रोशनी के फेस्टिवल में घोलें सपनों के रंग

आप जब भी किसी दोस्त या रिश्तेदार के घर में प्रवेश करते हैं, तो सब से पहले आप की नजर उस कमरे की दीवारों पर पड़ती है. और अगर दीवारों का रंग अच्छा लगता है तो उसे ऐप्रिशिएट भी करते हैं.

दरअसल, रंग हमारी आंखों को सब से पहले प्रभावित करते हैं, इसलिए घर में रंगरोगन करवाते वक्त सही रंगों का चुनाव बहुत जरूरी होता है. रंग न सिर्फ व्यक्तित्व को उजागर करते हैं, घर में एक सुकून भरा वातावरण भी बनाते हैं. दिन भर की भागदौड़ के बाद व्यक्ति जब घर लौटता है, तो उसे पूरी तरह से रिलैक्स होना जरूरी होता है ताकि वह अगले दिन के लिए अपनेआप को तैयार कर सके. ऐसे में अगर घर की दीवारों का रंग अच्छा और सुकून देने वाला होता है तो उस से बहुत चैन और आराम मिलता है.

सफेद रंग का क्रेज

मुंबई की नाबार प्रोजैक्ट्स की इंटीरियर डिजाइनर मंजूषा नाबार कहती हैं कि मैं पिछले 24 सालों से इस क्षेत्र में हूं. पहले 90 के दशक में अधिकतर लोग औफ व्हाइट या सफेद रंग ही पसंद करते थे, लेकिन धीरेधीरे लोगों का टेस्ट बदला. उन का ध्यान सफेद से हट कर ब्राइट कलर्स पर ध्यान गया.

रंगों के ट्रैंड में बदलाव पेंट की कंपनियों की वजह से आता है. बड़ीबड़ी कंपनियां हर बार नएनए रंग और उन्हें प्रयोग करने के तरीके बाजार में उतारती हैं, जिन्हें देख कर उपभोक्ता उत्साहित हो कर वैसे ही रंग अपने कमरों में करवाने लगते हैं. लेकिन सफेद रंग का के्रज हमेशा रहा है और रहेगा भी. समयसमय पर कुछ फेरबदल अवश्य होते हैं पर सीलिंग पर सफेद रंग हमेशा सही रहता है.

सफेद रंग से घर बड़ा और खुला दिखता है क्योंकि इस रंग से रोशनी रिफ्लैक्ट होती है. गहरे रंग से तो रोशनी के साथसाथ जगह भी कम दिखती है.

सभी रंगों का महत्त्व

आमतौर पर घरों में रंग उस के क्षेत्र के अनुसार कराए जाते हैं. अगर मुंबई और दिल्ली की हम तुलना करें तो मुंबई के मौसम में नमी अधिक होती है, इसलिए वहां थोड़ा डार्क कलर चलता है, जबकि दिल्ली का मौसम ऐसा नहीं रहता, इसलिए वहां हलके रंग अधिक पसंद किए जाते हैं. लेकिन सभी रंगों का अपना महत्त्व तो होता ही है.

आप अपने घर में रंग करवाते वक्त कुछ बातों पर अवश्य ध्यान दें:

– गहरे रंग डिप्रैशन लाते हैं, इसलिए हमेशा लाइट औरेंज, ग्रीन, सफेद आदि रंगों का प्रयोग करें.

– नई तकनीक के अंतर्गत रिफाइंडमैंट टैक्सचर, वालपेपर, फैब्रिक पेंट, ग्लौसी पेंट और मैट फिनिश आदि अधिक लगाना अच्छा होता है.

– बच्चों के कमरे में प्राइमरी रैड, ग्रीन, यलो और ब्लू कलर अच्छा लगता है, तो बुजुर्गों के कमरे के लिए लाइट पिंक, लाइट ब्लू व लाइट औरेंज कलर अच्छे होते हैं, क्योंकि ये रंग रिलैक्सेशन का एहसास कराते हैं. यंगस्टर्स और नवविवाहितों के लिए वाइब्रैंट कलर अधिक अच्छे रहते हैं. इन में रैड, ग्रीन व औरैंज कलर काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि वे ऐक्टिव होने का एहसास कराते हैं.

रंगों का चयन

रंगों का चयन तो व्यक्ति के व्यक्तित्व, प्रोफैशन और स्थिति वगैरह को ध्यान में रख कर करना चाहिए, क्योंकि रंगों का व्यक्ति के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है.

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कौरपोरेट क्षेत्र के अधिकतर लोग लाइट कलर अधिक पसंद करते हैं तो अध्यापक वर्ग अधिकतर लोग यलो व ग्रीन कलर पसंद करते हैं. व्यवसायी अपने स्टेटस के हिसाब से रंग चुनते हैं, तो अधिकतर फिल्मी लोग सफेद रंग ही पसंद करते हैं. बुद्धिजीवी लोग अधिकतर ‘अर्थ कलर’ करवाते हैं.

रंगों की पसंदनापसंद के अलावा जरूरी बात यह है कि घर को घर के जैसा ही रहने देना चाहिए. उसे आर्टिफिशियल नहीं बनाना चाहिए. घर को हमेशा वैलकमिंग होना चाहिए.

अच्छा इंटीरियर मुनाफे का सौदा

मिठाई की दुकान से ले कर परचून की दुकान तक का इंटीरियर अब पहले से काफी बेहतर होने लगा है. जिन दुकानों में पहले इंटीरियर पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया जाता था वहां भी अब मौडर्न स्टाइल का इंटीरियर होने लगा है. कपड़ों की शौप्स पहले से बदल गई हैं. फर्श हो या छत अब हर जगह का इंटीरियर अलग दिखने लगा है. सैलून के नाम पर पहले केवल महिलाओं के ब्यूटीपार्लर ही सजेधजे नजर आते थे पर अब पुरुषों के सैलूनों में भी इंटीरियर डिजाइन होने लगा है. सोशल मीडिया के जमाने में लोग जहां जाते है वहां के फोटो अपडेट करने की कोशिश करते हैं. अच्छा इंटीरियर मुफ्त में प्रचार का भी काम करता है.

इस बदलाव के क्या कारण हैं? यह जानने के लिए हम ने लखनऊ की रहने वाली मशहूर इंटीरियर डिजाइनर और और्किटैक्ट अनीता श्रीवास्तव से बात की:

शौप्स का मैनेजमैंट अच्छा हो जाता है

अनीता श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘सुंदर और सुव्यवस्थित माहौल हर किसी को पसंद आता है. ऐसा माहौल मन पर सुंदर छाप छोड़ता है. पहले शौप्स में सामान इधरउधर फैला होता था, जिस की वजह से गंदगी दिखती थी, सफाई करना मुश्किल हो जाता था. चूहे और कीडे़मकोडे़ सामान को नुकसान पहुंचाते थे. लाइटिंग की सही व्यवस्था नहीं होती थी. बिजली के उल?ो तारों से दुकानों में दुर्घटना हो जाती थी.

शौर्ट सर्किट से आग लग जाती थी. काम करने वालों को सही तरह से बैठने या खडे़ होने की जगह नहीं मिलती थी. हवा और रोशनी नहीं मिलती थी. अब इंटीरियर डिजाइनर शौप्स की जरूरत और वहां आने वाले कस्टमर की सुविधा को देखते हुए शौप्स को अच्छे से डिजाइन करते हैं. इस से काम करने वाले को सुविधा और कस्टमर को देखने में अच्छा लगता है.’’

