मैंने दर्शकों की सोच को ध्यान में रखकर कभी काम नहीं किया- राजीव खंडेलवाल

बौलीवुड फिल्म ‘आमिर’ से लेकर टीवी सीरियल ‘कहीं तो होगा’ से पहचान बनाने वाले एक्टर राजीव खंडेलवाल (Rajeev Khandelwal) अपनी फैमिली और पर्सनल लाइफ को महत्व देना पसंद करते हैं. जल्द ही वह वेब फिल्म ‘मर्जी’ में नजर आने वाले हैं, जिसमें वह एक डौक्टर के रोल में नजर आने वाले हैं. पेश है वूट सेलेक्ट के लौंच पर राजीव खंडेलवाल (Rajeev Khandelwal) से खास बातचीत के कुछ अंश

सवाल- इसे करने की खास वजह क्या है?

ये एक नयी तरह की फिल्म है, जिसमें मेरी भूमिका बहुत ही दमदार है. एक डॉक्टर कैसे किसी बात को अपने तरीके से कहने की कोशिश करता है उसे दिखाने की कोशिश की है. ये एक थ्रिलर फिल्म है और सभी इससे अपने आपको रिलेट कर सकते है. मैंने जितने भी चरित्र किये है, उनसे अलग है और मैं इसे लेकर बहुत उत्साहित हुआ था.

सवाल-ये फिल्म क्या कहने की कोशिश करती है?

इस शो का नाम मर्ज़ी है और मर्ज़ी हर इंसान की अलग-अलग होती है. एक डॉक्टर के जीवन की कहानी है, जो बहुतों को पता नहीं है.

 

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सवाल- डॉक्टर को भगवान का रूप दिया जाता रहा है, लेकिन आज डॉक्टरों के साथ कई वारदाते हो जाया करती है, उन्हें बीमार लोगों के परिजनों द्वारा मारपीट का सामना करना पड़ता है, आप इस बारें में क्या सोच रखते है?

मेरे हिसाब से डॉक्टर एक प्रोफेशन से जुड़ा होता है. हमारी गलती ये होती है कि कभी हम उसे भगवान तो कभी हैवान मान लेते है. आम इंसान को समझने की जरुरत होती है कि वह रोगी को लेकर एक प्रोफेशनल के पास जा रहा है और उस व्यक्ति से कुछ गलती हो भी जाती है तो ये वह जानबूझकर नहीं करता. कोई भी डॉक्टर अपनी तरफ से मरीज को सही करने की कोशिश करता है. कई बार बॉडी कुछ अलग रियेक्ट करती है और कुछ गलत हो जाता है. कोई भी डॉक्टर अपनी तरफ से किसी मरीज को ज़हर नहीं देता. मुझे याद आता है कि जब मेरी मां को कैंसर हुआ था तो बहुत लोगों ने अलग-अलग सलाह दी. मैं जिस डॉक्टर के पास गया था उन्होंने बहुत कोशिश की थी, पर मेरी मां गुजर गयी. जीवन अनिश्चित होता है, उसके लिए किसी की मारपीट करना, मैं सही नहीं समझता.

सवाल- हमारे देश में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बहुत कम है, समय पर सही डॉक्टर के पास लोग नहीं पहुंच पातें, इस बारे में आप क्या कहना चाहते है?

छोटे शहरों और गांव की अगर हम बात करें तो वहां स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारियों में काफी कमी है, ऐसे में प्रसाशन और धनसंपदा युक्त लोगों की ये जिम्मेदारी है कि इन जगहों पर सही स्वास्थ्य केंद्र को स्थापित कर लोगों को इसके बारें में जानकारी दें, क्योंकि गांव में रहने वाले गरीब को शहरों में आकर स्वास्थ्य सेवा लेना संभव नहीं.

सवाल- आजकल फिल्में और वेब सीरीज की कहानियों में काफी बदलाव आया है, आप इसे कैसे लेते है?

मैंने कैरियर के 15 साल में दर्शकों की सोच को ध्यान में रखकर काम नही किया है. मैंने काम ऐसा करने की कोशिश की है कि उन्हें पसंद आयें. ये मेरी कमजोरी और स्ट्रेंथ दोनों ही है. मर्ज़ी शो को भी मैंने इसलिए किया, क्योंकि इस दौर में ऐसी कहानी कहने की जरुरत है. आज हर कोई अपनी बात सोशल मीडिया के द्वारा कह सकता है. किसी को दबाना आज संभव नहीं.

