स्त्रियों में ओबेसिटी यानी मोटापा आज सब से बड़ी समस्याओं में से एक है, जिस से हर तीसरी महिला परेशान है. डब्ल्यूएचओ ने मोटापे को स्वास्थ्य के 10 प्रमुख जोखिमों में से एक बताया है. विश्व में 23 फीसदी से अधिक महिलाएं मोटापे की शिकार हैं. भारत तो ‘ग्लोबल ओबैसिटी इंडैक्स’ में तीसरे स्थान पर है.
महामारी का रूप ले चुका है मोटापा
देश में ओबैसिटी 21वीं सदी की मौन महामारी (साइलैंट एपिडेमिक) का रूप लेती जा रही है. भारत में मोटापे की समस्या आज चीन और अमेरिका के आंकड़ों को भी पार कर चुकी है.
मोटापे के मुख्य कारण
खानेपीने की गलत आदतें, ऐक्सरसाइज की कमी, नींद पूरी न होना और तनाव आदि मोटापे के मुख्य कारणों में शामिल हैं. कुछ महिलाओं में सिंड्रोमिक और वंशानुगत ओबैसिटी भी देखने को मिलती है.
मोटापे के दुष्प्रभाव
डायबिटीज, हाई ब्लजड प्रैशर, डिसलिपिडीमिया, औस्टियो आर्थ्राइटिस, पित्त की थैली में पथरी, श्वसन समस्याएं, प्रजनन संबंधी समस्याएं आदि मोटापे से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कई प्रकार के कैंसर (ब्रैस्ट, ओवरी, यूटरस, पैंक्रियाज) तथा किडनी से संबंधित रोगों की संभावना तक बढ़ जाती है. किशोरवय में अत्यधिक मोटापा अवसाद का कारण भी बन सकता है.
सामान्य लक्षण
छोटेछोटे काम करने में सांस फूलना तथा पसीना आना, शरीर के विभिन्न भागों में वसा या चरबी का जमना आदि. इस के अलावा कई बार मानसिक और मनोवैज्ञानिक लक्षण जैसे आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की कमी इत्यादि देखे जा सकते हैं.
मोटापे का निदान
- बीएमआई की गणना.
- कमर की परिधि को मापना.
- लिपिड प्रोफाइल.
- लिवर फंक्शन टैस्ट.
- फास्टिंग ग्लूकोस.
- थायराइड टैस्ट.
बचाव के 10 कारगर उपाय
- संतुलित आहार का सेवन करें.
- कम वसा वाले खाद्यपदार्थों का उपयोग करें.
- रोजाना सुबह जल्दी उठ कर सैर पर जाएं.
- नियमित रूप से दिन में कम से कम 30 मिनट तक ऐरोबिक व्यायाम करें.
- रात को सोने से 2 घंटे पहले ही डिनर ले लें.
- जंक/फास्ट फूड का सेवन करने से बचें.
- मैदा, चावल और चीनी का प्रयोग कम ही करें.
- वसा के हार्ट फ्रैंडली स्रोतों जैसे जैतून, कैनोला औयल, अखरोट के तेल का इस्तेमाल करें. बिंज ईटिंग अर्थात् एकसाथ अत्यधिक खाना न खाएं, बल्कि थोड़ीथोड़ी देर में सुपाच्य एवं हलके भोजन करें.
- न्यूनतम 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें. प्रैगनैंसी व प्रसव पश्चात भी कुछ महिलाओं को मोटापे की समस्या का सामना करना पड़ता है. नवजात को पर्याप्त मात्रा में स्तनपान के माध्यम से इस मुश्किल से छुटकारा पाया जा सकता है.
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