Famous Hindi Stories : कलंक – एक गलत फैसले ने बदल दी तीन जिंदगियां

Famous Hindi Stories : उस रात 9 बजे ही ठंड बहुत बढ़ गई थी. संजय, नरेश और आलोक ने गरमाहट पाने के लिए सड़क के किनारे कार रोक कर शराब पी. नशे के चलते सामने आती अकेली लड़की को देख कर उन के भीतर का शैतान जागा तो वे उस लड़की को छेड़ने से खुद को रोक नहीं पाए.

‘‘जानेमन, इतनी रात को अकेली क्यों घूम रही हो? किसी प्यार करने वाले की तलाश है तो हमें आजमा लो,’’ आसपास किसी को न देख कर नरेश ने उस लड़की को ऊंची आवाज में छेड़ा.

‘‘शटअप एंड गो टू हैल, यू बास्टर्ड,’’ उस लड़की ने बिना देर किए अपनी नाराजगी जाहिर की.

‘‘तुम साथ चलो तो ‘हैल’ में भी मौजमस्ती रहेगी, स्वीटहार्ट.’’

‘‘तेरे साथ जाने को पुलिस को बुलाऊं?’’ लड़की ने अपना मोबाइल फोन उन्हें दिखा कर सवाल पूछा.

‘‘पुलिस को बीच में क्यों ला रही हो मेरी जान?’’

‘‘पुलिस नहीं चाहिए तो अपनी मां या बहनों…’’

वह लड़की चीख पाती उस से पहले ही संजय ने उस का मुंह दबोच लिया और झटके से उस लड़की को गोद में उठा कर कार की तरफ बढ़ते हुए अपने दोस्तों को गुस्से से निर्देश दिए, ‘‘इस ‘बिच’ को अब सबक सिखा कर ही छोड़ेंगे. कार स्टार्ट करो. मैं इस की बोटीबोटी कर दूंगा अगर इस ने अपने मुंह से ‘चूं’ भी की.’’

आलोक कूद कर ड्राइवर की सीट पर बैठा और नरेश ने लड़की को काबू में रखने के लिए संजय की मदद की. कार झटके से चल पड़ी.

उस चौड़ी सड़क पर कार सरपट भाग रही थी. संजय ने उस लड़की का मुंह दबा रखा था और नरेश उसे हाथपैर नहीं हिलाने दे रहा था.

‘‘अगर अब जरा भी हिली या चिल्लाई तो तेरा गला दबा दूंगा.’’

संजय की आंखों में उभरी हिंसा को पढ़ कर वह लड़की इतना ज्यादा डरी कि उस का पूरा शरीर बेजान हो गया.

‘‘अब कोई किसी का नाम नहीं लेगा और इस की आंखें भी बंद कर दो,’’ आलोक ने उन दोनों को हिदायत दी और कार को तेज गति से शहर की बाहरी सीमा की तरफ दौड़ाता रहा.

एक उजाड़ पड़े ढाबे के पीछे ले जा कर आलोक ने कार रोकी. उन की धमकियों से डरी लड़की के साथ मारपीट कर के उन तीनों ने बारीबारी से उस लड़की के साथ बलात्कार किया.

लड़की किसी भी तरह का विरोध करने की स्थिति में नहीं थी. बस, हादसे के दौरान उस की बड़ीबड़ी आंखों से आंसू बहते रहे थे.

लौटते हुए संजय ने लड़की को धमकाते हुए कहा, ‘‘अगर पुलिस में रिपोर्ट करने गई, तो हम तुझे फिर ढूंढ़ लेंगे, स्वीटहार्ट. अगर हमारी फिर मुलाकात हुई तो तेजाब की शीशी होगी हमारे हाथ में तेरा यह सुंदर चेहरा बिगाड़ने के लिए.’’

तीनों ने जहां उस लड़की को सड़क पर उतारा. वहीं पास की दीवार के पास 4 दोस्त लघुशंका करने को रुके थे. अंधेरा होने के कारण उन तीनों को वे चारों दिखाई नहीं दिए थे.

उन में से एक की ऊंची आवाज ने इन तीनों को बुरी तरह चौंका दिया, ‘‘हे… कौन हो तुम लोग? इस लड़की को यहां फेंक कर क्यों भाग रहे हो?’’

‘‘रुको जर…सोनू, तू कार का नंबर नोट कर, मुझे सारा मामला गड़बड़ लग रहा है,’’ एक दूसरे आदमी की आवाज उन तक पहुंची तो वे फटाफट कार में वापस घुसे और आलोक ने झटके से कार सड़क पर दौड़ा दी.

‘‘संजय, तुझे तो मैं जिंदा नहीं छोड़ूंगी,’’ उस लड़की की क्रोध से भरी यह चेतावनी उन तीनों के मन में डर और चिंता की तेज लहर उठा गई.

‘‘उसे मेरा नाम कैसे पता लगा?’’ संजय ने डर से कांपती आवाज में सवाल पूछा.

‘‘शायद हम दोनों में से किसी के मुंह से अनजाने में निकल गया होगा,’’ नरेश ने चिंतित लहजे में जवाब दिया.

‘‘आज मारे गए हमसब. मैं ने उन आदमियों में से एक को अपनी हथेली पर कार का नंबर लिखते हुए देखा है. उस लड़की को ‘संजय’ नाम पता है. पुलिस को हमें ढूंढ़ने में दिक्कत नहीं आएगी,’’ आलोक की इस बात को सुन कर उन दोनों का चेहरा पीला पड़ चुका था.

नरेश ने अचानक सहनशक्ति खो कर संजय से चिढ़े लहजे में पूछा, ‘‘बेवकूफ इनसान, क्या जरूरत थी तुझे उस लड़की को उठा कर कार में डालने की?’’

‘‘यार, उस ने हमारी मांबहन…तो मैं ने अपना आपा खो दिया,’’ संजय ने दबे स्वर में जवाब दिया.

‘‘तो उसे उलटी हजार गालियां दे लेता…दोचार थप्पड़ मार लेता. तू उसे उठा कर कार में न डालता, तो हमारी इस गंभीर मुसीबत की जड़ तो न उगती.’’

‘‘अरे, अब आपस में लड़ने के बजाय यह सोचो कि अपनी जान बचाने को हमें क्या करना चाहिए,’’ आलोक की इस सलाह को सुन कर उन दोनों ने अपनेअपने दिमाग को इस गंभीर मुसीबत का समाधान ढूंढ़ने में लगा दिया.

पुलिस उन तक पहुंचे, इस से पहले ही उन्हें अपने बचाव के लिए कदम उठाने होंगे, इस महत्त्वपूर्ण पहलू को समझ कर उन तीनों ने आपस में कार में बैठ कर सलाहमशविरा किया.

अपनी जान बचाने के लिए वे तीनों सब से पहले आलोक के चाचा रामनाथ के पास पहुंचे. वे 2 फैक्टरियों के मालिक थे और राजनीतिबाजों से उन की काफी जानपहचान थी.

रामनाथ ने अकेले में उन तीनों से पूरी घटना की जानकारी ली. आलोक को ही अधिकतर उन के सवालों के जवाब देने पड़े. शर्मिंदा तो वे तीनों ही नजर आ रहे थे, पर सब बताते हुए आलोक ने खुद को मारे शर्म और बेइज्जती के एहसास से जमीन में गड़ता हुआ महसूस किया.

‘‘अंकल, हम मानते हैं कि हम से गलती हुई है पर ऐसा गलत काम हम जिंदगी में फिर कभी नहीं करेंगे. बस, इस बार हमारी जान बचा लीजिए.’’

‘‘दिल तो ऐसा कर रहा है कि तुम सब को जूते मारते हुए मैं खुद पुलिस स्टेशन ले जाऊं, लेकिन मजबूर हूं. अपने बड़े भैया को मैं ने वचन दिया था कि उन के परिवार का पूरा खयाल रखूंगा. तुम तीनों के लिए किसी से कुछ सहायता मांगते हुए मुझे बहुत शर्म आएगी,’’ संजय को आग्नेय दृष्टि से घूरने के बाद रामनाथ ने मोबाइल पर अपने एक वकील दोस्त राकेश मिश्रा का नंबर मिलाया.

राकेश मिश्रा को बुखार ने जकड़ा हुआ था. सारी बात उन को संक्षेप में बता कर रामनाथ ने उन से अगले कदम के बारे में सलाह मांगी.

‘‘जिस इलाके से उस लड़की को तुम्हारे भतीजे और उस के दोनों दोस्तों ने उठाया था, वहां के एसएचओ से जानपहचान निकालनी होगी. रामनाथ, मैं तुम्हें 10-15 मिनट बाद फोन करता हूं,’’ बारबार खांसी होने के कारण वकील साहब को बोलने में कठिनाई हो रही थी.

‘‘इन तीनों को अब क्या करना चाहिए?’’

‘‘इन्हें घर मत भेजो. ये एक बार पुलिस के हाथ में आ गए तो मामला टेढ़ा हो जाएगा.’’

‘‘इन्हें मैं अपने फार्म हाउस में भेज देता हूं.’’

‘‘उस कार में इन्हें मत भेजना जिसे इन्होंने रेप के लिए इस्तेमाल किया था बल्कि कार को कहीं छिपा दो.’’

‘‘थैंक्यू, माई फ्रैंड.’’

‘‘मुझे थैंक्यू मत बोलो, रामनाथ. उस थाना अध्यक्ष को अपने पक्ष में करना बहुत जरूरी है. तुम्हें रुपयों का इंतजाम रखना होगा.’’

‘‘कितने रुपयों का?’’

‘‘मामला लाखों में ही निबटेगा मेरे दोस्त.’’

‘‘जो जरूरी है वह खर्चा तो अब करेंगे ही. इन तीनों की जलील हरकत का दंड तो भुगतना ही पड़ेगा. तुम मुझे जल्दी से दोबारा फोन करो,’’ रामनाथ ने फोन काटा और परेशान अंदाज में अपनी कनपटियां मसलने लगे थे.

उन की खामोशी से इन तीनों की घबराहट व चिंता और भी ज्यादा बढ़ गई. संजय के पिता की माली हालत अच्छी नहीं थी. इसलिए रुपए खर्च करने की बात सुन कर उस के माथे पर पसीना झलक उठा था.

‘‘फोन कर के तुम दोनों अपनेअपने पिता को यहीं बुला लो. सब मिल कर ही अब इस मामले को निबटाने की कोशिश करेंगे,’’ रामनाथ की इस सलाह पर अमल करने में सब से ज्यादा परेशानी नरेश ने महसूस की थी.

