लाजो बूआ कभी भी, कहीं भी आ धमकती थीं. इधर मेरे घर इन का आना हुआ और बाहर मूसलाधार बारिश होने लगी. अब क्या करूं, इन्हें क्या खिलाऊंपिलाऊं, खुद ही 4 दिन बाद बाहर से लौटी हूं. फ्रिज खोल कर देखा तो उस में सिर्फ 2-4 उबलेछिले हुए आलू रखे थे, जो मैं हमेशा ऐसे वक्त के लिए रखती थी. साथ ही, बासी ब्रैड और मीठे बंद पड़े थे. सोचा झटपट इन्हीं का कोई स्नैक बना कर चाय के साथ सर्व कर दूंगी. बूआ ने मजे से आलू और ब्रैड के स्नैक्स खाए. पर थोड़ी ही देर बाद पेट में गड़बड़ शुरू हो गई. वे शिकायत पर शिकायत किए जा रही थीं और हम डाक्टर साहब को फोन पर बता रहे थे कि हम ने तो ऐसा कुछ भी नहीं खिलाया. बाहर से भी नहीं मंगवाया. घर पर ही बनाया था, अपने हाथों से, फिर यह क्या हुआ और कैसे हुआ?

डा. सुरेंद्र सोढी ने बूआ को देखा, दवा दी और फिर बताया कि घबराने की जरूरत नहीं. सब ठीक हो जाएगा. दरअसल, हम लोग फ्रिज में बचा हुआ खाना रख की आराम से बैठ जाते हैं और भूल जाते हैं. फ्रिज में ज्यादा दिन खाना रखने से उस में भी बैक्टीरिया उत्पन्न होने लगते हैं, स्वाद में भी फर्क आ जाता है, जैसे छिले हुए आलुओं में अकसर चिपचिपाहट पैदा हो जाती है, जिन का सेवन खतरनाक हो सकता है. रही बात ब्रैड की तो बरसात के मौसममें सब से अधिक नुकसान बासी ब्रैड के सेवन से होता है. ब्रैड में लगी फंगस आंतों की दुश्मन है. हम नासमझी में फंगस साफ कर ब्रैड इस्तेमाल कर लेते हैं और अनजाने में डायरिया, पेचिश को बुलावा दे देते हैं. एक तो पहले ही बरसात के मौसम में दूषित पानी से बीमारियां पैदा होती हैं, ऊपर से खानपान में लापरवाही. अमेरिका में न्यू जर्सी में रह रही क्लीनिकल चाइल्ड साइकोलौजिस्ट बौबी चांदी कहती हैं, ‘‘यहां तो साफसफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है. खानपान के प्रति लोग सजग हैं. हम खानपान पर विशेष ध्यान देते हैं. पहनावे पर ध्यान देते हैं. बारिश में शरीर भी ढक कर रखने की सलाह देते हैं. रेन कोट और पैरों में गम शू सभी के लिए पहनना जरूरी है ताकि बारिश के पानी से पैर गंदे न हों. तभी तो कोल्ड, फ्लू अमेरिकावासियों को कम होते हैं. बारिश में खानपान पर हम पूरा संयम बरतते हैं. खानपान का सही सलीका अपनाते हैं. जैसे, फ्रिज में भी कोई चीज कटी, पकी, बिना ढके नहीं रखते. फिर एक बार फ्रिज में रखी चीज गरम करें तो उसे पूरी खा लेते हैं. दोबारा इस्तेमाल नहीं करते वरना पेट में इन्फैक्शन का खतरा रहता है.’’

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