जानें क्या है वजाइनल यीस्ट इंफेक्शन और रिप्रोडक्शन

महिलाओं में हार्मोनल स्तर के लगातार इंबैलेंस, बैक्टीरिया या सेक्स एक्टिविटीज के कारण योनि से जुड़ी समस्याएं होती हैं. हर साल इससे लाखों महिलाएं ग्रसित होती हैं. अपनी इस बीमारी के बारे में वो किसी से खुल कर बता भी नहीं पाती हैं और सही उपचार भी नहीं कर पाती हैं. महिलाओं में योनिशोथ (Vaginitis) एक बहुत बड़ी समस्या है. वास्तव में यह संक्रमण प्रजनन के समय अधिक तेज़ी से होता है.

इस बारे में बता रही है-डॉ. रत्‍ना सक्सेना, फर्टिलिटी कंसल्टेंट, बिजवासन, दिल्ली एनसीआर, नोवा साउथएंड आईवीएफ एंड फर्टिलिटी.

वजाइनल यीस्ट इंफेक्शन

योनि यीस्ट संक्रमण फंगल एजेंट्स की वजह से होता है जोकि अन्य लक्षणों के साथ खुजली, जलन, सूजन और योनि से बदबूदार डिस्चार्ज के रूप मे सामने आता है. लगभग 75% महिलाओं को अपने जीवन में कभी ना कभी यह रोग होता है, कई महिलाओं को तो दो या उससे ज्यादा बार यह समस्या होती है. योनि यीस्ट संक्रमण का सबसे आम कारण कैंडिडा एलिसिन, नामक एक फंगस है, जो सभी मामलों में 92 प्रतिशत तक जिम्मेदार होता है. हालांकि, यह फंगस शरीर में पहले से मौजूद होता है, लेकिन इसकी वृद्धि लक्षणों को और बिगाड़ सकती है. आमतौर पर, योनि एसिड संतुलन इस फंगस को बढ़ने से रोकता है. वैसे, योनि के एसिड में बदलाव, बीमारी, मासिक धर्म, गर्भावस्था, कुछ दवाओं या गर्भनिरोधक गोलियों के कारण भी हो सकता है, यीस्ट के बढ़ने की दर को तेज कर सकता है. वास्तव में, 50% तक महिलाओं में यह वायरस होता है फिर भी कोई लक्षण या संकेत दिखाई नहीं देते.

केवल यीस्ट संक्रमण ही सीधेतौर पर महिलाओं में प्रजनन को प्रभावित नहीं कर सकता. हालांकि, यीस्ट संक्रमण की वजह से होने वाली असहजता और खुजली उसे संभोग करने से रोक सकती है, इसलिये उसके गर्भवती होने की संभावना प्रभावित हो सकती है. यदि उपचार कराया जाए तो यीस्ट संक्रमण आसानी से ठीक किया जा सकता है और दो हफ्ते या उससे ज्यादा वक्त में खत्म किया जा सकता है.

योनि के यीस्ट:

ऐसे कई कारण हैं जो योनि क्षेत्र में बैक्टीरिया के प्राकृतिक संतुलन को बिगाड़ सकते हैं. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

हॉर्मोन में बदलाव:

ओव्यूलेशन, रजोनिवृत्ति, गर्भावस्था, हॉर्मोन थैरेपी और गर्भनिरोधक गोलियां सभी हॉर्मोनल बदलाव के उदाहरण हैं.

एंटीबायोटिक्स:

एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉयड्स, सेहतमंद बैक्टीरिया को खत्म कर सकते हैं, जोकि योनि क्षेत्र की सुरक्षा करने या फिर प्राकृतिक बैक्टीरियल संरचना में बदलाव ला सकते हैं.

डायबिटीज:

डायबिटीज योनि की कोशिकाओं में ग्लाइसोजेन के स्तर को कम कर सकता है और योनि में पीएच संतुलन को बढ़ा सकता है, जिससे फंगल इंफेक्शन का खतरा और बढ़ जाता है.

प्रतिरक्षा को कम करने वाले तत्‍व :

इम्‍युनिटी एचआइवी/एड्स, कीमोथेरैपी जैसे रोगों और शक्तिशाली दवाओं से कमजोर हो सकती है.

योनि के जख्म: योनि इंसर्शन्‍स की वजह से होने वाले जख्मों से रक्तधारा में बैक्टीरियल और फंगल रोगाणु पहुंच सकते हैं.

टाइट अंडरपैंट:

टाइट, सिंथेटिक अंडरपैंट की वजह से अत्यधिक गर्मी, नमी और असहजता हो सकती है.

यीस्ट संक्रमण के लक्षण

चूंकि, यीस्ट इंफेक्शन के लक्षण अन्य योनि संक्रमणों से मिलते-जुलते हो सकते हैं, इसलिये इलाज शुरू करने से पहले जांच करवाना बहुत जरूरी है. इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

खुजली:

यह संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करता है, योनि की खुजली हल्के से गंभीर हो सकती है.

योनि डिस्चार्ज:

खमीर या ब्रेडी दुर्गंध के साथ एक गाढ़ा, चिपचिपा सफेद डिस्चार्ज.

सूजन: 

इसमें योनि लाल हो जाती है या जलन पैदा करती है.

जलन:

यूरीन या संभोग के दौरान दर्द महसूस होना.

यीस्ट संक्रमण और प्रजनन

कभी-कभार होने वाला यीस्ट संक्रमण जो आसानी से ठीक हो जाता है, आपकी प्रजनन क्षमता पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. यौन क्रिया के लिये आपकी इच्छा को कम करके ही यह आपको प्रभावित कर सकता है. दूसरी ओर, बार-बार होने वाले यीस्ट संक्रमण, सर्वाइकल म्यूकस की स्थिरता और प्राकृतिक योनि की स्थिति को बाधित कर सकते हैं, जिससे शुक्राणु का गर्भाशय में प्रवेश करना अधिक कठिन हो जाता है. चरम परिस्थितियों में, यह बांझपन का कारण बन सकता है और प्रजनन उपचार को जरूरी बना सकता है. याद रखें, जब आप गर्भ धारण की कोशिश कर रहे हों तो बीमारी से मुक्त रहना महत्वपूर्ण है, क्योंकि बीमारी न केवल आपके साथी, बल्कि आपके बच्चे को भी हो सकती है.

यीस्ट संक्रमण को कम करने के उपाय

जैसा कि नीचे बताया गया है, यीस्ट संक्रमण को आहार में बदलाव और ऊपरी तौर पर दवाई लगाकर ठीक किया जा सकता है.

आहार में बदलाव

परिष्कृत अनाज, मिठाई और शराब सभी फंगल संक्रमण को बढ़ा सकते हैं, इसलिये उपचार के दौरान इनसे दूर रहना बेहतर है. ताजे फल और सब्जियों, पौष्टिक अनाज और ऑर्गेनिक दही का सेवन बढ़ाएं. इम्युनिटी बढ़ाने और बैक्टीरिया से लड़ने के लिये, एंटीबायोटिक और मल्टीविटामिन सप्लीमेंट लेने के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें. आहार में बदलाव के परिणाम दिखने में 5-6 सप्ताह तक का समय लग सकता है.

ऊपरी उपचार

यीस्ट संक्रमण के लक्षणों को कम करने के लिये आप कई तरह के घरेलू उपाय कर सकती हैं. टी ट्री ऑयल एक एंटीसेप्टिक, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल एजेंट होता है, जिसका इस्तेमाल नहाने के पानी में किया जाता है और इसके बेहतरीन परिणाम मिलते हैं. हर बार अपनी बाल्टी में, 10 बूंदें डालें, लेकिन इसे सीधे अपने योनि क्षेत्र में ना लगाएं. साथ ही अपनी स्त्रीरोग विशेषज्ञ से भी ऊपरी थैरेपीज के बारे में बात करें, जोकि आपको राहत महसूस कराने में मदद कर सकें.

यीस्ट संक्रमण की वजह से अपने योनि की असहजता और दर्द को दूर करके खुद को बचाएं. इस बीमारी का प्रबंधन करने के लिये उपचार की सही रणनीति अपनाएं और इसके खतरनाक प्रभावों से बचें.

