प्रेम विवाह करने वाले दंपतियों के बीच प्यार कहां व क्यों खो जाता है? इसके अलावा पति पत्नी के बीच रिश्तों में बढ़ती दूरियों को तलाशने जैसे मुद्दे पर एक स्तरहीन फिल्म का नाम है - ‘‘जैक एंड दिल’’. यदि लेखक व निर्देशक ने थोड़ी भी सूझबूझ दिखायी होती, तो इस विषय पर गुणवत्ता प्रधान मनोरंजक फिल्म बन सकती थी.

रोमांटिक कौमेडी फिल्म ‘‘जैक एंड दिल’’ की कहानी गोवा में रह रहे जासूसी उपन्यास लेखक व प्रायवेट जासूस जैक (अमित साध) से शुरू होती है. जैक आवारा किस्म का युवक है, जिसे किसी की परवाह नहीं. वह महत्वाकांक्षी नहीं है. बहुत धन कमाने की भी लालसा नहीं है. जो मिल जाए, उसी में खुश रहता है. उनकी प्रेमिका लारा (ईवलीन शर्मा) उन्हे छोड़ चुकी है.

उधर गोवा में ही प्रेशर कूकर बनाने वाली फैक्टरी के मालिक यानी कि उद्योगपति वालिया (अरबाज खान) अपनी पत्नी शिल्पा (सोनल चौहान) के साथ रहते हैं. दोनों ने प्रेम विवाह किया था. मगर विवाह के बाद वालिया अपने व्यवसाय में इस कदर व्यस्त हुए कि उनकी पत्नी शिल्पा को अहसास होने लगा जैसे कि उनका प्यार कहीं खो गया है. और घर बिना प्यार व इंसानों का बनकर रह गया है. इसलिए वह कुछ इस तरह की गतिविधियां करती हैं, जिससे वालिया को लगता है कि उनकी पत्नी शिल्पा का किसी पर पुरूष के संग अवैध संबंध पनपा हुआ है.

जैक को एक कुत्ता खरीदना है. पर जेब में फूटी कौड़ी न होते हुए भी वह वालिया के कुत्ते को खरीदने के लिए वालिया के घर पहुंच जाता है. पर वालिया अपनी पत्नी का सच जानने के लिए जैक की सेवाएं लेता है. जैक को दस दिन के अंदर सबूत के साथ वालिया को बताना है कि किस पुरुष के संग उनकी पत्नी का अवैध रिश्ता है. इसके लिए जैक को पारिश्रमिक राशि के तौर पर एक लाख रूपए व कुत्ता मिलना हैं.

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