रेटिंगः तीन स्टार

निर्माताः विक्रम मेहरा व सिद्धार्थ आनंद कुमार

निर्देशकः वंदना कटारिया

लेखकः सुनील ड्रेगो, वंदना कटारिया व सोनिया बहल

कैमरामैनः रामानुज दत्ता

कलाकारः अली हजी, कुणाल कपूर, मुस्कान जाफरी, इवान रौड्क्सि, हार्दिक ठक्कर, मोहम्मद अली मीर, शान ग्रोवर, सोनी राजदान, एम के रैना व अन्य.

अवधिः एक घंटा 51 मिनट

फिल्मकार वंदना कटारिया ने विलियम शेक्सपिअर के नाटक ‘‘द  मर्चेट आफ वेनिस’’ की अपनी व्याख्या के साथ इस फिल्म का निर्माण किया है. यह नाटक अपमानित व उत्पीड़ित होने के बाद बदला लेने की बात करता है.इसे ही फिल्मकार ने अपनी फिल्म का विषय बनाते हुए बोर्डिंग स्कूल में होने वाली बुलिंग बदमाशियों के साथ समलैंगिकता का मुद्दा भी उठाया है.शेक्सपिअर के इस दुःखद नाटक की ही तरह फिल्म भी बेहद डार्क, क्रूर व संवेदनाओं की परीक्षा लेती है.पर वरिष्ठ छात्रों की बदमाशी किस तरह किशोर व मासूम छात्र की मासूमियत छीनकर उसे शैतान बनने पर मजबूर करती है.

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कहानीः

मसूरी के पौश बोर्डिंग स्कूल मांउट नोबल हाई में दसवीं कक्षा में पढ़ने वाला मासूम शाय (अली हाजी) अपने मोटे भाले भाले मासूम क्यूट दोस्त गणेश (हार्दिक ठक्कर)और पिया (मुस्कान जाफरी) के साथ खुश है.पर शाय अपने किशोरवय से जूझ रहा है. पिया की मां भी इसी स्कूल में शिक्षक हैं. शौय का सीनियर और करोड़पति बौलीवुड स्टार का बेटा बादल (शान ग्रोवर) हर चीज पर अपना हक जताता है. बादल,पिया को चाहता है और उस पर सिर्फ अपना हक मानता है. जब शाय को ड्रामा थिएटर शिक्षक मुरली (कुणाल कपूर) शेक्सपियर के नाटक ‘द मर्चेट औफ वेनिस’ के मुख्य पात्र के लिए चुनता है, तो उसकी जिंदगी में हादसों का सिलसिला शुरू हो जाता है. क्योंकि इस नाटक की हीरोईन के किरदार में पिया है.बादल को यह बर्दाश्त नही होता.वह पहले ड्रामा शिक्षक मुरली पर दबाव डालकर शाय की जगह खुद को नाटक का हिस्सा बनाने के लिए कहता है. वह अपने पिता से कई तरह की मदद का आश्वासन भी देता है. मगर मुरली मना कर देते हैं.

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