इटली, चीन, फ्रांस, जर्मनी, ईरान और साउथ कोरिया के 88 हजार कोरोना संक्रमितों पर हुई रिसर्च से पता चला कि उनमें से 2.8 फीसदी पुरुषों की और 1.7 फीसदी महिलाओं की मौत हुई है. इसी तरह चाइनीज़ सेंटर्स ऑफ़ डिज़ीज़ कंट्रोल ने भी इस विषय पर 44 हज़ार लोगों पर  अध्ययन किया है और पाया है कि 2.8 प्रतिशत पुरुषों की और 1.7 प्रतिशत महिलाओं की मौत हुई है.तो क्या कोरोना संक्रमण पुरुधों के प्रति महिलाओं से कहीं ज्यादा कठोर है ? क्या इसका राज सेक्स होर्मोस हैं ? वैज्ञानिक इस रास्ते भी कोरोना तक पहुंचना चाहते हैं.

दुनियाभर से मिल रहे डाटा से मालूम होता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कोविड-19 के कारण गंभीर स्थिति में पहुंचने का अधिक खतरा होता है और तुलनात्मक दृष्टि से उनके ठीक होने की संभावना भी ज्यादा है.इसलिए कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं में जो एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन होरमोंस की अधिक मात्रा होती है, शायद वह इसका कारण है.एस्ट्रोजन एसीई2 प्रोटीन को नियंत्रित करता है, जिसका प्रयोग नया कोरोनावायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए करता है; जबकि सूजन-रोधी गुणों के लिए विख्यात प्रोजेस्टेरोन इम्यून सिस्टम के ओवर रिएक्शन को रोकता है.

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इन दोनों होरमोंस के इन गुणों को विशेष रूपसे उन गर्भवती महिलाओं में देखा गया है जो नया कोरोना वायरस से संक्रमित हुई हैं.हालांकि वह इम्यूनो कोम्प्रोमाईजड (शरीर में कम प्रतिरोधात्मक क्षमता का होना) होती हैं,लेकिन उन्हें तुलनात्मक दृष्टि से संक्रमण की कम तीव्रता का अनुभव होता है,संभवत: एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरोन की उच्च मात्रा के कारण.परिणामस्वरूप अमेरिका में वैज्ञानिक क्लिनिकल ट्रायल्स कर रहे हैं यह जानने के लिए कि क्या यह होरमोंस कोविड-19 रोगियों को ठीक करने में मदद कर सकते हैं.गौरतलब है कि इन होरमोंस का अल्प अवधि तक प्रयोग करना तो सुरक्षित है,लेकिन इनसे पुरुषों में अजीब साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे सीने (ब्रैस्ट) में कोमलता व हॉट फ़्लैशज़.

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