रेशु बहुत उत्साहित थी. अगले हफ्ते उस की दीदी की शादी थी. पर सुबह वह उठी तो देखा 3 छोटेछोटे दाने उस के दाहिने गाल पर आ गए. वह पूरा दिन तनाव में रही. एक दोस्त की सलाह पर उस ने उन पर टूथपेस्ट लगा लिया. वह जल्दी से जल्दी अपने चेहरे को साफ करना चाहती थी पर डाक्टर के पास जाने के बजाय उस ने घरेलू इलाज करना बेहतर समझा. नतीजा यह हुआ कि शादी के दिन तक तनाव और उत्तेजना के कारण उस का पूरा चेहरा मवाद वाले दानों से भर गया.

मैं निजी उदाहरण से इस समस्या पर प्रकाश डालती हूं. मैं जब 12 वर्ष की थी तब पहली बार एक छोटा सा पिंपल मेरे चेहरे पर हो गया. मैं परेशान हो गई थी. पर यह नहीं मालूम था कि आगे राह और भी कठिन है. 13 वर्ष की होतेहोते छोटेछोटे दाने मेरे माथे और गालों पर हो गए. तब मुझे मेरी बड़ी बहन ने पिंपल क्रीम ला कर दी. कुछ दिनों बाद कालेकाले निशान मेरे चेहरे पर नजर आने लगे. 18 वर्ष तक ये सब चलता ही रहा. गरमियों में बहुत पिंपल होते थे पर सर्दियों में मेरी त्वचा साफ हो जाती. मैं बस अपनी किशोरावस्था खत्म होने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. पर पिंपल खत्म नहीं हुए. यह सिलसिला चलता रहा और सब से बड़ी और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस कारण से मैं अपना आत्मविश्वास खोती चली गई. विवाह के पश्चात घर बदला, रहनसहन और 3 महीने के भीतर फिर से ऐक्ने का आक्रमण हुआ. इस बार अपनी सासूमां की सलाह पर मैं आयुर्वेदिक इलाज लेने लगी.

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