Intimate Hygiene से जुड़ी बीमारियों का ऐसे करें इलाज

क्या आप किसी प्रकार की इंटिमेट बीमारी से परेशान है? क्या डॉक्टर से कहने में शर्म महसूस करती है? किससे कहूँ? कैसे कहूँ? जैसी झिझक आपको है, तो लीजिये पढ़िए ये लेख जिसमे आपको सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जायेंगे. महिलाएँ आज सभी क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही है, लेकिन वे शरीर से सम्बंधित किसी भी विषय को खुलकर नहीं कहती,पति से भी नहीं. अन्तरंग भाग की कुछ बिमारियों को वह किसी से नहीं कह पाती, इसका उदहारण एक लेडी डॉक्टर के पास मिला, जैसा कि 35 वर्षीय महिला डॉक्टर से भी अपनी बात कहने से शर्म महसूस कर रही थी और डॉक्टर पूरी तरह से उसे डांट रही थी, जबकि उसे इंटरनली कुछ बड़ी इन्फेक्शन हो चुकाथा, जिसका इलाज जल्दी करना था.

इस बारें में नानावती मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ,डॉ. गायत्री देशपांडे कहती है कि आज भी छोटे शहरों की महिलाएं, किसी पुरुष स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच नहीं करवाती, उनके पास डिलीवरी के लिए नहीं जाती. असल में अंतरंग स्वच्छता और देखभाल का उनकी शारीरिक व मानसिक हेल्थ पर काफी असर होता है, लेकिन जागरूकता के साथ-साथ समय पर चिकित्सीय सहायता से वल्वोवैजाइनल इन्फेक्शन के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. खासकर गर्मियों के मौसम में इंटिमेट हायजिन को बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि पसीने और गर्मी से इंटिमेट पार्ट में फंगल इन्फेक्शन बहुत जल्दी होता है, इसलिए महिलाओं को इस बात से अवगत होना चाहिए कि, अंतरंग स्वच्छता केवल साफ-सफाई नहीं बल्कि बड़े पैमाने पर उनकी भलाई से जुड़ा विषय है. महिलाओं को उन सभी सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक बाधाओं को खुद से दूर रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि उन्हें इस विषय पर खुलकर बातचीत करने और अंतरंग देखभाल के सबसे बेहतर साधनों का उपयोग करने से रोका जाता है और कुछ घरेलू नुस्खे का प्रयोग किया जाता है, जिससे बीमारी अधिक बढ़ती है औए कई बार ये इन्फेक्शन इतना अधिक फ़ैल जाता है, जिसे कंट्रोल करना मुश्किल होता है और उस महिला की मृत्यु भी हो सकती है.

इंटिमेट हाइजिन है क्या

डॉ.गायत्री आगे कहती है कि गर्भाशय ग्रीवा की बाहरी सतह से लेकर योनि के छिद्र तक की परत को वजाइनल म्यूकोस (योनि श्लेष्मा) कहते है, जो कुदरती तौर पर निकलने वाले तरल पदार्थों की मदद से खुद को साफ करने में सक्षम होता है, खुद को साफ करने की क्षमता के बावजूद, योनि में कई स्वस्थ बैक्टीरिया (लैक्टोबैसिली) मौजूद होते है,जो संक्रमण की रोकथाम के साथ-साथ माइक्रोबियल संतुलन बनाए रखते है. कई तरह के बाहरी या आंतरिक असंतुलन अथवा आदतों की वजह से डिस्बिओसिस, यानी स्वस्थ माइक्रोबियल की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे योनि या मूत्र मार्ग में संक्रमण होने का डर रहता है.

इसके अलावा योनि को प्रतिदिन धोने, शौच के बाद टिश्यू पेपर या वेट वाइप्स का उपयोग करने, स्नान करने और अच्छी तरह सुखाने, अंडरगारमेंट्स की सफाई, मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता बरकरार रखने और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कियौन-संबंध बनाने से पहले औरबाद में स्वच्छता का ध्यान रखने जैसी अच्छी आदतों से योनि और इससे संबंधित सभी अन्तरंग अंगों की हिफाज़त करने में काफी मदद मिलती है.कुछ सुझाव निम्न है जिसे अपनाने से इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है.

रखें नियमित सफाई एवं स्वच्छता

हर बार पेशाब करने के बाद योनि को सामने की तरफ से लेकर पीछे तक सादे पानी से धोना जरूरी है. महिलाओं को समझना चाहिए कि योनि क्षेत्र भी उनकी सामान्य त्वचा की तरह ही है, इसलिए नहाते समय इसे भी शरीर के दूसरे अंगों की तरह सामान्य साबुन या बॉडी वॉश से आगे से पीछे की ओर धोना चाहिए. इसकी वजह, पीछे के मार्ग (गुदा) पर बैक्टीरिया या जीवाणु मौजूद हो सकते है, जिनके संपर्क में आने से योनि में संक्रमण हो सकता है.

सही फैब्रिक का करें चुनाव

महिलाओं के लिए सूती पैंटी पहनना ही सबसे बेहतर है, जो नमी को सोखने में और इंटिमेट पार्टको सूखा रखने में सहायक होती है. इसी तरह, महिलाओं को बेहद तंग, गहरे रंग वाले या नम कपड़ों से परहेज करना चाहिए अपने कपड़ों को पहनने से पहले उन्हें साफ-सुथरी जगह पर धूप में सुखाना जरुरी है, ताकि अन्तरंग भागों के आसपास नमी की मौजूदगी भी संक्रमण का एक प्रमुख कारण हो सकती है

सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग

सार्वजनिक शौचालयों में ई-कोलाई, स्टैफिलोकोकी, स्ट्रेप्टोकोकी जैसे सक्रिय जीवाणु मौजूद होते है, जो महिलाओं के मूत्र-मार्ग में संक्रमण (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) का सबसे आम कारण होता है. इन शौचालयों के साफ-सुथरे दिखने के बावजूद, टॉयलेट सीट, फ्लश, वॉटर नॉब्स या दरवाज़े के हैंडल जैसी जगहों पर कीटाणु और बैक्टीरिया मौजूद हो सकते है. इससे बचने के  लिए आवश्यक सावधानी बरतनी चाहिए,मसलन टॉयलेट सीट पर टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करना, कपड़े या शरीर को छूने से पहले हाथ साफ करने के लिए सैनिटाइज़र और अपने पास मौजूद साबुन का उपयोग करना चाहिए. बाहर के वॉशरूम और टॉयलेट का उपयोग करने के बाद लैक्टिक एसिड आधारित वजाइनल वॉश का उपयोग करना, योनि की देखभाल के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

खुद को रखे स्वच्छ,यौनसंबंध से पहले

यौन-संबंधों के दौरान साथी द्वारा साफ-सफाई नहीं रखने की वजह से महिलाओं के मूत्र-मार्ग में संक्रमण (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) या योनि में संक्रमण भी हो सकता है. यौन-संबंध बनाने के बाद हमेशा मूत्र त्याग की कोशिश करनी चाहिएऔर योनि को आगे से पीछे की ओर साफ करना चाहिए. कंडोमऔर गर्भनिरोधक तरीकों का उपयोग करना यौन-संबंधों से होने वाले संक्रमणों की रोकथाम में बेहदमुख्यभूमिका निभा सकता है.एक से अधिक साथी के साथयौन-संबंधों से परहेज करेंऔर अपने साथी सेभीप्राइवेट पार्टकी स्वच्छता बनाए रखने का अनुरोध करें.

रहे सावधान फीका रंगत वाला या बदबूदार स्राव से

माहवारी के दिनों में फीका रंगत वाला मामूली स्राव होना बेहद सामान्य बात है. हार्मोन में बदलाव की वजह से ऐसे स्राव में योनि तथा गर्भाशय ग्रीवा की त्वचा की कोशिकाएँ मौजूद होती है, लेकिन इस तरह के स्राव के बरकरार रहने, गंध और समय-सारणी को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह माहवारी के दौरान शरीर में होने वाले बदलावों को दर्शाता है. प्री-ओव्यूलेटरी डिस्चार्ज (अण्डोत्सर्ग से पहले का स्राव) अपेक्षाकृत गाढ़ा, कम और गोलाकार होता है, जबकि पोस्ट-ओव्यूलेटरी वजाइनल डिस्चार्ज (माहवारी से एक हफ्ते पहले) अधिक मात्रा में, बहुत पतला और चिपचिपा होता है. महिलाओं को यह समझना चाहिए कि इस तरह के स्राव बेहद सामान्य हैऔर स्वस्थ अण्डोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) की प्रक्रिया का संकेत देते है.

