गजल के बादशाह जगजीत सिंह को भला कौन नहीं जानता. उनकी गजलों ने और उनकी जिंदगी ने ना जाने कितनों को जीने का सही मायना दिया है. जगजीत सिंह की जिंदगी में बहुत कुछ ऐसा घटा था जिसे वे अपने अंदर समेटे रहते, मगर किसी को वो इस बात का एहसास तक नहीं होने देते. लोग उनकी इन तकलीफों का अंदाजा उनकी गायकी और मुस्कुराते चेहरे को देख लगा ही लेते थे.

एक बार एक इंटरव्यू में जब उनसे उनकी जिंदगी बारें में पूछा गया तो उनका कहना था, कि मै बाहर से जो हूं वो तो हूं लेकिन अंदर क्या हूं मै क्यों दिखाऊं किसी को. बौलीवुड में लोग उन्हें गजल किंग कहकर पुकारा करते थे.

वैसे जगजीत सिंह के जीवन की कुछ रोचक घटनाएं भी हैं, जिसके बारे जानकर शायद आपको यकीन नही होगा. उनके जीवन की कुछ आदतें ऐसी थी जो उनके जीवन के शरारती हिस्से को बयां करती हैं. गजल गीत संग रमे ढले जगजीत नकल और चोरी करने में भी उस्ताद थे. रुपए चुरा कर खूब फिल्में देखते और गाने सुनते थे. परीक्षाएं सर पर होतीं तो नकल करते और दूसरों को भी कराते. जगजीत ने ये मजेदार किस्से खुद बताए थे.

एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वह रुपए चुराकर फिल्म देखने जाते थे. फिल्मों में अच्छे गाने आते थे. वह उन्हें सीखने जाते थे. कई बार चौकीदार को रिश्वत भी देते. फटी टिकट के दो टुकड़े जोड़ लेते थे और लोगों को बेवकूफ बना कर उसी से वो सिनेमा हौल में एंट्री करते थे. मां बाजार से सामान लाने को जो रुपए देती तो रुपए की हेराफेरी भी करते, उन रुपयों से रसगुल्ला खाते थे और चाय पीते थे.

उनकी पढ़ाई लिखाई में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी. इम्तिहान नजदीक आते तो पास होने के लिए नकल करते. दूसरों को भी कराते थे. एक बार एग्जाम हौल में नकल मारते हुए पकड़े गए जगजीत सिंह को इंस्पेक्टर (फ्लाइंग स्काउट) आया, तो वह उन लोगों को दूसरे कमरे में ले गया. वहां उस औफिसर ने  बोला अब आराम से नकल मारिए आप लोग यहां.

पत्नी चित्रा के घर के सामने साइकिल में गड़बड़ी के वाकये पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हां हमेशा उसी लड़की के घर के बाहर उनकी साइकिल पंचर होती थी. उनका कहना था कि वह अपने घर के बाहर कीले बिछा कर रखती थीं. ऐसे ही एक बार पकड़े जाने पर लड़की के पिता ने जगजीत सिंह को उनके पिता के पास ले जाकर शिकायत भी की और कहा कि आपके लड़के की साइकिल जरा ठीक करा दीजिए, क्योंकि रोज मेरे घर के बाहर इसकी साइकिल की चैन उतर जाती है.

आज जगजीत सिंह हमारे बीच नहीं रहें, लेकिन उनकी गजलों और गायकी को लोग आज भी उसी अंदाज में याद करते हैं जैसे पहले किया करते थे.

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