नरेश का रिश्ता कुछ सप्ताह पहले ही तय हुआ था. अगले महीने उस की शादी होने की तारीख भी तय हो चुकी थी. वह रेप के मामले में फंस सकता है, यह जानकारी वह अपने मातापिता व छोटी बहन तक बिलकुल भी नहीं पहुंचने देना चाहता था. उन तीनों की नजरों में गिर कर उन की खुशियां नष्ट करने की कल्पना ही उस के मन को कंपा रही थी. मन के किसी कोने में रिश्ता टूट जाने का भय भी अपनी जड़ें जमाने लगा था.

नरेश अपने पिता को सूचित न करे, यह बात रामनाथ ने स्वीकार नहीं की. मजबूरन उसे अपने पिता को फौरन वहां पहुंचने के लिए फोन करना पड़ा. ऐसा करते हुए उसे संजय अपना सब से बड़ा दुश्मन प्रतीत हो रहा था.

करीब घंटे भर बाद वकील राकेश का फोन आया.

‘‘रामनाथ, उस इलाके के थानाप्रभारी का नाम सतीश है. मैं ने थानेदार को सब समझा दिया है. वह हमारी मदद करेगा पर इस काम के लिए 10 लाख मांग रहा है.’’

‘‘क्या उस लड़की ने रिपोर्ट लिखवा दी है?’’ रामनाथ ने चिंतित स्वर में सवाल पूछा.

‘‘अभी तो रिपोर्ट करने थाने में कोई नहीं आया है. वैसे भी रिपोर्ट लिखाने की नौबत न आए, इसी में हमारा फायदा है. थानेदार सतीश तुम से फोन पर बात करेगा. लड़की का मुंह फौरन रुपयों से बंद करना पड़ेगा. तुम 4-5 लाख कैश का इंतजाम तो तुरंत कर लो.’’

‘‘ठीक है. मैं रुपयों का इंतजाम कर के रखता हूं.’’

संजय के लिए 2 लाख की रकम जुटा पाना नामुमकिन सा ही था. उस के पिता साधारण सी नौकरी कर रहे थे. वह तो अपने दोस्तों की दौलत के बल पर ही ऐश करता आया था. जहां कभी मारपीट करने या किसी को डरानेधमकाने की नौबत आती, वह सब से आगे हो जाता. उस के इसी गुण के कारण उस की मित्रमंडली उसे अपने साथ रखती थी.

वह इस वक्त मामूली रकम भी नहीं जुटा पाएगा, इस सच ने आलोक, नरेश और रामनाथ से उसे बड़ी कड़वी बातें सुनवा दीं.

कुछ देर तो संजय उन की चुभने वाली बातें खामोशी से सुनता रहा, पर अचानक उस के सब्र का घड़ा फूटा और वह बुरी तरह से भड़क उठा था.

‘‘मेरे पीछे हाथ धो कर मत पड़ो तुम सब. जिंदगी में कभी न कभी मैं तुम लोगों को अपने हिस्से की रकम लौटा दूंगा. वैसे मुझे जेल जाने से डर नहीं लगता. हां, तुम दोनों अपने बारे में जरूर सोच लो कि जेल में सड़ना कैसा लगेगा?’’ यों गुस्सा दिखा कर संजय ने उन्हें अपने पीछे पड़ने से रोक दिया था.

थानेदार ने कुछ देर बाद रामनाथ से फोन पर बात की और पैसे के इंतजाम पर जोर डालते हुए कहा कि जरूरत पड़ी तो रात में आप को बुला लूंगा या सुबह मैं खुद ही आ जाऊंगा.

नरेश के पिता विजय कपूर ने जब रामनाथ की कोठी में कदम रखा तो उन के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं.

रामनाथ ने उन्हें जब उन तीनों की करतूत बताई तो उन की आंखों में आंसू भर आए थे.

अपने बेटे की तरफ देखे बिना विजय कपूर ने भरे गले से रामनाथ से प्रार्थना की, ‘‘सर, आप इस समस्या को सुलझवाइए, प्लीज. अगले महीने मेरे घर में शादी है. उस में कुछ व्यवधान पड़ा तो मेरी पत्नी जीतेजी मर जाएगी.’’

अपने पिता की आंखों में आंसू देख कर नरेश इतना शर्मिंदा हुआ कि वह उन के सामने से उठ कर बाहर बगीचे में निकल आया.

अब संजय व आलोेक के लिए भी उन दोनों के सामने बैठना असह्य हो गया तो वे भी वहां से उठे और बगीचे में नरेश के पास आ गए.

चिंता और घबराहट ने उन तीनों के मन को जकड़ रखा था. आपस में बातें करने का मन नहीं किया तो वे कुरसियों पर बैठ कर सोचविचार की दुनिया में खो गए.

उस अनजान लड़की के रेप करने से जुड़ी यादें उन के जेहन में रहरह कर उभर आतीं. कई तसवीरें उन के मन में उभरतीं और कई बातें ध्यान में आतीं.

इस वक्त तो बलात्कार से जुड़ी उन की हर याद उन्हें पुलिस के शिकंजे में फंस जाने की आशंका की याद दिला रही थी. जेल जाने के डर के साथसाथ अपने घर वालों और समाज की नजरों में सदा के लिए गिर जाने का भय उन तीनों के दिलों को डरा रहा था. डर और चिंता के ऐसे भावों के चलते वे तीनों ही अब अपने किए पर पछता रहे थे.

संजय का व्यक्तित्व इन दोनों से अलग था. इसलिए सब से पहले उस ने ही इस समस्या को अलग ढंग से देखना शुरू किया.

‘‘हो सकता है कि वह लड़की पुलिस के पास जाए ही नहीं,’’ संजय के मुंह से निकले इस वाक्य को सुन कर नरेश और आलोक चौंक कर सीधे बैठ गए.

‘‘वह रिपोर्ट जरूर करेगी…’’ नरेश ने परेशान लहजे में अपनी राय बताई.

‘‘तुम्हारी बात ठीक है, पर बलात्कार होने का ढिंढोरा पीट कर हमेशा के लिए लोगों की सहानुभूति दिखाने या मजाक उड़ाने वाली नजरों का सामना करना किसी भी लड़की के लिए आसान नहीं होगा,’’ आलोक ने अपने मन की बात कही.

‘‘वह रिपोर्ट करना भी चाहे तो भी उस के घर वाले उसे ऐसा करने से रोक सकते हैं. अगर रिपोर्ट लिखाने को तैयार होते तो अब तक उन्हें ऐसा कर देना चाहिए था,’’ संजय ने अपनी राय के पक्ष में एक और बात कही.

‘‘मुझे तो एक अजीब सा डर सता रहा है,’’ नरेश ने सहमी सी आवाज में वार्त्तालाप को नया मोड़ दिया.

‘‘कैसा डर?’’

‘‘अगर उस लड़की ने कहीं आत्महत्या कर ली तो हमें फांसी के फंदे से कोई नहीं बचा सकेगा.’’

‘‘उस लड़की का मर जाना उलटे हमारे हक में होगा. तब रेप हम ने किया है, इस का कोई गवाह नहीं रहेगा,’’ संजय ने क्रूर मुसकान होंठों पर ला कर उन दोनों का हौसला बढ़ाने की कोशिश की.

‘‘लड़की आत्महत्या कर के मर गई तो उस के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट रेप दिखलाएगी. पुलिस की तहकीकात होगी और हम जरूर पकड़े जाएंगे. यह एसएचओ भी तब हमें नहीं बचा पाएगा. इसलिए उस लड़की के आत्महत्या करने की कामना मत करो बेवकूफो,’’ आलोक ने उन दोनों को डपट दिया.

‘‘मुझे लगता है एसएचओ को इतनी जल्दी बीच में ला कर हम ने भयंकर भूल की है, वह अब हमारा पिंड नहीं छोड़ेगा. लड़की ने रिपोर्ट न भी की तो भी वह रुपए जरूर खाएगा,’’ संजय ने अपनी खीज जाहिर की.

‘‘तू इस बात की फिक्र क्यों कर रहा है? रेप करने में सब से आगे था और अब रुपए निकालने में तू सब से पीछे है.’’

आलोक के इस कथन ने संजय के तनबदन में आग सी लगा दी. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘अपना हिस्सा मैं दूंगा. मुझे चाहे लूटपाट करनी पड़े या चोरी, पर तुम लोगों को मेरा हिस्सा मिल जाएगा.’’

संजय ने उसी समय मन ही मन जल्द से जल्द अमीर बनने का निर्णय लिया. उस का एक चचेरा भाई लूटपाट और चोरी करने वाले गिरोह का सदस्य था. उस ने उस के गिरोह में शामिल होने का पक्का मन उसी पल बना लिया. उस ने अभावों व जिल्लत की जिंदगी और न जीने की सौगंध खा ली.

नरेश उस वक्त का सामना करने से डर रहा था जब वह अपनी मां व जवान बहन के सामने होगा. एक बलात्कारी होने का ठप्पा माथे पर लगा कर इन दोनों के सामने खड़े होने की कल्पना कर के ही उस की रूह कांप रही थी. जब आंतरिक तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया तो अचानक उस की रुलाई फूट पड़ी.

रामनाथ ने अब उन्हें अपने फार्महाउस में भेजने का विचार बदल दिया क्योंकि एसएचओ उन से सवाल करने का इच्छुक था. उन के सोने का इंतजाम उन्होंने मेहमानों के कमरे में किया.

विजय कपूर अपने बेटे नरेश का इंतजार करतेकरते सो गए, पर वह कमरे में नहीं आया. उस की अपने पिता के सवालों का सामना करने की हिम्मत ही नहीं हुई थी.

सारी रात उन तीनों की आंखों से नींद कोसों दूर रही. उस अनजान लड़की से बलात्कार करना ज्यादा मुश्किल साबित नहीं हुआ था, पर अब पकड़े जाने व परिवार व समाज की नजरों में अपमानित होने के डर ने उन तीनों की हालत खराब कर रखी थी.

सुबह 7 बजे के करीब थानेदार सतीश श्रीवास्तव रामनाथ की कोठी पर अपनी कार से अकेला मिलने आया.

उस का सामना इन तीनों ने डरते हुए किया. थाने में बलात्कार की रिपोर्ट लिखवाने वह अनजान लड़की रातभर नहीं आई थी, लेकिन थानेदार फिर भी 50 हजार रुपए रामनाथ से ले गया.

‘‘मैं अपनी वरदी को दांव पर लगा कर आप के भतीजे और उस के दोस्तों की सहायता को तैयार हुआ हूं,’’ थानेदार ने रामनाथ से कहा, ‘‘मेरे रजामंद होने की फीस है यह 50 हजार रुपए. वह लड़की थाने न आई तो इन तीनों की खुशकिस्मती, नहीं तो 10 लाख का इंतजाम रखिएगा,’’ इतना कह कर वह उन को घूरता हुआ बोला, ‘‘और तुम तीनों पर मैं भविष्य में नजर रखूंगा. अपनी जवानी को काबू में रखना सीखो, नहीं तो एक दिन बुरी तरह पछताओगे,’’ कठोर स्वर में ऐसी चेतावनी दे कर थानेदार चला गया था.

