दूध के मुकाबले दही खाना सेहत के लिए हर तरह से ज्यादा लाभकारी है. दूध में मिलने वाला फैट और चिकनाई बौडी को एक उम्र के बाद नुकसान देती है. इस के मुकाबले दही में मिलने वाला फासफोरस और विटामिन डी बौडी के लिए लाभकारी होता है.

दही में कैल्सियम को ऐसिड के रूप में समा लेने की खूबी भी होती है. रोज 300 एमएल दही खाने से औस्टियोपोरोसिस, कैंसर और पेट के दूसरे रोगों से बचाव होता है. दही बौडी की गरमी को शांत कर ठंडक का एहसास दिलाता है. फंगस को दूर करने के लिए भी दही का प्रयोग खूब किया जाता है.

हैल्थजोन की डाइरैक्टर और डाइटिशियन तान्या साहनी का कहना है कि दही का प्रयोग कई रूपों में किया जाता है. देश के अलगअलग हिस्सों में दही का प्रयोग रायता, लस्सी और श्रीखंड के रूप में किया जाता है. दही का प्रयोग कर कई तरह की सब्जियां भी बनाई जाती हैं. कुछ लोग दही में काला नमक और जीरा डाल कर खाते हैं. यह पेट के लिए कई तरह से लाभकारी होता है. जो लोग वजन घटाना चाहते हैं दही उन के लिए भी कई तरह से लाभकारी होता है.

बीमारियां भगाए दही

दही का नियमित सेवन करने से शरीर कई तरह की बीमारियों से मुक्त रहता है. इस में मिलने वाला फास्फोरस और विटामिन डी कैल्सियम को ऐसिड रूप में ढाल देता है. जो लोग बचपन से ही दही का भरपूर मात्रा में सेवन करते हैं उन्हें बुढ़ापे में औस्टियोपोरोसिस जैसा रोग होने का खतरा कम हो जाता है.

दही में अच्छी किस्म के बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं. आंतों में जब अच्छे किस्म के बैक्टीरिया की कमी हो जाती है तो भूख न लगने जैसी तमाम बीमारियां पैदा हो जाती हैं. इस के अलावा बीमारी या ऐंटीबायोटिक थेरैपी के दौरान भोजन में मौजूद विटामिन और खनिज हजम नहीं होते. इस हालत में दही ही सब से अच्छा भोजन बन जाता है. यह इन तत्त्वों को हजम करने में मदद करता है, जिस से पेट में होने वाली बीमारियां अपनेआप खत्म हो जाती हैं.

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