हालाँकि, अगर यह स्राव बेहद गाढ़ा हैऔर इसके साथ लालिमा, खुजली या जलन की समस्या जुड़ी हुई है और आपके माहवारी के दिनों के अलावा ऐसा होता है, तो इस समस्या पर तुरंत ध्यान देना और स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना बेहद जरूरी है. कैंडिडल, मोइलियल या ट्राइकोमोनल इन्फेक्शन की वजह से इस तरह के स्राव हो सकते है. बैक्टीरियल वेजिनोसिस के कारण होने वाले स्राव में मछली की तरह तेज गंध होती है. इसके अलावा, डायबिटीज मेलिटस से पीड़ित महिलाओं में बार-बार योनि और मूत्र संक्रमण होने की संभावना अधिक होती है.

सम्हलकर करें,प्यूबिक हेयर की वैक्सिंग या ट्रिमिंग

शरीर के किसी भी अन्य छिद्र की तरह, प्राइवेट पार्ट के बाल भी योनि के छिद्र की हिफाजत करते है, जो कई सूक्ष्मजीवों के लिए किसी रुकावट की तरह काम करते है,इसलिए, वैक्सिंग कराने से न केवल योनि के ऐसे सूक्ष्मजीवों के संपर्क में आने की संभावना बढ़ जाती है, बल्कि वैक्सिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अनुचित साधनों से योनि के आसपास सूजन या संक्रमण भी हो सकता है, रैशेज और इन्फेक्शन से बचने के लिए प्यूबिक एरिया को साफ रखना जरूरी है.

इलाज से बेहतर है, रोकथाम

महिलाओं के लिए समस्याग्रस्त होने के बाद इलाज कराने के बजाय इसकी रोकथाम पर ध्यान देना बेहतर है. साल में एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लेना, सर्विकल कैंसर से बचने के लिए समय-समय पर PAP स्मीयर टेस्ट करानाआदि स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह पर करने के साथ-साथ उनके द्वारा दी गयी दवाइयों का प्रयोग करें और अन्तरंग स्वच्छता के बारें में भी जानकारी प्राप्त करें. बीमारी का पता सही समय पर चल जाने से इलाज जल्दी हो सकता है और संक्रमण अधिक फ़ैल नहीं सकता.

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कब बोरिंग होती है मैरिड लाइफ

विवाह के कुछ वर्ष बाद न सिर्फ जीवन में बल्कि सैक्स लाइफ में भी एकरसता आ जाती है. कई बार कुछ दंपती इस की तरफ से उदासीन भी हो जाते हैं और इस में कुछ नया न होने के कारण यह रूटीन जैसा भी हो जाता है. रिसर्च कहती है कि दांपत्य जीवन को खुशहाल व तरोताजा बनाए रखने में सैक्स का महत्त्वपूर्ण योगदान है. लेकिन यदि यही बोरिंग हो जाए तो क्या किया जाए?

पसंद का परफ्यूम लगाएं

अकसर महिलाएं सैक्स के लिए तैयार होने में पुरुषों से ज्यादा समय लेती हैं और कई बार इस वजह से पति को पूरा सहयोग भी नहीं दे पातीं. इसलिए यदि आज आप का मूड अच्छा है तो आप वक्त मिलने का या बच्चों के सो जाने का इंतजार न करें. अपने पति के आफिस से घर लौटने से पहले ही या सुबह आफिस जाते समय कानों के पीछे या गले के पास उन की पसंद का कोलोन, परफ्यूम लगाएं, वही खुशबू, जो वे रोज लगाते हैं. किन्से इंस्टिट्यूट फौर रिसर्च इन सैक्स, जेंडर एंड रिप्रोडक्शन के रिसर्चरों का कहना है कि पुरुषों के परफ्यूम की महक महिलाओं की उत्तेजना बढ़ाती है और सैक्स के लिए उन का मूड बनाती है.

साइक्लिंग करें

अमेरिकन हार्ट फाउंडेशन द्वारा जारी एक अध्ययन में स्पष्ट हुआ कि नियमित साइक्लिंग जैसे व्यायाम करने वाले पुरुषों का हृदय बेहतर तरीके से काम करता है और हृदय व यौनांगों की धमनियों व शिराओं में रक्त के बढ़े हुए प्रवाह के कारण वे बेडरूम में अच्छे प्रेमी साबित होते हैं. महिलाओं पर भी साइक्लिंग का यही प्रभाव पड़ता है. तो क्यों न सप्ताह में 1 बार आप साइक्लिंग का प्रोग्राम बनाएं. हालांकि साइक्लिंग को सैक्स विज्ञानी हमेशा से शक के दायरे में रखते हैं, क्योंकि ज्यादा साइक्लिंग करने से साइकिल की सीट पर पड़ने वाले दबाव के कारण नपुंसकता हो सकती है. लेकिन कभीकभी साइक्लिंग करने वाले लोगों को ऐसी कोई समस्या नहीं होती.

स्वस्थ रहें

वर्जिनिया की प्रसिद्ध सैक्स काउंसलर एनेट ओंस का कहना है कि कोई भी शारीरिक क्रिया, जिस के द्वारा आप के शरीर के रक्तप्रवाह की मात्रा कम होती है, सैक्स से जुड़ी उत्तेजना को कम करती है. सिगरेट या शराब पीना, अधिक वसायुक्त भोजन लेना, कोई शारीरिक श्रम न करना शरीर के रक्तप्रवाह में गतिरोध उत्पन्न कर के सैक्स की उत्तेजना को कम करता है. एक स्वस्थ दिनचर्या ही आप की सैक्स प्रक्रिया को बेहतर बना सकती है.

दवाइयां

वे दवाइयां, जिन्हें हम स्वस्थ रहने के लिए खाते हैं, हमारी सैक्स लाइफ का स्विच औफ कर सकती हैं. इन में से सब से ज्यादा बदनाम ब्लडप्रेशर के लिए ली जाने वाली दवाइयां और एंटीडिप्रेसेंट्स हैं. इन के अलावा गर्भनिरोधक गोलियां और कई गैरहानिकारक दवाइयां भी सैक्स की दुश्मन हैं. इसलिए कोई नई दवा लेने के कारण यदि आप को सैक्स के प्रति रुचि में कोई कमी महसूस हो रही हो तो अपने डाक्टर से बात करें.

सोने से पहले ब्रश

बेशक आप अपने साथी से बेइंतहा प्रेम करती हों, लेकिन अपने शरीर की साफसफाई का ध्यान अवश्य रखें. ओरल हाइजीन का तो सैक्स क्रीडा में महत्त्वपूर्ण स्थान है. यदि आप के मुंह से दुर्गंध आती हो तो आप का साथी आप से दूर भागेगा. इसलिए रात को सोने से पहले किसी अच्छे फ्लेवर वाले टूथपेस्ट से ब्रश जरूर करें.

स्पर्श की चाहत को जगाएं

आमतौर पर लोगों को गलतफहमी होती है कि अच्छी सैक्स क्रीडा के लिए पहले से मूड होना या उत्तेजित होना आवश्यक है, लेकिन यह सत्य नहीं है. एकसाथ समय बिताएं, बीते समय को याद करें, एकदूसरे को बांहों में भरें. कभीकभी घर वालों व बच्चों की नजर बचा कर एकदूसरे का स्पर्श करें, फुट मसाज करें. ऐसी छोटीछोटी चुहलबाजी भी आप का मूड फ्रेश करेगी और फोरप्ले का काम भी.

थ्रिलर मूवी देखें

वैज्ञानिकों का मानना है कि डर और रोमांस जैसी अनुभूतियां मस्तिष्क के एक ही हिस्से से उत्पन्न होती हैं, इसलिए कभीकभी कोई डरावनी या रोमांचक मूवी एकसाथ देख कर आप स्वयं को सैक्स के लिए तैयार कर सकती हैं.

