े से पानी से हैंडवौश कर के टौवेल से पोंछने को कहें. इस के बाद भी उन के हाथों में ग्लिटर रह जाएगा, तब आप उन्हें समझाएं कि अगर आप अच्छी तरह हैंडवौश नहीं करेंगे तो जर्म आप के हाथों में रह कर के आप को बीमार कर देंगे.

फन सौंग्स से डालें आदत

अपने बच्चों में फन सौंग्स गा कर हैंडवौश की हैबिट डालें. जैसे जब भी वे खाना खाने बैठें या फिर टौयलेट से आएं तो उन्हें हैंडवौश कराते हुए कहें,

वौश योर हैंड्स, वौश योर हैंड्स

बिफोर यू ईट, बिफोर यू ईट,

वौश विद सोप ऐंड वाटर, वौश विद सोप ऐंड वाटर,

योर हैंड्स आर क्लीन, यू आर रैडी टू ईट,

वौश योर हैंड्स, वौश योर हैंड्स,

आफ्टर टौयलेट यूज, वौश योर हैंड्स विद सोप ऐंड वाटर,

टू कीप डिजीज अवे.

यकीन मानिए ये ट्रिक आप के बहुत

काम आएंगे.

अट्रैक्टिव सोप डिस्पैंसर

बच्चे अट्रैक्टिव चीजें देख कर खुश होते हैं. ऐसे में आप उन के लिए अट्रैक्टिव हैंडवौश डिस्पैंसर लाएं, जिसे देख कर उन का बार-बार हैंडवौश करने को मन करेगा.

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डिशवौशर खरीदने से पहले जान लें ये 10 फायदे और नुकसान

आजकल डिशवौशर यानी बरतन धोने की मशीन का चलन बढ़ने लगा है. अगर आप की कामवाली न आए या आप के पास कामवाली न हो तो दोनों ही स्थितियों में यह बड़े काम की चीज है. कितनी तरह के डिशवौशर मुख्य रूप से 2 तरह के होते हैं- पहला फ्री स्टैंडिंग जिसे स्वतंत्र रूप से अलग से लगा सकते हैं और दूसरा- बिल्ट इन जिसे किचन काउंटर के नीचे स्थाई रूप से लगा सकते हैं. बिल्ट इन डिशवौशर लगाना ज्यादा सुविधाजनक रहता है.

आमतौर पर डिशवौशर 12 से 16 प्लेस सैटिंग के होते हैं. भारत में ज्यादातर 12 प्लेस सैटिंग वाली मशीनें मिलती हैं. एक प्लेस सैटिंग का मतलब 1-1 बड़ी डिनर प्लेट व नाश्ता प्लेट, बाउल, गिलास, चाय या कौफी कप व प्लेट, छुरी, फोर्क और 2-2 चम्मच और सलाद फोर्क लोड कर सकते हैं. इस के अलावा कुछ खाली जगह होती है, जिस में कुकिंग पौट्स भी रख सकते हैं.

भारतीय बाजार में डिशवौशर

भारत में सीमेंस, व्हर्लपूल, एलजी और आईएफबी ब्रैंड के डिशवौशर उपलब्ध हैं, जिन की कीमत लगभग ₹26 हजार से ₹40 हजार के बीच है. फिलहाल आईएफबी ब्रैंड का मार्केट शेयर सर्वाधिक है और इस की कीमत भी औरों से कम है. 2017 में डिशवौशर की मार्केट 300 लाख डौलर की थी यानी करीब ₹210 करोड़ की.

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डिशवौशर लगाने से पहले

डिशवौशर की 4 आवश्यकताएं हैं- रखने की जगह, बिजली की उपलब्धता, पानी की सप्लाई और निकास की व्यवस्था. आमतौर पर डिशवौशर 24’×24’ का होता है और इस की ऊंचाई 35 इंच होती है और इस में एडजस्टेबल लैग्स होती हैं.

