लंबे कुरते, सलवार और वीशेप में ओढ़े गए दुपट्टे के साथ जब 2 चोटियों वाली नैना ने इंग्लिश स्पोकन क्लास में प्रवेश किया तो अचानक सब की नजरें उस की तरफ उठ गईं. उस की दो चोटियां, ढीली सलवार और फ्लैट चप्पल के साथ कंधे पर कपड़े का बैग टांगने का अंदाज देख कर लड़केलड़कियों की आपस में कानाफूसी शुरू हो गई. वे दबीदबी हंसी हंसने लगे. नीरजा ने नजरें उठा कर देखा. नैना उसी के बगल में आ कर बैठ गई थी. नीरजा को बाकी स्टूडेंट्स का इस तरह हंसना अच्छा नहीं लगा. उस ने नैना की तरफ मुस्कुरा कर देखा और फिर पढ़ाई में लग गई.

नैना ने नीरजा के आगे दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए कहा," मैं नैना हूं. गांव से आए हुए एक महीने से ज्यादा नहीं हुआ है और मेरी इंग्लिश भी अच्छी नहीं है. इसीलिए मैं यहां अपना इंग्लिश ठीक करने आई हूँ. पर मुझे इस क्लास में अजीब सा महसूस हो रहा है. ऐसा लग रहा है जैसे सब मुझे ही देख कर हंस रहे हैं. क्या सचमुच इतनी अजीब लग रही हूं मैं? क्या आप मेरा साथ देंगी?"

नैना खुद में ही सिमटी हुई सी थी. बड़ी मुश्किल से उस ने नीरजा से बात करने की हिम्मत जुटाई थी. उसे देखते हुए नीरजा ने बड़े प्यार से कहा," ऐसा कुछ नहीं है नैना. तुम्हारा लुक कुछ अलग है न इसलिए इन लोगों ने इस तरह से रिएक्ट किया. तुम घबराओ नहीं. मैं हूं न तुम्हारी दोस्त. मैं तुम्हें यहां का रहनसहन और जीने का तरीका बता दूंगी. इट्स वैरी सिंपल. कोई दिक्कत नहीं होगी. 1- 2 महीने के अंदर तुम बिल्कुल शहरी लगने लगोगी और हां अपने मन में हीनभावना तो आने भी न देना."

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