रेटिंग: साढ़े तीन स्टार

निर्देशकः जगन शक्ति

लेखकः आर बालकी, जगन शक्ति, निधि सिंह धर्मा व साकेत कोंडीपर्थी

कलाकारः अक्षय कुमार, विद्या बालन, तापसी पन्नू, सोनाक्षी सिन्हा, कीर्ति कुल्हारी, नित्या मेनन, शरमन जोशी, संजय कपूर, दलिप ताहिल, विक्रम गोखले, मोहम्मद जीशान अयूब

अवधिः दो घंटे सात मिनट

5 नवंबर 2013 को इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) की पांच महिला वैज्ञानिकों द्वारा तमाम वैज्ञानिको के साथ मिलकर मंगल ग्रह पर भेजे गए अंतरिक्ष यान यानी कि ‘मंगलयान परियोजना’ से प्रेरित होकर फिल्मकार जगन शक्ति देशप्रेम को जज्बा जगाने वाली यथार्थ परक फिल्म ‘‘मिशन मंगल’’ लेकर आए हैं. देश का यह मंगलयान 24 सितंबर 2014 को मंगल गृह की कक्षा में पहुंचा था. इसके बाद भारत दुनियाभर में पहला ऐसा देश बना जो महज साढ़ें चार सौ करोड़ रूपए के बजट में अपने पहले ही प्रयास में इस मिशन में सफल रहा.

कहानी

फिल्म की कहानी 2010 में बंगलौर शहर से शुरू होती हैं, जब ‘इसरो’ के मशहूर वैज्ञानिक और चंद्रयान मिशन डायरेक्टर राकेश धवन (अक्षय कुमार) इसरो की ही वैज्ञानिक और परियोजना निदेशक/प्रोजेक्ट डायरेक्टर तारा शिंदे (विद्या बालन) के साथ मिलकर एक ‘जीएसएलवी सी 39’ नामक मिशन के अंतर्गत एक रॉकेट लांच करते हैं, मगर दुर्भाग्य से यह मिशन नाकाम साबित होता है. तभी नासा में कार्यरत वैज्ञानिक रूपक देसाई (दलिप ताहिल) आते हैं, जिन्हे अब इस प्रोजेक्ट का निर्देशक बना दिया जाता है और सजा के तौर पर राकेश धवन को ‘इसरो’ के खटाई में पड़े मार्स प्रोजेक्ट यानी कि ‘मंगलयान’ वाले विभाग में भेज दिया जाता है.

उधर तारा अपने घर में नौकरानी के पूड़ी तलते समय गैस खत्म होने वाली है कि सूचना देने पर तेल गर्म हो जाने के बाद गैस का स्विच बंद कर पूड़ी तलने का आदेश देती हैं और फिर उनके दिमाग में यही नियम ‘मंगलयान’ को अंतरिक्ष में भेजने के लिए उपयोग करने की आती है. इस पर तारा और राकेश के बीच बात होती है. फिर वह अपना यह प्रस्ताव लेकर इसरो प्रमुख (विक्रम गोखले) के पास जाते हैं, जहां रूपक देसाई इसका विरोध करते हैं. जबकि इसरो प्रमुख को अपने साथी वैज्ञानिक राकेश धवन पर भरोसा है.

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