आजकल मौड्यूलर किचन का चलन बढ़ रहा है और इस में बिल्ट इन डिशवौशर आसानी से लगाया जा सकता है. जिन का अपना घर है या जो नया बनवा रहे हैं उन के लिए बिल्ट इन मौडल उत्तम है. जब आप को घर छोड़ना होता है तो फ्री स्टैंडिंग डिशवौशर को आसानी से अपने साथ ले जा सकते हैं और लगाने या हटाने में तोड़फोड़ की भी जरूरत नहीं पड़ती है. पुरानी किचन में डिशवौशर लगाने के लिए कुछ तोड़फोड़ करनी पड़ेगी. काउंटर के नीचे पर्याप्त जगह बना कर वहां तक पानी की सप्लाई और निकासी की व्यवस्था करनी होगी.

डिशवौशर के बारे में गलतफहमी

डिशवौशर के बारे में लोगों में जागरूकता की कमी है. मिथ है कि इस में बिजली और पानी ज्यादा खर्च होता है, जबकि ऐसा नहीं है. हां, शुरू में खर्च कुछ ज्यादा होगा. आम धारणा है कि इस के लिए विशेष किचन प्लान चाहिए पर आजकल जो अपार्टमैंट्स बन रहे हैं उन में मौड्यूलर किचन होती हैं और उन में डिशवौशर आराम से लग सकता है. इस में सिर्फ डिश ही नहीं धुलती हैं, बल्कि अलगअलग तरह के कुकिंग पौट्स भी धुलते हैं.

सैटिंग्स

आप का डिशवौशर औटोमैटिक है. एक बार बरतन सजा कर अपना साइकिल चुन कर औन करने पर यह बरतनों की सफाई के बाद स्वयं बंद हो जाएगा. आमतौर पर 4 वाश प्रोग्राम होते हैं. इन में डिलेड स्टार्ट की सुविधा भी है यानी आप चाहें तो इसे अपनी सुविधा के अनुसार 2, 4 घंटे या इस से ज्यादा समय बाद भी औन होने वाला प्रोग्राम चुन सकते हैं. इस में चाइल्ड सेफ्टी लौक का भी प्रावधान है.

कुछ मौडल्स में ऐक्वा और लोड सैंसर्स भी होते हैं, जो पानी और बिजली की बचत करते हैं. ऐक्वा सैंसर बरतनों में लगी गंदगी के अनुसार पानी लेता है. लोेड सैंसर मशीन के लोड के अनुसार पानी का तापमान और वाशिंग टाइम चुनता है.

डिशवौशर से लाभ

1. सुविधाजनक

डिशवौशर की सब से बड़ी खासीयत यह है कि यह सुविधाजनक है और इस में समय की बचत है. बरतनों की सफाई के लिए ज्यादा समय तक सिंक के पास खड़े रहने की जरूरत नहीं है. फिर किचन ऐलिगैंट भी दिखेगी.

अगर कामवाली पर निर्भर न रहना हो और उस के नखरों से बचना है तो यह बहुत अच्छा है. वैसे भी शहरों में और गेटेड अपार्टमैंट्स में काम करने वाली बाइयों का रेट दिनबदिन बढ़ता जा रहा है. ऐसे में डिशवौशर में इनवैस्ट करना ठीक होगा.

2. बिजली और पानी

आजकल के डिशवौशर पानी और बिजली की खपत के मामले में इकोनौमिकल होते हैं. साधारणतया एक इकोनौमिक वाश साइकिल में करीब 1 यूनिट बिजली की खपत होती है. अगर बरतन जल्दी सुखाने के लिए हीटर चलाएंगे तो 2 यूनिट प्रति वाश खपत हो सकती हैं यानी खपत भी 8-10 लिटर प्रति वाश साइकिल होती है, जबकि हैंड वाश करने से इस से बहुत ज्यादा पानी खर्च होता है.

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3. सिर्फ डिशेज ही नहीं धोता

डिशवौशर सिर्फ डिश ही नहीं धोता. इस में आप किचन में काम आने वाले लगभग सभी बरतन धो सकते हैं. ध्यान रखें कि आप के प्लास्टिक, शीशे और चीनीमिट्टी के बरतन डिशवौशर सेफ हों. अकसर ऐसे बरतन बनाने वाली कंपनियां अपने प्रोडक्ट पर ऐसा लिख देती हैं.

