जब भी आप मेकअप कर रही होती हैं तो आप के दिमाग में बहुत सी बातें आती हैं कि ऐसा करने से मेकअप भद्दा नजर आएगा. मेकअप के प्रति अलगअलग महिलाओं की अलगअलग प्रतिक्रियाएं हैं. कुछ धारणाएं ऐसी बन गई हैं जिन के चलते आप सही माने में मेकअप को समझ ही नहीं पाती हैं, जबकि आप इन धारणाओं से निकल कर बिंदास मेकअप कर सकती हैं और वह आप पर काफी फबेगा भी. कुछ पुराने फंडों को दरकिनार करते हुए नए फंडे अपनाइए :
पुराना अंदाज : ग्लौसी रेड लिपस्टिक बहुत लाउड लगती है.
नया अंदाज : बिलकुल नहीं. रेड लिपस्टिक खराब नहीं लगती. यह आजकल फैशन में है. लेकिन इसे लगाने का सही तरीका अपनाना जरूरी है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन इस का प्रयोग किस अवसर के लिए कर रहा है. ब्राउनिश रेड या मैरून रेड शेड सभी पर जंचते हैं.
पुराना अंदाज : पाउडर लगाने से उम्रदराज लगने लगते हैं.
नया अंदाज : पाउडर लगाने से ऐसा नहीं होता, लेकिन जरूरत से अधिक पाउडर की परत फ्लैकी लुक देती है, जो आप को आप की उम्र में बड़ा दिखाएगा. इसलिए ध्यान रखें कि पाउडर चेहरे पर बराबर से लगाएं और अतिरिक्त पाउडर को ब्रश से झाड़ दें.
पुराना अंदाज : हाथों की नेलपौलिश और पैरों की नेलपौलिश मेल खाती होनी चाहिए.
नया अंदाज : यह हमेशा जरूरी नहीं है कि दोनों के लिए एक ही नेलकलर लगाया जाए.
पुराना अंदाज : लिपग्लौस 40 साल की उम्र के बाद नहीं लगाना चाहिए.
नया अंदाज : हालांकि 30 साल की उम्र के बाद लिपग्लौस लगाना ठीक नहीं लगता है लेकिन अगर आप पहले अपने होंठों पर बाम या लिप मास्चराइजर लगाएं और उस के उपर लिप ग्लौस लगाएं तो बेहतर होगा. लेकिन लिप डिफाइनर से लिप को पहले डिफाइन (लिप लाइन बनाना) करना जरूरी है, ताकि ग्लौस होंठों के बाहर फैलने न पाए.
पुराना अंदाज : लिपस्टिक हमेशा लाइनर लगा कर ही लगानी चाहिए.
नया अंदाज : हमेशा लिपलाइन बनाना जरूरी नहीं होता. लाइनर लगाने से होंठों की सही शेप पता चलती है, जिस के जरिए उन्हें छोटाबड़ा दिखाया जा सकता है, साथ ही यह लिपस्टिक को फैलने से भी रोकती है. आजकल लिपलाइनर का चलन नहीं है. हालांकि हलके शेड्स वाले लाइनर से आउटलाइन बना कर लिपस्टिक के साथ ब्लैंड कर देने से होंठों का आकर्षण बढ़ जाता है. अगर आप नैचुरल मेकअप करना चाहती हैं तो लिपलाइनर की कोई आवश्यकता नहीं होगी. होंठों को सौफ्ट लुक देने के लिए सीधे होंठों के भीतर हलके शेड की लिपस्टिक लगाएं.
पुराना अंदाज : शिमरी मेकअप दिन के लिए सही नहीं होता है. खासतौर पर अगर आप 30 साल की हैं.
नया अंदाज : शिमरी मेकअप आप कहीं भी कभी भी लगा सकती हैं. यह वाकई में आप को जवां बना देता है. इस से आप की त्वचा में एक सौफ्ट ग्लो नजर आएगा. शिमर की बहुत सी रेंज जैसे कैमल और पिंक आप दिन या रात किसी भी समय लगा सकती हैं. उदाहरण के लिए अगर आप मेकअप में शिमरी आई और लिपस्टिक का प्रयोग करती हैं तो आप का ब्लशर मैट फिनिश वाला होना चाहिए.
