रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः एकता कपूर, शोभा कपूर व नचिकेत पंत वैद्य

निर्देशकः राज शांडिल्य

कलाकारः आयुष्मान खुराना ,नुसरत भरूचा,मनजोत सिंह और अन्नू कपूर

अवधिः दो घंटे 12 मिनट

छोटे शहरों में होने वाली रामलीला में सीता का किरदार भी महिला की बजाय पुरूष ही निभाते हैं.और ऐसा युगो से होता आ रहा है.इसी को आधार बनाकर पहली बार लेखक से निर्देशक बने राज शांडिल्य ने हास्य फिल्म‘‘ड्रीम गर्ल’’में करमवीर का किरदार निभा रहे आयुष्मान खुराना को विभन्न मंचों पर सीता,राधा, द्रौपदी आदि के किरदार में पेश किया. इसके पीछे मूल वजह यह भी है कि करण के अंदर महिला की आवाज में बोलने की क्षमता है. इसके साथ फिल्मकार ने इसमें शहरी जीवन में अकेलेपन की समस्या को भी गूंठने का असफल प्रयास किया है.

कहानीः

कहानी शुरू होती है मथुरा से,जहां जगजीत सिंह (अन्नू कपूर) से, जिनकी दाह संस्कार का सामान बेचने की दुकान है. पर जगजीत सिंह ने कई बैंको से कर्ज ले रखा है. उनका मकान भी गिरवी है. जगजीत का युवा बेटा करम वीर सिंह (आयुष्मान खुराना) बेरोजगारी से परेशान है. मगर मोहल्ले के लोग सीता के रूप में उसकी पूजा करते हैं, क्योंकि करम सिंह बचपन से ही लड़की की आवाज बहुत ही खूबसूरती से निकालते आए हैं, जिसके चलते  बचपन से ही मोहल्ले में होने वाली ‘रामलीला’ में उन्हें सीता और ‘कृष्णलीला’ में राधा का किरदार मिलता आ रहा है. वह अपनी भूमिकाओं से वह पैसे भी कमा लेता हैं और उसे पहचान भी खूब मिलती है. पर जगजीत सिंह को बेटे की इस कला से आपत्ति है. वह चाहते हैं कि करम सिंह कोई सम्मानित नौकरी पा जाए. नौकरी की ऐसी ही तलाश में करम सिंह को डब्लू जी (राजेश शर्मा) के कौल सेंटर में मोटी तनख्वाह पर नौकरी मिलती है, जहां वह पूजा नामक लड़की की आवाज निकालकर ग्राहकों से लंबी मीठी-मीठी प्यार भरी बातें करनी होंती हैं.कर्ज और घर की जरूरतों को ध्यान में रखकर करमवीर,पूजा की आवाज बनकर काम करने लगता है,उसका यह राज उसके दोस्त स्माइली (मनजोत सिंह) के अलावा किसी को भी पता नहीं है.

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