4. डिशवौशर की लोडिंग

डिशवौशर निर्माता अपनी पुस्तिका में वाशर को लोड करने का सही तरीका सचित्र समझा देते हैं. उन के निर्देश के अनुसार बरतनों को लोड करने से समय की बचत और लोडिंग एवं अनलोडिंग में सुविधा होगी. डिश व अन्य बरतनों को उलट कर रखें ताकि पानी की तेज धार गंदी सतह पर पड़े और बरतन अच्छी तरह साफ हों.

5. गरम पानी का इस्तेमाल

अगर गरम पानी उपलब्ध है तो आप के पास हौट वाटर का विकल्प है. वाशर चलाने से पहले अपने किचन सिंक में गरम पानी का नल खोल दें. जब गरम पानी आने लगे तो फिर उसे बंद कर दें. इस के बाद वाशर में गरम पानी जाने दें. ऐसा करने से वाशर ठंडे पानी से धोना न स्टार्ट कर सीधे गरम पानी से धोएगा.

6. प्रीवाश जरूरी नहीं

अकसर निर्माता प्रीवाश करने की सलाह देते हैं पर ऐसा करना जरूरी नहीं है. इस में समय, बिजली और पानी की बरबादी होती है. वाशर को लोड कर रिंस ओनली साइकिल चुन सकते हैं.

7. सफाई

डिशवौशर की समयसमय पर सफाई करनी चाहिए. ऊपरी रैक के मध्य में एक कप में आधा कप सफेद सिरका डाल कर मशीन चलाने से मशीन साफ होगी और बदबू भी दूर होगी. इस के अलावा वाशर के फिल्टर की सफाई करते रहना चाहिए ताकि ड्रेन लाइन चोक न हो.

8. कुछ बरतन हाथ से धोएं

जो बरतन डिशवौशर सेफ न हों उन्हें हाथ से ही धोएं. इस के अलावा कौपर और ऐल्यूमिनियम के बरतनों का रंग खराब हो सकता है. लकड़ी के बरतनों के क्रैक होने की संभावना रहती है.

फुली इंटेग्रीटेड डिशवौशर लगाएं: आप का डिशवौशर स्टैंड अलोन भी हो सकता है

पर इंटेग्रीटेड वाशर ही बेहतर होता है. यह

आप के किचन स्लैब के नीचे एक लैवल में

होगा और उस का औपरेटिंग पैनल आप के

सामने होगा. वाशर का डे्रन किचन के ड्रेन से मिला होगा.

9. डिशवौशर की कुछ कमियां

– डिशवौशर के चलते समय कुछ शोर होता है.

– सभी प्रकार के बरतनों को नहीं धोता. सिर्फ उन्हीं बरतनों को धो सकता है जो डिशवौशर सेफ हों.

– इस के लिए खास तरह के डिटर्जैंट का इस्तेमाल करना होता है.

– खाना पकाने या खाने के बाद ज्यादा सूखे बरतन डालने पर यह उन्हें ठीक से साफ नहीं कर पाता है.

– इस में बरतन रखते समय सावधानी बरतनी होती है अन्यथा शीशे के बरतन टूट सकते हैं.

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रंगों से सजाएं सर्दियों में अपना आशियाना

सर्दियों का मौसम अक्सर लोगों को पसंद आता है.जहाँ सर्दियों में क्रिसमस और नए साल का जोश समाया नज़र आता है वहीं पर लोग अपने घरों को रंग बिरंगे  रंगों से सजाना नहीं भूलते. ख़ूबसूरत रंग जहाँ घरों के कमरों की रौनक़ बढ़ने का काम करते हैं,वहीं पर मन में ख़ुशी और शांति का एहसास भी दिलाते हैं. कैसे आईए देखें-

दीवारों पर हों ब्राइट कलर्स-

अगर आप इस उलझन में फँसे हैं कि,शीत ऋतु में घर को पेंट करने के लिए कौन सा रंग चुने जो घर को ब्राइट लुक दे तो परेशान न हों.प्रस्तुत हैं कुछ सुझाव-

सफ़ेद

सफ़ेद रंग सर्दियों में काफ़ी पसंद किए जाते हैं.आप चाहें तो सफ़ेद के साथ अलग अलग रंगों का मेल कर के ,घर को सज़ा सकती हैं

क्रिमसन-

जब बात लिविंग रूम को पेंट करने की आती हैं तो,बात थोड़ी चैलेंज़िंग भरी लगती है.लेकिन यक़ीन मानिए जो लोग आपके कमरे में प्रवेश करेंगे उन्हें इस रंग को देख कर अलग सा एहसास ज़रूर होगा.

