डॉ. शालीना रे,-कन्सल्टेंट - कान, नाक और गला विशेषज्ञ, मणिपाल हॉस्पिटल्स,व्हाइटफील्ड

म्युकर माइकोसिस एक जानलेवा फंगल इन्फेक्शन है जिसे साधारण भाषा में ब्लैक फंगस कहा जाता है. यह इन्फेक्शन माईक्रोमाईसेट्स नामक जंतुओं के समूह के कारण होता है. यह असाधारण इन्फेक्शन है, जो साधारण तौर पर जिनकी प्रतिकार शक्ति कम होती है या बीमार होतें है उन मरीजों में इस इन्फेक्शन की केसेस साल में साधारण 3 से 4 पायी जाती थी. पर अब इस की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. यह फंगस अधिक मात्रा में अब कोविड-19 के मरीजों में पाया जा रहा है. दूसरी लहर के बाद हम इस इन्फेक्शन को बढ़ते हुए देख रहें है विशेष रूप से ऐसे मरीजों में जो कोविड के लिए पॉजिटिव होने के 15 से 30 दिनों के भीतर इस के शिकार हो रहे है. मरीज़ जिनकी प्रतिरक्षा क्षमता कम है, मधुमेह से पीड़ित और जो मरीज स्टेरॉईड्स ले रहें है उन्हें ब्लैक फंगस का शिकार होने का खतरा बना रहता है. उपचारों के बावजूद ब्लैक फंगस के मरीजों के मृत्यू की दर 50 प्रतिशत से अधिक होती है. अगर जल्द निदान किया जाए तो इस पर इलाज किया जा सकता है.

प्रमुख लक्षण

1. बहती नाक

2. आँखों में सूजन

3. नाक या साइनस में जमाव

4. चेहरे की एक ओर सुन्नपन

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5. चेहरे में या सिर में दर्द

6. दांत में दर्द

7. देखने में तकलीफ या धुंधला

8. त्वचा में फीकापन

शरीर के जिस भाग पर इस का असर हुआ है उसके अनुसार जिस व्यक्ती को ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते है हो उसे न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरो सर्जन,ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्र विशेषज्ञ या दंत विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए. नाक की
लाईनिंग की जांच करते हुए कही नाक में फीकापन तो नही या सूजन, खरोंचें नहीं यह देखा जाता है. बीमारी कितनी है उस के अनुसार सीटी स्कैन या एमआरआई किया जाता है. यह फंगस जानलेवा होने से पहले ईएनटी सर्जन द्वारा
या आप्थाल्मालॉजिस्ट की सहायता से मरी हुई पेशियों को अच्छी तरह से साफ किया जाता है. इस प्रक्रिया के बाद मरीज को अम्फोटेरिसिन बी इस एंटीफंगल दवाइयां दी जाती है.

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