बिजली का डिजाइनर सामान

इंटीरियर डिजाइनिंग में पहले बिजली का प्रयोग जरूरत के लिए होता था. आज के दौर में बिजली का ऐसा सामान आ गया है जो जरूरत के साथसाथ सुंदर भी लगता है. जहां जिस तरह की हवा और रोशनी की जरूरत होती है वहां उस का उपयोग किया जाने लगा है. बिजली के ऐसे उपकरण आ गए हैं जो कम वोल्टेज पर चलते हैं. इस से बिजली की बचत होने लगी है. हवा के लिए पंखे के साथसाथ एसी का प्रयोग होने लगा है. पीने का साफ पानी भी बिजली के प्रयोग से मिलता है.

इस का उपाय भी सही जगह होने लगा है. कम और ज्यादा रोशनी का प्रयोग जरूरत के हिसाब से हो इंटीरियर डिजाइन करते समय इस बात का खयाल रखा जाता है. बिजली चली जाए तो इनवर्टर, सोलर ऐनर्जी या जनरेटर का प्रयोग कैसे कमज्यादा हो इस का प्रबंध भी पहले से किया जाने लगा है.

अर्श से फर्श तक सब बदल गया

अनीता श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘आज इंटीरियर के लिए बहुत अच्छाअच्छा मैटीरियल मिलने लगा है, जो सस्ता भी है और अच्छी तरह तैयार हो जाता है, साथ ही हलका भी होता है. भले ही यह लकड़ी जैसा मजबूत और टिकाऊ न हो पर आज इंजीनियरवुड और प्लाई का उपयोग इंटीरियर में होने लगा है. सस्ता होने के कारण इसे जल्दी बदला जा सकता है.

‘‘कैमिकल का प्रयोग होने से दीमक नहीं लगती है. इंटीरियर में पेपर कार्डबोर्ड का प्रयोग होने लगा है. महंगी टाइल्स की जगह आकर्षक फ्लोरिंग मिलने लगी है. यह मैचिंग और मनचाहे रंग व डिजाइन की होने लगी है. फर्श से ले कर छत तक को नए रंगरूप में बदला जा सकता है.’’

बजट इंटीरियर

इंटीरियर डिजाइनर पहले डिजाइन तैयार कर लेता है उस के बाद वह बजट के अनुसार मैटीरियल चुनता है. डिजाइन का अब थ्रीडी फौर्मेट बन जाता है, जिस से पूरा इंटीरियर कैसा लगेगा यह पहले ही पता चल जाता है. जो अच्छा नहीं लगता उस को बदला जा सकता है. इंटीरियर में कुछ ऐसा शामिल किया जाता है जो पूरे इंटीरियर को हाईलाइट करता है. जैसे म्यूरल आर्ट का प्रयोग बढ़ गया है. ग्रीन माहौल दिखाने का प्रयास रहता है. स्पेस रहता है तो माहौल बेहतर होता है. लोग कंफर्टेबल फील करते हैं.

कार्यक्षमता को बढ़ाता है

इंटीरियर की उपयोगिता इसलिए बढ़ रही क्योंकि यह देखने वाले का आकर्षित करती है. कस्टमर यहां आने में कंफर्टेबल फील करता है. यहां काम करने वालों को जब साफ हवा, पानी, खुशनुमा माहौल मिलता है तो उन की कार्यक्षमता बढ़ती है.

टाइल्स फ्लोरिंग से दें इंटीरियर को नया लुक

आज की बदलती जीवनशैली में हर चीज ट्रैंडी व मौडर्न पसंद आती है. लेकिन हम अपनी ड्रैस व मेकअप में तो इन चीजों का ध्यान रखते हैं, पर अपने घर को ट्रैंडी बनाना भूल जाते हैं. आज बहुत से ऐसे ट्रैंडी तरीके हैं जिन से घर को नया लुक दिया जा सकता है. इन दिनों घर के इंटीरियर में टाइल्स फ्लोरिंग सब से ज्यादा चलन में है. दिल्ली के आइडियाज किचन की इंटीरियर डिजाइनर सीमा खोसला कहती हैं कि अब वह जमाना गया जब घर की फ्लोरिंग प्लेन हुआ करती थी और टाइल्स फ्लोरिंग केवल होटलों या रेस्तराओं में ही होती थी. अब यह घर के इंटीरियर में भी होने लगी है. इस का चलन इसलिए भी बढ़ता जा रहा है, क्योंकि स्टोन के मुकाबले टाइलों को बिछाना आसान होता है. फिर बारबार पौलिश करवाने का भी कोई झंझट नहीं होता. साथ ही इस से पूरे घर को मौडर्न लुक भी मिलता है.

टाइल्स फ्लोरिंग के फायदे

आप अपने घर में कितनी भी महंगी चीजें क्यों न रखें, पर जब तक घर में फ्लोरिंग सही न होगी तब तक घर का इंटीरियर अच्छा नहीं लगता. फर्श के तौर पर टाइल्स बेहद टिकाऊ होती हैं तथा मजबूती के मामले में भी इन का मुकाबला नहीं होता. ये पानी से जल्दी खराब नहीं होतीं और साफसफाई में भी किसी तरह की दिक्कत नहीं होती.

नए जमाने की नई टाइल्स

घर की रौनक बढ़ाने और दीवारों को सजाने के लिए टाइल्स लगवाना एक अच्छा विकल्प है. इन दिनों 3डी, वुडेन, स्टोन फिनिश, मौजेक और स्टील टाइल्स खासा चलन में हैं. आजकल पैटर्न वाली टाइल्स भी आ गई हैं, जिन्हें आप फ्लोर तथा दीवारों पर लगवा सकती हैं. घर को पारंपरिक लुक देने के लिए हैंडमेड टाइल्स भी बैस्ट औप्शन हैं. डैकोरेटिव टाइलें भी उपलब्ध हैं, उन्हें पूरे फ्लोर पर लगवाने के बजाय एक वाल के कुछ खास हिस्सों पर लगवाया जाता है. आप चाहें तो घर के मुख्यद्वार पर भी लगवा सकती हैं. टाइल्स में मैट फिनिश का चलन जोरों पर है. चमचमाती या ग्लौसी टाइल्स अब चलन से आउट हो गई हैं.

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कई कंपनियां आप की पसंद अनुसार भी टाइल्स बनाने लगी हैं, जिन्हें कंप्यूटर की मदद से बनाया जाता है. इन में आप अपनी पसंदीदा मोटिफ्स या परिवार के फोटो भी प्रिंट करवा सकती हैं. टाइल्स फ्लोरिंग करवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि फ्लोरिंग आप की दीवारों से मैच करे. अगर आप के घर की दीवारें लाइट कलर की हैं, तो टाइल्स डार्क कलर की लगवाएं, अगर दीवारें डार्क कलर की हैं, तो लाइट टाइल्स लगवाएं.

ये डिजाइनिंग टाइल्स हैं इन डिमांड

डिजिटल प्रिंटेड ग्लास टाइल्स

वुडन लुक टाइल्स

लैदर ऐंड वुडन टाइल्स

वाटर टाइल्स विद डिजिटल प्रिंट

ग्लिटर टाइल्स

स्टोन कौंसैप्ट डिजाइनिंग टाइल्स

लिविंग एरिया

लिविंग एरिया वह स्थान होता है जहां आप अपने मेहमानों का स्वागत करती हैं, दोस्तों से मिलती हैं, उन से बातें करती हैं. इस स्थान को खास बनाना जरूरी है. यहां आप कारपेट टाइल्स लगवा सकती हैं. इन्हें पूरे फ्लोर पर लगवाने के बजाय एक निश्चित स्थान पर ही लगवाएं ताकि देखने में लगे जैसे कारपेट बिछा हो. साथ ही यहां आप कुछ हैंडमेड व मौजेक टाइल्स भी लगवा सकती हैं. आप चाहें तो फ्लोर पर लगवाने के साथसाथ लीविंग एरिया की एक वाल पर भी टाइल्स लगवा सकती हैं. अगर आप का घर छोटा है तो एक ही तरह की टाइल्स लगवा सकती हैं, जो घर को अच्छा लुक देती हैं. अगर घर बड़ा है तो अलगअलग डिजाइनों की टाइल्स लगवाएं. लिविंग एरिया में पैटर्न और बौर्डर वाली टाइल्स का भी ट्रैंड इन है.