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नीला

नीला रंग हर मौसम की शान है.यह प्यारा सा रंग दीवारों में चमक भर देता है,चाहे यह ब्राइट रंग का हो या फिर फीके रंग का,यह सर्दियों में काफ़ी पसंद किया जाता है.

भूरा

भूरा रंग किसी भी महिला का प्रिय हो सकता है,क्योंकि ,इस रंग में रंगी दीवारों पर लगी गंदगी एक तो दिखाई नहीं देती दूसरे इन्हें साफ़ करना आसान भी होता है.

नारंगी-

नारंगी रंग आपके घर को एक सुंदर सा लुक दे सकता है.इसके काफ़ी अलग अलग शेड्ज़ आते हैं जो काफ़ी लुभावने होते हैं.

आइवरी-

आइवरी सर्दियों के लिए बेस्ट कलर है जो आपके घर को चमकदार दिखा सकता है.इस रंग को आप अपने लिविंग रूम और बेडरूम में लगवा सकती हैं.

हरा-

हरा एक ऐसा रंग है जो,आपकी आँखों को सुकून प्रदान करने में मददगार हो सकता है.इसका हल्का शेड प्रयोग करें और देखें कि आपका रूम कितना बड़ा लगता है.

गुलाबी-

रंग आपके घर और आँगन को बड़ा और ब्राइट लुक दे सकता है.

लाल रंग-

लाल रंग आपके घर और कमरों को उज्जवल लुक दे सकता है.आप चाहें तो रेड के साथ कोई दूसरा रंग भी मैच कर के लगवा सकती हैं.यह एक रोमांटिक रंग भी माना जाता है,इसलिए इसे अपने बेडरूम में लगवाना न भूलें

पर्दे हों दीवारों के रंग जैसे-

आजकल मार्केट में कई तरीक़े के पर्दे आते हैं लेकिन उनको किस तरह से,किस मौसम में लगाना है ,फेब्रिक कैसा हो यह हमारी समझ पर निर्भर करता है.सर्दियों में अपने घर के पर्दों का रंग ऐसा होना चाहिए-

ज़मीनी रंग

अगर आपके कमरे बड़े हैं तो यह कमरों को बेहद ख़ूबसूरत बना देते हैं और अगर कमरे छोटे हैं तो ये उन्हें बड़ा बड़ा सा लुक देंगे.सामान्य परदों से महँगे इन पर्दों की क्वालिटी काफ़ी अच्छी होती है.चाहें तो आप दीवार की डिज़ाइन से मैच करते हुए पर्दे लगा सकते हैं.सर्दियों में इस टेक्सचर का पर्दा बेहद ख़ूबसूरत लगेगा,

खिला हुआ लाल रंग

जहाँ सर्दियों में काफ़ी गर्माहट देकर मौसम के हिसाब से पर्फ़ेक्ट लुक देता है,वहीं पीले पर्दे कमरे में जान डाल देते हैं.अगर आपको डार्क कलर के पर्दे पसंद नहीं हैं तो लाइट कलर में येलो चुनें.इस से रूम में बाहर से पर्याप्त रोशनी भी  आएगी और लुक भी नया आएगा.

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ओरेंज-

ये पर्फ़ेक्ट सर्दियों वाला कलर है.अगर घर को थोड़ा फ़नकी और ट्रेंडी लुक से हटकर दिखाना है तो ओरेंज कलर के पर्दे लगाएँ. ये घर को फ़्रेश लुक देते हैं.

बोल्ड कलर के पर्दे-

अगर आपके घर या कमरे में हल्का सा रंग है और उस पर कोई टैक्सचर नहीं बना हुआ है तो बोल्ड कलर के पर्दे लगाएँ.

