मां की भूमिका में हमेशा छोटे पर्दे और बड़े पर्दे पर राज करने वाली अभिनेत्री स्मिता जयकर ‘मदर इंडिया’ के नाम से भी जानी जाती हैं. हिंदी फिल्मों के अलावा उन्होंने मराठी फिल्मों और नाटकों में भी काम किया है. 20 साल के इस कैरियर में उन्होंने 30 से अधिक फिल्मों और टीवी धारावाहिकों में काम किया है. सबसे चर्चित उनकी फिल्में परदेश, सरफरोश, हम दिल दे चुके सनम, राजू चाचा, देवदास, किस्मत, यारियां आदि हैं. जबकि टीवी धारावाहिकों में घुटन, नूरजहां, यहां मैं घर घर खेली, घर आजा परदेसी आदि काफी पोपुलर है. काम के दौरान ही उन्होंने शादी की और दो बच्चों की मां बनी. उन्होंने जो भी किरदार निभाएं उसमें एक अमिट छाप छोड़ी है, इसलिए आज भी वह अभिनय से दूर नहीं, उन्हें जो भी भूमिका मिलती है, उसमें अपनी सौ प्रतिशत कमिटमेंट देने की कोशिश करती है. वह खुद एक मां है और मां की भूमिका को निभाने में मुश्किल नहीं होती. अभी वह एजीपी वर्ल्ड द्वारा प्रस्तुत नाटक ‘देवदास’ में फिर से मां कौशल्या की भूमिका निभा रही है, उनसे मिलकर बात करना रोचक था पेश है कुछ अंश.
- इस नाटक में एक बार फिर से मां कौशल्या की भूमिका अदा करने की वजह क्या है?
मैंने काफी सालों तक नाटक निर्माता आश्विन गिडवानी के साथ कई नाटकों में काम किया है. इसमें मुझे एक बार फिर से मां की भूमिका में काम करने के लिए जब कहा गया, तो मुझे बहुत खुशी हुई, क्योंकि मैं पहली मां हूं, जिसने फिल्म और नाटक दोनों में कौशल्या की भूमिका निभाई है. ये एक बड़ी ग्लेंजर शो है, जिसे मुझे करने में मुझे मजा आ रहा है.
- फिल्म से नाटक में भूमिका अदा करना कितना अलग होता है?
चरित्र एक है, लेकिन वह फिल्म है और ये एक स्टेज है. फिल्म में अभिनय का दायरा बहुत अधिक होता है, जबकि रंगमंच पर उतना नहीं होता, सीमित दायरे में आपको अभिनय करना पड़ता है.
- किसी भी कलाकार के लिए नाटक में काम करना कितना जरुरी है?
अभिनय तभी परिपूर्ण होती है, जब आपने हर तरह की भूमिका हर विधा में की है, जिसमें टीवी, फिल्म, नाटक, वेब सीरीज आदि सभी आ जाता है, लेकिन ये कलाकार पर निर्भर करता है कि वह किसमें पोपुलर हो रहा है. कई बड़े कलाकार ने कभी नाटक में काम नहीं किया, फिर भी स्टार हैं.
- मां की भूमिका में आप हमेशा जंची है, क्या अभी कुछ और करना बाकी रह गया है?
मैंने हर तरह की मां की भूमिका निभा लिया है, सकारात्मक सोच वाली, नकारात्मक सोच वाली मां, अधिक उम्र वाली, कम उम्र वाली मां सब कुछ कर लिया है. मुस्लिम, पंजाबी, मराठी आदि सभी प्रकार के मां बन चुकी हूं. अब मां की भूमिका में कुछ बचा नहीं है, लेकिन अगर कुछ और अलग सी चरित्र हो, तो वह मुझे आकर्षित कर सकती है.
- असल जिंदगी में परिवार में एक मां की भूमिका का मजबूत होना कितना जरुरी है?
मां एक शक्ति का रूप है और अगर एक औरत में इतनी शक्ति है कि वह किसी भी रूप में परेशान नहीं होती, ऐसे में वह केवल घर परिवार को ही नहीं, बल्कि आस पास के सारी समस्या का हल निकाल सकती है. औरत का अस्तित्व कही भी कम नहीं होता और अगर इसे पुरुष समझ लें, तो समस्या कुछ रह नहीं जाती. ये भी सही है कि महिलाएं भी खुद ये समझ नहीं पाती कि उनके अंदर कितनी शक्ति है और अपने आपको हमेशा लाचार समझती रहती है. वह उस शक्ति तक पहुंचने की कोशिश भी नहीं करती और सारे नकारात्मक सोच को लेकर बैठी रहती है. अगर वे अपने अंदर की शक्ति को समझ लें, तो किसी भी प्रकार के झगडे या शोर शराबे की कोई जरुरत नहीं पड़ती. उसकी मौजूदगी ही परिवार के पूरे माहौल को बदल सकती है. मदर अर्थ और मदर नेचर की उपमा भी इसलिए ही दी जाती है. इसके बिना आप नहीं जी सकते.
- फिल्मों का दौर बहुत बदला है, पहले और आज की फिल्मों में बहुत अन्तर आ चुका है इसे आप कैसे लेती है, क्या पुराने दिनों को मिस करती है?
फिल्मों का अभी अच्छा दौर चल रहा है, हर उम्र के व्यक्ति आज एक्टिव है और एक्टिंग कर सकता है, उनकी कला अभी भी जीवित है. असल में हर चीज ग्रो करती है और हर किसी को आगे बढ़ते रहना है. ब्लैक एंड वाइट फिल्में आज नहीं चल सकती. दुनिया बदली है, फिल्में भी बदली है. हम दिल दे चुके सनम जैसी फिल्में, जिसमें नाच गाना हो, आज नहीं चल सकती. अभी राज़ी, पैड मैन जैसी फिल्में बन रही है और वह चल भी रही है, क्योंकि ये फिल्में सीख के साथ साथ मनोरंजन भी करती है. इससे लोगों में जागरूकता बढती है.
- आपकी फिटनेस का राज क्या है?
फिट रहने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है. मैं मैडिटेशन करती हूं, नियम से भोजन करती हूं. अगर आप अंदर से फिट है तो वह बाहर से दिखती है.
- आपके बच्चे आपके क्षेत्र से कितने प्रभावित है?
वे मेरे काम से बहुत प्रभावित है, लेकिन उनका क्षेत्र अलग है. बड़ा बेटा विजुअल इफेक्ट्स में काम करता है, जबकि छोटा बेटा वकील है.
- ‘मी टू’ आजकल बहुत चर्चा में है, इस विषय पर आपकी सोच क्या है?
मेरे विचार में ये सब पर्सनल बातें है. मेरा मानना है कि अगर आप चाहते है कि कोई आपके साथ अत्याचार न करें, तो आप खुद इसे रोक सकती है. लेकिन मजबूरी है, करके आप किसी को कुछ भी करने के लिए अनुमति देते है, तो वह अलग बात है. मैंने भी बहुत कम उम्र से एक्टिंग शुरू की थी और अच्छा काम किया है. ये आपके उपर निर्भर करता है कि आप इन सब चीजों से कैसे दूर रहे. इसके बाद जो भी परिणाम हो, उसे भुगतने के लिए भी तैयार रहने की जरुरत है. नहीं, मतलब नहीं ही हमेशा होनी चाहिए.