Fatty Liver: 30 वर्षीय नीलिमा को जब पता चला कि उसे फैटी लीवर की डिजीज है, तो पहले उसे खुद पर विश्वास नहीं हुआ. उस ने दूसरे डाक्टरों से भी संपर्क किया, तो उन्होंने भी वही बात बताई और दवा के साथसाथ उस के लाइफस्टाइल में बदलाव के सुझाव दिए. 6 महीने दवा लेने के बाद नीलिमा ठीक हुई और उस ने बाहर के जंक फूड को लेना एकदम कम कर दिया.
असल में, आज के समय में नौन अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले यह बीमारी केवल वयस्कों में देखी जाती थी, लेकिन आज की लाइफस्टाइल में बच्चे और युवा भी इस के शिकार हो रहे हैं. यदि समय पर इस का इलाज न किया जाए, तो यह धीरेधीरे लिवर सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर में भी बदल सकता है, जो चिंता का विषय है. इसलिए फैटी लिवर की समस्या का समय रहते इलाज करना बेहद जरूरी है.
नैशनल इंस्टीट्यूट औफ हैल्थ के अनुसार, पहले यह बीमारी बच्चों और युवाओं में 10 से 20 फीसदी हुआ करती थी, जो अब बढ़ कर 40% तक हो चुका है, जिस का मुख्य कारण चाइल्ड्हुड ओबेसिटी है.
इस बारे में मुंबई की ग्लेनइगल्स हौस्पिटल की हेपेटोलौजी और लिवर ट्रांसप्लांट मैडिसिन विभाग के निदेशक डा. अमित मंडोत कहते हैं कि यह आजकल लाइफस्टाइल वाली बीमारी हो गई है, जिस के बारे में सही जानकारी सभी के लिए आवश्यक है. इस के लक्षण, कारण और रोकथाम के बारे में जानकारी निम्न हैं :
डाक्टर आगे कहते हैं कि लिवर की समस्याएं हर उम्र के लोगों के लिए चिंता का विषय बन रहा है, लेकिन अकसर इन्हें गंभीर होने तक नजरअंदाज कर दिया जाता है. आज फैटी लिवर सब से आम लिवर की बीमारियों में से एक है, जो शराब न पीने वालों में भी पाया जाता है. शुरुआत में यह मामूली लग सकता है, लेकिन समय के साथ फैटी लिवर गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है, जैसेकि लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर. इस के लक्षण पहचान कर शुरुआती चरण में ही इलाज करना फायदेमंद साबित हो सकता है.
फैटी लिवर तब होता है जब लिवर में अत्यधिक चरबी जमा हो जाती है. यह 2 प्रकार के होते हैं :
- अल्कोहोलिक फैटी लिवर.
- नौन अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD)
आज की खराब जीवनशैली और असंतुलित खानपान के कारण एनएएफएलडी ज्यादा आम है. इस के मुख्य कारण हैं- मोटापा, डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रोल, बैठे रहने की आदत, तैलीय और मीठे भोजन का अधिक सेवन और कुछ दवाओं का लंबे समय तक उपयोग.
इस के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं :
- थकान या कमजोरी.
- दाईं तरफ ऊपरी पेट में हलका दर्द या भारीपन.
- भूख न लगना.
- वजन में कमी.
पौसिबल कौंप्लिकेशन :
- लिवर में सूजन (स्टीटोहेपेटाइटिस)
- फाइब्रोसिस (लिवर में निशान पड़ना)
- सिरोसिस (लिवर का गंभीर नुकसान)
- लिवर फेल होना या लिवर कैंसर वगैरह.
यहां यह बता दें कि हमेशा फैटी लिवर कैंसर में नहीं बदलता, अगर इस की गंभीरता अधिक हो, तो कैंसर हो सकता है, लेकिन समय से इलाज होने पर यह ठीक भी हो सकता है.
लिवर कैंसर है क्या
डा. अमित कहते हैं कि लिवर कैंसर तब होता है, जब लिवर में असामान्य कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं. इस का सब से आम प्रकार है हेपेटोसैलुलर कार्सिनोमा. यह लिवर में शुरू हो सकता है या शरीर के अन्य हिस्सों से फैल सकता है. इस के कारण हैं क्रोनिक हेपेटाइटिस बी या सी संक्रमण, सिरोसिस, अनुपचारित फैटी लिवर डिजीज, अत्यधिक शराब सेवन, लंबे समय तक लिवर को हुआ नुकसान और अफ्लाटौक्सिन जैसे जहरीले पदार्थों के संपर्क में आना.
लिवर कैंसर के लक्षण
- दाईं तरफ ऊपरी पेट में दर्द.
- वजन में कमी.
- पेट में सूजन.
- त्वचा और आंखों का पीला पड़ना (पीलिया)
- भूख न लगना.
- थोड़ा खाने के बाद ही पेट भरा हुआ लगना आदि.
यहां जान लें कि यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो लिवर कैंसर अन्य अंगों में भी फैल सकता है, आंतरिक रक्तस्राव कर सकता है या लिवर फेल हो सकता है और बाद में इस का इलाज और कठिन हो जाता है. इसलिए समय पर जांच और इलाज करवाना बेहद जरूरी है.
फैटी लीवर और कैंसर का संबंध क्या है
फैटी लिवर और लिवर कैंसर का संबंध नौन अल्कोहोलिक फैटी लिवर धीरेधीरे सिरोसिस और अंत में लिवर कैंसर में बदल सकता है, क्योंकि फैटी लिवर की वजह से लिवर में लंबे समय तक सूजन पैदा करता है, जिस से फाइब्रोसिस और सिरोसिस हो जाता है. इस से लगातार होने वाला नुकसान असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि का खतरा बढ़ाता है, जिस से लिवर कैंसर हो सकता है. जितना ज्यादा समय लिवर सूजन और नुकसान झेलता है, उतना ही कैंसर का खतरा बढ़ता जाता है.
लिवर की सुरक्षा और एनएएफएलडी (NAFLD) से बचाव के लिए जरूरी उपाय
- वजन को नियंत्रित रखना.
- ताजा फल, सब्जियां और साबुत अनाज वाले संतुलित आहार लेना.
- जंक फूड, तैलीय, डब्बाबंद और प्रोसेस्ड फूड से बचना.
- धूम्रपान और शराब का सेवन न करना.
- यदि डायबिटीज, मोटापा या लिवर रोग का पारिवारिक इतिहास है, तो नियमित रूप से लिवर की जांच करवाते रहना चाहिए.
हालांकि फैटी लिवर का तुरंत कोई बड़ा असर नहीं दिखता, लेकिन लंबे समय में यह गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकता है. इसलिए जीवनशैली में बदलाव और नियमित स्वास्थ्य जांच लिवर कैंसर से बचाव करने और लिवर को सुरक्षित रखने में मदद कर सकते हैं.
यहां इस बात का ध्यान रखें कि ऐसी किसी भी बीमारी का आयुर्वेदिक या होमियोपैथिक इलाज न करें, इस से इलाज में देरी हो सकती है, जिस से बीमारी बढ़ सकती है. सही समय पर सही जांच और इलाज ही आप के लिवर को तंदुरुस्त बना सकता है.
Fatty Liver