डॉ मुकेश गोयल, सीनियर कार्डियक सर्जन, इन्द्रप्रस्थ अपोलो होस्पिटल्स

हार्ट यानि दिल मनुष्य के शरीर का महत्वपूर्ण अंग है. किंतु कई परिस्थितियों में दिल की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है. उच्च रक्तचाप, शरीर का वज़न सामान्य से अधिक होना और निष्क्रिय जीवनशैली दिल की बीमारियों का कारण बन सकती है. रक्त में कोलेस्ट्रोल का स्तर बढ़ना दिल की बीमारियों का मुख्य कारण है. कोलेस्ट्रोल वैक्स यानि मोम जैसा एक पदार्थ है जो धमनियों की भीतरी दीवारों पर जमकर रक्त के प्रवाह में रूकावट पैदा करता है. यह न केवल दिल बल्कि शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है. दिल की बीमारियों के मुख्य कारण हैं- खाने-पीने की गलत आदतें, शारीरिक व्यायाम की कमी, धूम्रपान, उम्र बढ़ना, परिवार में दिल की बीमारियों का इतिहास, शरीर का वज़न सामान्य न होना तथा कोलेस्ट्रोल बढ़ना.

समय पर निदान एवं उपचार के द्वारा दिल की बीमारियों की संभावना को कम किया जा सकता है. दिल की बीमारियों से बचने के लिए सबसे अच्छा तरीका है कोलेस्ट्राॅल पर निगरानी रखना. तो सवाल यह है कि कोलेस्ट्रोल की जांच कब शुरू की जाए? इसका क्या महत्व है? एक व्यक्ति को कितनी बार कोलेस्ट्रोल की जांच करानी चाहिए?

कोलेस्ट्रोल टेस्ट क्या है

कोलेस्ट्रोल मोम और वसा जैसा एक पदार्थ है जो रक्त में और हमारे शरीर की हर कोशिका में पाया जाता है. शरीर की कोशिकाओं और अंगों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हमें कुछ मात्रा में कोलेस्ट्रोल की ज़रूरत होती है. हमारा लिवर शरीर की आवश्यकतानुसार कोलेस्ट्रोल बनाने में सक्षम है. लेकिन कुछ खाद्य पदार्थों जैसे मीट, अंडे, पोल्ट्री और डेयरी उत्पादों में भी कोलेस्ट्रोल पाया जाता है. आहार में ज़्यादा वसा का सेवन करने से लिवर अधिक मात्रा में कोलेस्ट्रोल बनाता है.

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