डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है. इस में शर्करा का सतर उच्च हो जाता है. इस का सही इलाज न हो तो यह कई बीमारियों का कारण बन सकती है. डायबिटीज में व्यक्ति का अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में लगभग 350 मिलियन लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है. शुगर को  नियंत्रित करने के लिए ऐलोपैथिक दवाओं के साथसाथ आयुर्वेदिक का भी प्रयोग किया जाता है. आयुवे्रद में डायबिटीज को मधुमेह कहा गया है. डायबिटीज का प्रमुख कारण आनुवंशिकता भी होता है. डायबिटीज के लिए समय पर न खाना या अधिक जंक फूड खाना और मोटापा बढ़ना इस के कारण हैं. वजन बहुत ज्यादा बढ़ने से उच्च रक्तचाप की समस्या हो जाती है और रक्त में कोलैस्ट्रौल का स्तर भी बहुत बढ़ जाता है जिस कारण डायबिटीज हो सकती है.

बहुत अधिक मीठा खाने, नियमित रूप से जंक फूड खाने, कम पानी पीने, ऐक्सरसाइज न करने, खाने के बाद तुरंत सो जाने, आरामपरस्त जीवन जीने और व्यायाम न करने वाले लोगों में डायबिटीज होने की संभावना अधिक रहती है.

बच्चों में होने वाली डायबिटीज का मुख्य कारण आजकल का रहनसहन और खानपान है. आजकल बच्चे शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहते हैं और अधिक समय तक टीवी या वीडियो गेम खेलने में व्यतीत करते हैं. इस कारण डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा रहता है. इस से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है. डायबिटीज 2 तरह के होते हैं- टाइप-1 डायबिटीज के रोगी के शरीर में इंसुलिन का निर्माण आवश्यकता से कम होता है.

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