बैडरूम

बैडरूम वह जगह है जहां हम रिलैक्स करते हैं. कई लोग यहां डार्क कलर फ्लोरिंग करा लेते हैं. ऐसा करने से बचें. बैडरूम जैसे एरिया में हमेशा टाइल्स फ्लोरिंग के लिए हलके और पेस्टल शेड्स का इस्तेमाल करें. इस से मानसिक सुकून महसूस होता है. बैडरूम में फ्लोरल पैटर्न या हलके रंग की टाइल्स का इस्तेमाल किया जा सकता है. इन के अलावा आप रंगबिरंगी व अलग तरीके की बौर्डर वाली टाइल्स भी लगवा सकती हैं. बैडरूम के लिए नैचुरल स्टोन टाइल्स भी खास हैं.

किचन

किचन छोटी हो तो दीवारों पर हलके रंग की टाइल्स लगवाना ही सही रहता है. बड़ी किचन में सौफ्ट कलर का इस्तेमाल करना चाहिए. इन दिनों किचन में स्टील लुक वाली टाइल्स ट्रैंड में हैं. इन्हें लगवाने पर किचन की सफाई में किसी तरह की परेशानी नहीं होती. हमेशा प्लेन सरफेस वाली टाइल्स ही चुनें, क्योंकि इन्हें साफ करना आसान होता है. अगर उभरी हुई टाइल्स लगाती हैं तो डिजाइनों के बीच गंदगी जमा हो जाती है, जिसे साफ करना मुश्किल होता है.

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बाथरूम

यह घर में सब से ज्यादा इस्तेमाल होने वाली जगहों में से एक है. इसे सुंदर व आरामदेह बनाना बहुत जरूरी है. बाथरूम में हमेशा सौफ्ट फील वाली टाइल्स लगवाएं. ये टाइल्स नंगे पैरों को रिलैक्स फील कराती हैं. कुछ लोग बाथरूम में भी फूलपत्तियों वाली टाइल्स लगवा लेते हैं. ऐसा न करें. कुछ रिफ्रैशिंग थीम पर आधारित टाइल्स लगवाएं ताकि नहाते समय आप की नजरें उन पर पड़ें तो आप को रिफ्रैश फील हो. इन दिनों बाथरूम में सी ब्लू और पिंक कलर की ऐंटीस्किड टाइल्स सब से ज्यादा डिमांड में हैं. सिरैमिक टाइल्स भी बाथरूम के लिए कई तरह की आती हैं. आप बौर्डर वाली, क्रिसक्रौस पैटर्न वाली टाइल्स भी लगवा सकती हैं.

वाल टाइल्स

आजकल टाइल्स केवल फ्लोर पर ही नहीं लगवाई जातीं, बल्कि दीवारों पर भी लगवाई जा रही हैं. वैसे तो घर में ऐसे बहुत से हिस्से होते हैं जहां वाल टाइल्स लगवाई जा सकती हैं जैसे गार्डन से जुड़ी दीवार या सीढि़यों से लगी दीवार. इजिप्ट, इंडियन, ट्रैडिशनल और चाइनीज पैटर्न वाली टाइल्स ड्राइंगरूम या ऐंट्री गेट पर पेंटिंग की तरह इस्तेमाल की जा रही हैं.

रखरखाव

टाइल्स कई सालों तक चलती हैं. इन्हें साफ करना भी आसान होता है. कई महिलाएं टाइल्स को साफ करने के लिए हार्ड कैमिकल का प्रयोग करती हैं. अत: ऐसा न करें. टाइल्स को साफ करने के लिए टौयलेट क्लीनर का इस्तेमाल कर सकती हैं, सर्फ के पानी से भी टाइल्स को साफ किया जा सकता है.

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जानें क्या हैं 7 होम इंटीरियर ट्रैंड्स

होम डैकोर में आजकल मिनिमलिस्टिक डिजाइन सब से ज्यादा चलन में है. आप अपने इंटीरियर का थीम जो भी रखें, आप का अप्रोच मिनिमलिस्टिक डिजाइन होगा तो आप का घर ट्रैंडी नजर आएगा. इस में सभी चीजें कम रखी जाती हैं फिर चाहे कलर हो, फर्नीचर हो या डिजाइनर पीस. मिनिमलिस्टिक डिजाइन में कमरे थोड़े खालीखाली लेकिन ऐलिगैंट नजर आते हैं. अधिकतर लोग इस के साथ घर में सफेद रंग का पेंट कराना पसंद करते हैं. अगर दूसरे रंग भी चुने जाते हैं तो उन की टोन म्युटेड रखी जाती है. मिनिमलिस्टिक डिजाइन पैटर्न और नियो क्लासिकल थीम डिजाइन सब से ज्यादा ट्रैंड में हैं, जिन में मौडर्न और क्लासिकल का ब्लैंड होता है.

झूमर

पहले झूमर राजामहाराजाओं और रईसों के महलों और हवेलियों में ही लगते थे, लेकिन 21वीं सदी में झूमर होम डैकोरेशन का एक अहम हिस्सा बन गए हैं.

इस की 2 मुख्य वजहें हैं- पहली तो लोग अपने घरों को सजाने के लिए पैसे खर्च करने को तैयार हैं, दूसरी अब बाजार में ट्रैडिशनल के साथसाथ लेटैस्ट डिजाइन के झूमर भी मिल रहे हैं. ये झूमर नियो क्लासिक होम डैकोर के साथ घर को अच्छा लुक देते हैं.

पेंटिंग

आजकल इंटीरियर पेंटिंग में सफेद, पिस्ता ग्रीन, लाइट ग्रे, डार्क ग्रीन, सौफ्ट क्ले, लाइट ब्लू, मस्टर्ड, मिस्ट (पेस्टल ब्लू और ग्रीन का मिक्स), मशरूम कलर, लाइट ग्रे, ग्रीन आदि रंगों का ट्रैंड चल रहा है.

वैसे बोल्ड रंग भी काफी चलन में हैं. अगर आप अपने घर या औफिस को थोड़ा जीवंत लुक देना चाहते हैं तो बोल्ड रंगों का चयन करने में हिचकिचाएं नहीं. बोल्ड रंग कमरों को डैप्थ और टैक्सचर देते हैं. वैसे आजकल इंटीरियर पेंटिंग में ब्लैक रंग भी ट्रैंड में है, लेकिन इन बोल्ड रंगों की टोन म्युटेड रखी जाती है. आजकल ग्लास, साटिन, एग शेल, मेट टैक्सचर चलन में हैं.

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इनडोर वर्टिकल गार्डन

इनडोर वर्टिकल गार्डन भी काफी चलन में हैं. आज इन्हें लगाना भी काफी आसान हो गया है. ये आप की दीवारों को एक अलग ही लुक और टैक्सचर देते हैं. ये आकर्षक तो लगते ही हैं, थर्मल इंसुलेटर की तरह भी काम करते हैं. गरमियों में ये कमरे को ठंडा और सर्दियों में गरम रखते हैं.

डबल हाइट स्पेसेज

अगर आप नई कंस्ट्रक्शन करा रहे हैं तो आप डबल हाइट स्पेसेज का कौंसैप्ट चुन सकते हैं. इस में जगह बड़ी लगती है. सामान्यत: छत

9-11 फुट की ऊंचाई पर होती है. डबल हाइट सीलिंग में इस से दोगुनी से थोड़ी कम या ज्यादा ऊंचाई पर हो सकती है.

