रेटिंगः दो स्टार

निर्माताः मणि रत्नम और सुभाषकरण अलीराजा

लेखक: मणि रत्नम , बी जयमोहन और ई कुमारवेल

निर्देशकः मणि रत्नम

कलाकारः ऐश्वर्या राय बच्चन , विक्रम , कार्ति , जयम रवि , तृषा , शोभिता धूलिपाला , ऐश्वर्य लक्ष्मी , शरत कुमार और प्रभु और प्रकाश राज

अवधिः दो घंटे 45 मिनट

किसी भी उपन्यास को सिनेमा के दृष्य श्राव्य माध्यम में बदलना आसान नही होता है. अब तक लगभग हर फिल्मकार ऐसा करने मे मात खाता आया है.लेकिन मूलतः तमिल फिल्मकार मणिरत्नम के पास दोनों माध्यमों की समझ व संवेदनशीलता है.इसके बावजूद वह कल्की कृष्णमूर्ति के पांच भागों के बृहद उपन्यास ‘‘पोन्नीयिन सेलवन’’ को सिनेमा में ढालते हुए न्याय नही कर पाए.जब इंसान अपने काम के प्रति इमानदार न हो और एक खास विचारधारा के तहत कम करता हो,पर पैसा कमाने के लिए कुछ भी कर ले,तो उसकी कृति गड़बड़ हो जाती हैं.मणिरत्नम हिंदी भाषा के प्रबल विरोधी हैं.मगर पैसा व षोहरत कमाने के लिए उन्होने फिल्म‘‘पोन्नियिन सेलवन 2’’ को तमिल, तेलगू, कन्नड़ ,मलयालम के साथ ही हिंदी में भी प्रदर्षित किया है.मगर उनका हिंदी विरोध फिल्म के प्रचार के दौरान भी जारी रहा.मणि रत्नम और उनकी टीम ने हिंदी में एक भी षब्द नहीं कहा,तमिल या अंग्रेजी में ही जवाब दिए.जबकि कन्नड़ व तेलुगू फिल्म इंडस्ट्ी के कलाकार मुंबई की मीडिया संग हिंदी में बात करने का पूरा प्रयास करते हैं.हमने मलयालम सुपर स्टार ममूटी से भी हिंदी में बात की है.

जब इंसान का मन साफ न हो तो वह अच्छा रचनात्मक काम नही कर सकता.रचनात्मक इंसान व कलाकार को हर भाषा का सम्मान करना चाहिए. मणि रत्नम ने सिनेमाई स्वतंत्रता के नाम पर कल्की कृष्णन के उपन्यास के साथ खिलवाड़ किया है,जिसे लोग पचा नही सकते.वैसे चियान विक्रम की माने तो इस उपन्यास के बारे मंे मंगलोर के अलावा दूसरे हिस्से के लोग कम परिचित हैं.इस उपन्यास को पढ़ चुके लोगों का मानना है कि यह ऐतिहासिक उपन्यास महज काल्पनिक कहानी नही बल्कि में कुछ साक्ष्य-आधारित तथ्य हैं.मगर हिंदी विरोध की रोटी सेंकने वाले जब जब केवल धन कमाने के लिए अपनी फिल्म को हिंदी में भी प्रदर्षित कर रहे हो,तो स्वाभाविक तौर पर आतंरिक कपट उनके काम मंे भी उभरकर आ गया.यदि यह कहा जाए कि मणि रत्नम ने पंद्रहवीं सदी में लिखे गए उपन्यास की हत्या की है,तो कुछ भी गलत नही होगा. इसी उपन्यास पर आधारित मणि रत्नम निर्देषित फिल्म ‘‘पोन्नियिन सेलवन एक’’ कुछ हद तक महाकाव्य को स्थापित करने का प्रयास था,मगर दूसरे भाग में मणि रत्नम पूरी तरह से भटक गए हैं,इसकी मूल वजह यह नजर आती है कि मणि रत्नम ने इस भाग में कहानी का केंद्र नंदिनी व आदित्य कारिकालन की प्रेम कहानी और नंदिनी के अंदर चोल साम्राज्य को समाप्त कर प्रतिषोध लेने की दहक रही अग्नि ही है.परिणामतः उपन्याय के बाकी किरदार एकदम हाषिए पर चले गए हैं.अफसोस वह नंदिनी व उसकी मंा मंदाकिनी की कहानी को भी सही ढंग से कहने की बजाय भटक गए हैं.

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