फ्लर्ट करें

वैज्ञानिकों का मानना है कि फ्लर्टिंग से महिलाओं के शरीर में आक्सीटोसिन नामक हारमोन का स्राव होता है, जो रोमांटिक अनुभूतियां उत्पन्न करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए दोस्तों व सहेलियों के बीच सैक्सी जोक्स का आदानप्रदान करें, कभीकभी किसी हैंडसम कुलीग, दोस्त के साथ फ्लर्ट भी कर लें. अपने पति के साथ भी फ्लर्टिंग का कोई मौका न छोड़ें. आप स्वयं सैक्स के प्रति अपनी बदली रुचि को देख कर हैरान हो जाएंगी.

वैजाइनल इन्फैक्शन से बचाव है जरूरी

वैजाइनल इन्फैक्शन यानी योनि में संक्रमण छोटी बच्ची से ले कर उम्रदराज महिला तक किसी को भी हो सकता है. कुछ महिलाएं जीवन में कई बार इस की शिकार होती हैं. वैजाइनल इन्फैक्शन वैसे तो एक आम बीमारी है पर इस की अनदेखी करने के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं. यहां तक कि बांझपन तक हो सकता है. प्रैगनैंसी के दौरान वैजाइनल इन्फैक्शन होने पर यौन रोग भी हो सकते हैं, जो होने वाले बच्चे को भी अपना शिकार बना सकते हैं.

वैजाइनल इन्फैक्शन के कारण ल्यूकोरिया जैसी परेशानी भी हो सकती है, जिस के कारण वैजाइना से सफेद बदबूदार डिस्चार्ज होता है. इस से पेट और कमर का दर्द हो सकता है. बुखार होने के साथसाथ महिलाओं में कमजोरी भी आ सकती है.

वैजाइनल इन्फैक्शन का मुख्य कारण पर्सनल हाइजीन का ध्यान न रखना है. डाक्टर मधु गुप्ता कहती हैं कि योनि संक्रमण के कारण सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज भी हो सकते हैं. पर्सनल हाइजीन का रखें ध्यान कुछ इस तरह:

साफ पानी का करें प्रयोग:

वैजाइना बौडी को साफ रखने का काम खुद करती है. पर्सनल हाइजीन के लिए जरूरी है कि बाथरूम का प्रयोग करने से पहले टौयलेट फ्लश चला लें क्योंकि अगर आप से पहले किसी रोगी ने टौयलेट का प्रयोग किया है तो आप को भी इन्फैक्शन हो सकता है.

टौयलेट के बाद वैजाइना को साफ पानी से साफ करें और फिर इस एरिया को नर्म कपड़े से सुखा लें. ऐसा करने से इन्फैक्शन से बचा जा सकता है.

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पीरियड्स में रखें खास खयाल:

पीरियड्स के दौरान इन्फैक्शन का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए इस दौरान साफसफाई का खास खयाल रखें. इन्फैक्शन से दूर रहने के लिए अच्छी किस्म के सैनिटरी पैड्स का ही प्रयोग करें. जरूरत के हिसाब से जल्दीजल्दी पैड्स बदलती रहें. टैंपून लगाने से पहले वैजाइना को पानी से वाश कराएं. इसे 5 घंटों से ज्यादा समय तक न लगाए रखें.

कौटन का प्रयोग है सही: पैंटी का प्रयोग करते समय यह जरूर देख लें कि वह कौटन की ही हो और बहुत टाइट फिटिंग वाली पैंटी का प्रयोग न करें. नायलोन और सिंथैटिक पैंटी का प्रयोग कम करें. यह पसीना पैदा करती है, जिस से वैजाइनल एरिया में स्किन इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. पैंटी को धोते समय ध्यान रखें कि उस में साबुन न रहे और इसे धोने के लिए खुशबूदार साबुन का प्रयोग न करें.

गंदे टौयलेट से रहें दूर:

इन्फैक्शन से बचने के लिए गंदे टौयलेट का भी प्रयोग न करें. जिस टौयलेट में बहुत सारे लोग जाते हों उस का प्रयोग बहुत ही सावधानी से करें क्योंकि ऐसे टौयलेट का प्रयोग करने से यूरिनरी टै्रक्ट इन्फैक्शन यानी मूत्रमार्ग इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है.

न करें खुद इलाज: अगर वैजाइना या उस के आसपास खुजली हो रही हो तो उस जगह को रगड़ें नहीं और यदि खुजली बराबर बनी रहती है तो डाक्टर से संपर्क करें. अपने मन या फिर कैमिस्ट के कहने पर दवा न लें वरना परेशानी बढ़ सकती है.

डाक्टर की सलाह से करें डाउचिंग:

वैजाइना के अंदरूनी हिस्से की सफाई के लिए डाउचिंग की सलाह दी जाती है. इस में कुछ खास किस्म की दवा मिली होती है, पर इस का प्रयोग अपने मन से न करें.

वैजाइना में अच्छे और बुरे दोनों किस्म के बैक्टीरिया मौजूद होते हैं. कभीकभी डाउचिंग से खराब बैक्टीरिया के साथसाथ अच्छे बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं, जिस से इन्फैक्शन होने लगता है.

प्यूबिक हेयर की सफाई:

प्यूबिक हेयर यानी जननांग के बाल वैजाइना की सुरक्षा के लिए होते हैं. ये यूरिन के अंश को वैजाइना में जाने से रोकने का काम भी करते हैं. समयसमय पर इन की सफाई बेहद जरूरी होती है. यहां की स्किन बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए यहां के बालों की सफाई के लिए हेयर रिमूवर और शेविंग क्रीम का इस्तेमाल कम करें. हेयर ट्रिमिंग सब से सुरक्षित उपाय माना जाता है.

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सवाल

मैं 24 वर्षीय नवविवाहित युवती हूं. जब भी पति सहवास करते हैं, मुझे भीतर बहुत जलन और खुजली महसूस होती है. क्या यह किसी गंभीर समस्या के लक्षण हैं? मुझे इस के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब-

आप ने जिस प्रकार के लक्षण बताए हैं, उस से लगता है कि आप की योनि में संक्रमण हो सकता है. अच्छा होगा कि आप समय गंवाए बिना किसी अस्पताल में जा कर किसी योग्य गाइनोकोलौजिस्ट से मिलें. वे अंदरूनी जांच करने के साथसाथ योनि से आने वाले स्राव की भी जांच करवा कर यह बता सकेंगी कि यह संक्रमण किस किस्म का है. फिर उस के अनुसार ही दवा लेने से यह रोग जाता रहेगा. इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप अपने साथसाथ अपने पति को भी जांच के लिए ले जाएं. किसी भी यौन रोग से छुटकारा पाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि पतिपत्नी दोनों साथसाथ इलाज करवाएं वरना रोग दोबारा हो जाता है.

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ये बात तो आप जानती ही हैं कि अत्यधिक गर्मी की वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है और इस वजह से लोगों को और खास तौर से स्त्रियों को यूटीआई यानि कि यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की समस्या हो जाती है.

कहीं आप भी तो अंजान नहीं है इस बीमारी से? आपको ऐसी कोई समस्या न हों इसलिए तेज गर्मी के मौसम में आपको सावधान रहना चाहिए. आइये हम आपको बताते हैं इसके लक्षणों के बारे में.

लक्षण :

  • यूरिन में जलन
  • प्राइवेट पा‌र्ट्स में खुजली या दर्द
  • थोड़ा-थोड़ा यूरिन डिस्चार्ज होना
  • ज्यादा दुर्गध के साथ, यूरिन का रंग अधिक पीला होना
  • कंपकपाहट के साथ बुखार आना
  • भूख न लगना
  • कमजोरी और थकान होना.

अगर आप भी ऊपर दी गईं किन्हीं भी समस्याओं से गुजर रहीं हैं तो आपको तुरंत इसका इलाज करना होगा.