वे तीनों 9 बजे के आसपास रामनाथ की कोठी से अपनेअपने घरों को जाने के लिए बाहर आए. उस लड़की का रेप करने के बाद करीब 1 दिन गुजर गया था. उसे रेप करने का मजा उन्हें सोचने पर भी याद नहीं आ रहा था.

इस वक्त उन तीनों के दिमाग में कई तरह के भय घूम रहे थे. कटे बालों वाली लंबे कद की किसी भी लड़की पर नजर पड़ते ही पहचाने जाने का डर उन में उभर आता. खाकी वरदी वाले पर नजर पड़ते ही जेल जाने का भय सताता. अपने घर वालों का सामना करने से वे मन ही मन डर रहे थे. उस वक्त की कल्पना कर के उन की रूह कांप जाती जब समाज की नजरों में वे बलात्कारी बन कर सदा जिल्लत भरी जिंदगी जीने को मजबूर होंगे.

अगर तीनों का बस चलता तो वे वक्त को उलटा घुमा कर उस लड़की को रेप करने की घटना घटने से जरूर रोक देते. सिर्फ 12 घंटे में उन की हालत भय, चिंता, तनाव और समाज में बेइज्जती होने के एहसास से खस्ता हो गई थी. इस तरह की मानसिक यंत्रणा उन्हें जिंदगी भर भोगनी पड़ सकती है, इस एहसास के चलते वे तीनों अपनेआप और एकदूसरे को बारबार कोस रहे थे.

Hindi Kahaniyan : कलंक

Hindi Kahaniyan : अपनी बेटी गंगा की लाश के पास रधिया पत्थर सी बुत बनी बैठी थी. लोग आते, बैठते और चले जाते. कोई दिलासा दे रहा था तो कोई उलाहना दे रहा था कि पहले ही उस के चालचलन पर नजर रखी होती तो यह दिन तो न देखना पड़ता.

लोगों के यहां झाड़ूबरतन करने वाली रधिया चाहती थी कि गंगा पढ़ेलिखे ताकि उसे अपनी मां की तरह नरक सी जिंदगी न जीनी पड़े, इसीलिए पास के सरकारी स्कूल में उस का दाखिला करवाया था, पर एक दिन भी स्कूल न गई गंगा. मजबूरन उसे अपने साथ ही काम पर ले जाती. सारा दिन नशे में चूर रहने वाले शराबी पति गंगू के सहारे कैसे छोड़ देती नन्ही सी जान को?

गंगू सारा दिन नशे में चूर रहता, फिर शाम को रधिया से पैसे छीन कर ठेके पर जाता, वापस आ कर मारपीट करता और नन्ही गंगा के सामने ही रधिया को अपनी वासना का शिकार बनाता.

यही सब देखदेख कर गंगा बड़ी हो रही थी. अब उसे अपनी मां के साथ काम पर जाना अच्छा नहीं लगता था. बस, गलियों में इधरउधर घूमनाफिरना… काजलबिंदी लगा कर मतवाली चाल चलती गंगा को जब लड़के छेड़ते, तो उसे बहुत मजा आता.

रधिया लाख कहती, ‘अब तू बड़ी हो गई है… मेरे साथ काम पर चलेगी तो मुझे भी थोड़ा सहारा हो जाएगा.’

गंगा तुनक कर कहती, ‘मां, मुझे सारी जिंदगी यही सब करना है. थोड़े दिन तो मुझे मजे करने दे.’

‘अरी कलमुंही, मजे के चक्कर में कहीं मुंह काला मत करवा आना.

मुझे तो तेरे रंगढंग ठीक नहीं लगते.

यह क्या… अभी से बनसंवर कर घूमतीफिरती रहती है?

इस पर गंगा बड़े लाड़ से रधिया के गले में बांहें डाल कर कहती, ‘मां, मेरी सब सहेलियां तो ऐसे ही सजधज कर घूमतीफिरती हैं, फिर मैं ने थोड़ी काजलबिंदी लगा ली, तो कौन सा गुनाह कर दिया? तू चिंता न कर मां, मैं ऐसा कुछ न करूंगी.’

पर सच तो यही था कि गंगा भटक रही थी. एक दिन गली के मोड़ पर अचानक पड़ोस में ही रहने वाले

2 बच्चों के बाप नंदू से टकराई, तो उस के तनबदन में सिहरन सी दौड़ गई. इस के बाद तो वह जानबूझ कर उसी रास्ते से गुजरती और नंदू से टकराने की पूरी कोशिश करती.

नंदू भी उस की नजरों के तीर से खुद को न बचा सका और यह भूल बैठा कि उस की पत्नी और बच्चे भी हैं. अब तो दोनों छिपछिप कर मिलते और उन्होंने सारी सीमाएं तोड़ दी थीं.

पर इश्क और मुश्क कब छिपाए छिपते हैं. एक दिन नंदू की पत्नी जमना के कानों तक यह बात पहुंच ही गई, तो उस ने रधिया की खोली के सामने खड़े हो कर गंगा को खूब खरीखोटी सुनाई, ‘अरी गंगा, बाहर निकल. अरी कलमुंही, तू ने मेरी गृहस्थी क्यों उजाड़ी? इतनी ही आग लगी थी, तो चकला खोल कर बैठ जाती. जरा मेरे बच्चों के बारे में तो सोचा होता. नाम गंगा और काम देखो करमजली के…’

3 दिन के बाद गंगा और नंदू बदनामी के डर से कहीं भाग गए. रोतीपीटती जमना रोज गंगा को कोसती और बद्दुआएं देती रहती. तकरीबन

2 महीने तक तो नंदू और गंगा इधरउधर भटकते रहे, फिर एक दिन मंदिर में दोनों ने फेरे ले लिए और नंदू ने जमना से कह दिया कि अब गंगा भी उस की पत्नी है और अगर उसे पति का साथ चाहिए, तो उसे गंगा को अपनी सौतन के रूप में अपनाना ही होगा.

मरती क्या न करती जमना, उसे गंगा को अपनाना ही पड़ा. पर आखिर तो जमना उस के बच्चों की मां थी और उस के साथ उस ने शादी की थी, इसलिए नंदू पर पहला हक तो उसी का था.

शादी के 3 साल बाद भी गंगा मां नहीं बन सकी, क्योंकि नंदू की पहले ही नसबंदी हो चुकी थी. यह बात पता चलते ही गंगा खूब रोई और खूब झगड़ा भी किया, ‘क्यों रे नंदू, जब तू ने पहले ही नसबंदी करवा रखी थी तो मेरी जिंदगी क्यों बरबाद की?’

नंदू के कुछ कहने से पहले ही जमना बोल पड़ी, ‘आग तो तेरे ही तनबदन में लगी थी. अरी, जिसे खुद ही बरबाद होने का शौक हो उसे कौन बचा सकता है?’

उस दिन के बाद गंगा बौखलाई सी रहती. बारबार नंदू से जमना को छोड़ देने के लिए कहती, ‘नंदू, चल न हम कहीं और चलते हैं. जमना को छोड़ दे. हम दूसरी खोली ले लेंगे.’

इस पर नंदू उसे झिड़क देता, ‘और खोली के पैसे क्या तेरा शराबी बाप देगा? और फिर जमना मेरी पत्नी है. मेरे बच्चों की मां है. मैं उसे नहीं छोड़ सकता.’

इस पर गंगा दांत पीसते हुए कहती, ‘उसे नहीं छोड़ सकता तो मुझे छोड़ दे.’

इस पर गंगू कोई जवाब नहीं देता. आखिर उसे 2-2 औरतों का साथ जो मिल रहा था. यह सुख वह कैसे छोड़ देता. पर गंगा रोज इस बात को ले कर नंदू से झगड़ा करती और मार खाती. जमना के सामने उसे अपना ओहदा बिलकुल अदना सा लगता. आखिर क्या लगती है वह नंदू की… सिर्फ एक रखैल.

जब वह खोली से बाहर निकलती तो लोग ताने मारते और खोली के अंदर जमना की जलती निगाहों का सामना करती. जमना ने बच्चों को भी सिखा रखा था, इसलिए वे भी गंगा की इज्जत नहीं करते थे. बस्ती के सारे मर्द उसे गंदी नजर से देखते थे.

मांबाप ने भी उस से सभी संबंध खत्म कर दिए थे. ऐसे में गंगा का जीना दूभर हो गया और आखिर एक दिन उस ने रेल के आगे छलांग लगा दी और रधिया की बेटी गंगा मैली होने का कलंक लिए दुनिया से चली गई.

कलंक: बलात्कारी होने का कलंक अपने माथे पर लेकर कैसे जीएंगे वे तीनों ?

उस रात 9 बजे ही ठंड बहुत बढ़ गई थी. संजय, नरेश और आलोक ने गरमाहट पाने के लिए सड़क के किनारे कार रोक कर शराब पी. नशे के चलते सामने आती अकेली लड़की को देख कर उन के भीतर का शैतान जागा तो वे उस लड़की को छेड़ने से खुद को रोक नहीं पाए.

‘‘जानेमन, इतनी रात को अकेली क्यों घूम रही हो? किसी प्यार करने वाले की तलाश है तो हमें आजमा लो,’’ आसपास किसी को न देख कर नरेश ने उस लड़की को ऊंची आवाज में छेड़ा.

‘‘शटअप एंड गो टू हैल, यू बास्टर्ड,’’ उस लड़की ने बिना देर किए अपनी नाराजगी जाहिर की.

‘‘तुम साथ चलो तो ‘हैल’ में भी मौजमस्ती रहेगी, स्वीटहार्ट.’’

‘‘तेरे साथ जाने को पुलिस को बुलाऊं?’’ लड़की ने अपना मोबाइल फोन उन्हें दिखा कर सवाल पूछा.

‘‘पुलिस को बीच में क्यों ला रही हो मेरी जान?’’

‘‘पुलिस नहीं चाहिए तो अपनी मां या बहनों…’’

वह लड़की चीख पाती उस से पहले ही संजय ने उस का मुंह दबोच लिया और झटके से उस लड़की को गोद में उठा कर कार की तरफ बढ़ते हुए अपने दोस्तों को गुस्से से निर्देश दिए, ‘‘इस ‘बिच’ को अब सबक सिखा कर ही छोड़ेंगे. कार स्टार्ट करो. मैं इस की बोटीबोटी कर दूंगा अगर इस ने अपने मुंह से ‘चूं’ भी की.’’

आलोक कूद कर ड्राइवर की सीट पर बैठा और नरेश ने लड़की को काबू में रखने के लिए संजय की मदद की. कार झटके से चल पड़ी.