 

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A big thanks to all those who took out time and wished us. Here’s me and Manjiri sending all our love and gratitude- Rajeev Khandelwal

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सवाल- सोशल मीडिया आजकल बहुत प्रभावशाली होने की वजह से इसका गलत प्रयोग भी कई बार होता है, आप इस बात से कितना सहमत रखते है? आप खुद कितना सोशल मीडिया पर एक्टिव है?

जब भी कोई नयी चीज से लोग परिचित होते है तो उसके दो पहलू होते है और ये मानव प्रवृत्ति है कि उसका उपयोग और दुरुपयोग दोनों ही होगा. ये हमेशा रहेगा, पर ये आपकी सोच है कि आप किसे लें और किसे नज़रअंदाज करें. मैं सोशल मीडिया पर एक्टिव नहीं.

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सवाल- आप बहुत कम काम करते है, इसकी वजह क्या है?

मैं कभी प्लानिंग नहीं करता. जैसे काम आता है वैसे ही करता रहता हूं. काम न हो तो अपने परिवार के साथ समय बिताने चला जाता हूं. मैं काम के साथ-साथ अपने परिवार को भी अधिक महत्व देता हूं. मेरा सपना केवल काम को लेकर नहीं, परिवार को लेकर भी है. मैं अधिक किसी बात को नहीं सोचता और मेरे लिए सफलता केवल काम को लेकर नहीं है. यही वजह है कि मैं किसी पार्टी या अवार्ड फंक्शन में नहीं दिखता. मेरा रिश्ता दर्शकों के साथ केवल स्क्रीन का है.

मेरी ताकत मुझे अपने फैसले से मिलती है – राजीव खंडेलवाल

टीवी धारावाहिक ‘क्या हादसा क्या हकीकत’ से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता, गायक, होस्ट और वौइस आर्टिस्ट है. फिल्म ‘आमिर’ उनके अभिनय जीवन की टर्निंग पौइंट थी, जिसके बाद से उन्हें पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. उनके जीवन में उतार-चढ़ाव बहुत आये पर वे रुके नहीं उन्हें हमेशा एक अच्छी कहानी की तलाश होती है, जिसमें वे अपनी प्रतिभा का खुलकर प्रयोग कर सकें. वे कम काम करते है और इसकी वजह उनका निजी जीवन है, जिसमें वे अपनी पत्नी के साथ गोवा जाकर समय बिताना और औरगेनिक खेती से उगे हुए सब्जियों को खाना पसंद करते है. वे एक अच्छे शेफ भी है और नयी-नयी एक्सपेरिमेंटल डिश बनाना पसंद करते है. शूटिंग न होने पर सुबह की चाय वे अपनी पत्नी मंजरी को बनाकर देते है. वे अपने निजी जीवन और कैरियर से बहुत संतुष्ट है और आगे भी वैसी ही जीवन बिताना चाहते है. ऑल्ट बालाजी और जी 5 की वेब सीरीज ‘कोल्ड लस्सी और चिकन मसाला’ जो रिलीज हो चुकी है. उनसे मिलकर बात करना रोचक था पेश है कुछ अंश.

सवाल- इस शो की करने की ख़ास वजह क्या है?

ये मैं पहली बार रोमांटिक जोन में अभिनय कर रहा हूं. एकता कपूर ने मेरे हुनर को पहचाना और काम करने का मौका दिया है. मुझे अभिनय करने में भी बहुत मज़ा आया है. इसकी कहानी मुझे बहुत अच्छी लगी है. इसके अलावा निर्देशक प्रदीप सरकार और को स्टार दिव्यंका त्रिपाठी ने मुझे बहुत सहयोग दिया है. मुझे सालों से प्रदीप सरकार के साथ काम करने की इच्छा थी और वह मुझे मिला.

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सवाल- आप फिर से एक बड़ी ब्रेक के बाद वेब सीरीज में काम कर रहे है, इसकी वजह क्या है?

मैं जिंदगी जीता हूं और काम करता हूं. यही मेरी रूटीन चल रही है. मैं अक्सर सबको कहता हूं कि जिंदगी मेरा काम नहीं, काम मेरी जिंदगी नहीं है. जिंदगी में काम एक छोटी सी डिपार्टमेंट है,जिसके बाद मेरी एक दुनिया है, जिसे मुझे देखना है. मैं मौडरेट जिंदगी जीता हूं.

सवाल- आपने इस वेब सीरीज में शेफ की भूमिका निभाई है, रियल लाइफ में क्या-क्या बना लेते है?

