पत्नी को पर पुरुष के साथ हमबिस्तर होते रंगे हाथों पकड़ने के  बाद पत्नी या उसके प्रेमी की हत्या करने की बजाय अलग तरह से बदला लेने की कहानी के साथ  ‘‘देहली बैली’’ फेम निर्देशक अभिनय देव सही न्याय नहीं कर पाए हैं.

टौयलेट पेपर सेल्समैन देव (इरफान खान) एक दिन शाम को निर्णय लेता है कि आज वह काम से जल्दी छुट्टी लेकर अपनी पत्नी रीना (कीर्ति कुल्हारी) के लिए फूलों का गुलदस्ता लेकर जाएगा. उनकी शादी को सात वर्ष पूरे हो चुके हैं. मगर देव को नहीं पता है कि उनकी पत्नी रीना का किसी रंजीत (अरूणोदय सिंह) नामक युवक से अवैध संबंध है.

जब वह अपने घर पहुंचता है, तो अपनी पत्नी रीना को पर पुरुष के संग हमबिस्तर पाता है. जब देव को अपनी पत्नी के प्रेमी रंजीत (अरूणोदय सिंह) के बारे में पता चलता है, तो वह उसे ब्लैकमेल करना शुरू करता है. पर रंजीत, देव की पत्नी को ब्लैकमेल करना शुरू करता है. उधर रंजीत की पत्नी डौली (दिव्या दत्ता) हमेशा उस पर हावी रहती है. धीरे धीरे देव के औफिस के दूसरे लोगों को देव की ब्लैकमेलिंग योजना के बारे में पता चल जाता है. उसके बाद सभी किसी न किसी मसले के लिए एक दूसरे को ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं. उसके बाद सिलसिलेवार तरीके से कई घटनाएं होती हैं.

फिल्म की पटकथा ह्यूमरस और मजेदार नहीं है. वास्तव में फिल्म शुरू होने पर जो उम्मीद जगाती है, वह बहुत जल्द खत्म हो जाती है. इसकी मूल वजह यह है कि निर्देशक व पटकथा लेखक को यही समझ में नहीं आया कि किसी अद्भुत विचार को किस तरह से दृश्यों के माध्यम से पेशकिया जाए. आगे व्याभिचार के चलते जो अपराध होते हैं, उसकी वजह से हास्य दृश्य बेमानी हो जाते हैं.

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कुछ हास्य घटनाक्रम काफी अच्छे बन पड़े हैं. लेकिन इंटरवल से पहले फिल्म घिसटते घिसटते आगे बढ़ती है. इतना ही नहीं रोचकता भी कम है. इंटरवल के बाद फिल्म कुछ ज्यादा ही थकाने वाली हो जाती है. ‘कोई दूध का धुला नहीं’ यानी कि हर इंसान ग्रे शेड्स लिए होता है, इस सोच के साथ हास्य के दृश्यों का संयोजन करना आसान होता है, पर यहां भी यह फिल्म विफल रहती है. कुल मिलाकर ‘ब्लैकमेल’ एक दिलचस्प फिल्म नहीं बन पाती है.

अभिनय देव का निर्देशन ठीक ठाक है. उन्होने इंसानी जीवन के डार्क पक्ष को ही उकेरने का प्रयास किया है. अपनी पहली फिल्म ‘‘देहली बेली’’के मुकाबले इस बार वह कमतर ही हैं. फिल्म की लंबाई कुछ ज्यादा हो गयी है. एडीटिंग टेबल पर इसे कसने की जरुरत थी.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो इरफान खान एक बार फिर अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं. विलेन के  किरदार में अरूणोदाय सिंह हर फिल्म में कुल मिलाकर एक जैसा ही अभिनय करते हुए नजर आते हैं. कीर्ति कुल्हारी का अभिनय ठीक ठाक ही है. पर अहम सवाल है कि इरफान खान अकेले अपने बलबूते पर फिल्म को कितनी सफलता दिला पाएंगे?

फिल्म का गीत संगीत आकर्षित नहीं करता

दो घंटे 19 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘ब्लैकमेल’’ का निर्माण भूषण कुमार, किशन कुमार, अभिनय देव व अपूर्वा सेन गुप्ता ने किया है. फिल्म के निर्देशक अभिनय देव, लेखक  परवेज शेख और प्रदुम्न सिंह, पार्श्व संगीतकार मिक्की मैक्कलेरी व पार्थ पारेख, संगीतकार अमित त्रिवेदी,गुरूरंधावा व बादशाह, कैमरामैन जय ओझा तथा कलाकार हैं – इरफान खान, कीर्ति कुल्हारी, दिव्या दत्ता, अरूणोदय सिंह, ओमी वैद्य, अनुजा साठे, प्रदुम्न सिंह, गजराव राव व खास नृत्य में उर्मिला मांतोडकर.

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