इस में डबल हाइट विंडो लगाई जा सकती है, जिस से अंदर नैचुरल लाइट अधिक आएगी और वैंटिलेशन भी बेहतर रहेगा. अंदर लाइट अच्छी आने से दीवार पर जो भी लगाएंगे उस का लुक अच्छा आएगा. डबल हाइट बालकनी भी बनाई जा सकती है, जिस में आप हैंगिंग लाइट्स और प्लांट्स लगा सकते हैं. इस से न केवल बालकनी का लुक बेहतर होता है बल्कि पूरे घर की खूबसूरती भी बढ़ जाती है.

ऊंचीऊंची दीवारों पर पेंटिंग्स और आर्ट पीस लगाए जा सकते हैं. बड़ेबड़े दरवाजों के साथ ये बहुत ही ग्रांड लुक देते हैं. डबल हाइट स्पेसेज में ट्रैडिशनल झूमर बहुत ही रौयल लुक देते हैं.

प्लांट्स ऐंड फ्लौवर्स

वैसे तो होम डैकोर में पौधों और फूलों का खास महत्त्व हमेशा से ही रहा है, लेकिन कोरोना महामारी के बाद से इन का इस्तेमाल और ज्यादा बढ़ गया है. ये घर का आकर्षण बढ़ाने के साथ ही उसे नैचुरल लुक भी देते हैं. इंडोर प्लांट्स एक प्राकृतिक रूम फ्रैशनर की तरह काम करते हैं.

आप इन्हें बालकनी और टैरेस में भी लगा सकते हैं. टैरेस गार्डन की हरियाली रंगबिरंगे फूलों, ताजा हवा और खुले आसमान के साथ एक प्राकृतिक वातावरण उपलब्ध कराती है.

वार्डरोब डिजाइनिंग

फ्लूटेड और फैब्रिक फिनिश ग्लास अभी जो नियो क्लासिकल ट्रैंड चल रहा है, उस में 19वीं सदी में प्रचलित फ्लूटेड ग्लासेज फिर से चलन में आ गए हैं. ये स्टाइलिश होने के साथसाथ नाजुक और सुंदर भी लगते हैं.

आप इन्हें वार्डरोब डिजाइनिंग और स्लाइडिंग डोर में भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ये इनडोर प्राइवेसी के लिए प्राइवेसी स्क्रीन की तरह भी इस्तेमाल किए जाते हैं. इसलिए इन्हें बैडरूम स्टडी, बैडरूम ड्रैसिंगरूम में पार्टिशन के लिए भी लगाया जाता है. ये शावर स्क्रीन के रूप में भी काम करते हैं. सेमीओपन किचन विंडो में ये बहुत ही ऐलिगैंट लुक देते हैं.

फ्लूटेड ग्लासेज के अलावा फैब्रिक फिनिश ग्लास भी काफी चलन में हैं. इन में पतलीपतली फैब्रिक की जाली को 2 ग्लासेज के बीच में सैंडविच कर दिया जाता है. इस में जो जाली इस्तेमाल होती है वह अलगअलग रंगों और डिजाइनों की हो सकती है. आप अपने घर के थीम और जरूरत के हिसाब से इन्हें चुन सकते हैं.

-रेशम सेठी

आर्किटैक्ट, ग्रे इंक स्टूडियो

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कैसा हो घर का इंटीरियर,जानें इंटीरियर डिजाइनर दर्शिनी शाह से

घर या आशियाना हर व्यक्ति के लिए एक विश्राम स्थल और सुकून के कुछ समय बिताने के लिए होता है, ऐसे में अगर इसे एक खूबसूरत पहचान बजट के आधार पर दिया जाय, तो ख़ुशी और आराम दोनों का सुख व्यक्ति को मिल सकता है. मुंबई की इंटीरियर डिजाईनर दर्शिनी शाह भी क्रिएटिव कारीगरी से घर को सुंदर लुक देती है, जो हर किसी को पसंद आता है, लेकिन ये काम आसान नहीं होता. घंटो किसी व्यक्ति के साथ बैठकर उसकी रूचि को समझकर प्लान बनाने के लिए बहुत अधिक धैर्य की जरुरत पड़ती है.

मिली प्रेरणा

दर्शिनी को इस दिशा की प्रेरणा के बारें में पूछने पर वह बताती है कि मुझे बचपन से ही पेंटिंग का शौक था. इसलिए मैंने फाउंडेशन आर्ट में पढ़ाई की, जिसमे कमर्शियल आर्ट और टेक्सटाइल डिजाईन होता है, जो मुझे हर तरह की आर्ट में मदद कर सकती है, मसलन फेब्रिक, टेक्सटाइल, कलर, मटेरियल आदि के बारें में वहां मुझे ज्ञान मिला. वही से मैंने इंटीरियर का काम शुरू किया, जिसमें पहले मैंने आसपास की जान-पहचान लोगों के लिए इंटीरियर का काम किया, सभी ने तारीफें की. मेरा काम शुरू हुआ. इस काम में क्लाइंट के साथ बहुत समय बिताना पड़ता है जैसे उस मकान में रहने वाले परिवार के सदस्य, उनकी पसंद नापसंद आदि को एक बार जान लेने के बाद काम करना आसान हो जाता है. कोई भी व्यक्ति मेरी पसंद के आधार पर अपनी लाइफस्टाइल को नहीं बदलता, इसलिए सही प्लानिंग से सब आसान हो जाता है. मटेरियल और सबकी पसंद को मैच करना थोडा चैलेंजिंग होता है.

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पसंद अपनी-अपनी

14 साल से इंटीरियर का काम करने वाली दर्शिनी ने कई बड़े-बड़े सेलेब्रिटी घरों का इंटीरियर किया है. क्या सेलेब्रिटी के लिए घर का इंटीरियर करना कठिन होता है? पूछे जाने पर दर्शिनी कहती है कि हर कलकार की चॉइस अलग-अलग होती है. वे एक्सपेरिमेंट करने में हिचकिचाते नहीं. इसके अलावा वे किसी नयी ट्रेंड को फोलो करना चाहते है और वे खुद क्रिएटिव होने की वजह से उनके साथ काम करने में मज़ा आता है. पर्सनल टेस्ट सबका अलग होता है. करीना कपूर, अलिया भट्ट, कैटरिना कैफ इन सबके घर एक दूसरे से अलग है. ये सब उनकी पर्सनालिटी के आधार पर होती है, मसलन कैटरिना अकेली रहती है, इसलिए लाइट कलर पसंद है, जिसमें वह सबकुछ सजाकर रखती है, जबकि करीना और सैफ को मॉडर्न बोहेमियन स्पेस जिसमें आर्ट, किताबे, गाँव के दृश्य बहुत पसंद है. कार्तिक आर्यन अपने परिवार के साथ रहता है, उसकी जरूरते अलग है. थोड़ी बहुत वैनिटी वैन के इंटीरियर में समस्या आती है, क्योंकि छोटी जगह में बहुत कुछ समायोजित करना पड़ता है. सेलेब्रिटी नार्मल इंसान ही होते है, इसलिए काम से घर लौटने पर उन्हें सुकून मिले, इसकी कोशिश वे करते है. जो लोग खिटपिट करते है, मैं उनका काम नहीं करती.

नहीं डर चेक बाउंस का

शुरू-शुरू में मुझे लगता था कि काम होने के बाद मेरा चेक कही बाउंस न हो जाय, पर ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ, क्योंकि चेक बाउंस पुराने जमाने में हुआ करती थी, जिसे नयी पीढ़ी फोलो नहीं करती और वे अपनी क्षमता के अनुसार इंटीरियर करवाते है. बजट तय करने के बाद समस्या नहीं होती. मैं अपने माता-पिता, भाई-भाभी, बहन के साथ रहती हूँ. माँ ने हमेशा मुझे अधिक सहयोग दिया है. समय मिलने पर मैं किताबे पढना और ट्रेवल करती हूँ.