मैरून और विंटर ब्लू-

सर्दियों में मैरून रंग के पर्दे एक अच्छा ओप्शन है.ये रोशनी को अवशोषित करके कमरे को गरमी प्रदान करते हैं.विंटर ब्लू रंग के परदों को बच्चों के कमरे या बैठक में लगाएँ.यह रंग सर्दियों के लिए ही होता है.अपनी समझ के हिसाब से कई कोम्बिनेशन भी तैयार कर सकते हैं

पौधे भी हों रंग बिरंगे-

सर्दियों का मौसम कम धूप और ठंडे तापमान के साथ कठोर होता है.कई फूल वाले पौधे अपने पत्ते छोड़ देते हैं और सर्दियों के मौसम में सूख भी जाते हैं.लेकिन कुछ पौधे हैं,जो साल के ठंडे महीनों में यानि सर्दियों के मौसम में ही पनपते हैं. मौसमी फूलों के पौधे रंग और आकार में भिन्न होते हैं ,जैसे

कैलेण्डुला

-वे विभिन्न रंगो में पीले से गहरे नारंगी तक पाए जा सकते हैं

शीतकालीन चमेली-

चमकीले पीले रंगों वाली शीतकालीन चमेली आपके बग़ीचे के लिए एक शानदार विकल्प है.

पेटूनिया-

सर्दियों में बग़ीचे को सुंदर बनाने के लिए सफ़ेद,पीला,गुलाबी,गहरा क्रिमसन और काला बैंगनी पैटूनिया एकदम सही फूल है.

इंग्लिश प्रिमरोज़-

सफ़ेद,पीले,नारंगी से नीले गुलाबी और बैंगनी रंग के लगभग हर रंग में उगने वाले ये फूल सर्दियों में आपके बग़ीचे को सजाने के लिए एक बेहतर विकल्प हैं. प्लांटर्ज़ को ब्राइट कलर से पेंट करके उन्हें और ब्राईंट बना सकती हैं.

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5 टिप्स: घर से ऐसे भगाएं खटमल

अक्सर औफिस से घर जाकर थकान में हम सीधा बैड पर जाकर आराम करना चाहते हैं, लेकिन आपके बैड पर खटमल हो तो ये आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं. साथ ही इससे कईं बीमारियां भी होने लगती है. खटमलों से पीछा छुड़ाना मुश्किल है क्योंकि ये लम्बे समय तक बिना खाए भी रह सकते हैं. इसलिए आज हम कुछ होममेड टिप्स बताएंगे, जिसे आप अपनाकर अपने घर से दूर रख सकते हैं.

1. खटमल भगाने के लिए इफेक्टिव है पुदीना

खटमल पुदीना की गंध को सहन नहीं कर पाते हैं. तो कुछ पुदीने की पत्तियां लें और अपने बिस्तर के पास रख दें. अगर आपके घर में छोटे बच्चे हैं तो कुछ पुदीना के पत्ते उनके पलने में रख दें. पुदीने के पत्ते खटमलों को दूर रखते हैं. आप चाहें तो पुदीने के पत्तों को पीस कर अपने शरीर पर भी मल सकते हैं.

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2. कायेन पेपर(लाल मिर्च) से भगाएं खटमल

कायेन पेपर गिनी राज्य की लाल मिर्च है. इसे बर्ड पेपर, काऊ हौर्न पेपर और अलेवा भी कहते हैं. इससे खटमल बहुत जल्दी भागते हैं. आप इन मिर्चों का पाउडर बना कर खटमलों पर स्प्रे कर सकते हैं.

3. लैवेंडर की महक भगाएं खटमल

खटमल लैवेंडर की महक सहन नहीं कर पाते हैं. इसीलिए आप लैवेंडर के पत्तों को खटमल वाले कपड़ों पर रगड़ सकते हैं या लैवेंडर का परफ्यूम छिड़क सकते हैं.

