20से 50 % महिलाओं को फाइब्रौयड की प्रौब्लम होती है, लेकिन केवल 3% मामलों में ही यह बांझपन का कारण बनता है. जो महिलाएं इस के कारण बांझपन से जूझ रही होती हैं, वे भी इस के निकलने के बाद सफलतापूर्वक गर्भधारण कर सकती हैं. बहुत ही कम मामलों में स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि गर्भाशय निकालना पड़ता है. वैसे जिन महिलाओं को बांझपन की प्रौब्लम होती है उन में फाइब्रौयड्स अधिक बनते हैं. जानिए फाइब्रौयड के कारण बांझपन की प्रौब्लम क्यों होती है और उससे कैसे निबटा जाए:

क्या होता है फाइब्रौयड

यह एक कैंसर रहित ट्यूमर होता है, जो गर्भाशय की मांसपेशीय परत में विकसित होता है. जब गर्भाशय में केवल एक ही फाइब्रौयड हो तो उसे यूटराइन फाइब्रोमा कहते हैं. फाइब्रौयड का आकार मटर के दाने से ले कर तरबूज बराबर हो सकता है.

इंट्राम्युरल फाइब्रोयड्स

ये गर्भाशय की दीवार में स्थित होते हैं. यह फाइब्रौयड्स का सब से सामान्य प्रकार है.

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सबसेरोसल फाइब्रौयड्स

ये गर्भाशय की दीवार के बाहर स्थित होते हैं. इन का आकार बहुत बड़ा हो सकता है.

सबम्युकोसल फाइब्रौयड्स

ये गर्भाशय की दीवार की भीतरी परत के नीचे स्थित होते हैं.

सरवाइकल फाइब्रौयड्स

ये गर्भाशय की गरदन (सर्विक्स) में स्थित होते हैं.

फाइब्रौयड और बांझपन की प्रौब्लम

फाइब्रौयड का आकार और स्थिति निर्धारित करती है कि वह बांझपन का कारण बनेगा या नहीं. इस तरह से फाइब्रौयड्स सफल गर्भधारण और प्रसव में बाधा बनते हैं. कई मामलों में फाइब्रौयड्स निषेचित अंडे को गर्भाशय की भीतरी दीवार से जुड़ने नहीं देता. जब फाइब्रौयड गर्भाशय की बाहरी दीवार पर होता है तो गर्भाशय का आकार बदल जाता है और गर्भधारण करना कठिन हो जाता है.

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