किये स्पेशल काम

दर्शिनी आगे कहती है कि घर से अधिक मुझे अच्छा सौ साल पुरानी पटौदी पैलेस का इंटीरियर करना बहुत स्पेशल था, क्योंकि किसी भी इंटीरियर डिज़ाइनर को पैलेस के लिए काम करना बड़ी बात होती है. इसके लिए पटौदी फॅमिली की संस्कृति को ध्यान में रखते हुए वहां की वस्तुओं को सही तरह से सजाना था. आज अधिकतर पैलेस होटल बन चुके है, पर इस पैलेस में अभी भी घर है.

सही इंटीरियर है जरुरी

कोविड की वजह से अभी सबको घर में ही रहना पड़ता है और घर व्यक्ति की पसंद और व्यक्तित्व के अनुसार होने की जरुरत है. घर में महंगे फर्नीचर नहीं, कम्फ़र्टेबल सामान होनी चाहिए, जिसपर आप अपने हिसाब से उठ बैठ सकें. मैं सभी से कहना चाहती हूँ कि घर की इंटीरियर अपनी बजट और फ्लोर प्लानिंग के अनुसार करें. मुंबई जैसे शहर में लक्जरी के लिए बड़े घर नहीं होते, ऐसे में मल्टीफंक्शनल रूम बनाना पड़ता है, जो दिन में कुछ काम करने और रात में इसका उपयोग सोने के लिए किया जा सकें. घरों के इंटीरियर को आकर्षक बनाने के कुछ टिप्स निम्न है,

घर के कलर व्यक्ति सही चुन नहीं पातें है, क्योंकि उन्हें इसका ज्ञान नहीं होता. दर्शिनी कहती है कि पूरे घर की एक थीम के अनुसार रंगों का चयन करना चाहिए. हर दो तीन साल बाद घर के स्ट्रक्चर को बदलने के शौकीन लोग न्यूट्रल रंग रखें, ताकि जल्दी से उसे बदला जा सकें, सोफे, कुशन कवर, पर्दे आदि के पसंद न आने पर तुरंत बदल सकते है. रंग व्यक्ति की पसंद के अनुसार चुने, ट्रेंड या किसी दोस्त के घर के अनुसार कलर कभी न करें,

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घर को बड़ा दिखाने के लिए लाइट कलर का प्रयोग करें, मुंबई जैसे शहर में लाइट ऑफ व्हाईट, ब्लू, ग्रीन आदि नेचर से सम्बंधित रंगों का चयन करें, क्योंकि डार्क कलर से अधिक गर्मी का एहसास होता है,
शेड कार्ड को देखकर दिवार के रंग न चुने, उस रंग से दिवार के छोटे हिस्से पर पैच बनाएं और उसे दिन की रौशनी या रात में देखें,

दिल्ली में लोगों के घर बड़े होते है और उनका टेस्ट अलग होता है, वहां गर्मी में गर्मी और सर्दी में अधिक ठंडी होती है, ऐसे में रंग ऐसा होना चाहिए, जो दोनों मौसम में सही लगे,

अगर आपके घर में 4 दिवार है तो एक को डार्क करें और बाकी सभी रंग न्यूट्रल रखें, इससे गर्मी में तकलीफ नहीं होगी और सर्दी में थोड़ी गर्मी महसूस होगी,

ठण्ड में अच्छे वुलेन कारपेट और गर्मी में लाइट कलर की दरी बिछाने से भी गर्मी कम लगती है, इसके अलावा दरी को आप कभी भी धो सकते है,

सही इंटीरियर डिजाईन के लिए कागज पर बनाये गए प्लान को पहले घरों में फ्लोर पर मार्क करें, फिर काम शुरू करें.

लाइटिंग को दे महत्व

लाइट का सही प्रयोग बहुत आवश्यक है. इसमें पहले नेचुरल लाइट को देखना पड़ता है, जिसमें खिडकियों को खुला रखने की कोशिश करनी पड़ती है, जितना संभव हो, सामानों को नेचुरल लाइट के पास रखें, शाम को जनरल या मूड लाइटिंग कर सकते है और इसका प्रयोग पार्टी या किसी खास अवसर पर किया जा सकता है. इसके अलावा मेरा सभी से कहना है कि कोविड में मास्क अवश्य पहने, वैक्सीन लगायें और घर पर रहने की कोशिश करें. हम सभी ने अपनी गलती से एक साल गवांया है. कोविड पर लगाम लगाना बहुत जरुरी है. मेडिकल की समस्या जो सालों से देश में है, उस क्षेत्र में अधिक से अधिक काम करने की जरुरत है.

घर के इंटीरियर में जरूर शामिल करें ये 5 चीजें

पूरा साल व्यस्त रहने के कारण हम चाह कर भी घर के इंटीरियर के साथ छेड़छाड़ नहीं कर पाते और उसे देखदेख कर ऊब जाते हैं. अगर आप भी उन्हीं में शामिल हैं तो इस दीवाली अपने घर के इंटीरियर में इन 5 चीजों को शामिल कर घर को दें नया व शानदार लुक:

1. ऐंट्रैंस डोर से पाएं फैस्टिव साउंड

दीवाली के खुशनुमा माहौल में ऐंट्रैंस डोर की सजावट भी फीकी नहीं रहनी चाहिए, क्योंकि यह न सिर्फ घर में अपनों को प्रवेश देता है, बल्कि उन्हें बांधे भी रखता है. ऐसे में जरूरी है कि डोर की खास सजावट हो. आप इसे पेंट द्वारा नया बना सकते हैं, साथ ही तोरण व बंदनवार से भी सजाएं, क्योंकि इन के बिना त्योहार की सजावट अधूरी ही लगती है.

आप चाहें तो फूलों से सजा तोरण डोर पर लगा सकती हैं या फिर घंटी, रिबन, मिरर वर्क से बनी बंदनवार सभी डोर के आकर्षण को बढ़ाने का काम करेंगे. खासकर डोर पर लगी डैकोरेटिव रिंगिंग बैल्स से निकलने वाली आवाजें जब कानों में गूंजेंगी तो मन खुशी से झूम उठेगा.

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2. थोड़ा रीअरेंज थोड़ा रीलुक

एकजैसा लुक, एकजैसा स्टाइल किसी को भी बारबार देखना पसंद नहीं होता है. खासकर तब जब बात हो त्योहारों की. इस समय तो मन कुछ हट कर करने व सोचने को करता है. यहां सबकुछ बदलने की जरूरत नहीं वरन थोड़े रिअरेंज और थोड़े रीलुक से अपने लिविंगरूम को मनचाहा लुक दे सकती हैं.

इस के लिए आप सब से पहले अपने लिविंग रूम की स्पेस चैक करें. अगर रूम काफी स्पेशियस है तो आप साइड कौर्नर्स लगा कर उन की खूबसूरती को उभार सकती हैं. इस के अलावा कोई सुंदर सा इंडोर प्लांट भी घर की खूबसूरती को बढ़ाने का काम करेगा. हां, अगर रूम में स्पेस कम है, तो आप अपने सोफे की सैटिंग में थोड़ा फेरबदल कर के रूम को स्पेशियस बनाएं. सोफे के साथ बड़ी टेबल की जगह छोटी कौफी टेबल रखें, जो अलग दिखने के साथसाथ जगह भी कम घेरेगी.

रूम में चेंज लाने के लिए दीवारों पर पेंट करवाने की जगह वौलपेपर भी ट्राई कर सकती हैं, यकीन मानिए यह दीवारों के साथसाथ घर में भी नई जान डालेगा और देखने वाले भी देखते रह जाएंगे.

