‘मिस वर्ल्ड’ से बौलीवुड की चर्चित अदाकारा बनने तक प्रियंका चोपड़ा ने लंबी यात्रा की है. इस यात्रा में उन्हें कई तरह के पड़ावों से गुजरना पड़ा, पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी. बरेली जैसे छोटे शहर से आ कर बौलीवुड में बड़ा नाम बन कर उन्होंने दूसरी लड़कियों के लिए मिसाल कायम की है. इन दिनों वे अर्जुन अवार्ड विजेता मैरी कौम की बायोपिक फिल्म ‘मैरी कौम’ में अभिनय कर उत्साहित हैं.
फिल्म ‘मैरी कौम’ में एक लोरी गा कर प्रियंका चोपड़ा ने 40 साल से बौलीवुड की फिल्मों से गायब हो चुकी लोरी संस्कृति को नया जीवन दिया है.
पेश हैं, उन से हुई गुफ्तगू के प्रमुख अंश:
आप ‘मैरी कौम’ बायोपिक को ले कर बहुत उत्साहित हैं. मगर ट्रेलर देख कर दर्शकों को शिकायत है कि आप मणिपुरी नहीं लगतीं?
यह सच है. मगर जब मेरे पास इस फिल्म का औफर आया, तो मना नहीं कर पाई. मैं ही क्यों कोई भी अभिनेत्री मैरी कौम का किरदार निभाने से मना नहीं करती. मैं दर्शकों से कहूंगी कि वे चेहरे पर न जाएं. कलाकार की प्रतिभा और मैरी कौम की कहानी को समझें.
यह फिल्म स्वीकार करने से पहले आप मैरी कौम के बारे में कितना जानती थीं?
मुझे मैरी कौम के बारे में जानकारी थी. मैं जानती थी कि वे बौक्सर हैं, ओलिंपिक विजेता हैं. मुझे पता था कि वे राष्ट्रीय बौक्सिंग चैंपियन में 5 बार गोल्ड मैडल हासिल कर चुकी हैं. मणिपुर के छोटे से गांव में चावल उगाने वाले किसान की बेटी मैरी कौम इतनी शोहरत पाने के बावजूद आज भी इंफाल से करीब 100 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव में रहती हैं.
जिन्हें अपने भविष्य के लिए दिशा की तलाश है, जिन्हें अपनी ऐनर्जी का सदुपयोग करना है उन्हें यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए.
जब आप को फिल्म का औफर मिला, तो आप के दिमाग में पहली बात क्या आई?
यही कि मुझे बौक्सिंग सीखनी पड़ेगी. फिर मेरे दिमाग में आया कि क्या मैं इतना कठिन काम कर पाऊंगी? मुझे 4 माह लगे बौक्सिंग सीखने में. इस के अलावा हर दिन जिम भी जाना पड़ा. बौक्सरों की तरह अपनी मसल्स बनानी पड़ीं. मैरी कौम कैसे चलती हैं, किस तरह लड़तीझगड़ती हैं, वह सब कुछ मैं ने अपने अंदर लाने की कोशिश की.
अपने पति, अपने भाईबहनों के साथ मैरी कौम का जो रिश्ता है, उसे भी हम ने समझ कर निभाने की कोशिश की है. पिता के साथ और कोच के साथ उन का जो रिश्ता है उसे भी हम ने तवज्जो दी है. उन की जिंदगी की कई रीयल घटनाओं को भी इस फिल्म में रखा है.
यह फिल्म एक खिलाड़ी व खेल की बात करती है, तो खेल को ले कर किस तरह के कदम उठाने की जरूरत है?
मैं इस बारे में ज्यादा बात नहीं करना चाहती, क्योंकि हमारी फिल्म इस बारे में बहुत कुछ कहती है. हमारी फिल्म का यह बहुत बड़ा हिस्सा है. उस पर बात करने पर फिल्म के कुछ सीन बताने पड़ेंगे, जो मैं बताना नहीं चाहती.
आप के लिए इस फिल्म को करना कितना कठिन था?
इस फिल्म में अभिनय करना मेरे लिए फिजिकली और मैंटली दोनों तरह से तकलीफदायक था. हम औरतों का शरीर व मसल्स वैसी नहीं होती जैसी पुरुषों की होती हैं. पर मुझे एक खिलाड़ी की तरह अपनी मसल्स बनानी थीं तो यह मेरे लिए बहुत कठिन रहा. इस के अलावा भावनात्मक स्तर पर भी मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी, क्योंकि हर सीन के समय मेरे अंदर डर बना रहता था कि यह बहुत रीयल इंसान की जिंदगी का मसला है. वह गलत ढंग से परदे पर न आए. मैं ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की कि अपने अभिनय से किरदार को मैरी कौम के ज्यादा से ज्यादा करीब बना सकूं.
