जब महिलाएं 35 वर्ष की अवस्था तक पहुंचती है तो उनमें यूटरीन फाइब्रॉएड होना काफी आम बात होती है. इसे अक्सर यूटरस में सॉफ्ट ट्यूमर के रूप में जाना जाता है. अगर फाइब्रॉएड का इलाज लम्बे समय के लिए नहीं किया जाता है तो महिला की जिंदगी और उसका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है.

इससे कभी-कभी मासिक धर्म के दौरान बहुत ज्यादा खून बहने की समस्या होती है या अगर यह फाइब्रॉएड बहुत ज्यादा बड़ा हो गया तो इससे पेल्विस में बहुत ज्यादा दर्द तथा भारीपन, पीठ दर्द, पैर में दर्द, यूरिनरी फ्रीक़्वेन्सी, और बॉवेल मूवमेंट में मुश्किल, सेक्स के दौरान बहुत ज्यादा दर्द और ब्लॉटिंग में सामान्य दर्द की भावना हो सकती है. चूंकि महिलाओं को इस कंडीशन के बारे में विधिवत जानकारी नहीं होती है. इसलिए उनमें इससे सम्बंधित कई मिथक तथा भ्रांतियां फ़ैल गयी है. इसलिए जरूरी है कि महिलाएं फाइब्रॉएड के बारें में जाने और इससे बचने के लिए उपाय कर सकें.

नीचे इस कंडीशन से सम्बंधित कुछ मिथक बताये जा रहे हैं.

पहला मिथक- यूट्रीन फाइब्रॉएड के लिए हिस्टेरेक्टॉमी ही एकमात्र प्रभावी इलाज है

एक दशक पहले यह बात सही थी. लेकिन अब मेडिकल के क्षेत्र में कई उन्नति होने से अब हमारे पास यूट्रीन फाइब्रॉएड का इलाज करने के लिए कम से कम चीरफाड़ वाली प्रक्रिया मौजूद है. और अब हिस्टेरेक्टॉमी एक वैकल्पिक इलाज बन गया है. हमने कई महिलाओं के लिए न्यूनतम इनवेसिव विकल्प यूट्रीन फाइब्रॉएड एम्बोलिज़ेशन (यूएफई) किया . यह नॉनसर्जिकल आउट पेशेंट प्रक्रिया गर्भाशय (यूटरस) को निकाले बिना यूटरीन फाइब्रॉएड का इलाज कर सकती है. यूएफई उन महिलाओं के लिए बढ़िया होती है जो इनवेसिव सर्जरी से बचना चाहती हैं.

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