ट्रेन की एसी कोच में बैठा 35 साल का राघव जब अपनी माँ से घर आने की ख़ुशी जाहिर कर रहा था, तभी उसे कार्डिएक अरेस्ट आता है और उसका फ़ोन हाथ से गिर जाता है, माँ हेलो-हेलो करती रहती है, लेकिन उसकी आवाज नहीं आती, पास का एक व्यक्ति उसके फ़ोन को उठाकर कहता है कि उसने देखा नहीं है कि कैसे क्या हुआ है, लेकिन उनके बेटे की तबियत अचानक ख़राब हुई है और वह देख रहा है कि उन्हें हुआ क्या है.उसने फ़ोन पर चिंता न करने की बात कही और फ़ोन रख दिया. उस व्यक्ति ने राघव को बेहोश देखा और चलती ट्रेन से इमेरजेंसी नंबर पर फ़ोन लगाया और अगले स्टेशन पर ट्रेन के रुकते ही एम्बुलेंस और डॉक्टर आये, लेकिन डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर अस्पताल भेज दिया. उस अनजान व्यक्ति ने उसके पेरेंट्स को ये दुखद समाचार दिया.

ये सही है कि आज बड़ी संख्या में युवा हार्ट अटैक के शिकार हो रहे है, विशेषज्ञों का कहना है कि पहले 60 वर्ष की उम्र के बाद लोग दिल की बीमारी के शिकार हुआ करते थे, लेकिन अब युवाओं में इसकी संख्या लगातार बढती जा रही है. कुछ स्ट्रेस और कुछ क्लाइमेट चेंज का शिकार हो रहे है. क्लाइमेट चेंज का प्रभाव केवल पर्यावरण पर ही नहीं, बल्कि हमारे शरीर पर भी काफी पड़ा है, यही वजह है कि आज जो व्यक्ति चलफिरकर काम कर रहा है, कल अचानक उसके न रहने की सन्देश मिल जाती है, ये दुखद है.

रिपोर्ट को समझे

रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें दिल की बीमारियों से होती हैं और जलवायु परिवर्तन से अधिक सर्दी और अधिक गर्मी पड़ने पर इसका सीधा असर इंसान के दिल पर पड़ता है. आंकड़ों पर गौर करें, तो स्ट्रोक, दिल, कैंसर और सांस की बीमारियों से दुनियाभर में होने वाली कुल मौतों की हिस्सेदारी दो तिहाई है.

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