उस चौड़ी सड़क पर कार सरपट भाग रही थी. संजय ने उस लड़की का मुंह दबा रखा था और नरेश उसे हाथपैर नहीं हिलाने दे रहा था.

‘‘अगर अब जरा भी हिली या चिल्लाई तो तेरा गला दबा दूंगा.’’

संजय की आंखों में उभरी हिंसा को पढ़ कर वह लड़की इतना ज्यादा डरी कि उस का पूरा शरीर बेजान हो गया.

‘‘अब कोई किसी का नाम नहीं लेगा और इस की आंखें भी बंद कर दो,’’ आलोक ने उन दोनों को हिदायत दी और कार को तेज गति से शहर की बाहरी सीमा की तरफ दौड़ाता रहा.

एक उजाड़ पड़े ढाबे के पीछे ले जा कर आलोक ने कार रोकी. उन की धमकियों से डरी लड़की के साथ मारपीट कर के उन तीनों ने बारीबारी से उस लड़की के साथ बलात्कार किया.

लड़की किसी भी तरह का विरोध करने की स्थिति में नहीं थी. बस, हादसे के दौरान उस की बड़ीबड़ी आंखों से आंसू बहते रहे थे.

लौटते हुए संजय ने लड़की को धमकाते हुए कहा, ‘‘अगर पुलिस में रिपोर्ट करने गई, तो हम तुझे फिर ढूंढ़ लेंगे, स्वीटहार्ट. अगर हमारी फिर मुलाकात हुई तो तेजाब की शीशी होगी हमारे हाथ में तेरा यह सुंदर चेहरा बिगाड़ने के लिए.’’

तीनों ने जहां उस लड़की को सड़क पर उतारा. वहीं पास की दीवार के पास 4 दोस्त लघुशंका करने को रुके थे. अंधेरा होने के कारण उन तीनों को वे चारों दिखाई नहीं दिए थे.

उन में से एक की ऊंची आवाज ने इन तीनों को बुरी तरह चौंका दिया, ‘‘हे… कौन हो तुम लोग? इस लड़की को यहां फेंक कर क्यों भाग रहे हो?’’

‘‘रुको जर…सोनू, तू कार का नंबर नोट कर, मुझे सारा मामला गड़बड़ लग रहा है,’’ एक दूसरे आदमी की आवाज उन तक पहुंची तो वे फटाफट कार में वापस घुसे और आलोक ने झटके से कार सड़क पर दौड़ा दी.

‘‘संजय, तुझे तो मैं जिंदा नहीं छोड़ूंगी,’’ उस लड़की की क्रोध से भरी यह चेतावनी उन तीनों के मन में डर और चिंता की तेज लहर उठा गई.

‘‘उसे मेरा नाम कैसे पता लगा?’’ संजय ने डर से कांपती आवाज में सवाल पूछा.

‘‘शायद हम दोनों में से किसी के मुंह से अनजाने में निकल गया होगा,’’ नरेश ने चिंतित लहजे में जवाब दिया.

‘‘आज मारे गए हमसब. मैं ने उन आदमियों में से एक को अपनी हथेली पर कार का नंबर लिखते हुए देखा है. उस लड़की को ‘संजय’ नाम पता है. पुलिस को हमें ढूंढ़ने में दिक्कत नहीं आएगी,’’ आलोक की इस बात को सुन कर उन दोनों का चेहरा पीला पड़ चुका था.

नरेश ने अचानक सहनशक्ति खो कर संजय से चिढ़े लहजे में पूछा, ‘‘बेवकूफ इनसान, क्या जरूरत थी तुझे उस लड़की को उठा कर कार में डालने की?’’

‘‘यार, उस ने हमारी मांबहन…तो मैं ने अपना आपा खो दिया,’’ संजय ने दबे स्वर में जवाब दिया.

‘‘तो उसे उलटी हजार गालियां दे लेता…दोचार थप्पड़ मार लेता. तू उसे उठा कर कार में न डालता, तो हमारी इस गंभीर मुसीबत की जड़ तो न उगती.’’

‘‘अरे, अब आपस में लड़ने के बजाय यह सोचो कि अपनी जान बचाने को हमें क्या करना चाहिए,’’ आलोक की इस सलाह को सुन कर उन दोनों ने अपनेअपने दिमाग को इस गंभीर मुसीबत का समाधान ढूंढ़ने में लगा दिया.

पुलिस उन तक पहुंचे, इस से पहले ही उन्हें अपने बचाव के लिए कदम उठाने होंगे, इस महत्त्वपूर्ण पहलू को समझ कर उन तीनों ने आपस में कार में बैठ कर सलाहमशविरा किया.

अपनी जान बचाने के लिए वे तीनों सब से पहले आलोक के चाचा रामनाथ के पास पहुंचे. वे 2 फैक्टरियों के मालिक थे और राजनीतिबाजों से उन की काफी जानपहचान थी.

रामनाथ ने अकेले में उन तीनों से पूरी घटना की जानकारी ली. आलोक को ही अधिकतर उन के सवालों के जवाब देने पड़े. शर्मिंदा तो वे तीनों ही नजर आ रहे थे, पर सब बताते हुए आलोक ने खुद को मारे शर्म और बेइज्जती के एहसास से जमीन में गड़ता हुआ महसूस किया.

‘‘अंकल, हम मानते हैं कि हम से गलती हुई है पर ऐसा गलत काम हम जिंदगी में फिर कभी नहीं करेंगे. बस, इस बार हमारी जान बचा लीजिए.’’

‘‘दिल तो ऐसा कर रहा है कि तुम सब को जूते मारते हुए मैं खुद पुलिस स्टेशन ले जाऊं, लेकिन मजबूर हूं. अपने बड़े भैया को मैं ने वचन दिया था कि उन के परिवार का पूरा खयाल रखूंगा. तुम तीनों के लिए किसी से कुछ सहायता मांगते हुए मुझे बहुत शर्म आएगी,’’ संजय को आग्नेय दृष्टि से घूरने के बाद रामनाथ ने मोबाइल पर अपने एक वकील दोस्त राकेश मिश्रा का नंबर मिलाया.

राकेश मिश्रा को बुखार ने जकड़ा हुआ था. सारी बात उन को संक्षेप में बता कर रामनाथ ने उन से अगले कदम के बारे में सलाह मांगी.

‘‘जिस इलाके से उस लड़की को तुम्हारे भतीजे और उस के दोनों दोस्तों ने उठाया था, वहां के एसएचओ से जानपहचान निकालनी होगी. रामनाथ, मैं तुम्हें 10-15 मिनट बाद फोन करता हूं,’’ बारबार खांसी होने के कारण वकील साहब को बोलने में कठिनाई हो रही थी.

‘‘इन तीनों को अब क्या करना चाहिए?’’

‘‘इन्हें घर मत भेजो. ये एक बार पुलिस के हाथ में आ गए तो मामला टेढ़ा हो जाएगा.’’

‘‘इन्हें मैं अपने फार्म हाउस में भेज देता हूं.’’

‘‘उस कार में इन्हें मत भेजना जिसे इन्होंने रेप के लिए इस्तेमाल किया था बल्कि कार को कहीं छिपा दो.’’

‘‘थैंक्यू, माई फैं्रड.’’

‘‘मुझे थैंक्यू मत बोलो, रामनाथ. उस थाना अध्यक्ष को अपने पक्ष में करना बहुत जरूरी है. तुम्हें रुपयों का इंतजाम रखना होगा.’’

‘‘कितने रुपयों का?’’

‘‘मामला लाखों में ही निबटेगा मेरे दोस्त.’’

‘‘जो जरूरी है वह खर्चा तो अब करेंगे ही. इन तीनों की जलील हरकत का दंड तो भुगतना ही पड़ेगा. तुम मुझे जल्दी से दोबारा फोन करो,’’ रामनाथ ने फोन काटा और परेशान अंदाज में अपनी कनपटियां मसलने लगे थे.

उन की खामोशी से इन तीनों की घबराहट व चिंता और भी ज्यादा बढ़ गई. संजय के पिता की माली हालत अच्छी नहीं थी. इसलिए रुपए खर्च करने की बात सुन कर उस के माथे पर पसीना झलक उठा था.

‘‘फोन कर के तुम दोनों अपनेअपने पिता को यहीं बुला लो. सब मिल कर ही अब इस मामले को निबटाने की कोशिश करेंगे,’’ रामनाथ की इस सलाह पर अमल करने में सब से ज्यादा परेशानी नरेश ने महसूस की थी.

नरेश का रिश्ता कुछ सप्ताह पहले ही तय हुआ था. अगले महीने उस की शादी होने की तारीख भी तय हो चुकी थी. वह रेप के मामले में फंस सकता है, यह जानकारी वह अपने मातापिता व छोटी बहन तक बिलकुल भी नहीं पहुंचने देना चाहता था. उन तीनों की नजरों में गिर कर उन की खुशियां नष्ट करने की कल्पना ही उस के मन को कंपा रही थी. मन के किसी कोने में रिश्ता टूट जाने का भय भी अपनी जड़ें जमाने लगा था.

नरेश अपने पिता को सूचित न करे, यह बात रामनाथ ने स्वीकार नहीं की. मजबूरन उसे अपने पिता को फौरन वहां पहुंचने के लिए फोन करना पड़ा. ऐसा करते हुए उसे संजय अपना सब से बड़ा दुश्मन प्रतीत हो रहा था.

करीब घंटे भर बाद वकील राकेश का फोन आया.

‘‘रामनाथ, उस इलाके के थानाप्रभारी का नाम सतीश है. मैं ने थानेदार को सब समझा दिया है. वह हमारी मदद करेगा पर इस काम के लिए 10 लाख मांग रहा है.’’

‘‘क्या उस लड़की ने रिपोर्ट लिखवा दी है?’’ रामनाथ ने चिंतित स्वर में सवाल पूछा.

‘‘अभी तो रिपोर्ट करने थाने में कोई नहीं आया है. वैसे भी रिपोर्ट लिखाने की नौबत न आए, इसी में हमारा फायदा है. थानेदार सतीश तुम से फोन पर बात करेगा. लड़की का मुंह फौरन रुपयों से बंद करना पड़ेगा. तुम 4-5 लाख कैश का इंतजाम तो तुरंत कर लो.’’

‘‘ठीक है. मैं रुपयों का इंतजाम कर के रखता हूं.’’

संजय के लिए 2 लाख की रकम जुटा पाना नामुमकिन सा ही था. उस के पिता साधारण सी नौकरी कर रहे थे. वह तो अपने दोस्तों की दौलत के बल पर ही ऐश करता आया था. जहां कभी मारपीट करने या किसी को डरानेधमकाने की नौबत आती, वह सब से आगे हो जाता. उस के इसी गुण के कारण उस की मित्रमंडली उसे अपने साथ रखती थी.

