अभिनेत्री सोनम कपूर ने बहुत कम समय में फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बना ली है. वे हर फिल्म में अलग किरदार निभाते नजर आती हैं. इन दिनों सोनम ‘प्रेम रतन धन पायो’, ‘बैटल फौर बिटोरा’ में काम करने के अलावा नीरजा भनोट पर बन रही बायोपिक फिल्म में नीरजा भनोट का किरदार निभाने को ले कर उत्साहित हैं. उन का कहना है कि वे सिर्फ सशक्त नारी पात्र ही निभाती हैं.

उन से हुई गुफ्तगू के कुछ अहम अंश पेश हैं:

क्या फिल्म के दृश्य या पात्र कलाकार की निजी जिंदगी पर असर करते हैं?

जी, हां. 10 साल काम करने के बाद मुझे इस बात का एहसास हुआ है कि कलाकार जिस किरदार को निभाता है, उस से कुछ न कुछ लेता है. फिल्म ‘रांझणा’ में जोया के किरदार में एक सैडनैस थी, जो मेरे जेहन से अब तक नहीं निकली है. यह अच्छी बात है. इंसान के व्यक्तित्व में एक ग्रैविटी लाती है, एक गहराई लाती है. ‘बेवकूफियां’ की बात करूं तो उस लड़की में एक इंडिपैंडैंट था. प्यार के लिए एक लगाव था. उस का मानना था कि पैसे से कुछ नहीं होता है. वह एक चीज मेरी जिंदगी में रह गई. ‘खूबसूरत’ फिल्म का मिली का मेरा किरदार मेरी निजी जिंदगी से काफी मिलताजुलता था.

आप ने फिल्म ‘सांवरिया’ में सलमान खान के साथ काम किया था. उस के बाद हर फिल्म में हमउम्र कलाकारों के साथ काम किया. अब एक बार फिर सूरज बड़जात्या की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ में काम कर रही हैं. कहीं इस की मूल वजह यह तो नहीं कि आप की समसामयिक अभिनेत्रियां बड़ी उम्र के हीरों के साथ काम कर के शोहरत बटोर रही हैं, तो आप ने भी यह सोचा? 

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