आजकल फ्यूजनवियर का खूब चलन है. फ्यूजनवियर का अर्थ है 2 भिन्न संस्कृतियों के मेल से बने परिधान. जैसे, भारतीय परिधानों और विदेशी कपड़ों का एक खूबसूरत मिलाप. इसे ऐसे समझें विदेशी गाउन पर भारतीय कढ़ाई या फिर शीशे का काम अथवा फिर ट्यूब टौप के साथ राजस्थानी घाघरा. फ्यूजन परिधानों ने भारतीय फैशन की दुनिया में नई हलचल मचा दी है. नित नए रचनात्मक परिधान सामने आ रहे हैं.
सुनें फैशन की दुनिया के गुरुओं से
अमीत पांचाल, ‘श्रीबालाजी ऐथ्निसिटी रीटेल’ के निदेशक कहते हैं कि महिलाएं पारंपरिक परिधानों से फ्यूजनवियर की तरफ तेजी से जा रही हैं. ‘कल्की’ के निदेशक निशित गुप्ता के अनुसार फ्यूजनवियर एक सही चयन है उन के लिए जो भीड़ से अलग दिखना चाहते हैं. ज्यादातर 22 से 23 साल तक की महिलाएं इस तरह का फैशन करने में आगे रहती हैं. जो परिधान इस दौड़ में आगे हैं वे हैं साड़ी के साथ औफशोल्डर ब्लाउज, धोती पैंट्स के साथ क्रौपटौप या फिर लहंगा अथवा साड़ी के साथ जैकेट.
‘स्टूडियो बाई जनक’ की निदेशक वैंडी मेहरा कहती हैं कि फ्यूजनवियर न केवल फैशनपरस्तों के लिए है, बल्कि आज की नारी जोकि फैशन के साथसाथ आरामदेह परिधान भी चाहती है, को भी यही चाहिए.
ऐसे अपनाएं यह नया फैशन
कुछ फ्यूजनवियर जिन्हें आप भी अपना सकती हैं:
– लहंगे पर पारंपरिक चोली न पहन कर आप फौर्मल शर्ट पहन सकती हैं. इस के साथ औक्सीडाइज्ड गहने पहनना जंचेगा. लहंगे के साथ टैंक टौप या हाल्टर नैक टौप भी एक अच्छा औप्शन है. ‘कल्की’ फैशन स्टोर पर लहंगा और क्रौप टौप की ब्रिकी सर्वाधिक हो रही है, जो अब पारंपरिक लहंगाचोली का पर्याय बनता जा रहा है.
– जंपसूट काफी फैशन में है. इस विदेशी परिधान में देशी तड़का लगाने के लिए इसे सूती कपड़े में बनवाया जा सकता है. इस के अलावा इस पोशाक को एक सूट की तरह पहन कर साथ में रंगीले दुपट्टे से और भी निखारा जा सकता है. गहने भी साथ हों तो कहने ही क्या.
– कुरता डै्रस नवीनतम फ्यूजन परिधान है. चाहे लंबे कुरते को मैक्सी की तरह पहन लें या फिर अनारकली कुरते को बिना चूड़ीदार सलवार के पहनें. वैकल्पिक रूप से पाश्चात्य गाउन पर भारतीय कढ़ाई या अंबी के नमूने भी बनवाए जा सकते हैं.
– धोती पैंट्स की स्टाइल लैगिंग या मिनी स्कर्ट को भी मात देती है. यह सैक्सी परिधान तब और भी निखर उठता है जब इसे क्रौप टौप के साथ पहना जाए.
– फ्यूजन साड़ी ने फैशन की दुनिया में धूम मचा दी है. बौलीवुड सुंदरियों के साथसाथ आम महिलाओं ने भी पारंपरिक साड़ी के साथ नए प्रयोग करने शुरू कर दिए हैं. रफल साड़ी का शोर आजकल हर ओर है. डिजाइनर निदा महसूद ने जींससाड़ी का नया कलैक्शन निकाला है. वे कहती हैं कि साड़ी जैसे साढ़े 5 मीटर लंबे परिधान को आधुनिकता का जामा पहनाने से ‘पेज-3’ की पार्टियों की शान बन सकती है.
– ब्लाउज की डिजाइन की बहार के बारे में तो पूछें ही नहीं. बैकलैस तो कल की बात है. बदलते जमाने में ब्लाउज के नएनए कट कोई जैकेटनुमा तो कोई कोटस्टाइल, कहीं आगे से कटाव तो कहीं पीछे से गहराई वाले चलन में हैं. रचनात्मक तरीकों की कमी नहीं है.
ऐसा नहीं है कि फ्यूजन का असर केवल भारत में ही दिखाई दे रहा है. विदेशी फैशन डिजाइनरों पर भी भारतीय परिधानों का खुमार चढ़ रहा है. ब्रितानी डिजाइनर जौन गैलियानो सिल्क साड़ी पर छोटी जैकेट पहने दिखाई दें या मशहूर मौडल नाओमी कैंपबेल, न्यूयौर्क में एमटीवी, म्यूजिक अवार्ड के दौरान साड़ी पहन कर आईं.
ऐथनिक डै्रस में फ्यूजनवियर के कुछ प्रचलित ट्रैंड हैं औफशोल्डर ब्लाउज, पोंचू स्टाइल के टौप या फिर कुरतों की केवल एक तरफ बाजू. ऐसा नहीं है कि फ्यूजनवियर पर केवल औरतों का अधिकार है, मर्द भी जब जींस के साथ कुरता पहनने लगे हैं.
 
             
             
             
           
                 
  
           
        



 
                
                
                
                
                
                
               