वह इस वक्त मामूली रकम भी नहीं जुटा पाएगा, इस सच ने आलोक, नरेश और रामनाथ से उसे बड़ी कड़वी बातें सुनवा दीं.

कुछ देर तो संजय उन की चुभने वाली बातें खामोशी से सुनता रहा, पर अचानक उस के सब्र का घड़ा फूटा और वह बुरी तरह से भड़क उठा था.

‘‘मेरे पीछे हाथ धो कर मत पड़ो तुम सब. जिंदगी में कभी न कभी मैं तुम लोगों को अपने हिस्से की रकम लौटा दूंगा. वैसे मुझे जेल जाने से डर नहीं लगता. हां, तुम दोनों अपने बारे में जरूर सोच लो कि जेल में सड़ना कैसा लगेगा?’’ यों गुस्सा दिखा कर संजय ने उन्हें अपने पीछे पड़ने से रोक दिया था.

थानेदार ने कुछ देर बाद रामनाथ से फोन पर बात की और पैसे के इंतजाम पर जोर डालते हुए कहा कि जरूरत पड़ी तो रात में आप को बुला लूंगा या सुबह मैं खुद ही आ जाऊंगा.

नरेश के पिता विजय कपूर ने जब रामनाथ की कोठी में कदम रखा तो उन के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं.

रामनाथ ने उन्हें जब उन तीनों की करतूत बताई तो उन की आंखों में आंसू भर आए थे.

अपने बेटे की तरफ देखे बिना विजय कपूर ने भरे गले से रामनाथ से प्रार्थना की, ‘‘सर, आप इस समस्या को सुलझवाइए, प्लीज. अगले महीने मेरे घर में शादी है. उस में कुछ व्यवधान पड़ा तो मेरी पत्नी जीतेजी मर जाएगी.’’

अपने पिता की आंखों में आंसू देख कर नरेश इतना शर्मिंदा हुआ कि वह उन के सामने से उठ कर बाहर बगीचे में निकल आया.

अब संजय व आलोेक के लिए भी उन दोनों के सामने बैठना असह्य हो गया तो वे भी वहां से उठे और बगीचे में नरेश के पास आ गए.

चिंता और घबराहट ने उन तीनों के मन को जकड़ रखा था. आपस में बातें करने का मन नहीं किया तो वे कुरसियों पर बैठ कर सोचविचार की दुनिया में खो गए.

उस अनजान लड़की के रेप करने से जुड़ी यादें उन के जेहन में रहरह कर उभर आतीं. कई तसवीरें उन के मन में उभरतीं और कई बातें ध्यान में आतीं.

इस वक्त तो बलात्कार से जुड़ी उन की हर याद उन्हें पुलिस के शिकंजे में फंस जाने की आशंका की याद दिला रही थी. जेल जाने के डर के साथसाथ अपने घर वालों और समाज की नजरों में सदा के लिए गिर जाने का भय उन तीनों के दिलों को डरा रहा था. डर और चिंता के ऐसे भावों के चलते वे तीनों ही अब अपने किए पर पछता रहे थे.

संजय का व्यक्तित्व इन दोनों से अलग था. इसलिए सब से पहले उस ने ही इस समस्या को अलग ढंग से देखना शुरू किया.

‘‘हो सकता है कि वह लड़की पुलिस के पास जाए ही नहीं,’’ संजय के मुंह से निकले इस वाक्य को सुन कर नरेश और आलोक चौंक कर सीधे बैठ गए.

‘‘वह रिपोर्ट जरूर करेगी…’’ नरेश ने परेशान लहजे में अपनी राय बताई.

‘‘तुम्हारी बात ठीक है, पर बलात्कार होने का ढिंढोरा पीट कर हमेशा के लिए लोगों की सहानुभूति दिखाने या मजाक उड़ाने वाली नजरों का सामना करना किसी भी लड़की के लिए आसान नहीं होगा,’’ आलोक ने अपने मन की बात कही.

‘‘वह रिपोर्ट करना भी चाहे तो भी उस के घर वाले उसे ऐसा करने से रोक सकते हैं. अगर रिपोर्ट लिखाने को तैयार होते तो अब तक उन्हें ऐसा कर देना चाहिए था,’’ संजय ने अपनी राय के पक्ष में एक और बात कही.

‘‘मुझे तो एक अजीब सा डर सता रहा है,’’ नरेश ने सहमी सी आवाज में वार्त्तालाप को नया मोड़ दिया.

‘‘कैसा डर?’’

‘‘अगर उस लड़की ने कहीं आत्महत्या कर ली तो हमें फांसी के फंदे से कोई नहीं बचा सकेगा.’’

‘‘उस लड़की का मर जाना उलटे हमारे हक में होगा. तब रेप हम ने किया है, इस का कोई गवाह नहीं रहेगा,’’ संजय ने क्रूर मुसकान होंठों पर ला कर उन दोनों का हौसला बढ़ाने की कोशिश की.

‘‘लड़की आत्महत्या कर के मर गई तो उस के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट रेप दिखलाएगी. पुलिस की तहकीकात होगी और हम जरूर पकड़े जाएंगे. यह एसएचओ भी तब हमें नहीं बचा पाएगा. इसलिए उस लड़की के आत्महत्या करने की कामना मत करो बेवकूफो,’’ आलोक ने उन दोनों को डपट दिया.

‘‘मुझे लगता है एसएचओ को इतनी जल्दी बीच में ला कर हम ने भयंकर भूल की है, वह अब हमारा पिंड नहीं छोड़ेगा. लड़की ने रिपोर्ट न भी की तो भी वह रुपए जरूर खाएगा,’’ संजय ने अपनी खीज जाहिर की.

‘‘तू इस बात की फिक्र क्यों कर रहा है? रेप करने में सब से आगे था और अब रुपए निकालने में तू सब से पीछे है.’’

आलोक के इस कथन ने संजय के तनबदन में आग सी लगा दी. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘अपना हिस्सा मैं दूंगा. मुझे चाहे लूटपाट करनी पड़े या चोरी, पर तुम लोगों को मेरा हिस्सा मिल जाएगा.’’

संजय ने उसी समय मन ही मन जल्द से जल्द अमीर बनने का निर्णय लिया. उस का एक चचेरा भाई लूटपाट और चोरी करने वाले गिरोह का सदस्य था. उस ने उस के गिरोह में शामिल होने का पक्का मन उसी पल बना लिया. उस ने अभावों व जिल्लत की जिंदगी और न जीने की सौगंध खा ली.

नरेश उस वक्त का सामना करने से डर रहा था जब वह अपनी मां व जवान बहन के सामने होगा. एक बलात्कारी होने का ठप्पा माथे पर लगा कर इन दोनों के सामने खड़े होने की कल्पना कर के ही उस की रूह कांप रही थी. जब आंतरिक तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया तो अचानक उस की रुलाई फूट पड़ी.

रामनाथ ने अब उन्हें अपने फार्महाउस में भेजने का विचार बदल दिया क्योंकि एसएचओ उन से सवाल करने का इच्छुक था. उन के सोने का इंतजाम उन्होंने मेहमानों के कमरे में किया.

विजय कपूर अपने बेटे नरेश का इंतजार करतेकरते सो गए, पर वह कमरे में नहीं आया. उस की अपने पिता के सवालों का सामना करने की हिम्मत ही नहीं हुई थी.

सारी रात उन तीनों की आंखों से नींद कोसों दूर रही. उस अनजान लड़की से बलात्कार करना ज्यादा मुश्किल साबित नहीं हुआ था, पर अब पकड़े जाने व परिवार व समाज की नजरों में अपमानित होने के डर ने उन तीनों की हालत खराब कर रखी थी.

सुबह 7 बजे के करीब थानेदार सतीश श्रीवास्तव रामनाथ की कोठी पर अपनी कार से अकेला मिलने आया.

उस का सामना इन तीनों ने डरते हुए किया. थाने में बलात्कार की रिपोर्ट लिखवाने वह अनजान लड़की रातभर नहीं आई थी, लेकिन थानेदार फिर भी 50 हजार रुपए रामनाथ से ले गया.

‘‘मैं अपनी वरदी को दांव पर लगा कर आप के भतीजे और उस के दोस्तों की सहायता को तैयार हुआ हूं,’’ थानेदार ने रामनाथ से कहा, ‘‘मेरे रजामंद होने की फीस है यह 50 हजार रुपए. वह लड़की थाने न आई तो इन तीनों की खुशकिस्मती, नहीं तो 10 लाख का इंतजाम रखिएगा,’’ इतना कह कर वह उन को घूरता हुआ बोला, ‘‘और तुम तीनों पर मैं भविष्य में नजर रखूंगा. अपनी जवानी को काबू में रखना सीखो, नहीं तो एक दिन बुरी तरह पछताओगे,’’ कठोर स्वर में ऐसी चेतावनी दे कर थानेदार चला गया था.

वे तीनों 9 बजे के आसपास रामनाथ की कोठी से अपनेअपने घरों को जाने के लिए बाहर आए. उस लड़की का रेप करने के बाद करीब 1 दिन गुजर गया था. उसे रेप करने का मजा उन्हें सोचने पर भी याद नहीं आ रहा था.

इस वक्त उन तीनों के दिमाग में कई तरह के भय घूम रहे थे. कटे बालों वाली लंबे कद की किसी भी लड़की पर नजर पड़ते ही पहचाने जाने का डर उन में उभर आता. खाकी वरदी वाले पर नजर पड़ते ही जेल जाने का भय सताता. अपने घर वालों का सामना करने से वे मन ही मन डर रहे थे. उस वक्त की कल्पना कर के उन की रूह कांप जाती जब समाज की नजरों में वे बलात्कारी बन कर सदा जिल्लत भरी जिंदगी जीने को मजबूर होंगे.

अगर तीनों का बस चलता तो वे वक्त को उलटा घुमा कर उस लड़की को रेप करने की घटना घटने से जरूर रोक देते. सिर्फ 12 घंटे में उन की हालत भय, चिंता, तनाव और समाज में बेइज्जती होने के एहसास से खस्ता हो गई थी. इस तरह की मानसिक यंत्रणा उन्हें जिंदगी भर भोगनी पड़ सकती है, इस एहसास के चलते वे तीनों अपनेआप और एकदूसरे को बारबार कोस रहे थे.

आलिया पर गिरी फ्लौप फिल्मों की तलवार, अधर में लटकी ‘तख्त’ और ‘इंशाअल्लाह’

बौलीवुड में सब कुछ फिल्म की सफलता पर ही निर्भर करता है. एक फिल्म के असफल होते ही सारे समीकरण बदल जाते हैं. कलाकारों के हाथ से फिल्में छिन जाती हैं. फिल्म के असफल होते ही उस प्रोडक्शन हाउस की निर्माणाधीन फिल्मों पर भी ब्रेक लग जाता है. यह कटु सत्य है. लोग चाहे जितना इस बात से इंकार करते रहें, मगर बौलीवुड में सब कुछ फिल्म की सफलता के साथ ही आगे बढ़ता है. एक फिल्म के असफल होते ही दिग्गज फिल्मकार भी हिम्मत हार बैठते हैं.

