Diwali 2025: दिवाली या कोई भी त्यौहार खुशियां लाता है. लेकिन कई बार जिनके यहां कोई डेथ हो गई हैं, कोई बीमार है या अन्य कोई भी मिस हैपनिंग हो, तो लोग सबसे पहले त्यौहार मानाने से खुद को रोक देते हैं और अपने घर को बेवजह ही एक अनजाने से सूनेपन से भर देते हैं. जहां त्यौहार पर हर घर में  ख़ुशी का माहौल होता है वहीँ कुछ लोग अपने घर लाइट नहीं नहीं जलाते। वे बच्चो को भी बाहर नहीं जाने देते . खुद भी एन्जॉय नहीं करते और घर के बाकि मेंबर को भी एन्जॉय नहीं करने देते.

ये सही नहीं है. माना आप दुःख में हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप अपनी और बाकि सभी लोगों की ज़िंदगी रोक दें. अगर कोई गम हो गया हो तो उसका सामना करें लेकिन आती हुए खुशियों को रोक कर नहीं बल्कि ज़िंदगी की तरफ आगे बढ़कर.

कोई अपना जेल में हैं, तो कैसे मनाये दिवाली?

अगर त्यौहार के समय परिवार में कोई कोई गिरफ्तार हो गया हो, उसे सच्चे या झूठे किसी भी केस में पुलिस पकड़ कर ले गए हैं तो ऐसे में आप इन्तजार करने के आलावा कुछ नहीं कर सकतें। अगर आपकी भाभी अच्छी नहीं है उसने आपके भाई को झगडे में अरेस्ट करा दिया तो इसकी सजा आप अपने पुरे ससुराल को क्यूँ दे रही हैं. माना आपको दुःख हैं ये सही है. लेकिन आप इसके लिए बाकि लोगों की ज़िंदगी नहीं रोक सकती. ससुराल में सब दिवाली मानना चाहते हैं पर आपका रोना धोना देखकर उनकी हिम्मत नहीं हो रही कुछ करने की.

ये गलत है. अगर आपका पूरा परिवार आपके दुःख में आपके साथ खड़ा है तो आपका भी फर्ज है आप उनकी खुशियों में कुछ समय के लिए अपना गम भूलकर शामिल हों. इससे आप भी रिलैक्स होंगी और आगे क्या कैसे करना है? कौन सा वकील करना है? कैसे सब संभालना है ? ये सब अच्छे से सोच पाएंगी. ख़ुशी मना लेने के बाद सब लोग आपका साथ जरूर देंगे वार्ना उन्हें लगेगा बेकार की किसी की मुसीबत आप लटकाये बैठी हैं. इसी तरह अगर आपके पति या देवर भी गिरफ्तार हो गए हैं तो सभी को समझाएं कि शांत मन से अपनी कोशिशों के साथ त्यौहार भी मानते हैं तो क्या पता शांत मन से कोई रास्ता ही सूझ जाएँ। इससे घर का माहौल भी सही होगा.

बच्चा बीमार है ऐसे में हम क्या करे?

अगर दिवाली से ठीक पहले या किसी भी त्योहार पर बच्चा बीमार हो जाये तो किसी भी माँ बाप की जान निकल जाती है. वो चाहकर  भी त्यौहार की ख़ुशी नहीं मन पाते. घर में मौजूद दूसरा बच्चा पटाखे लाने की जिद करता है तो आप भाई के बीमार होने का एक्सक्यूज़ उसे देते हैं जिसे उसका बाल मन स्वीकार नहीं कर पता.

इस तरह एक बच्चे के चलते दूसरे के साथ भी आप नाइंसाफी कर जाते हैं. माना एक बच्चा बीमार है तो दूसरे को ख़ुशी मानाने से क्यूँ रोकना? क्या इस तरह बीमारी का मातम मानाने से बच्चा ठीक हो जायेगा? नहीं ना, तो फिर उसे डॉक्टर को देखायें बीमारी गंभीर है तो भी उसे ठीक होने में टाइम लगेगा. डॉक्टर के इलाज को फॉलो करें. लेकिन इसके चलते पुरे घर की ज़िंदगी ना रोक दें.

हो सकता है आपके देवर या ननद का कोई प्रोग्राम हो त्यौहार को लेकर. ऐसे में उन्हें जाने से ना रोके. उनको भी बीमारी का दुःख है दिल से हैं और इसके लिए उन्हें त्यौहार ना मानाने का प्रूफ देने की भी जरुरत नहीं है.

इसके विपरीत अच्छे से हर साल की तरह त्यौहार मनाये. डॉक्टर भी बोलते हैं बीमार के आसपास का माहौल खुशियों भरा हो तो वो आधी बीमारी से जंग तो वैसे ही जीत लेता है. उसके आसपास सब खुशियों का माहौल होगा तो वह भी बेहतर महसूस करेगा. इसलिए बेवजह घर में मातम का माहौल न बनाकर उसमे खुशियों की पाजिटिविटी भरें।

बेटी का तलाक हुआ है क्या अच्छा लगेगा त्यौहार मानना?