3. लेटैस्ट कुशन कवर्स

हर दीवाली पर सोफा चेंज करना संभव नहीं होता, मगर उस के लुक को बदलना हमारे हाथ में होता है, जो न सिर्फ सोफे को नया लुक देता है, बल्कि रूम में भी नया बदलाव लाता है. मार्केट में ढेरों लेटैस्ट डिजाइनों के कवर्स उपलब्ध हैं, जिन में प्रमुख हैं- प्रिंटेड, ऐंब्रौयडर्ड, थीम बेस्ड, स्टोन वर्क, गोटा पट्टी वर्क, मल्टी कलर्ड कुशन कवर्स, टैक्स्ट वर्क, ब्लौक प्रिंट कुशन कवर, टील कवर, सिल्क कवर, वैलवेट कुशन कवर, हैंडमेड कुशन कवर्स आदि.

4. परदों से निखारें इंटीरियर

घर में परदों के बिना खिड़कीदरवाजों की रौनक फीकी सी लगती है. ऐसे में अगर आप इस दीवाली घर को पेंट करवाने के मूड में नहीं हैं तो सिर्फ परदे बदल कर घर को दें नया लुक. इस के लिए कौटन के परदों से थोड़ा हट कर सोचें, क्योंकि अब उन की जगह नैट, टिशू, लिनेन, क्रश व सिल्क के परदों ने ले ली है. तो फिर इस फैस्टिव सीजन आप नैट के परदों के बीच सिल्क या टिशू के परदों के स्टाइल को भी कैरी कर सकती हैं.

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5. बालकनी की सजावट भी हो खास

बालकनी की सजावट के लिए शुरुआत करें गमलों को सजाने से फिर घर के मुख्यद्वार व बालकनी में रंगोली बनाएं. यह न सिर्फ आप के हुनर का प्रदर्शन करेगी, बल्कि घरको भी खूबसूरत बनाएगी. बालकनी में लाइटिंग की भी खास व्यवस्था रखें. इस बात का खास ध्यान रखें कि लडि़यां ब्रैंडेड हों ताकि उन के खराब होने पर आप की मेहनत पर पानी न फिरे. छोटेछोटे दीयों व हैंगिंग झूमर से भी बालकनी को डैकोरेट कर सकती हैं.

एक्सटीरियर पेंटिंग से बदलें घर का लुक

आज घर सिर्फ रहने की जगह नहीं, बल्कि स्टेटस सिंबल और ड्रीम बन चुका है. हरकोई चाहता है कि उस का घर उस के ड्रीम होम की तरह आकर्षक और अनूठा हो. इसी सोच ने घर के रंगरोगन करने के तरीके को पूरी तरह बदल दिया है. अब पहले जैसा नहीं रहा है कि पूरे घर को एक ही रंग में रंग दिया. अंदर और बाहर एक ही रंग का पेंट हो, आजकल ऐसा ट्रैंड चल रहा है कि कमरे की हर दीवार अलग रंग में रंगी होती है. यही नहीं उन पर दूसरे रंगों से कुछ पैटर्न और टैक्स्चर भी डाले जाते हैं. इसी तरह एक्सटीरियर पेंटिंग में जो नया ट्रैंड चल रहा है उस में एकसाथ कई रंगों का इस्तेमाल होता है. इंटीरियर और एक्सटीरियर के पेंट बिलकुल अलग-अलग होते हैं. उन का रंग ही नहीं टैक्स्चर भी अलग-अलग होता है.

इंटीरियर पेंटिंग

अपने घर की दीवारों के अनुसार कलर, टैक्स्चर और पैटर्न चुनें. आप अलगअलग कमरों के लिए अलगअलग थीम चुन सकती हैं. एक कमरे के लिए आप सिंगल कलर थीम चुन सकती हैं. इस में आप एक सिंगल कलर के विभिन्न शेड्स का इस्तेमाल कमरे को एक अनूठा लुक देने के लिए करें. दूसरे कमरे के लिए मिक्स्ड कलर थीम चुनें. अलगअलग दीवारों और छत के लिए अलगअलग रंग चुनें. लिविंगरूम में कुछ लेटैस्ट टैक्स्चर वाला ट्रैंड चुनें.

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इंटीरियर के नए ट्रैंड्स

आजकल इंटीरियर में थीम के ऊपर रंगों का चुनाव किया जाता है. अगर आप कंटैंपरेरी मौडर्न थीम चुनती हैं तो इन रंगों का ट्रैंड चल रहा है- सफेद, पिश्ता ग्रीन, लाइट ग्रे, सौफ्ट क्ले, लाइट ब्लू, मस्टर्ड, मिस्ट (पेस्टल ब्लू और ग्रीन का मिक्स), मशरूम कलर, लाइट ग्रे, ग्रीन इत्यादि. वैसे बोल्ड रंग भी काफी चलन में हैं. अगर आप अपने घर या औफिस को थोड़ा जीवंत लुक देना चाहती हैं, तो बोल्ड रंगों का चयन करने से हिचकिचाएं नहीं. बोल्ड रंग कमरों को डैप्थ और टैक्स्चर देते हैं. वैसे आजकल इंटीरियर पेंटिंग में ब्लैक, ब्राउन और बेज रंग भी ट्रैंड में हैं.

अगर आप बोहो थीम चुनती हैं, तो इस में काफी वाइब्रैंट रंगों को चुन सकती हैं. आजकल रस्टिक, मैटेलिक, सैंडी टैक्स्चर वाले पेंट भी उपलब्ध हैं. आप जो भी पेंट कराएं, उस की फिनिशिंग अच्छी होनी चाहिए. आजकल ग्लौस, साटिन, मैट टैक्स्चर चल रहे हैं. अगर आप ऐसी जगह रहती हैं जहां ट्रैफिक अधिक हो तो ग्लौस और साटन टैक्स्चर चुनें. ये न केवल छूने में अच्छे लगते हैं, बल्कि साफ भी जल्दी हो जाते हैं.

इन बातों का भी रखें ध्यान

– पेंट कराने से पहले जरूरी है दीवारों को पेंट के लिए तैयार करना.

– सब से पहले चैक करें कि दीवारों में कहीं नमी, फफूंद और दरारें तो नहीं हैं, अगर हैं तो पहले उन्हें ठीक कराएं.

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– अगर दीवारों पर नयानया प्लास्टर कराया है तो उसे कम से कम 6 महीनों तक सूखने दें.

– जो दीवारें सूखी होती हैं, जिन पर धूल, गंदगी और ग्रीस नहीं होती उन पर पेंट अच्छा होता है.

– पुराने पेंट को अच्छी तरह हटाने के बाद ही नया पेंट कराएं.

– इंटीरियर पेंट ऐसा होना चाहिए जिस में दाग न लगे और जो आसानी से साफ हो जाए.

– कोई भी पेंट करने से पहले दीवारों पर प्राइमर जरूर कराएं.

एक्सटीरियर पेंटिंग

आप का घर आप का सब से बड़ा निवेश है. कुछ वर्षों में नया रंगरोगन जरूर कराना चाहिए. इस से न केवल वह दिखने में अच्छा लगेगा, बल्कि सुरक्षित भी रहेगा. अपने घर को फ्रैश स्टाइल और रिलुक देने के लिए ऐक्सटीरियर पेंट का चुनाव सोचसमझ कर करें. इंटीरियर पेंट की तुलना में ऐक्सटीरियर पेंट को मौसम की मार अधिक झेलनी पड़ती है. धूप, बारिश, हवा आदि से मुकाबला करने के लिए ऐक्सटीरियर पेंट को थोड़ी रफ फिनिश देनी चाहिए. पेंट ऐसा होना चाहिए जिस का रंग आसानी से फेड न हो और जिस पर फफूंद न आए.