कलंक की असफलता का आलिया भट्ट को दोहरा खामियाजाः

‘‘स्टूडेंट आफ द ईअर’’ से लेकर अब तक लगातार हर फिल्म से सफलता और एक बेहतरीन अदाकारा के रूप में एक अलग पहचान बनाती आ रही अभिनेत्री आलिया भट्ट के लिए ‘कलंक’ का असफल होना सबसे ज्यादा दुःखद रहा. क्योंकि ‘तख्त’और ‘इंशाअल्लाह’ पर जो सवालिया निशान लगे हैं. और इन दोनों ही फिल्मों में आलिया भट्ट अभिनय करने वाली थीं. आलिया भट्ट इन दोनों ही फिल्मों को लेकर अति उत्साहित भी थी. वह पहली बार ‘इंशाअल्लाह’ में सलमान खान के साथ अभिनय करने वाली थीं.

 

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Мой огненный парень?? Никто другой и не сыграл бы Зафара лучше него?❤️ Расскажу один случай с Варуном? . .?Варун Дхаван любит боевики, и он большой поклонник The Rock, он же Дуэйн Джонсон. Варун посмотрел недавний релиз “Hobbs & Shaw”, в котором играет Дуэйн. Актёр был восхищен фильмом и работой Дуэйна и, обратившись к Твиттеру, поделился своей рецензией на “Hobbs & Shaw” , а также упомянул свой любимый эпизод из фильма. Этот твит Варуна подвергся троллингу от одного из пользователей Twitter, но актер ” Kalank ” дал достойный ответ. Варун написал в твиттере: ” Посмотрел # HobbsAndShaw. Очень веселое кино. TheRock действительно вносит свои вклад. Восхищение самоанской культуре. Эпизод “Лондонская погоня” наверное, лучший.” Отвечая Варуну, Дуэйн написал в твиттере: ” Брат я рад, что он тебе понравился. Ты лучший”. В свою очередь тролль написал : “Вместо того, чтобы рекламировать голливудские фильмы и приносить американцам деньги, пожалуйста, повысьте качество наших фильмов вместо того формата, который вы делаете”. Ответ Варуна не заставил себя долго ждать : «Может быть, вам не стоит ставить Гарри Поттера в качестве фото вашего профиля, когда вы пытаетесь научить людей, что им нужно делать, сынок. А теперь иди спать ?» Четко ответил?? ☑️ Информация взята из группы в контакте “Болливуд Мир индийского кино”

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‘‘कलंक’’की असफलता का असर

17 अप्रैल को करण जोहर के ‘धर्मा प्रोडक्शन’ की बड़े बजट की फिल्म ‘‘कलंक’’ ने बौक्स आफिस पर बुरी तरह से मुंह की खायी. जबकि ‘कलंक’ में माधुरी दीक्षित, सोनाक्षी सिन्हा,आलिया भट्ट, आदित्य रौय कपूर, वरूण धवन और संजय दत्त जैसे कलाकार हैं. सोनाक्षी सिन्हा की लगातार ग्यारहवीं फिल्म ने बाक्स आफिस पर दम तोड़ा है. मगर वरूण धवन व आलिया भट्ट का करियर तो लगातार व सरपट सफलता के साथ दौड़ रहा था, पर इस फिल्म ने इनके करियर पर भी ब्रेक लगा दिया.

कलंककी असफलता पर करण जौहर

‘‘कलंक’’ की असफलता के बाद करण जौहर ने कहा- ‘‘फिल्म मेरी है. मैंने जिस तरह से इस फिल्म को सोचा था, उससे मैं दूर हो गया. वास्तव में निर्देशक अभिषेक वमर्न के दिमाग में एक विचार आया, जिसे वह देना चाहते थे. मैं उनकी बातें सुनते हुए इस कदर मगन हो गया कि मैं निश्पक्षता खो बैठा. मैने हर किसी को उड़ने के लिए अनावश्यक पंख दिए. जबकि मैं फिल्म को बेहतर कर सकता था.’’

तख्त नहीं शुरू होगी सितंबर में

इस फिल्म की असफलता के बाद ‘‘धर्मा प्रोडक्शंस’’ के करण जोहर ने अपनी निर्माणाधीन बड़े बजट की पीरियड फिल्म ‘‘तख्त’’ को ठंडे बस्ते में डाल दिया. करण जोहर ने इसे सितंबर की बजाय फरवरी 2020 में बनाने की बात कही. जबकि ‘तख्त’ को शुरू करते समय करण जोहर ने कई दावे किए थे. उस वक्त करण जोहर ने ‘‘तख्त’’ को ‘कभी खुशी कभी गम’ से भी बड़ी फिल्म की संज्ञा दी थी. ज्ञातब्य है कि ‘‘तख्त’’ का निर्देशन स्वयं करण जोहर कर रहे हैं. फिल्म‘‘तख्त’’ में रणवीर सिंह, करीना कपूर, आलिया भट्ट, विक्की कौशल, जान्हवी कपूर व भूमि पेडणेकर अभिनय कर रहे हैं. उसे बाद बौलीवुड में चर्चा गर्म हो गयी कि फिल्म ‘‘कलंक’’ की असफलता की मार करण जोहर झेल नहीं पाए और उन्हे अपनी महत्वाकांक्षी फिल्म ‘‘तख्त’’ को बंद करना पड़ा.

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करण जौहर का दावाः

मगर बौलीवुड मे ‘तख्त’ को लेकर हो रही चर्चाओं से करण जौहर को अहसास हुआ कि उनका यह कदम उनके लिए और अधिक घातक हो सकता है. इसलिए अब करण जोहर ने कहा है- ‘‘बौलीवुड से जुड़े लोग जिस तरह की बातें कर रहे हैं, वह गलत है. ‘कलंक’ की असफलता के चलते मैंने ‘तख्त’ को कुछ समय के लिए बंद नहीं किया है. बल्कि इसकी दूसरी वजहें हैं. फिल्म के सभी कलाकार अपनी दूसरी फिल्मों में व्यस्त हैं. इसलिए हमने इसे सितंबर की बजाय फरवरी 2020 में शुरू करने का निर्णय लिया. देखिए ‘कलंक’ और ‘तख्त’ दोनों फिल्मों का विशय अलग है. मैं ‘तख्त’ पिछले दो साल से बना रहा हूं और अगले दो वर्ष तक बनाता रहूंगा. यह तय है कि ‘तख्त’बनेगी.’’

मलाल की असफलता का असरः

‘‘कलंक’’की असफलता के असर की चर्चाएं खत्म होने से पहले ही 5 जुलाई को प्रदर्शित संजय लीला भंसाली निर्मित फिल्म ‘‘मलाल’’ की असफलता के असर का प्रभाव सामने आ गया. इस असर का धमाका रविवार की शाम सलमान खान के ट्वीट से हुआ है. जी हां! रवीवार की शाम सलमान खान ने ट्वीट करते हुए लिखा- ‘‘संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘इंषाअल्लाह’ आगे बढ़ गयी है. मगर हम ईद 2020 में जरुर मिलेंगे. ’’लेकिन अभी तक सलमान खान ने इस रहस्य पर से परदा नही उठाया कि वह ईद 2020 में किस फिल्म के साथ आएंगे. चर्चाएं शुरू हो गयी हैं कि क्या वह ‘‘किक 2’’ करने वाले हैं. क्योंकि उनकी फिल्म‘‘दबंग 3’’ तो 20 दिसंबर 2019 को ही प्रदर्शित हो जाएगी. सलमान खान के ट्वीट से बौलीवुड में चर्चाएं गर्म हो गयीं कि संजय लीला भंसाली ने भी ‘इंषाअल्लाह’ को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.

वैसे भी ‘इंशाअल्लाह’ को लेकर किसी नई तारीख की भी घोषणा नहीं की गयी है. ज्ञातब्य है कि सितंबर माह के अंतिम सप्ताह से ‘इंशाअल्लाह’ का फिल्मांकन मुंबई मे शुरू होने वाला था. फिर इसे वाराणसी और फ्लोरिडा में फिल्माया जाना था. पर अब सलमान खान के ट्वीट से यह जग जाहिर हो गया कि फिलहाल ‘इंषा अल्लाह’ की शूटिंग कब शुरू होगी, कोई नहीं जानता. फिल्म‘‘इंशाअल्लाह’’के साथ ही संजय लीला भंसाली के साथ सलमान खान की बीस साल बाद वापसी होने वाली थी, जो कि फिलहाल टल गयी है.

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जानें किसे डेट कर रही हैं संजय दत्त की बेटी…

हाल ही में रिलीज हुई कलंक के एक्टर संजय दत्त की फिल्म ने अभी धमाल मचाना शुरू भी नही किया था कि संजय दत्त की बड़ी बेटी त्रिशला दत्त औलरेडी इंटरनेट सेंसेशन बन गई हैं. इसकी वजह हैं इंस्टाग्राम पर छाईं उनकी हौट और ग्लैमरस तस्वीरें, जिनमें उन्होंने अपनी लव लाइफ का जिक्र किया है.

संजय दत्त की बड़ी बेटी त्रिशला दत्त 31 साल की हैं और परिवार से दूर विदेश में पढा़ई कर रही हैं. उन्होंने इंस्टाग्राम पर किए अपने एक पोस्ट में अपनी एक हौट फोटो डाली है, जिसमें वह अपना खाना इंजौय करती दिख नजर आ रही हैं. जिसमें उन्होंने अपनी लव लाइफ का जिक्र करते हुए लिखा है, ‘इटैलियन लड़के को डेट करना यानी ढेर सारा पास्ता और ढेर सारी वाइन.’

 

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dating an Italian means lots of pasta ? and lots of wine ? #carboverload #gymtomorrowtho #cantkeepeatinglikethis

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इससे पहले भी त्रिशला ने सोशल मीडिया पर अपने रिलेशनशिप का जिक्र हुए पोस्ट में अपने रिलेशनशिप के बारे में बताते हुए लिखा था, ‘उसने मेरा गला पकड़ा, पर दबाया नहीं, उसने मुझे एक गहरा किस किया और मैं भूल गई की मैं किसकी सांसे ले रही हूं.

