5 साल के तरुष को एक रात तेज बुखार आया, साथ में पेट दर्द भी था, उसकी माँ सरोज शेलार खुद एक डॉक्टर है, इसलिए कुछ दवाइयां दी,लेकिन कुछ फायदा बच्चे को नहीं हो रहा था. वह समझ नहीं पा रही थी, क्या करें. उन्होंने बेटे को पास के एक अस्पताल ले गयी और तुरंत भर्ती करवाई. वहां बच्चों के डॉक्टर ने उसकी जांच की और बताई कि उसे टाइफाइड हुआ है और उसी हिसाब से उन्होंने दवाई देनी शुरू की, लेकिन तरुष का बुखार उतर नहीं रहा था. अगले दिन तेज बुखार के साथ उसका पेट फूलने लगा, आँखे लाल हो गयी, मुंह में छाले और बदन पर लाल-लाल रैशेज दिखाई पड़ने लगी.

उसकी माँ डॉ. सरोज ने पेडियाट्रिशन को बुलाकर कहा कि उन्हें इलाज का प्रोसेस सही नहीं दिख रहा है, क्योंकि बेटे ने अब खाना पीना भी छोड़ दिया है,इसलिए आप इस बच्चे को सही इलाज़ दें या फिर वह कहीं दूसरे अस्पताल में ले जाएगी. इस बात से घबराकर डॉक्टर ने बच्चे की आरटीपीसीआर चेक किया,तो कोविड निगेटिव निकला, लेकिन‘कोविड एंटीबॉडी टेस्ट’ पॉजिटिव आया. इतनी देर में बच्चे की हालत और अधिक ख़राब हो गयी, उसे आई सी यू में रखा गया. डॉ. सरोज अगले दिन दूसरे अस्पताल में बेटे को ले गयी, वहां डॉक्टर ने बताया कि ये पोस्ट कोविड में होने वाली बीमारी है, जबकि तरुष को कोविड नहीं हुआ था. दो दिन बाद बच्चे को डिस्चार्ज मिल गया. करीब एक महीनेकी दवा के बाद तरुष ठीक हो सका. यहाँ ये समझना जरुरी है कि तरुष की माँ डॉक्टर होने की वजह से बीमारी का इलाज सही नहोने को समझ पायी, लकिन आम इंसान के लिए इस बीमारी को समझना नामुमकिन था.

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