अगर बेटी ससुराल में दुखी थी और आप उसे वापस ले आएं और तलाक दिलवा दिया तो यह तो अच्छी बात है. आपने बेटी को मरने के लिए वहां नहीं छोड़ दिया? उसके आत्महत्या करने का इंतज़ार नहीं किया? दहेज़ के लिए उसे जला दिया जाये ये इन्तजार नहीं किया? ये बात भी थी अगर उसकी अपने पति से नहीं बन रही थी रोज रोज के झगडे थे तो भी उसे पहले ही ऐसे बेमानी रिश्ते से छुटकारा दिला दिया ये तो अच्छी बात है. आप तारीफ़ के काबिल हैं. लेकिन अब घर में मग छिपकर क्यूँ बैठना.

आपने कुछ गलत नहीं किया है तो फिर समाज के लोग आपके त्यौहार मानाने को बुरा समझेंगे या अच्छा इसकी चिंता क्यूँ करनी? लोगों का काम है कहना कुछ तो लोग कहेंगे. इस थियोरी को समझें और अपने घर से मतलब रखें। इतना सब कुछ बोल्डली किया है तो बेटी को अब आगे बढ़ने में मदद करें. उसे बताएं खुशिया उसका इंतज़ार कर रही हैं. पहले की तरह हंसी ख़ुशी उसके साथ त्यौहार मनाये। उसे अहसास दिलाएं कि अब भी कुछ नहीं बदला है ये उसका घर था है और रहेगा. इसके लिए त्यौहार से अच्छा और क्या मौका होगा.

अगर कोई हॉस्पिटल में है, तो हम कैसे मनाएं दिवाली ?

रत्न जी ने अपनी प्रॉब्लम शेयर करते हुए बताया कि पिछले साल मेरे पति हॉस्पिटल में एडमिट थे और कैंसर से जंग लड़ रहें थे. अब भला ऐसे में हम कैसे त्यौहार मानते. हमने आने घर में एक दिया भी नहीं जलाया. हालाँकि अब मेरे पति ठीक हैं और इस साल हम दिवाली मनाएंगे.

इस तरह की समस्या से कई लोग जूझते हैं. इस बार भी किसी न किसी घर में कोई न कोई बीमार होगा. लेकिन आप त्यौहार पर अपना घर सूना कर दें ये सही नहीं है. अगर कोई दुःख है भी, कोई बीमार भी है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि बाकि सब भी बीमार है. एक ही बीमार है न, हॉस्लिटल में icu में है तो भी क्या हो गया. बाकि सब जिंदगी वैसे ही जिए जैसे की नार्मल जीते हैं.

दिवाली है तो पटाखें भी जलाएं, दिए जलाएं, खाना खाएं और उसके बाद हॉस्पिटल जाएँ। वैसे भी हॉस्पिटल में एक ही जाने की जरुरत है 18 आदमी तो वहां नहीं जा सकते, बाहर मेला लगाएं ये जरुरी तो नहीं है. मरीज आपको त्यौहार पर खुश देखकर वैसे ही ठीक होने की सोचने लगेगा. उसमे पाजिटिविटी आएगी. आपको निराश देखेगा तो सोचेगा अब मैं नहीं बचने वाला क्यूँ इन सब पर बोझ बन रहा हूँ मैं.

अभी 1 महीना पहले ही ससुर की डेथ हुई पड़ौसी भी क्या कहेंगे?

अगर परिवार में कोई भी मिसहैपनिंग हो गई है जैसे अभी कुछ ही समय पहले घर में किसी की डेथ हो गए हैं तो पुरे साल कोई त्यौहार नहीं मनाएंगी ये पंडितों का दिया हुआ बेकार का ज्ञान हैं. मरने वाले के साथ मारा नहीं जा सकता और वैसे भी ये बाते अब बहुत पुरानी  हो चुकी हैं. ज़िंदगी किसी के लिए नहीं रूकती. आपने अपने काम पर जाना नहीं छोड़ा, घर के काम नहीं छोड़ें, बच्चों का स्कूल भी ऐसी ही चल रहा है फिर खुशियों पर ही रोक क्यूँ लगाना?

बस इस वजह से कि पहले से ये रीत चली आ रही है कि साल भर कोई त्यौहार नहीं मनाएंगे. ताकि इन त्योहारों की आन खोलने के लिए पंडितों को बुलाया जाएँ और मोटी  रकम दक्षिणा के रूप में दी जाये. ऐसा करके बस पंडितों को फायदा है आपको नहीं. इसलिए उनके हाथों की कठपुतली ना बने. मरने वाले के साथ मारा तो नहीं जाता है न. ये गम भी अपने मन का होता है जिसे दिल में रखकर आगे बढ़ा ही जाता है, तो फिर त्यौहार मानाने पर ही रोक क्यूँ लगाना? लोग क्या कहेंगी ये सोचना छोड़कर अपने मन की करें लोग सिर्फ तब तक कहेंगे जब तक आप उनकी सुन रहें हैं.

आप ज्यादा सोचते हैं आजकल किसी के पास इतना टाइम नहीं हैं कि आपकी ज़िंदगी में क्या चल रहा है इस पर धयान दें और अगर धयान दे भी रहा है और आपको बाते सुनाएगा तो वो आपका वेलविशर बिलकुल नहीं हो सकता फिर ऐसे में उसकी बातों से क्या डरना. आप वही करें जो आपके और आपके परिवार को खुशियां दें उन्हें आगे बढ़ने में मदद करें.

Diwali 2025

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