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बता दें, कुछ दिन पहले त्रिशाला ने संजय दत्त की एक तस्वीर पर कमेंट किया था जिसने खूब सुर्खियां बटोरी थी. संजय दत्त ने ‘कलंक’ फिल्म के अपने लुक को इंस्टाग्राम पर शेयर किया था. इस तस्वीर को शेयर करते हुए संजय ने लिखा था- ‘कम शब्दों के साथ आदमी का रोल निभाना आसान नहीं होता.’ इसके साथ ही संजय ने बलराज लिखा.  ‘

संजय दत्त के इस पोस्ट के बाद मानों सोशल मीडिया पर यूजर्स के कमेंट की बौछार सी आ गई. हर कोई संजय के लुक की तारीफ करने लगा. इस बीच बौलीवुड भी पीछे नहीं रहा. वरुण धवन ने संजय दत्त की तस्वीर पर कमेंट करते हुए लिखा ‘क्या तस्वीर है…’. वरुण के इस पोस्ट के बाद संजय दत्त की बेटी भी खुद को रोक नहीं पाईं. त्रिशाला ने संजय दत्त की तस्वीर पर लिखा – ‘पापा आइ लव यू’.

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आखिर क्यों मल्टीस्टारर फिल्में पसंद करते हैं आदित्य रौय कपूर

बौलीवुड एक्टर आदित्य रौय कपूर का करियर काफी हिचकोले लेते हुए आगे बढ़ रहा है. 2017 में रिलीज फिल्म ‘‘ओ के जानू’ ’की असफलता ने उनके करियर पर विराम सा लगा दिया था. लेकिन अब वो 17 अप्रैल को रिलीज हो रही फिल्म ‘‘कलंक’’ के अलावा ‘सड़क 2’ और ‘मलंग’ जैसी मल्टीस्टारर फिल्मों में नजर आएंगे.

‘‘ओके जानू की असफलता का आपके कैरियर पर असर पड़ा?

-देखिए, हर फिल्म का कलाकार के करियर पर असर होता है. ‘ओ के जानू’ को लेकर मैं काफी उत्साहित था. हमें एक फिल्म को बनाने में छह महीने लगते हैं और उसका परिणाम सिर्फ एक दिन में आ जाता है. फिल्म के निर्माण के दौरान हमारा जो अनुभव होता है, वह सदैव हमारे साथ रहता है. फिल्म ‘ओ के जानू’ को आपेक्षित सफलता नहीं मिली, मगर वजह स्पष्ट नहीं हुई. मेरा मानना है कि जब आप समान विचार वालों के साथ काम करते हैं, तो उसका असर अलग होता है. मेरी समझ में आया कि समान विचार वाले सहकलाकार के साथ काम करने का अनुभव अच्छा होता है. ‘ओ के जानू’ में हम सभी ने एक टीम की तरह काम किया था. काम अच्छा हो रहा था, इसलिए हमें काम करने में मजा आ रहा था. पर फिल्म का चलना एक कठिन अनुभव रहा, क्योंकि फिल्म की असफलता की वजह समझ में नहीं आयी. यह विज्ञान तो है नही. फिल्म के असफल होने पर मैने बहुत ज्यादा नहीं सोचा. मेरा मानना है कि हर फिल्म हमें कुछ न कुछ सिखाती है. हर फिल्म कलाकार के सामने एक नई चुनौती लेकर आती है और जब कलाकार उसमें अभिनय करता है, तो उसे खुद के बारे में कुछ नया पता चलता है.

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अब आपको मल्टीस्टारर फिल्मों का ही सहारा मिल रहा है?

-ऐसा आप कह सकते हैं. क्योंकि मुझे मल्टीस्टारर फिल्में ज्यादा उत्साहित करती हैं. मैं मानता हूं कि सोलो हीरो वाली फिल्मों में सारा दारोमदार हमारे कंधों पर होता है. पर इन दिनों दर्शक एक्सपेरीमेंटल फिल्में ज्यादा देखना चाहता है. पर जब मल्टीस्टार कलाकार वाली फिल्म होती है, तो दर्शक ज्यादा मिलते हैं. क्योंकि फिल्म से जुड़े हर कलाकार के फैंस फिल्म देखने आते हैं. 17 अप्रैल को मेरी फिल्म ‘कलंक’ रिलीज हो रही है, जिसमें मेरे साथ वरूण धवन, संजय दत्त, आलिया भट्ट, माधुरी दीक्षित व सोनाक्षी सिन्हा हैं. मैं अनुराग बसु के साथ जो फिल्म कर रहा हूं, उसमें भी मेरे साथ कई दूसरे कलाकार हैं. महेश भट्ट के साथ ‘सड़क 2’ में भी मेरे अलावा आलिया भट्ट, पूजा भट्ट व संजय दत्त हैं. जबकि मोहित सूरी की फिल्म ‘मलंग’ भी मल्टीस्टारर है. ‘मलंग’ में मेरे साथ दिशा पटनी, अनिल कपूर व कुणाल खेमू हैं.

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लेकिन मल्टीस्टारर फिल्मों में आपके किरदार की अहमियत?

-मैं फिल्म चुनते समय अपने किरदार को प्राथमिकता देता हूं. ‘कलंक’ भी मल्टीस्टारर है. इसमें सभी कलाकार मुझसे ज्यादा अनुभवी हैं. मगर फिल्म में आप देखेंगे कि हर कलाकार के किरदार की अहमियत है.

फिल्म कलंक क्या है?

-यह कहानी प्यार और रिश्तों की है. पारिवारिक रिश्तों, शादी व गम सहित कई इमोशन को लेकर एक जटिल फिल्म है. इसके हर किरदार की अपनी एक अलग कहानी है. हर किरदार के साथ आप दर्शक की हैसियत से जुड़ सकते हैं.

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फिल्म कलंक के अपने किरदार पर रोशनी डालेंगे?

-मैने देव चैधरी का किरदार निभाया है, जो कि एक अखबार का प्रधान संपादक है, प्रकाशक है. यह उसका पारिवारिक व्यवसाय है. पढ़ा-लिखा इंसान है. रिश्तों को लेकर ईमानदार और पैशेनेट  है. पर उसकी जिंदगी में जो कुछ घटता है, उन्हें वह रोक नहीं पाता और उसके साथ जो कुछ घट रहा है, उनसे निपटने का प्रयास करता रहता है.

फिल्म ‘‘कलंक’’ में आपके लिए क्या चुनौती रही?

-इस फिल्म में मेरा किरदार काफी चुनौतीपूर्ण रहा. यह एक गंभीर किस्म की फिल्म है. यह देश की आजादी से पहले 1940 के पृष्ठभूमि की कहानी है. उन दिनों हमारे देश में कई तरह के आर्थिक व राजनीतिक उथलपुथल हो रहे थे. मेरे लिए उन सब हालात के बारे में जानना बहुत जरुरी था. क्योंकि जब आप एक किरदार निभा रहे हैं, तो उस वक्त को, राजनीतिक परिस्थितियों को समझना जरूरी था. उस माहौल में जो इंसान रहता था, उसका माइंड सेट क्या होगा, इसे समझना जरुरी था. इस बात को समझे बगैर किरदार को न्याय संगत तरीके से निभाना संभव ही नहीं था. इसके लिए मैने कई किताबें पढ़ीं. इंटरनेट पर भी 1940 के समय की कुछ जानकारी पढ़ी. मेरे लिए यह काफी रोचक अनुभव रहा. बहुत कुछ जानने व समझने का अवसर मिला.

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आपने कौन-कौन सी किताबें पढ़ी?

-जवाहर लाल नेहरु की किताब ‘डिस्कवरी आफ इंडिया’ पढ़ी. यह काफी रोचक किताब है. इसे उन्होंने उस वक्त लिखा था, जब वह तीन चार साल के लिए जेल में बंद थे. यह किताब उस वक्त लिखी गयी थी, जब हमारे देश का भविष्य अनिश्चित था. इस किताब से मुझे उस काल का एक प्रस्पेक्टिव मिला. इसके अलावा शशि थरूर की किताब पोलीटिकल प्लेनेट आफ ए टाइम’. एक किताब ‘इंडियन समर’ है.

1940 के प्यार और रिश्ते, क्या वर्तमान समय में उसी तरह से हैं?

-इसका जवाब देना मुश्किल है. मुझे लगता है कि समय के साथ समाज व देश बदलता है, मगर इंसानी भावनाएं तो वही रहती हैं. एक इंसान का दूसरे इंसान के प्रति अहसास वही हैं. हमारे माता-पिता शादी को जिस नजरिए से देखते थे, शायद हम या हमारी पीढ़ी के लोग उस नजरिए से नहीं देखते हैं. समाज बदलने के साथ माइंड सेट बदलता है. मोबाइल जैसी तकनीक के चलते भी हमारे व सामाजिक व्यवहार में अंतर आया है.

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सोशल मीडिया को कैसे लेते हैं?

-अभी डेढ़-दो महीने पहले ही इंस्टाग्राम पर आया हूं. हर दिन इंस्टाग्राम पर नहीं रहता. सोशल मीडिया की लत नही हेानी चाहिए.

Edited by- Nisha Rai

Video: जब कपिल के शो में वरुण धवन ने बांधे इस एक्टर के जूतों के फीते

हाल ही में टीवी के पौपुलर कामेडी शो द कपिल शर्मा के सेट पर फिल्म कलंक की टीम प्रमोशन के लिए पहुंचीं थी. इस एपिसोड में वरुण धवन, आलिया भट्ट, सोनाक्षी सिन्हा और आदित्य रौय कपूर नजर आए. सेट पर मस्ती भरा माहौल था. इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि सभी हैरान हो गए.

वरुण ने की कृष्णा की मसाज…

सपना बने कृष्णा अभिषेक जब अपना मसाज वाला कौमिक आइटम ले कर आए तो वरुण धवन ने उनकी मसाज की, वह भी ऐसी कि कृष्णा जिंदगीभर याद रखेंगे. इस सब में वरुण के कपड़े खराब हो गए थे इसलिए वे थोड़ी देर के लिए कपड़े बदलने चले गए थे. जब वे वापस आए तो आदित्य ने कहा कि वरुण ने कपड़े बदले हैं तो वे कुछ तो बदलेंगे ही और उन्होंने जूते बदलने का फैसला लिया.

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सेट पर मंगवाए जूते…

सेट पर दूसरे जूते मंगवाए गए. अचंभे की बात तो तब हुई जब सोफे पर बैठे आदित्य के जूते के फीते वरुण ने बांधे. वे जमीन पर बैठे और एक दोस्त की तरह आदित्य को जूता पहनने में मदद की. कपिल शर्मा ने वरुण के इस कदम की खूब सराहना की. ये वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.

Edited by- Nisha Rai

जानें 51 साल की उम्र में भी कैसे खूबसूरत लगती हैं माधुरी

माधुरी दीक्षित की फिल्म कलंक 17 अप्रैल को रिलीज होने वाली है. माधुरी इस फिल्म में बहार बेगम के रोल में नजर आएंगी. फिल्म के जरिए माधुरी और संजय दत्त करीब 22 साल बाद साथ नजर आने वाले हैं. हाल ही में हमने माधुरी से इस फिल्म को लेकर खास बातचीत की. जहां माधुरी ने कई दिलचस्प खुलासे किए….