4. एंटी माइक्रोबियल गुण  से भरपूर है नीम का तेल

नीम का तेल नीम के पेड़ से निकाला जाता है. इसमें कई एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं जिसकी वजह से इसका इस्तेमाल कीड़ों को दूर रखने के लिए किया जाता है. नीम का तेल आपको किसी भी दवा की दुकान पर मिल सकता है. नीम के तेल को आप डाइल्यूट न करें. इसका इस्तेमाल इसके शुद्ध रूप में खटमलों पर किया जाना चाहिए. घर की सभी चीज़ों पर इसका छिड़काव करें और डिटर्जेंट के साथ इस तेल को मिलाकर ही कपडे धोएं. एक हफ्ते लगातार इसका छिड़काव करें.

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5. थाइम (अजवाइन के फूल) का करें खटमल भगाने में इस्तेमाल

थाइम इटली की एक फेमस बूटी है, जिसका इस्तेमाल खाने में टेस्ट बढ़ाने के लिए किया जाता है. थाइम खटमलों पर सीधा असर नहीं करता पर इसकी महक खटमल सहन नहीं कर पाते और वह भाग जाते हैं. थाइम की पत्तियों को जालीदार बैग में डालकर खटमलों से संक्रमित जगह पर छोड़ दें. हर तीसरे दिन बैग की पत्तियों को ताजा पत्तियों से बदलना जरूरी है.

चुटकी बजाते ही बिजली का बिल कम कर देंगे ये 7 तरीके

क्या आप भी हर महीने आने वाले बिजली के बिल से परेशान आ चुकी हैं? अब आप प्रति यूनिट दर तो कम कर नहीं सकती लेकिन इस्तेमाल किए गए यूनिट में कटौती कर इन भारी-भरकम बिल से राहत जरूर पा सकती हैं. अपनी छोटी-छोटी आदतों में सुधार लाकर आप जेब पर पड़ने वाले इस बड़े खर्चे को कुछ कम कर सकती हैं.

1. एलईडी लाइट्स का प्रयोग

अगर आपने बिजली का बिल कम करने का फैसला कर ही लिया है तो सबसे पहले अपने घर के बल्ब बदल डालिए. पुराने सामान्य बल्ब की जगह एलईडी बल्ब का इस्तेमाल कीजिए. हालांकि ये बल्ब कुछ महंगे जरूर होते हैं लेकिन इनके इस्तेमाल से आप काफी बिजली की बचत कर सकती हैं.

2. एयर कंडिशनर की सर्विसिंग

गर्मियों में एसी का इस्तेमाल शुरू करने से पहले उसकी सर्विसिंग जरूर करा लें. तापमान की सेटिंग को भी सही रखें. ऐसा करके आप बिजली के बिल में कुछ कमी ला सकती हैं.

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3. घर में वेंटिलेशन की बेहतर व्यवस्था करें

अगर आपके घर में वेंटिलेशन सही होगा तो न तो आपको बहुत देर तक पंखा चलाने की जरूरत होगी और न ही लाइट जलाकर रखने की. ऐसे में आसानी से कुछ बिजली बचायी जा सकती है.

4. वाशिंग मशीन

क्या आप रोज-रोज वाशिंग मशीन में कपड़े धोती हैं? वाशिंग मशीन में रोज-रोज कपड़े धोना सही नहीं है. मशीन की क्षमता के अनुसार जब कपड़े हो जाएं तो ही मशीन का इस्तेमाल करें.

5. प्लंबिंग

अगर आपके घर की कोई पानी की पाइप लीक कर रही है या फट गई है तो उसे ठीक करा लें. हमें पता नहीं चलता है लेकिन सच्चाई यही है कि लीक हो रही पाइप से बूंद-बूंद करके पानी गिरता रहता है और टंकी खाली हो जाती है. जिसे भरने के लिए हमें समय-समय पर टुल्लू या वाटर मोटर चलाना पड़ता है, जिससे बिल बहुत तेजी से बढ़ जाता है.

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6. सोलर ऊर्जा का इस्तेमाल करना है बेहतर

इन दिनों सोलर ऊर्जा काफी चलन में है. हालांकि शुरुआत में इसमें काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं लेकिन उसके बाद बिजली का बिल लगभग आधा हो जाता है.

7. यूज करने के बाद स्विच बंद कर दें

कभी भी बिना वजह बिजली खर्च न करें. अगर आप एक कमरे से दूसरे कमरे में जा रही हों और इस कमरे में कोई बैठा न हो तो उठने के साथ ही कमरे की लाइट और पंखा बंद कर दें.