हम यहां आपको इससे निपटने के लिए कुछ उपाय बताने जा रहे हैं…

बचाव :

1. बाहर खुले में बिकने वाली चीजें न खाएं. क्योंकि खून में होने वाला इन्फेक्शन यूरिन तक पहुंचकर ‘यूटीआई’ का कारण बन जाता है.

2. टॉयलेट और इनरवेयर की सफाई का पूरा ध्यान रखें. खास तौर से पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल से पहले और बाद में फ्लश का इस्तेमाल जरूर करें.

3. ज्यादा से ज्यादा मात्रा में तरल पदार्थो का सेवन करें.

4. इस मौसम में पसीने की वजह से स्त्रियों में वजाइनल इन्फेक्शन की भी समस्या हो जाती है. आमतौर पर इस तरह के संक्रमण में वजाइना से सफेद रंग के तरल पदार्थ का डिस्चार्ज होता है.

5. इस मौसम में स्विमिंग पूल के क्लोरीन युक्त पानी की वजह से भी कभी-कभी यह संक्रमण हो जाता है. इस समस्या से बचने के लिए स्विमिंग के बाद व्यक्तिगत सफाई का विशेष रूप से ध्यान रखें और हमेशा कॉटन के इनरवेयर का इस्तेमाल करें.

पूरी खबर पढ़ने के लिए- गर्मियों में खुद को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन से बचाएं

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

सेक्सुअल हेल्थ से जुड़ी प्रौब्लम का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 34 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. छोटी बच्ची 4 साल की है. उस के जन्म के बाद से मेरी योनि काफी ढीली हो गई है. नतीजतन पति को सैक्स के समय संतुष्ट नहीं कर पाती. इस से मन हमेशा बेचैन रहता है. पिछले दिनों एक पत्रिका में मैं ने एक विज्ञापन देखा, जिस में योनि में दवा रखने से कसावट लौट आने का दावा किया गया था. क्या उस दवा का प्रयोग करना वाजिब होगा?

जवाब-

आप जिस समस्या से परेशान हैं, वह आप की उम्र की स्त्रियों में आम पाई जाती है. प्रसूति से गुजरने और उम्र बढ़ने के साथ बहुत सी स्त्रियों में योनि की चुस्ती स्वाभाविक रूप से घट जाती है और उस में शिथिलता आ जाती है. ऐसे में उसे फिर से कसा बनानेकी सब से आसान और सुगम युक्ति नियम से श्रोणि पेशियों का व्यायाम करना है. यह व्यायाम कोई भी स्त्री दिन में किसी भी समय कर सकती है. व्यायाम करने की विधि बिलकुल सीधीसरल है. सिर्फ कुछ मिनट निकालने की जरूरत है. आप चाहें तो इसे लेटे, बैठे या खड़ी किसी भी मुद्रा में कर सकती हैं. बस, श्रोणि पेशियों को इस प्रकार सिकोड़ें और भींच कर रखें मानों मूत्रत्याग की क्रिया पर रोक लगाने की जरूरत है. 10 की गिनती तक श्रोणि पेशियों को भींचे रखें और फिर ढीला छोड़ दें. अगले 10 सैकंड्स तक श्रोणि पेशियों को आराम दें. इस के लिए 10 तक गिनती गिनें. यही व्यायाम पहले दिन 12 बार दोहराएं. फिर धीरेधीरे बढ़ाते हुए सुबहशाम 24-24 बार करने का नियम बना लें. 2-3 महीनों के भीतर ही आप योनि की पेशियों को फिर से कसा पाएंगी. नतीजतन आप दोनों के बीच का यौनसुख भी दोगुना हो जाएगा. योनि में किसी भी प्रकार का रसायन रखना उचित नहीं होगा. चाहे विज्ञापनकर्ता कितना ही भरोसा क्यों न दिलाए. रसायन के प्रभाव से योनि की नाजुक भीतरी तह में विकृति उत्पन्न होने का अंदेशा रहेगा. इस से मामला सुधरने के बजाय बिगड़ भी सकता है.

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शादी से पहले कौंट्रासैप्टिव पिल लें या नहीं

किशोरावस्था में अकसर किशोर दूसरे लिंग के प्रति आकर्षित हो शारीरिक संबंध बनाने के लिए उत्सुक रहते हैं. वे प्रेमालाप में सैक्स तो कर लेते हैं, परंतु अपनी अज्ञानता के चलते प्रोटैक्शन का इस्तेमाल नहीं करते जिस के परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार की लैंगिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.

आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 15 से 19 वर्ष की 1.6 करोड़ लड़कियां गर्भधारण कराती हैं. इस छोटी उम्र में गर्भधारण करने का सब से बड़ा कारण किशोरों का अल्पज्ञान और नामसझी है. बिना प्रोटैक्शन के किए जाने वाले सैक्स से सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फैक्शन सर्वाइकल कैंसर और हाइपरटैंशन जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है. ये बीमारियां लड़के व लड़की दोनों को हो सकती हैं.\

किशोरों में प्रैगनैंसी और असुरक्षित सैक्स से होने वाली बीमारियों को ले कर मूलचंद अस्पताल, दिल्ली की सीनियर गाईनोकोलौजिस्ट डा. मीता वर्मा से बात की. उन्होंने किशोरों के इस्तेमाल हेतु कौंट्रासैप्टिव पिल्स और उन के खतरों के बारे में विस्तार से जानकारी दी:

कौंट्रासैप्टिव पिल क्या है और इसे कब व कैसे लेना चाहिए?

यह इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव है. इसे पोस्ट कोर्डल और मौर्निंग आफ्टर पिल भी कहते हैं. आई पिल एक हारमोन है. इस का बैस्ट इफैक्ट तब होता है जब इसे सैक्स के 1 घंटे के आसपास लें. इसे 72 घंटों में 2 बार 24 घंटों के अंतराल में लिया जाता है. इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव की तब जरूरत होती है जब लड़की के साथ बलात्कार हुआ हो. अनचाहे गर्भ का खतरा हो या फिर कंडोम फट जाए. लोग विथड्रौल तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं. इस में यदि अंडरऐज ईजैक्यूलेशन हो गया हो तो फिर इस पिल का इस्तेमाल करते हैं. यदि पीरियड अनियमित हैं और आप सुरक्षा को ले कर चिंतित हैं तो इस स्थिति में भी इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव पिल्स की जरूरत होती है.

यदि कोई लड़की इसे आदत बना ले तो इस के क्या विपरीत प्रभाव हो सकते हैं?

नहीं, इसे आदत नहीं बनाना चाहिए. इस के बहुत से साइड इफैक्ट होते हैं. यदि लड़की किशोरी हो तो सब से पहले तो उसे सैक्स ऐजुकेशन होनी चाहिए. आजकल तो यह नैट में भी उपलब्ध है. 8वीं और 9वीं कक्षा की किताबों में भी इस की जानकारी दी गई है. लड़कियों को पता होना चाहिए कि यह पिल किस प्रकार काम करती है. इस की डोज हैवी होती है. हैवी डोज लेने से मासिकचक्र प्रभावित होता है. वह अनियमित हो जाता है. इस के अलावा उलटियां व चक्कर आना, स्तनों में दर्द, पेट में दर्द और असमय रक्तस्राव हो सकता है. यदि आप सैक्सुअली ऐक्टिव हैं तो आप को कौंट्रासैप्टिव का प्रयोग केवल इमरजैंसी में ही करना चाहिए. इस के साइड इफैक्ट में सब से बड़ा खतरा ट्यूब की प्रैगनैंसी का है. इसलिए यदि इमरजैंसी शब्द कहा जा रहा है तो केवल इमरजैंसी में ही प्रयोग करें. वैसे भी यह 90% ही कारगर है 100% नहीं.

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शादी से पहले इस पिल के इस्तेमाल करने पर क्या लड़की को शादी के बाद गर्भधारण करने में किसी तरह की परेशानी हो सकती है?

