इम्तियाज अली की फिल्म ‘सोचा न था’ से अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले अभिनेता अभय देओल को सफलता फिल्म ‘ओय लकी लकी ओय’ से मिली. उन्होंने हमेशा लीक से हटकर फिल्में की और नाम कमाया. वे निर्माता, निर्देशक अजीत सिंह देओल के पुत्र और अभिनेता धर्मेन्द्र के भतीजे हैं.

बचपन से अभिनय का शौक रखने वाले अभय की चर्चित फिल्म ‘देव डी’ थी, जिसमें उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनायीं. इसके बाद उन्होंने कई फिल्में की, जिसमें ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा, रांझणा, आहिस्ता-आहिस्ता आदि है. वे फिल्मों के मामले में चूजी हैं और सोच समझकर फिल्में करते हैं. अभी उनकी फिल्म ‘नानू की जानू’ रिलीज पर है पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

इसको करने की खास वजह क्या है?

इसकी कहानी अलग है और मुझे उत्साहित करती है. ये हौरर कौमेडी फिल्म है, जो मैंने अब तक नहीं की है. असल में कौमेडी में ट्रेजडी होती है. अगर कोई फिसलकर गिरता है, तो लोग हंसते हैं, पर उस व्यक्ति को चोट लगती है. ये एक फनी फिल्म है. मुझे डार्क कौमेडी फिल्म बहुत पसंद है. जो हमारे देश में कम पर विदेशों में अधिक बनती है.

हमारे देश में डार्क कौमेडी न बनने की वजह क्या है?

फिल्म एक संस्कृति को पैदा करती है. इंडस्ट्री में अब संस्कृति को रिफ्लेक्ट किया जा रहा है, पर कुछ क्रिएट नहीं किया जा रहा है. यहां लोग फार्मूला फिल्में अधिक बनाते हैं. कुछ नया करने से घबराते हैं.

आपके लिए इस फिल्म में कठिन क्या था?

इतनी ट्रेजिक फिल्म में लोगों को हंसाना मेरे लिए मुश्किल था. जहां पर लोगों के दुःख पर हंसना गलत समझा जाता है.

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