वार्डरोब को रखें अपडेट

सुबह के बिजी शैड्यूल में आप को कई काम करने होते हैं. नाश्ता बनाना, बच्चों को स्कूल भेजना, पति को औफिस भेज कर खुद भी टाइम से औफिस पहुंचना. ऐसे में आप के पास इतना समय नहीं होता कि आप अपनी ड्रैसिंग पर ज्यादा ध्यान दे सकें. ऐसे में आप वार्डरोब में जो ड्रैस सामने पड़ती है उसी को पहन कर औफिस चली जाती हैं. औफिस पहुंचने के बाद आप की ड्रैस देख कर सब आप का मजाक उड़ाते हैं. तब आप को फील होता है कि काश मैं अपने वार्डरोब को अरेंज कर के रखती तो इस तरह मिसमैच न होता.

मैसी वार्डरोब न कर दे फैशन से आउट

मैसी यानी अव्यवस्थित वार्डरोब आप की लापरवाही दिखाने के साथसाथ आप को फैशन से भी आउट कर देता है. ऐसे में अपने वार्डरोब को कैसे अरेंज करें, आइए जानते हैं:

सब से पहले तो आप वार्डरोब सें पुराने और न पहनने वाले कपड़ों को हटा दें.

वार्डरोब में उन्हीं कपड़ों को जगह दें जो फैशन में होने के साथसाथ कंफर्टेबल भी हों.

अपनी जरूरत को ध्यान में रख कर ही कपड़ों का चयन करें. वार्डरोब में ब्लैक ट्राउजर, कुछ शौर्ट टौप, लोअर व कुछ जोड़ी स्कर्ट जरूर रखें.

वार्डरोब की छोटी दराजों में जरूरत की लिंजरी रखें. लिंजरी को कभी ड्रैस के साथ मिला कर न रखें वरना पहनते समय ढूंढ़ने में परेशानी होगी.

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पार्टीवियर और कैजुअल ड्रैसेज को भी वार्डरोब में हमेशा अलगअलग ही रखें.

जिन ड्रैसेज को आप नियमित पहनना चाहती हैं उन्हें हैंगर में लगा कर सामने टांगें ताकि पहनते समय उन्हें आसानी से निकाला जा सके.

डेलीवियर ऐक्सैसरीज जैसे घड़ी, ब्रेसलेट, बैंगल्स आदि को वार्डरोब की छोटी दराजों में ही रखें.

स्टोल, स्कार्फ को हैंगर या हुक में टांगें.

वार्डरोब को मौसम के अनुसार अरेंज करती रहें.

वार्डरोब में हैंगर का चुनाव

पड़ों को बेहतर ढंग से टांगने के लिए मार्केट में अलगअलग वैराइटी और स्टाइल के हैंगर उपलब्ध हैं जैसे प्लास्टिक हैंगर, वायर हैंगर, पैडेड हैंगर, लिंजरी हैंगर, औलपर्पज क्लिप हैंगर, स्कर्ट हैंगर आदि. आप अपनी जरूरत और ड्रैसेज के हिसाब से इन का चुनाव करें. हैंगर में टंगी हुई ड्रैसेज से वार्डरोब में स्पेस भी काफी बन जाता है यानी आप ज्यादा कपड़े वार्डरोब में रख सकती हैं.

वुडन हैंगर: इन में हैवी कपड़े जैसे कोट, जैकेट, सूट आदि टांग सकती हैं.

प्लास्टिक हैंगर: इन में भी बहुत वैराइटी आती है. बड़े हुक व छोटे हुक वाले हैंगर में आप टौप, शर्ट आदि टांग सकती हैं.

क्लिप हैंगर: इन में प्रैस किए कपड़ों को सीधेसीधे क्लिप द्वारा अटैच कर के टांग सकती हैं. इन में कपड़ों में सिलवटें नहीं पड़ती हैं.

वन साइड ओपन हैंगर: वन साइड ओपन हैंगर में साडि़यां, दुपट्टे आदि आसानी से अरेंज कर सकती हैं.

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