एक्सटीरियर के नए ट्रैंड्स

एक्सटीरियर पेंटिंग में भी केवल एक रंग का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. कंट्रास्ट और मैचिंग रंगों का प्रयोग किया जा रहा है. मैचिंग रंगों में डार्क और लाइट शेड्स इस्तेमाल किए जाते हैं. इस के अलावा कई पैटर्न और टैक्स्चर भी डाले जाते हैं ताकि घर बाहर से देखने में आकर्षक लगे. पहले ऐक्सटीरियर पेंटिंग में अकसर क्रीम, व्हाइट और दूसरे लाइट रंगों का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन आजकल ब्राइट रंगों का चलन बढ़ गया है. क्रीम, औफ व्हाइट, सीग्रीन, मिस्टीरियस ग्रे, ब्रिक रैड, सैंडी, नेवी ब्लू, पर्पल आदि शेड चलन में हैं. एक्सटीरियर पेंटिंग में एक ग्रिट का चलन भी बढ़ा है. इस में पेंट में थोड़ा सा महीन रेत मिला दिया जाता है. इस से ऐक्सट्रा टैक्स्चर आ जाता है. कई कंपनियां ऐसे प्रोडक्ट भी बना रही हैं, जिन में ग्रिट पहले से मिला होता है.

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ये भी रखें ध्यान

– पेंट गीली और खुरदुरी सतह पर अच्छी तरह नहीं चिपकता है. घर को बाहर से धोने के लिए प्रैशर वाश का इस्तेमाल करें, क्योंकि तेज प्रैशर से धोने से धूल और गंदगी निकल जाती है.

– पेंट कराने से पहले घर की दीवारों को अच्छी तरह साफ करना इसलिए जरूरी है कि पानी और फफूंद का असर जब तक दीवारों पर रहेगा तब तक नया पेंट अच्छी तरह नहीं हो पाएगा.

– पुराने पेंट को अच्छी तरह घिस कर निकलवाएं.

– दीवारों पर जो भी डेमैज हुआ है उसे ठीक करा लें.

-रेशम सेठी, ग्रे इंक स्टूडियो

वालपेपर इंटीरियर से सजाएं घर

जब बात इंटीरियर की आती है, तो आप अपने घर को मौडर्न लुक में देखना पसंद करती हैं. मौडर्न लुक देने के लिए आप घर में कलर करवाने के बजाय वालपेपर लगवाएं तो घर की दीवारें इतनी खूबसूरत लगेंगी कि देखने वाला तारीफ किए बिना न रह सकेगा. आजकल वालपेपर काफी चलन में है और इस की काफी डिमांड है. मार्केट में वालपेपर की ढेरों वैराइटी और रेंज आप को मिल जाएगी.

आइए, जानें वालपेपर के इस्तेमाल के आधुनिक तरीकों को-

थीम के अकौर्डिंग

आजकल वालपेपर थीम के अकौर्डिंग इस्तेमाल हो रहा है. लोग हर कमरे को उस की उपयोगिता और उस में रहने वाले की पसंद के हिसाब से डिजाइन कर रहे हैं. ऐसे में दीवार कैसी हो, इस बात का पूरा खयाल रखना पड़ता है. यदि आप चाहती हैं कि आप के हर रूम में ग्रीनरी का एहसास हो या आप को ऐनिमल बहुत पसंद हैं, तो आप नेचर या ऐनिमल प्रिंटेड वालपेपर अपने घर में लगवा सकती हैं. साथ ही, यदि आप घर के कुछ हिस्सों को हाईलाइट करना चाहती हैं, तो सिर्फ उतनी ही जगह में वालपेपर लगवा सकती हैं. इस से वह कौर्नर या रूम डिफरैंट लगेगा. नए तरीके के वालपेपर को हाईलाइटर्स की तरह ही इस्तेमाल किया जा रहा है.

 

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रूम के अकौर्डिंग

कुछ समय पहले तक दीवारें तसवीरों से ही सजाई जाती थीं, लेकिन अब उन की जगह वालपेपर ने ले ली है. बच्चों के रूम के लिए टौम ऐंड जैरी, हैरी पौटर, बाइक्स और ऐनिमल प्रिंट का इस्तेमाल किया जाता है. इस से रूम खूबसूरत तो लगता ही है, बच्चों की क्रिएटिविटी भी बढ़ती है. युवाओं के कमरों के लिए फ्लोरल, टैक्सचर, स्टिकर्स, स्कैच, ट्राइएंगल और ऐब्सट्रैक्ट के साथ ही पिक्चर डिजाइन का वालपेपर सिलैक्ट कर सकती हैं. लड़कियां शिमर, फ्लोरल, रोज और ऐब्सट्रैक्ट वालपेपर ही पसंद करती हैं. कपल्स के लिए थीम बेस्ड, थ्री साइज वालपेपर के साथ डार्क शेड मिक्स ऐंड मैच किया जा सकता है. वालपेपर में आप मिक्स ऐंड मैच का फंडा अपना सकती हैं. इस के लिए घर के फर्नीचर या परदों से मैच करते वालपेपर लगा सकती हैं. हां, यदि आप किसी और वालपेपर से बोर हो गई हैं, तो उस पर री पेंट भी करा सकती हैं. पेंट और वालपेपर को मिक्स ऐंड मैच कर के भी लगवा सकती हैं.

पार्टी या फंक्शन में

यदि आप के घर में कोई शादी या पार्टी  है तो आप गोल्डन या सिल्वर कलर का वालपेपर लगवा सकती हैं. इस से आप के घर का पूरा लुक पार्टीनुमा हो जाएगा. इसी तरह ब्राइड के रूम में भी रैड या पिंक कलर के वालपेपर में ग्लिटर व स्पार्कल का इस्तेमाल बैस्ट औप्शन रहेगा.

कुछ जरूरी बातें

 

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वालपेपर लगवाते समय यदि आप को लगता है कि आप उसे मैंटेन नहीं कर पाएंगी तो वाटरप्रूफ वालपेपर लगवाएं. इस की मैंटेनैंस पर खर्च भी बहुत कम आता है, क्योंकि यह वाशेबल होते हैं. अच्छी क्वालिटी का वालपेपर ही लगवाएं, क्योंकि यह 10 साल तक भी खराब नहीं होता.  घर में सीलन होने पर आप सोचेंगी कि वालपेपर लगाना मुश्किल होगा, लेकिन अब यह भी आसान हो गया है. इस में सब से पहले वाल को वाटरप्रूफ किया जाता है, फिर वालपेपर लगाया जाता हैं. अगर दीवार में बहुत नमी है, तो इंटीरियर डिजाइनर वहां पर वाटरपू्रफ प्लाईर् लगाने का सुझाव देते हैं. फिर उस प्लाई पर वालपेपर लगाया जाता है. बाजार में वालपेपर की रेडीमेड थीम्स भी मौजूद हैं. डैकोरेटिव पैटर्न, फैब्रिक बैक्ड विनाइल और नौन वुवन वालपेपर, जो नैचुरल फैब्रिक से तैयार होता है, मिल जाएगा.

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इंटीरियर का हैल्थ कनैक्शन

दफ्तर की दिनभर की थकावट के बाद हर कोई घर लौट कर राहत की सांस लेना चाहता है. मगर मल्टीनैशनल कंपनी में काम करने वाली स्मिता जब अपने घर लौटती है तो बिखरा घर, अव्यस्थित फर्नीचर, कम रोशनी और दीवारों पर पुते गहरे रंग उसे अवसाद में खींच ले जाते हैं. कुछ ऐसा ही मोहिता के साथ होता है जब उस की नजरें अपने बैडरूम की दीवार से सटे भारीभरकम फर्नीचर पर पड़ती हैं.

स्मिता और मोहिता की तरह कई महिलाएं हैं, जिन्हें अपने घर पर सुकून न मिलने पर वे शारीरिक और मानसिक तौर पर अस्वस्थ हो जाती हैं. न्यूरो विशेषज्ञों की मानें तो घर की संरचना और सजावट का मनुष्य की शारीरिक और मानसिक सेहत पर गहरा असर पड़ता है. यदि घर का इंटीरियर सही न हो तो तनाव, बेचैनी और अवसाद की स्थिति बनी रहती है.