अगर लड़की ने लगातार दवा का इस्तेमाल किया है तो बिलकुल होगी. कभीकभार लेने पर परेशानी नहीं आएगी. यदि इस से मासिकचक्र प्रभावित हुआ है तो परेशानी होनी लाजिम है, क्योंकि आप ने ओवुलेशन प्रौसैस यानी अंडा बनने की प्रक्रिया को प्रभावित किया है. आई पिल का अधिक इस्तेमाल ट्यूब जोकि अंडे को कैच करती है की वेर्बिलिटी को रेस्ट्रेट कर देता है. ऐसे में जब आप शादी से पहले हर बार अपने ओवुलेशन को डिस्टर्ब करेंगी तो शादी के बाद गर्भधारण में मुश्किल हो सकती है.

बाजार में और किस तरह की कौंट्रासैप्टिव पिल्स हैं, जिन का इस्तेमाल किया जा सके?

भारत में केवल पिल उपलब्ध है, जो लिवोनोगेरट्रल है. इस में एक टैबलेट 750 माइक्रोग्राम की होती है. ये 2 टैबलेट 24 घंटों के अंतराल में ली जाती हैं. भारत में 1500 माइक्रोग्राम की टैबलेट अभी उपलब्ध नहीं है, क्योंकि उस की डोज अत्यधिक हैवी है. आजकल इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव में एक और दवा, अंडर ट्रायल है, जिसे यूलीप्रिस्टल कहते हैं. चूंकि यह अभी अंडर ट्रायल है, इसलिए इस का प्रयोग केवल डाक्टर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए.

क्या इस पिल के अलावा कोई दूसरा बेहतर विकल्प है?

यह पिल तो इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव है ही, इस के अलावा और कई बर्थ कंट्रोल हैं. सब से अच्छा कंडोम ही है. यह बहुत सी संक्रमण वाली बीमारियों से बचाता है और इस के प्रयोग से इन्फैक्शन भी नहीं होता. इस के अलावा दूसरे बर्थ कंट्रोल ऐप्लिकेशन भी बाजार में उपलब्ध हैं, जिन का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे वैजिनल टैबलेट्स. इन्हें कंडोम के साथ इस्तेमाल करना चाहिए. यदि फर्टाइल पीरियड में सैक्स किया जाए तो कंडोम और वैजिनल टैबलेट, दोनों का ही प्रयोग करें. आजकल ओवुलेशन का पता लगाने के लिए किट्स भी उपलब्ध है. उन से पता लगाएं. वैजिनल टैबलेट्स और कंडोम का एकसाथ इस्तेमाल करें. इस से डबल सुरक्षा मिलेगी.

क्या कंडोम 100% सुरक्षित है?

हां, यदि इस का इस्तेमाल ठीक तरह से किया जाए तो यह बैस्ट कौंट्रासैप्शन है. लड़कियां सैक्स के दौरान वैजिनल टैबलेट्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जिस से सुरक्षा दोगुनी हो जाएगी.

यदि लड़की मां बनने के डर से एक की जगह 2 या 3 गोलियां खा ले तो इस के क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?

नहीं, जो डोज जैसे लिखी है उसे वैसे ही लें. न तो दवा स्किप करें और न ही समय से पहले व ज्यादा लें. यदि आई पिल लेने के 3 हफ्ते बाद तक सैक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया तो ट्यूब की प्रैगनैंसी हो सकती है. यदि 3 हफ्ते बाद तक पीरियड्स न हों तो प्रैगनैंसी टैस्ट करें.

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यदि लड़की यह पिल खा कर किसी प्रकार की परेशानी महसूस करती है और घर वालों को इस बारे में न बता कर चुप रहती हैं तो क्या इस के कोई दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं?

जब कोई लड़की सैक्सुअली ऐक्टिव है और किसी लड़के के साथ सैक्स कर सकती है तो वह चुपचाप जा कर डाक्टर से कंसल्ट भी कर सकती है. यदि लड़की कमा रही है और पढ़ीलिखी है तो डाक्टर की सलाह लेने में हरज क्या है? घर वालों से तो वैसे भी किसी तरह की परेशानी नहीं छिपानी चाहिए. किसी न किसी से जरूर शेयर करनी चाहिए. यदि पैसे नहीं हैं तो सरकारी अस्पतालों के डाक्टर फ्री सलाह देते हैं.

इस पिल से ट्यूब की प्रैगनैंसी होने का खतरा होता है जो जानलेवा हो सकता है. इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि सुरक्षित होने के बावजूद आई पिल से गर्भाशय के बाहर की प्रैगनैंसी हो सकती है जिस से लड़की की जान को खतरा हो सकता है.

युवाओं को सुरक्षित सैक्स संबंधी क्या सलाह देना चाहेंगी?

युवाओं को यह बताना चाहूंगी कि यदि वे 18 साल से बड़े हैं और सैक्स करते हैं तो इस में कोई बुराई नहीं है, मगर कंडोम का जरूर इस्तेमाल करना चाहिए. असुरक्षित सैक्स एचआईवी, एसटीआई व सर्वाइकल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण हो सकता है. लव, अफेयर, सैक्स और फिजिकल रिलेशनशिप अपनी जगह है और सुरक्षा अपनी जगह. शरमाएं नहीं, बल्कि सही सलाह लें.

प्‍यूबिक हेयर सफेद होने का मतलब जानती हैं आप?

सिर पर एक सफेद बाल दिखते ही लोग उछल पड़ते हैं और उसे काला करने के उपाय करने लगते हैं. लेकिन प्यूबिक हेयर (जननांग के बाल) सफेद होने लगें तब आपका रिएक्शन कैसा होगा? ये सोचने वाली बात ही नहीं है बल्कि उसपर विचार करने वाली बात भी है.

तीस वर्षीय फूलकुमारी ने अचानक एक दिन नोटिस किया की उसके जननांग के बाल सफेद और पतले होने लगे हैं. फूलकुमारी बहुत चिंतित हो गई और सीधे अपनी डॉक्टर से मिली. तब उसकी चिकित्सक ने उसे शांत रहने की हिदायत दी और कहा कि ये सामान्य लक्षण हैं और इसपर चिंता करने की बात नहीं है. लेकिन फूलकुमारी को विश्‍वास नहीं हुआ. तब उसकी डॉक्टर ने उसको कहा कि जैसे अनियमित खान-पान और तनाव की वजह से सिर के बाल सफेद और पतले होने लगते हैं वैसे ही प्यूबिक हेयर भी सफेद और पतले होने लगते हैं. खान-पान को नियमित करके इसपर नियंत्रण पाया जा सकता है.

बिल्कुल सामान्य है

इससे पहले की आप इसे उखाड़ने या निकलने जाएं, हम आपको पहले ही बता देते हैं ति ये बहुत ही सामान्य स्थिति है. जैसे उम्र के अनुसार सिर के बाल सफेद और पतले होने लगते हैं वैसे ही प्यूबिक हेयर भी उम्र के अनुसार पतले और सफेद होने लगते हैं.”

अनियमित खान-पान

प्यूबिक हेयर कई बार अनियमित खान-पान और जीन्स की गड़बडि़यों या अनुवांशिक तौर पर भी सफेद और पतले होने लगते हैं.

दो लोगों के बाल सफेद होने में अंतर

प्यूबिक हेयर का सफेद होना सामान्य है लेकिन जरूरी नहीं कि जब आपके हों तो आपके दोस्त के भी हों.

आपके और आपके दोस्त के प्यूबिक हेयर के सफेद होने में काफी अंतर होता है.

क्योंकि आपके प्यूबिक बाल अनुवांशिक कारण से भी सफेद हो रहे होंगे.

या फिर जरूरी नहीं कि आपके अनियमित खान-पान के तरह की समस्या आपके दोस्त को भी हो. ऐसे में चिंतित होने की जरूरत नहीं है.

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सामान्य है ये स्थिति 

डर्मेटॉलॉजी की ब्रिटिश जर्नल में छपी एक शोध के अनुसार जनसंख्या के 23 प्रतिशत हिस्से में कम से कम 50 प्रतिशत लोग अपना 50वां जन्मदिन मनाते वक्त तक सफेद प्यूबिक बालों से सामना कर चुके होते हैं.