यह फिल्म लड़कियों को क्या संदेश देती है?
यह फिल्म सिर्फ लड़कियों की नहीं, बल्कि युवा पीढ़ी की फिल्म है. यह फिल्म उन लोगों के लिए है, जिन से कहा जाता है कि सीमाओं में रहो, अपने सपनों को सीमित रखो, अपने परिवार का बिजनैस जौइन करो, उम्र हो गई है, अब शादी कर लो.
हमारी यह फिल्म कहती है कि इंसान को जिंदगी में कुछ बड़ा काम करने के लिए, कुछ बड़ा बनने के लिए, एक बड़े मुकाम को पाने के लिए, अपने दायरे में नहीं रहना चाहिए. सपनों को इतना बुलंद करना चाहिए कि आप अपने मुकाम तक पहुंच सकें. यह फिल्म आप को अपने पैरों पर खड़े होने की शिक्षा देगी. हमारी युवा पीढ़ी सोचती कुछ है, करती कुछ है. वह अपनी ऐनर्जी गलत दिशा में ही लगाती रहती है. यह फिल्म उसे अपनी ऐनर्जी को सही दिशा में लगाना सिखाएगी.
मैरी कौम की किस बात ने आप को इंस्पायर किया?
मुझे मैरी कौम की मैंटालिटी ने बहुत इंस्पायर किया. जब वे मां होती हैं, तो मां बन जाती हैं, बच्चों के साथ होती हैं, तो बिलकुल बच्चों की तरह बिहेव करने लगती हैं. वे जब जो काम करती हैं, पूरे फोकस के साथ करती हैं. मैं भी उसी तरह हर काम को अच्छे ढंग से करना चाहती हूं. फिर चाहे अपना घर सजाना हो या दोस्तों के साथ गपशप करना अथवा परिवार के साथ समय बिताना.
70 के दशक के बाद फिल्मों से लोरी गायब हो गई थी. 40-45 साल बाद आप ने इस फिल्म में लोरी गाई है?
मेरे मम्मीपापा मेरे लिए लोरी गाया करते थे, पर यह फिल्मों से गायब हो गई है. अब इस फिल्म में लोरी फिल्म का अहम हिस्सा है. बहुत ही बढि़या लोरी है. फिल्म में मैरी कौम अपने बच्चे को लोरी गा कर ही सुलाती हैं. मुझे इस लोरी को गाने में भी बहुत मजा आया.
यूनिसेफ के साथ जुड़ कर क्या कर रही हैं?
मैं यूनिसेफ के साथ 5 सालों से काम कर रही हूं. गुडविल ऐंबैसेडर के रूप में काम किया. हम ने शिक्षा पर बहुत काम किया. 4 साल पहले हम ने ‘दीपशिखा’ नामक कार्यक्रम शुरू किया था. यह अब करीब 3 सौ गांवों में काम कर रहा है, जहां लड़कियों को शिक्षा दी जाती है. यूनिसेफ का एक घर होता है, जहां लड़कियां पढ़ने, सिलाईबुनाई सीखने के लिए आ सकती हैं ताकि वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें, अपना खुद का बिजनैस शुरू कर सकें. यह ऐंपावरमैंट है. चाइल्ड मैरिज के खिलाफ भी काम कर रही हूं.
आप ने अपनी भी कोई संस्था बनाई है?
जी हां, मैं ने अपना फाउंडेशन शुरू किया है. इस का नाम ‘चोपड़ा फाउंडेशन फौर हैल्थ ऐंड ऐजुकेशन’ है. इसे 3 साल हो गए. हम इस संस्था के माध्यम से जरूरतमंदों को उन के औपरेशन वगैरह का खर्च मुहैया करते हैं. जरूरतमंद की स्कूल व कालेज की फीस व किताबें आदि खरीदने के लिए पैसे देते हैं.
आप के लिए ट्विटर इन्फौरमेशन का मीडियम है या?
ट्विटर एकदूसरे से अपने विचारों के आदानप्रदान करने का माध्यम है. इस के जरीए आप विश्व स्तर पर अपने विचारों का आदानप्रदान कर सकते हैं. मगर आजकल लोग नाम छिपा कर किसी भी सैलिब्रिटी से गालीगलौज करते रहते हैं, जो गलत है. आजकल लोग इंसानियत भूल रहे हैं.