आलिया के डांस से हुईं इंप्रैस…

फिल्म ‘कलंक’ में आलिया भट्ट ने कथक डांस किया है. इस बारें में माधुरी का कहना है कि इस फिल्म में मेरा डांस करना संभव नहीं था, क्योंकि कहानी के हिसाब से ही डांस और संगीत होते है. गाना इतना खुबसूरत था कि डांस करने की इच्छा हो रही थी, लेकिन आलिया को देखकर खुशी भी हो रही थी. कभी कथक की ट्रेनिंग न लेने के बावजूद उसकी प्रस्तुति बहुत अच्छी थी. इस फिल्म में मैंने एक गाना भी गाया है और नयी कोशिश की है. मेरा एक धीमा डांस है, जो फिल्म में एक इमोशनल ट्रैक पर आता है. जिसकी कोरियोग्राफी सरोज खान ने की है.

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सरोज खान के साथ स्पेशल बौन्डिंग…

सरोज खान के साथ एक अच्छी बौन्डिंग की वजह के बारें में पूछे जाने पर माधुरी कहती है कि उनके और मेरे मन में एक ही बात किसी गाने को लेकर चलती है, जिससे काम अच्छा होता है. उनकी स्टाइल मुझे बहुत पसंद है.

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कथक डांस है खूबसूरती का राज…

51 साल की उम्र में भी माधुरी बेहद खूबसूरत और फिट हैं. आखिर क्या है इसका राज. इस बारे में माधुरी ने खुलासा करते हुए बताया- मेरी फिटनेस और खूबसूरती का सारा क्रेडिट कथक डांस को जाता है, मैं आज भी वैसे ही प्रैक्टिस करती रहूं, जैसे पहले करती थीं.

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नए जेनरेशन के साथ काम करना अच्छा लगा…

इसके अलावा आज के नए जेनेरेशन के साथ काम करने में बहुत अच्छा लगा, क्योंकि वे उम्र के हिसाब से काफी मेच्योर है. जिसमें आलिया भट्ट,वरुण धवन, आदित्य रौय कपूर सभी है, क्योंकि आप उनके रिएक्शन को नहीं जान सकते, उनके काम करने के तरीका पता नहीं होता, ऐसे में आपको उसे खोजना पड़ता है. स्पेस की कमी नहीं होती, क्योंकि सबको काम करने का मौका मिलता है और वे उसी में कुछ कर सकते है.

 ‘कलंक’ का ‘जफर’ बनने के लिए करनी पड़ी कड़ी मेहनत: वरुण धवन

बौलीवुड एक्टर वरूण धवन ने अपनी आने वाली फिल्म कलंक को पर्सनल लाइफ को लेकर इंंटरव्यू के दौरान कई खुलासे किए, आइए जानते है उनसे हुई मुलाकात के कुछ अंश…

आजकल आप बहुत ही इंटेंस भूमिका निभा रहे है, जबकि आपकी फिल्म अक्टूबरनहीं चली, फिल्म कलंक में खास क्या है, जिससे आप उत्साहित हुए?

इस फिल्म में मैंने बहुत अलग काम किया है. इस जोनर में मैंने कभी काम नहीं किया है. थिएटर करते वक़्त मैंने हमेशा ड्रामेटिक अभिनय किये है, जिसे करने का मौका अभी तक मुझे नहीं मिला था. जब मैंने अक्टूबर जैसी फिल्म की थी, तो शुरू में ही पता लग गया था कि ये फिल्म कितनी चलेगी. जितनी भी चली ठीक थी. मैं जब इस तरह की फिल्में करता हूं तो सोचता हूं कि फिल्म में लगाये पैसे का लौस न हो, लेकिन अगर ‘कलंक’ जैसी फिल्म न चले, तो दुःख होता है. आर्ट फिल्म से आप सौ करोड़ के बिजनेस की उम्मीद नहीं कर सकते. मुझे एक्टिंग में प्रयोग करते रहना पसंद है.

क्या आपको एक्सपेरिमेंट से डर नहीं लगता ?

हर कोई एक्सपेरिमेंट करता है. अमिताभ बच्चन आज भी एक्सपेरिमेंट करते है. इसके अलावा जो कहानी मुझे आकर्षित करें, उसे ही करना चाहता हूं. फिल्म ‘कलंक’ में अगर मैं कामयाब हुआ, तो एक अलग जोनर मेरे लिए तैयार हो जायेगा. इसमें डर होता है, पर मुझे अब ये करते रहना चाहिए.

इसमें आपका एक अलग लुक है, जिसके लिए आपने काफी मेहनत भी की है, कैसे किया ये सब?

इस फिल्म के लिए मुझे बहुत काम करना पड़ा. इसके लिए पहले तो मैंने अपने बाल लम्बे किये है. आंखों में सूरमा लगाया है, क्योंकि मैं साल 1940 का एक लोहार हूं और उस समय सूरमा ज्यादा लगाया जाता था. इसमें मुझे बहुत ही एग्रेसिव दिखाया गया है. जिसकी जिंदगी, ‘रूप’ (आलिया भट्ट) के आने से पहले बहुत ही अलग थी.

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इसके अलावा शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियां इसमें बहुत अधिक थी. मुझे बड़े दिखने के साथ-साथ एक मजबूत आदमी के रूप में दिखना था. जो घमंडी भी है. इसमें एक बुल फाइट पर भी सीन है, जिसमें मैंने बौडी डबल नहीं किया, जिससे मुझे काफी चोटें आई थी. इतना ही नहीं सेट पर जाने के बाद लगता था कि मैं एक अलग दुनिया में आ गया हूं. इसके अलावा डायलौग पर काफी काम करना पड़ा. ये फिल्म मुझे कम्पलीट करती है, जो मुझे किसी फिल्म ने नहीं किया.

इसमें आपने संजय दत्त के साथ काम किया है, कोई पुरानी बचपन की यादें, जिसे आप शेयर करना चाहे?

बचपन के बहुत सारे यादगार पल है. मेरे पिता संजय दत्त की वजह से ही निर्देशक बने थे. उनकी पहली पिक्चर ‘ताकतवर’ थी, जिसमें संजय दत्त और गोविंदा साथ थे. हमारे साथ उनका एक अच्छा सम्बन्ध है, लेकिन अभिनय करते वक्त वे एक कलाकार के रूप में सामने आये और अच्छा लगा.

वरुण, आपका क्रेज यूथ और बच्चों में बहुत है, सोशल मीडिया पर भी आपकी काफी फैन फोलोविंग है, लेकिन आपकी फिल्में उतनी नहीं आ रही हैइसकी वजह क्या है?

ये सही है कि लोग मुझे बच्चों की फिल्म में देखना चाहते है, लेकिन वैसी बहुत अच्छी कोई स्क्रिप्ट नहीं मिली है. अगर मिलेगी तो जरूर करूंगा. आगे मेरी कई फिल्में आ रही है.

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इस फिल्म में इटरनल लव दिखाया गया है, लव या रिलेशनशिप आपकी नजर में क्या है?

प्यार एक अच्छा एहसास है, जिसमें आप किसी के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते है. कई बार इंसान बुरा नहीं होता, पर हादसे बुरे हो जाते है, जिससे उसका गलत इस्तेमाल हो जाता है. मैंने रियल लाइफ में ऐसा अनुभव अभी तक नहीं किया है. आजकल लव ऐसा नहीं रहा, पर होना चाहिए.

आगे कौन-कौन सी फिल्में है?

फिल्म ‘कुली नंबर वन’ का रीमेक अपने पिता के साथ कर रहा हूं. इसके अलावा फिल्म ‘स्ट्रीट डांसर थ्री डी’ और ‘रणभूमि’ है.

मुंबई की इस फेमस जगह पर लौन्च होगा ‘कलंक’ का नया गाना

वरूण धवन जब भी किसी फिल्म में मुस्लिम किरदार निभाते हैं, तो उस फिल्म का एक गाना वह मुंबई के मुस्लिम बाहुल्य इलाके मोहम्मद अली रोड पर रिलीज करते हैं. जब 2016 में वरूण धवन ने फिल्म ‘ढिशुम’ में जुनैद अंसारी का किरदार निभाया था, तब फिल्म ‘ढिशुम’ का एक गाना उन्होंने वहीं रिलीज किया था. अब करण जौहर निर्मित अभिषेक वर्मन की फिल्म ‘कलंक’ में भी वरूण धवन ने जफर नामक मुस्लिम लोहार का किरदार निभाया है.

कलंक’ का नया गाना ‘ऐरा-गैरा’

बौलीवुड में चर्चाएं है कि 13 अप्रैल को वरूण धवन ‘कलंक’ के नए गाने ‘ऐरा-गैरा’ को मोहम्मद अली रोड पर रिलीज करेंगे. इस गाने में उनके साथ कृति सैनन भी हैं. पर वरूण धवन इस पर गोल मोल जवाब देते हैं. हाल ही में उनसे एक्सक्लूसिव बात करते हुए हमने वरूण धवन से पूछा-

‘‘सुना है आप ‘कलंक’के गीत ‘ऐरा गैरा’ को लांच करने के लिए मुंबई में मोहम्मद अली रोड पर जाने वाले हैं? तो वरूण धवन ने कहा-

‘‘अरे..आपको कैसे पता चला. अभी तक तो मैं मन में सोच रहा था. अभी तक कुछ भी तय नहीं है. हम लोगो ने एक गाना गेटी ग्लैक्सी सिनेमाघर में जाकर लौन्च किया. दूसरा गाना हम मोहम्मद अली रोड पर लौन्च करना चाहते हैं. या फिर हैदराबाद में चार मिनार पर. इस तरह से मैं लोगों के करीब पहुंचता हूं. मुझे उनकी प्रतिक्रिया मिलती है.

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लोंगो से जुड़ने का मौका…

इस तरह मुझे खुशी मिलती है, लोगों को मुफ्त में मनोरंजन मिलता है. क्योंकि इसके लिए कोई टिकट नहीं लगती. देखिए, एसी रूम में बैठकर पता नहीं चलता कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं? पर जब हम इस तरह उनके करीब पहुंचते हैं, तो पता चलता है कि वह हमें कितना पसंद करते हैं. इसलिए जमीन पर, सड़क पर उतरना जरुरी है. देश में घूमना जरुरी है.’’

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बता दें कि करण जौहर के प्रोडक्शन में बनी फिल्म कलंक को अभिषेक वर्मन ने निर्देशित किया है. फिल्म में माधुरी के अलावा संजय दत्त, आलिया भट्ट, सोनाक्षी सिन्हा, आदित्य रौय कपूर व वरूण धवन भी नजर आएंगे.

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