फिल्म ‘धड़क’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाली अभिनेत्री और खूबसूरत दिवा जान्हवी कपूर अभिनेत्री श्री देवी और निर्माता निर्देशक बोनी कपूर की बेटी हैं. बचपन से ही अभिनय के क्षेत्र में जाने की इच्छा रखने वाली जान्हवी का पारिवारिक माहौल भी फिल्मी था. इसलिए वह इससे अलग कुछ सोच नहीं सकती थीं. यही वजह थी कि उन्होंने स्कूल से ही नृत्य और मौडलिंग में भाग लेना शुरू कर दिया था. इसके बाद वह अमेरिका फिल्म कोर्स सीखने गयी. वहां से आकर उसे फिल्म ‘धड़क’ मिली. जो हिट मराठी फिल्म ‘सैराट’ की एडोप्टेशन है. वह इसे लेकर बहुत खुश हैं और रिलीज होने का इंतजार कर रही है. हंसमुख और नम्र स्वभाव की जान्हवी से मिलकर बात करना रोचक था. पेश है अंश.
आपको इस फिल्म का कौन सा भाग बहुत कठिन लगा और आपने कितनी मेहनत की है?
इसमें बहुत सारे ऐसे दृश्य थे, जो मुश्किल थे, लेकिन मैं अधिक सीखने की इच्छा रखने की वजह से नए-नए दृश्य को एक्स्प्लोर करती रही. फिल्म में मेरे चरित्र का ग्राफ मुझसे काफी अलग है. मैं मुंबई की हूं और वह उदयपुर की है. परवरिश भी अलग है. मैं फिल्मी खानदान से हूं और वह एक राजशाही खानदान की हैं. बोलने का तरीका और उठने बैठने का तरीका सब अलग है. अगर मैं ये फिल्म नहीं करती तो राजस्थान के बारें में इतनी जानकारियां मुझे नहीं मिल पाती. चुनौती थी, पर मुझे बहुत मजा आया. करीब 6 महीने की कोशिश थी.
फिल्म की पहली सीन के दौरान श्री देवी सेट पर थीं, आप कितनी नर्वस थीं?
मैं बहुत उत्साहित थी. निर्देशक शशांक ने परिवार का माहौल सेट को बना दिया था. फिर मैंने इतनी रिहर्सल की थी कि घबराहट नहीं हुई, पर मां के सामने नर्वस थी. मां फिर वैन में जाकर बैठ गयीं इससे एक ही बार में सीन ओके हो गया.
आपने कब सोचा कि आपको अभिनेत्री ही बनना है?
बचपन से ही इच्छा थी. लेकिन बीच में लगा था कि मुझे दूसरे आप्शन की भी कोशिश कर लेनी चाहिए. मुझे कौलेज नहीं जाना था, क्योंकि मुझे अधिक पढ़ाई की कोई इच्छा नहीं थी. मुझे एक्टिंग, साहित्य, इतिहास और एक फैशन का कोर्स पढ़ना था. इसके लिए पहले मैं लोस एंजिलस एक्टिंग कोर्स करने गयी और वहां एक सीन करने के दौरान मुझमें एक नशा सा छा गया. उस दिन मैंने सोच लिया था कि मुझे एक्टिंग ही करनी है. फिर मैंने मां को फोन कर कहा कि मुझे दूसरे कोर्स के लिए जाना नहीं है और एक्टिंग को ही अपना प्रोफेशन बनाना है.
बचपन में आप कैसी थीं?
मैं बचपन में झूठ बहुत बोलती थी. मैं अपनी दिमाग में कई स्टोरी बनाकर उसे सजीवता के साथ कहती थी ,जिसे लोग सही भी मान लेते थे. एक बार मैंने सबसे कहा था कि मैंने शकीरा से डांस सीखा है. इसे सुनकर मेरे दोस्तों के माता-पिता भी मेरे पेरेंट को फोन कर पता करने लगे थे.
स्टारकिड होने के नाते आप अपने ऊपर कितना प्रेशर महसूस कर रही हैं?
मैं जानती हूं कि मेरी तुलना होगी और मैं अपने परिवार की गरिमा को बनाये रखना चाहती हूं. इसलिए मैं अपने चरित्र पर काफी फोकस्ड हूं. इसका अनुभव मेरे लिए बहुत स्पेशल है. जिम्मेदारी बहुत महसूस कर रही हूं, क्योंकि मेरी मां और मेरे परिवार को दर्शकों का बहुत प्यार मिला है और मुझे उसे बनाये रखना है. ये काम के द्वारा ही कर सकती हूं.
सोशल नेटवर्क पर आप कितनी एक्टिव हैं?
सोशल मीडिया अच्छा होने के साथ-साथ खराब भी है. हालांकि ये सभी को अपने विचार रखने का मौका देती है और लोगो से जोडती है. मेरे हिसाब से ये एक नकली दुनिया है, जिसे वे जैसे दिखाना चाहे, आप को दिखाते है और मुझे ये अच्छा नहीं लगता. ये देखा गया है कि नकारात्मक बातों पर अधिक ‘लाइक्स’ मिलते हैं, जो मुझे खराब लगता है. इसलिए मैं बहुत अधिक एक्टिव नहीं रहती इसपर.
मां से आपका स्वभाव कितना मिलता है?
मुझे मां की तरह मिठाई खाना पसंद है और उनकी तरह बहुत ही सेंसेटिव हूं.
मां और पिता के साथ आप कौन कौन से सेट्स पर गयीं और क्या सीखा?
मैं उनके साथ हमेशा सेट्स पर जाती थी. मां की फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिश’, ‘वांटेड’ आदि कई फिल्मों की सेट पर गयी हूं. मां और पिता बहुत ट्रेवल करते थे और मुझे मजा आता था. इससे मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला. जैसे कि प्रोडूसर के साथ कलाकार को कैसे वर्ताव करना चाहिए. इसके अलावा पिता हमेशा कहा करते हैं कि सभी लोग अपना काम करते हैं और एक्टर का काम किसी से कम नहीं.
बहन खुशी और अर्जुन कपूर के साथ आपकी बोन्डिंग कैसी है?
खुशी बहुत सेंसिटिव है, लेकिन वह दिखाई नहीं पड़ता. उसके साथ बोन्डिंग बहुत अच्छी है. हम दोनों एक दूसरे की बात को हमेशा शेयर करते हैं. मां की मृत्यु के बाद अर्जुन कपूर और अंशूला कपूर ने हमें बहुत सहयोग दिया, जिसकी वजह से हम इस दुखद घटना से उबर पाए.
मां के साथ इस फिल्म को लेकर अंतिम बात क्या हुई थी?
उन्होंने मेरे फिल्म की 20 मिनट की क्लिपिंग देखी थी और कहा था कि फिल्म के दूसरे भाग में मेकअप मत करना और मैंने वैसा ही किया था.
आपकी रोल मौडल कौन है?
मेरी रोल मौडल मेरी मां हैं.
आपने मां के अवार्ड को लिया, क्या अनुभव थे?
बहुत ही इमोशनल माहौल था. ‘मौम’ फिल्म मां के लिए बहुत ही स्पेशल थी. मां अपने काम के बारें में कभी चर्चा नहीं करती थीं, लेकिन उन्होंने इस फिल्म के बारें में एक बार कहा था कि कलाकार के रूप में ये फिल्म मेरी सबसे अच्छी परफोर्मेंस थी. हमारे लिए ये बड़ी बात थी कि उसी फिल्म को अवार्ड मिला. वह भी खुश होतीं, अगर उन्होंने अपने हाथ से अवार्ड लिया होता.