असमय सफेद होने के कारण 

प्यूबिक बालों के असमय सफेद होने के कई कारण हो सकते हैं. कई बार विटामिनों की कमी से भी ऐसा होता है. इसके पीछे विटामिन B12 और थॉयराइड में ग्लैंड डिसऑर्डर कारण हो सकते हैं. या फिर कई बार विटलीगो जैसी बीमारी के कारण भी वहां के बाल सफेद हो जाते हैं. ऐसा वहां पर व्हाइट पैचेस पड़ने के कारण होता है. कई शोध में इन कारणों को असमय प्यूबिक बालों के सफेद होने के पीछे का कारण माना गया है.

कैसे रोका जाए

तो इसे कैसे रोका जाए? बालों का सफेद होना जेनेटिकली है जिसे रोकना मुश्किल होता है. लेकिन इसे रोकने के लिए सबसे पहले अपने स्मोकिंग की आदत पर रोक लगाएं. एक स्टडी के अनुसार स्मोकर्स अपनी स्मोकिंग की आदतों में रोक लगाकर 2.5 गुना बालों के सफेद होने पर रोक लगा सकते हैं. साथ ही खाने में विटामिन B12 युक्त भोजन अधिक से अधिक शामिल करें.

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Dr Ak Jain: क्या करें जब पुरुषों में घटने लगे बच्चा पैदा करने की ताकत?

इनफर्टिलिटी एक बहुत गंभीर समस्‍या है. जिसके कारण बहुत से कपल्‍स की गोद सूनी ही रह जाती है. मौजूदा लाइफस्टाइल की वजह से इनफर्टिलिटी की समस्‍या आम बात हो गई है. इनफर्टिलिटी का मुख्य लक्षण प्रेग्नेंट न हो पाना है. अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो संपर्क करिए लखनऊ के डॉक्टर ए. के. जैन से जो पिछले 40 सालों से इसका इलाज कर रहे हैं.

आइए अब जानते हैं इनफर्टिलिटी के बारे में…

नौजवानों में तेजी से बढ़ते तनाव और डिप्रैशन के साथसाथ प्रदूषण और गलत लाइफस्टाइल के चलते एनीमिया की समस्या भी मर्दों में नामर्दी की वजह बनती है. इनफर्टिलिटी से जुड़े सब से बुरे हालात तब पैदा होते हैं जब मर्द के वीर्य में शुक्राणु नहीं बन पाते हैं. इस को एजूस्पर्मिया कहा जाता है. तकरीबन एक फीसदी मर्द आबादी भारत में इसी समस्या से पीडि़त है.

हमारे शरीर को रोज थोड़ी मात्रा में कसरत की जरूरत होती है, भले ही वह किसी भी रूप में क्यों न हो. इस से हमारे शारीरिक विकास को बढ़ावा मिलता है.

हालांकि कसरत के कई अच्छे पहलू भी हैं. मगर इस के कुछ बुरे पहलुओं पर भी ध्यान देने की जरूरत है जिन की तरफ कम ही लोगों का ध्यान जाता है. मसलन, औरतों का ज्यादा कसरत करना बांझपन की वजह भी बन सकता है. वैसे, कसरत करने के कुछ फायदे इस तरह से हैं:

  1. दिल बने मजबूत : हमारे दिल की हालत सीधेतौर पर इस बात से जुड़ी होती है कि हम शारीरिक रूप से कितना काम करते हैं. जो लोग रोजाना शारीरिक रूप से ज्यादा ऐक्टिव नहीं रहते हैं, दिल से जुड़ी सब से ज्यादा बीमारियां भी उन्हीं लोगों को होती हैं खासतौर से उन लोगों के मुकाबले जो रोजाना कसरत करते हैं.

2. अच्छी नींद आना : यह साबित हो चुका है कि जो लोग रोजाना कसरत करते हैं, उन्हें रात को नींद भी अच्छी आती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कसरत करने की वजह से हमारे शरीर की सरकेडियन रिदम मजबूत होती है जो दिन में आप को ऐक्टिव बनाए रखने में मदद करती है और जिस की वजह से रात में आप को अच्छी नींद आती है.

3. शारीरिक ताकत में बढ़ोतरी : हम में से कई लोगों के मन में कसरत को ले कर कई तरह की गलतफहमियां होती हैं, जैसे कसरत हमारे शरीर की सारी ताकत को सोख लेती है और फिर आप पूरे दिन कुछ नहीं कर पाते हैं. मगर असल में होता इस का बिलकुल उलटा है. इस की वजह से आप दिनभर ऐक्टिव रहते हैं, क्योंकि कसरत करने के दौरान हमारे शरीर से कुछ खास तरह के हार्मोंस रिलीज होते हैं, जो हमें दिनभर ऐक्टिव बनाए रखने में मदद करते हैं.

4. आत्मविश्वास को मिले बढ़ावा : नियमित रूप से कसरत कर के अपने शरीर को उस परफैक्ट शेप में ला सकते हैं जो आप हमेशा से चाहते हैं. इस से आप के आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होती है.

रोजाना कसरत करने के कई सारे फायदे हैं इसलिए फिजिकल ऐक्टिविटी को नजरअंदाज करने का तो मतलब ही नहीं बनता, लेकिन बहुत ज्यादा कसरत करने का हमारे शरीर पर बुरा असर भी पड़ सकता है खासतौर से आप की फर्टिलिटी कम होती है, फिर चाहे वह कोई औरत हो या मर्द.

ऐसा कहा जाता है कि बहुत ज्यादा अच्छाई भी बुरी साबित हो सकती है. अकसर औरतों में एक खास तरह के हालात पैदा हो जाते हैं जिन्हें एमेनोरिया कहते हैं. ऐसी हालत तब पैदा होती है, जब एक सामान्य औरत को लगातार 3 महीने से ज्यादा वक्त तक सही तरीके से माहवारी नहीं हो पाती है.

कई औरतों में ऐसी हालत इस वजह से पैदा होती है क्योंकि वे शरीर को नियमित रूप से ताकत देने के लिए जरूरी कैलोरी देने वाली चीजों का सेवन किए बिना ही जिम में नियमित रूप से किसी खास तरह की कसरत के 3 से 4 सैशन करती हैं.

शरीर में कैलोरी की कमी का सीधा असर न केवल फर्टिलिटी पर पड़ता है, बल्कि औरतों की सेक्स इच्छा पर भी बुरा असर पड़ता है. साथ ही मोटापा भी इस में एक अहम रोल निभाता है क्योंकि ज्यादातर मोटी औरतें वजन घटाने के लिए कई बार काफी मुश्किल कसरतें भी करती हैं. इस वजह से भी उन की फर्टिलिटी पर बुरा असर पड़ता है.

इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे जोड़े शारीरिक और मानसिक तनाव की हालत में पहुंच जाते हैं. अकसर देखा गया है कि ऐसे मामलों में या तो शुक्राणु की मात्रा कम होती है या स्पर्म की ऐक्टिविटी बहुत कम रहती है. लिहाजा ऐसे शुक्राणु औरत के अंडाणु को गर्भाधान करने में नाकाम रहते हैं.

वैसे अब इनफर्टिलिटी से नजात पाने के लिए कई उपयोगी इलाज मुहैया हैं. ओलिगोस्पर्मिया में स्पर्म की तादाद बहुत कम पाई जाती है और एजूस्पर्मिया में तो वीर्य के नमूने में स्पर्म होता ही नहीं है. एजूस्पर्मिया में मर्द के स्खलित वीर्य से स्पर्म नहीं निकलता है जिसे जीरो स्पर्म काउंट कहा जाता है. इस का पता वीर्य की जांच के बाद ही लग पाता है.

कुछ मामलों में जांच के दौरान तो स्पर्म नजर आता है लेकिन कुछ रुकावट होने के चलते वीर्य के जरीए यह स्खलित नहीं हो पाता है. स्पर्म न पनपने की एक और वजह है वैरिकोसिल. इस का इलाज सर्जरी से ही मुमकिन है.

कुछ समय पहले तक पिता बनने के लिए या तो दाता के स्पर्म का इस्तेमाल करना पड़ता था या किसी बच्चे को गोद लेना पड़ता था, लेकिन अब चिकित्सा विज्ञान में स्टेम सैल्स टैक्नोलौजी की तरक्की ने लैबोरेटरी में स्पर्म बनाना मुमकिन कर दिया है.