1. हर रंग की है अलग परिभाषा

इस कड़ी में दीवारों पर किए गए रंग बड़ी भूमिका निभाते हैं. आर्किटैक्ट नीता सिन्हा इस बाबत कहती हैं, ‘‘जिस तरह मनुष्य का चेहरा उस के व्यक्तित्व की पहचान होता है उसी तरह घर की दीवारों पर किया गया रंग घर की खूबसूरती की पहली झलक होता है.’’

रंगों की अपनी एक अलग खूबी होती है. वे व्यक्ति के मन के भावों को प्रतिबिंबित करते हैं. इस में अपनी सहमति जताते हुए इंटीरियर डिजाइनर नताशा कहती हैं, ‘‘रंगों का प्रतिबिंब व्यक्ति को तनावमुक्त भी कर सकता है और अवसाद भी दे सकता है. इसलिए इन का चुनाव सावधानी से होना चाहिए.’’

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कौन सा रंग किस भाव को परिभाषित करता है, यह बताते हुए नताशा कहती हैं, ‘‘गहरे रंग जैसे लाल, नीला, गहरा, हरा गरमाहट महसूस कराते हैं. मगर सेहत के लिहाज से किसी खास कमरे जैसे बैडरूम में इन का चुनाव ठीक नहीं होता.’’

एक अध्ययन के मुताबिक लाल रंग जहां ब्लड प्रैशर और हार्टबीट बढ़ा देता है, वहीं गहरा हरा रंग तनाव बढ़ाता है. गहरा पीला रंग भी व्यक्ति को चिड़चिड़ा बनाता है. यह रंग बच्चों को भी मानसिक तनाव देता है, उन्हें चिड़चिड़ा बना देता है.

मगर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि लोग इन रंगों का भी शौक से चुनाव करते हैं. हर व्यक्ति की पसंदनापसंद अलग होती है. इसलिए जरूरत है कि रंगों के बीच सही तालमेल बैठाया जाए. गहरे रंगों के साथ हलके रंगों को क्लब कर के एक अच्छी थीम भी तैयार की जा सकती है. ट्रैंड के मुताबिक आजकल काला, मैरून और गहरा भूरा रंग चलन में है. इन के साथ गोल्डन और सिल्वर का कौंबिनेशन भी बहुत ही रौयल लुक देता है.

2. लाइट की सही सैटिंग भी जरूरी

रंगों के साथ इंटीरियर का दूसरा प्रमुख हिस्सा होती है रोशनी, जिस में अकसर महिलाएं कंजूसी दिखाती हैं. खासतौर पर होम मिनिस्टर कही जाने वाली गृहिणियां घर पर बिजली का इस्तेमाल करने में इतनी कंजूसी करती हैं कि जैसे सारी सेविंग्स बिजली का बिल कम कर ही की जा सकती है.

नीता सिन्हा कहती हैं, ‘‘अब ऐसे अपार्टमैंट्स बनाना बड़ा मुश्किल है, जिन में बड़े रोशनदान और खुली बालकनियां हों, क्योंकि लोग ज्यादा हैं और रहने की जगह कम. ऐसे में घर पर प्राकृतिक रोशनी की कमी होती है, इसलिए पर्याप्त इलैक्ट्रिक लाइट्स का होना आवश्यक है. खासतौर पर लिविंगरूम और रसोई में लाइट्स की सही व्यवस्था होनी बेहद जरूरी है, क्योंकि ये वे स्थान होते हैं जहां गृहिणी और परिवार के अन्य सदस्यों का सब से अधिक समय बीतता है.’’

लाइट इंटीरियर को उभारने का काम करती है और मूड को रिफ्रैश करती है. मगर एलईडी लाइट बचत के लिहाज से आजकल काफी प्रचलित है. लोगों को यह समझाना बहुत मुश्किल है कि एलईडी लाइट की कम रोशनी इंटीरियर और सेहत के लिहाज से सही नहीं है.

मगर घर में अधिक इलैक्ट्रिक लाइट भी नुकसानदायक हो सकती है. स्किन विशेषज्ञों का मानना है कि घर में इस्तेमाल किए जाने वाले बल्ब और ट्यूब लाइट्स से भी यूवी किरणें निकलती हैं, जिन से त्वचा संबंधी रोग होने का खतरा रहता है.

इस बाबत नताशा कहती हैं, ‘‘हम जिस स्थान पर खड़े हों वहां से आसपास की सभी वस्तुएं हमें आसानी से दिखनी चाहिए. फिर चाहे किसी भी तरह की लाइट का इस्तेमाल किया जा रहा हो. बात यदि एलईडी लाइट्स की है, तो इन की सैटिंग्स पर ध्यान देने की जरूरत होती है. इस से इंटीरियर और सेहत दोनों से जुड़ी समस्याओं का हल किया जा सकता है.

‘‘नए ट्रैंड के मुताबिक आजकल ओवर हैड लाइट्स, फ्लोर लैंप्स और सैडो लाइटिंग्स का काफी क्रेज है और इन सभी में एलईडी लाइट्स का ही प्रयोग होता है. इस तरह की लाइट्स जगह विशेष पर फोकस करती हैं और पर्याप्त प्रकाश की जरूरत को भी पूरी करती हैं. जहां एक तरफ इन से इंटीरियर को एक नया स्वरूप दिया जा सकता है, वहीं दूसरी तरफ लाइट्स की सही सैटिंग्स आंखों को भी प्रभावित नहीं करती है.’’

3. फर्नीचर का सही चुनाव और प्रबंधन

सेहत पर अच्छा और बुरा प्रभाव घर में मौजूद फर्नीचर से पड़ता है. खूबसूरत फर्नीचर की मौजूदगी घर के इंटीरियर पर भी असर डालती है. फर्नीचर इंटीरियर को खूबसूरत भी बनाता है और उसे व्यवस्थित रखने में भी मददगार होता है. मगर जब इसे सही स्थान पर नहीं  रखा जाता है तो इस का सेहत पर असर भी पड़ता है. उदाहरण के तौर पर यदि बिस्तर के सिरहाने की तरफ वाली दीवार पर भारीभरकम वुडनवर्क है तो सिर में हमेशा भारीपन बना रहेगा. इसलिए सिरहाने की तरफ वाली दीवार को हमेशा खाली रखना चाहिए.

बैडरूम में भारी वुडनवर्क भी नहीं होना चाहिए, मगर स्टोरेज की सही व्यवस्था जरूर होनी चाहिए. पूरी दीवार को वुडन स्टोरेज में ढकना पुराना फैशन हो चुका है. अब ट्रैंड में ऐसा फर्नीचर है जिस में स्टोरेज की भरपूर जगह होती है.

यदि घर छोटा है तो फर्नीचर के चुनाव पर और अधिक ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि छोटे घरों में अधिक फर्नीचर चलनेफिरने में परेशानी बन जाता है. जरूरी नहीं कि बैडरूम में ड्रैसिंग टेबल ही हो. एक डिजाइनर सिंगल मिरर से भी जरूरत पूरी हो सकती है और यह ज्यादा रोचक भी लगता है. इसी तरह यह भी जरूरी नहीं कि लिविंगरूम में सोफा सैट ही रखा जाए. थ्री सीटर सोफे के साथ 2 हाई बैक चेयर्स भी सिटिंग अरेंजमैंट के लिए काफी होती है.

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महिलाओं के लिहाज से देखा जाए तो उन्हें घर में चल कर बहुत सारे काम करने पड़ते हैं और सेहत के लिए चलना अच्छा भी होता है, इसलिए घर में फर्नीचर की भीड़ करने से अच्छा है कि जरूरत भर का और स्टाइलिश फर्नीचर ही लिया जाए.

इस तरह घर की सजावट पर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो घर आने पर दिन भर की थकावट से राहत मिलती है.

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