पुराना अंदाज : आप की लिपस्टिक मेकअप से मेल खाती होनी चाहिए.
नया अंदाज : लिपस्टिक आप की त्वचा के रंग से मेल खाती होनी चाहिए. इसलिए बजाय अपने मेकअप से मेल खाती लिपस्टिक चुनने के, आप ऐसी लिपस्टिक चुनें, जो आप के होंठों के रंग को खिला दे. फ्लश टोंड कलर जैसे पिंकी ब्राउन, न्यूड और सौफ्ट रोज बहुत सी महिलाओं पर जंचते हैं. विशेष अवसर के लिए आप ब्राइट शेड्स चुन सकती हैं जैसे कि अगर आमतौर पर आप पिंकी ब्राउन लिपस्टिक लगती हैं तो विशेष अवसर पर आप बेरी टोन वाली लिपस्टिक आसानी से लगा सकती हैं.
पुराना अंदाज : आईशैडो आंखों के प्राकृतिक रंग से मेल खाना चाहिए.
नया अंदाज : उसी टोन का आईशैडो इस्तेमाल करने से आंखों की तरफ ध्यान ही नहीं जाएगा. बजाय इस के हमेशा विपरीत शेड का प्रयोग करें. उदाहरण के लिए आप की आंखों का रंग नीला है तो लाइलैक गोल्ड, ब्रोंज, कौपर, पीच या लाइट पिंक कलर और भूरी आंखों के लिए एमरल्ड ग्रीन, मोव, पर्पल, ब्रोंज या डीप प्लम शेड और हरी आंखों के लिए गोल्ड या कोरल टोन, पर्पल, मोव, सिल्वर शेड वाला आईशैडो लगाना चाहिए.
पुराना अंदाज : आई मेकअप फाउंडेशन, कंसीलर और ब्लश के बाद लगाना चाहिए.
नया अंदाज : आई मेकअप पहले लगाना चाहिए. सब से अंत में आई मेकअप करने से चेहरे पर इधरउधर आईशैडो फैलने का खतरा रहता है. फिर इसे हटाने से चेहरे के बीचबीच से मेकअप भी उतर जाता है, जो देखने में खराब लगता है. इसलिए आई मेकअप पहले करना चाहिए. आईशैडो लगा कर अतिरिक्त आईशैडो को ब्रश से झाड़ दें. फिर आईलाइनर लगाएं. उस के बाद एक कोट मस्कारा लगाएं. उस के बाद स्पोंज की सहायता से फाउंडेशन लगाएं. फिर ब्लश या ब्रोंजर लगाएं.
पुराना अंदाज : हमेशा एक ही ब्रांड का प्रोडक्ट इस्तेमाल करना चाहिए.
नया अंदाज : आप अपने चेहरे के लिए जो प्रोडक्ट इस्तेमाल करती हैं वह चेहरे या आप की त्वचा को पता नहीं होता. आप अपनी इच्छा से जो भी प्रोडक्ट इस्तेमाल करती हैं, चेहरे को उसी का पता होता है. लेकिन इस तरह आप दूसरे अच्छे विकल्प नहीं अपना पातीं, जबकि हो सकता है कि किसी दूसरे ब्रांड के प्रोडक्ट में वह विशेषता हो जो वास्तव में आप के चेहरे के लिए जरूरी हों. इसलिए ब्रांड को बदल कर भी देखिए. उदाहरण के लिए हो सकता है किसी विशेष ब्रांड का मास्चराइजर, जिस का आप लंबे समय से इस्तेमाल कर रही हैं, लेकिन वह आप की त्वचा को उतना लाभ न दे पा रहा हो, जो दूसरे ब्रांड का मास्चराइजर आप को दे सकता है.