जब हम छोटे थे तो पहली अप्रैल को अपनी बचकानी हरकतों से अप्रैल फूल बनते और बनाने का मजा लेते. फूल बनने के बाद भी किस तरह से चेहरे पर मुसकान बिखरती थी, यह तो उसी वक्त का मजा था. इतना ही नहीं, कुछ बातें तो आज भी हमारे दिलोदिमाग में बसी रहती हैं और याद आने पर चेहरे पर फिर वही मुसकान ले आती हैं. कुछ ऐसी ही होती है हंसी...
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