फिल्म: टेनिस बडीज

रेटिंग: ढाई स्टार

कलाकार: रणवीर शौरी, दक्षता पटेल और दिव्या दत्ता

निर्देशक: सुहैल तातारी

खेल और वह भी टेनिस पर मनोरंजक फिल्म बनाना बहुत मुश्किल काम है. टेनिस की गिनती एक षु-ुनवजयक खेल के रूप में ही होती है. इसके प्रशंसको की संख्या भी कम है. लेकिन फिल्मकार सोहेल तातारी ने टेनिस के ही इर्द-गिर्द घूमने वाली वाली बुलंद हौसेलों की बात करने के साथ ही अपने पिता के सपनों को पूरा करने वाली लड़की की कहानी को रोचक तरीके से फिल्म ‘‘ टेनिस बडीज’ ’में पेश करने में सफल रहे हैं.

फिल्म ‘‘टेनिस बडीज’’की कहानी के केंद्र में 14 साल की टेनिस खिलाड़ी अनुष्का सिंह (दक्षता पटेल) है, जिसके पिता दिलीप सिंह (रणवीर शौरी) खेलों की गंदी राजनीति का शिकार होकर टेनिस के खेल से बाहर हो गए थे. अब वह अपने सपने को अपनी बेटी अनुष्का सिंह के माध्यम से पूरा करना चाहते हैं.

मगर फरीदाबाद खेल क्लब के सचिव कांडा, दिलीप सिंह और अनुष्का सिंह के खिलाफ हैं. कांडा ने ही राजनीति कर दिलीप सिंह के टेनिस करियर को खत्म किया था. दिलीप स्वयं अपनी बेटी को टेनिस की कोचिंग दे रहे हैं. फरीदाबाद खेल क्लब के कौशिक चाहते हैं कि दिल्ली एनसीआर के साथ होने वाली चौदह साल के टूर्नामेंट में फरीदाबाद खेल क्लब की टीम का हिस्सा बनकर अनुष्का खेले. मगर कांडा व दिलीप इसके खिलाफ हैं.

दिलीप चाहते हैं कि उनकी बेटी अनुष्का सिंगल ही खेले. मगर कुछ काम से जब दिलीप सिंह को मुंबई जाना पड़ता है,तो अनुष्का के साथ क्लब के खिलाड़ी ध्रुव,अनुष्का से मिलकर अपनी टीम का कैप्टन बना लेते हैं, इससे कैप्टन अरविंद नाराज भी होता है.जबकि अनुष्का सिंह की मां जया सिंह (दिव्या दत्ता) का भी अनुष्का को समर्थन है. अब सभी लड़के अनुष्का सिंह के साथ ही टेनिस की प्रैक्टिस करते हैं.अंततः फरीदाबाद व दिल्ली के बीच की प्रतियोगिता में फरीदाबाद की टीम यानी कि अनुष्का सिंह की ही जीत होती है. दिलीप सिंह को क्लब का सचिव बना दिया जाता है.

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