मैं सबकुछ बना लेता हूं, लेकिन जो मैं नहीं खाता, उसे नहीं बनाता. मैं किसी रेसिपी को फोलो नहीं करता. मैं हमेशा कुछ क्रिएट करना पसंद करता हूं, जिससे सबको ख़ुशी मिलती है. मैं बचपन से ऐसा ही था. ग्रीटिंग कार्ड खुद बनाकर सबको भेजता था. पर्सनल लाइफ में भी मैंने  अपने गर्लफ्रेंड को भी ऐसी सरप्राइज हमेशा देता रहता था. कभी-कभी ये प्रयोगात्मक कार्य उल्टा भी पड़ता है.

सवाल- जब आप शूटिंग नहीं करते तो क्या करते है?

मेरा एक घर गोवा में है,जहां मैं फल और सब्जियां और्गेनिक तरीके से उगाता हूं, मुझे वहां की फ्रेश सब्जियां खाता हूं. इसके अलावा मैं ट्रेवल करना, वाद्य यंत्र बजाना आदि करता हूं. उसी से मुझे बहुत सुकून मिलता है. कभी-कभी कुछ भी नहीं करता. संगीत मेरा शौक है उसे प्रोफेशन बनाना नहीं चाहता.

सवाल- फिल्म के सफल होने में निर्देशक का कितना हाथ होता है?

पूरी तरह से निर्देशक ही होता है,क्योंकि उसके पास फिल्म की पूरी विज़न होती है. मेरी जो फिल्में सफ़ल नहीं हो पायी है, इसकी जिम्मेदारी निर्देशक को ही समझता हूं. मैंने हमेशा डेब्यू कर रहे निर्देशको के साथ काम किया है, क्योंकि मेरी कई फिल्में नयी निर्देशकों के साथ ही सफल हुई है. मैं निर्देशक की परिभाषा समझता हूं और उसे अभिनय कितनी हद तक चाहिए उसे भी समझता हूं.  मुझ जैसे कलाकार के लिए एक अच्छे निर्देशक का होना बहुत आवश्यक है.

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सवाल- इतनी लम्बी जर्नी और सेलेक्टिव काम करने के बाद भी आप फ्रेश दिखते है, इसकी वजह क्या है?

ये अच्छी बात है कि लोग अभी भी मुझे देखना चाहते है और यही मेरी उपलब्धि है. मैं बहुत लोगों से संपर्क में नहीं रहता. मैं चाहता हूं कि निर्माता निर्देशक मेरे काम से खुश होकर ही मुझे काम दें. मैं कभी ब्यूटी ट्रीटमेंट नहीं लेता. किसी डिज़ाइनर से कपड़े नहीं लेता. मैं जैसा हूं वैसा ही दिखना चाहता हूं.एक्टर लगना चाहिए उस पर मैं विश्वास नहीं करता. मैं किसी इवेंट पर अपने लिए बाउंसर नहीं रखता, मुझे बहुत तकलीफ होती है. मेरी लाइफ में ऐसी कोई डरावनी बात नहीं है. मैं रिलेटेबल लगना चाहता हूं. मेरी सारी ताकत मुझे अपने फैसले से मिलती है. चाहे वह कैरियर के फैसले, इंजीनियरिंग छोड़ कर एक्टिंग में आना, घर छोड़ अकेले रहना आदि हो, सब कुछ मैंने अपनी समझ से किया और यहां पर हूं. 17 साल मैंने ऐसे ही बिताया है, कभी किसी पार्टी या अवार्ड फंक्शन में नहीं गया फिर भी टिका हूं और अच्छा काम मिल रहा है. ये तरीका भी सही है. मीडिया में छाए रहने के लिए खरीद कर अपनी इमेज बनाना, मैंने नहीं किया है और न ही करूँगा.

सवाल- क्या आप अपनी पत्नी से भी कुछ अलग-अलग एक्सपेरिमेंट करने की आशा रखते है?

मैं पत्नी मंजरी से कोई आशा नहीं रखता, वह जैसी है वैसी ही मुझे पसंद है. रोज सुबह मैं उसके लिए चाय बनाता हूं. इससे मुझे ख़ुशी मिलती है.

सवाल- कोई सामाजिक कार्य जिसे आप करना चाहते है?

मैं घर से चैरिटी करने को सही मानता हूं, ऐसे में जिनकी जिंदगी के साथ जुड़ा हूं, उनकी जिंदगी में अगर कुछ अच्छी चीजे या बदलाव ला सकता हूं, तो वही मेरे लिए चैरिटी है.

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