लैबोरेटरी में  मरीज के स्टेम सैल्स का इस्तेमाल करते हुए स्पर्म को बनाया जाता है, फिर इसे विट्रो फर्टिलाइजेशन तरीके से औरत पार्टनर के अंडाशय में डाल कर अंडाणु में फर्टिलाइज किया जाता है. इस तरीके से वह औरत पेट से हो सकती है.

लखनऊ के डॉक्टर ए. के. जैन, पिछले 40 सालों से इन सभी समस्याओं का इलाज कर रहे हैं. तो आप भी पाइए अपनी सभी  सेक्स समस्या का बेहतर इलाज अंतर्राष्ट्रीय ख्याति एवं मान्यता प्राप्त डॉ. जैन द्वारा. 

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यौन स्वास्थ्य: वैजाइनल ड्रायनेस और दर्द जैसे मुद्दों की न करें अनदेखी

वैजाइनल ड्राइनेस यानी योनिमार्ग का सूखा होने की समस्या, सभी आयुवर्ग की महिलाओं में हो सकती है, लेकिन रजोनिवृति के बाद तो यह समस्या हर महिला में आम हो गई है. यह अनुमान लगाया गया है कि समस्या पोस्टमेनोपॉजल महिलाओं के लगभग आधे हिस्से को प्रभावित करती है और उनमें से अधिकांश जो अपने लक्षणों के लिए इलाज की तलाश नहीं करते हैं, जिसमें न केवल सूखापन, बल्कि  इंटरकोर्स के दौरान जलन और दर्द भी शामिल है.

यह अन्य जीर्ण स्थितियों की तरह के जीवन की गुणवत्ता को कम कर सकता है. जबकि अन्य रजोनिवृत्ति के लक्षण, जैसे कि हॉट फ्लैशेज, आमतौर पर समय के साथ गिरावट आती है, योनि का सूखापन बना रहता है क्योंकि यह शारीरिक परिवर्तन से उत्पन्न होता है – विशेष रूप से एट्रोफी ऑफ टिश्यूज, जो एस्ट्रोजेन के नुकसान के कारण पतले, सूखने वाले और कम लचीले हो जाते हैं.

वैजाइनल ड्राइनेस के लक्षण

*    संभोग के दौरान ल्यूब्रिकेशन और दर्द का नुकसान मेनोपॉज के बाद, लुब्रिकेशन और दर्दनाक सेक्स समस्याओं में वृद्धि होती है. योनि के आसपास की त्वचा का पतला होना इसे और अधिक आसानी से क्षतिग्रस्त कर देता है. यह क्षति अक्सर सेक्स के दौरान हो सकती है, खासकर अगर लुब्रिकेशन खराब हो. यहां तक कि कोमल घर्षण से दर्द और असुविधा हो सकती है. दर्दनाक संभोग के कारण यौन इच्छा की हानि में बढ़ाने वाले प्रभावों को और अधिक कर सकते हैं.

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*    वैजाइना और वल्वा की उपस्थिति में परिवर्तन – योनि का अलग दिखना आम बात है क्योंकि इसके किनारे और पतले हो जाएंगे.

*    वैजाइनल डिस्चार्ज में परिवर्तन -महिला महिलाओं को भी अपने योनि स्राव में बदलाव देखने को मिलता है क्योंकि यह जलन के साथ अधिक बदबूदार और थोड़ी बदबूदार होती है. ये लक्षण चिंताजनक हो सकते हैं लेकिन वे केवल हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होते हैं और कुछ और गंभीर होने के संकेत नहीं होते हैं.

*    भावनात्मक प्रभाव – वैजाइना का सूखापन महिलाओं को अलग महसूस करा सकता है. शरीर में परिवर्तन को स्वीकार करना मुश्किल हो सकता है और स्थिति के कारण होने वाले दर्द और परेशानी से आत्मविश्वास और यौन आत्मविश्वास में कमी हो सकती है.

कभी-कभी ये लक्षण भ्रम पैदा कर सकते हैं क्योंकि वे यौन संचारित रोगों या थ्रश(छालों) के लक्षणों के समान होते हैं. जैसा कि ये एक शर्मनाक समस्या है, कई महिलाएं इसे इस पीड़ा को सहन रखती हैं और यह उनके साथी के साथ सम्बन्धों पर एक बड़ा दबाव डाल सकता है, खासकर अगर महिलाएं अपने साथी को यह बताने में असमर्थ महसूस करती हैं कि उन्हें यौन गतिविधि में रुचि क्यों नहीं है.

 इलाज

यदि कोई महिला इन उपरोक्त लक्षणों का अनुभव कर रही है, तो उसका डॉक्टर के पास जाना ही उचित  है. कुछ स्किन रिलेटेड कंडीशन हैं जो समान लक्षणों का कारण हो सकती हैं, जैसे कि जननांगों पर पतली, धब्बेदार सफेद त्वचा, जिसके कारण श्लेष्मा होता है, श्लेष्मा से झिल्ली और शरीर के अन्य क्षेत्रों खुजली होती है .

कम आम तौर पर, एक ही लक्षण डिसप्लासिया नामक एक  स्थिति से उत्पन्न हो सकता है.

वैजाइनल यिस्ट इन्फेक्शन या दाद वायरस के कारण लक्षण भी वेजाइना सूखापन की तरह हो सकते हैं.

एक बार जब अन्य स्थितियों से इनकार कर दिया जाता है, तो डॉक्टर योनि के सूखापन के समाधान खोजने के लिए काम कर सकते हैं, चाहे वह एक वैजाइनल माॅस्चराइजर, वैजाइनल एस्ट्रोजन, या कोई अन्य उपचार शामिल हो.

चिकित्सक भी इंटरकोर्स के दौरान एक महिला को ल्युब्रिकेन्ट का उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं या हार्मोन थेरेपी के अन्य रूपों की पेशकश कर सकते हैं.

अन्य उपचारों के अलावा, एक अच्छी स्किन की देखभाल वाली डाइट आपके वैजाइना के टिशू को हाइड्रेट करने में मदद कर सकती है, जिस तरह यह शरीर के अन्य क्षेत्रों पर शुष्क त्वचा की मदद कर सकता है.

वैजाइना के लिए नियमित लोशन की सिफारिश नहीं की जाती है, लेकिन एक नारियल तेल, या यहां तक कि जैतून का तेल मॉइस्चराइजर के रूप में आजमा सकते हैं. कुछ महिलाओं को रात में उपयोग करना आसान लगता है लेकिन इन सबके नियमित उपयोग से संक्रमण हो सकता है.

इसके अलावा, संभावित योनि इरिटेंट से सावधान रहें, जैसे कि मूत्र असंयम के लिए पैड. ये पैड त्वचा में सूजन ला सकते हैं, क्योंकि इसमें सुगंधित डिटर्जेंट और कुछ अंडरवियर फेब्रिक हो सकते हैं.

आमतौर पर, सूती अंडरवियर नियमित आधार पर पहनने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है.

सुगंधित साबुन से बचें.

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एक मौन समस्या

वैजाइनल ड्राइनेस से संबंधित समस्याओं का सामना करने वाली महिलाओं की भारी संख्या के बावजूद, यह अभी भी एक मूक समस्या है कि बहुत सी महिलाएं अपने साथी, दोस्तों और यहां तक कि डॉक्टरों से बात करने में शर्मिंदगी महसूस करती हैं. इन समस्याओं के साथ केवल एक चैथाई महिलाएं वास्तव में उपचार चाहती हैं.

याद रखें, रजोनिवृत्ति के बाद की अवस्था में अपना जीवन व्यतीत करने वाली महिलाओं को यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वे रजोनिवृत्ति से पहले जीवन की गुणवत्ता बनाए रखें. वैजाइनल ड्राइनेस को बढ़ती उम्र के अपरिहार्य भाग के रूप में इलाज करने की आवश्यकता नहीं है – इसके बारे में कुछ किया जा सकता है. महिलाओं को अपनी समस्याओं को अपने जीवन के हिस्से के रूप में छोड़कर समाधान प्राप्त करने के लिए आना चाहिए.

लेखक डॉ संचिता दुबे, फीमेल इश्यू एक्सपर्ट्स, मदरहुड हॉस्पिटल नोएडा

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