जीने के लिए खाने से कहीं ज्यादा जरूरी है पानी. पर आज के समय की सबसे बड़ी चुनौती है साफ और सुरक्षित पानी. शहर और गांव दोनों ही साफ पानी की चुनौतियों से जुझ रहे हैं. ऐसे में जल माफियाओं का कारोबार तेजी से बढ़ा है. जिसके कारण लोगों तक पानी की पहुंच प्लास्टिक के बोतलों से हो रही है. लोगों के बीच ये धारणा आम हो गई है कि नल के पानी की तुलना में प्लास्टिक की बोतल का पानी ज्यादा सुरक्षित और साफ है. पर इस खबर में हम आपको बताएंगे कि बोतल की तुलना में नल का पानी पीना ज्‍यादा सेफ होता है.

पानी भरने के लिये जिस बोतल का प्रयोग किया जाता है वह सेहत के लिये खतरनाक होती है. प्लास्टिक में प्रकट अणु हानिकारक रसायनों को पानी में छोड़ते हैं, जिसमें से प्‍लास्‍टिक को मुलायम बनाने वाला रसायन पैथालेट मिला होता है. इस रसायन से लीवर, गर्भाशय और यहां तक की कैंसर की समस्‍या हो सकती है. यह कैमिकल उस समय और भी ज्‍यादा प्रभावी हो जाता है जब पानी से भरी बोतल धूप में रखी हो.

वहीं पर नल के पानी में किसी भी प्रकार का रसायन नहीं मिला होता है क्‍योंकि यह पानी जमीन के नीचे से आता है. इस पानी को केवल फिल्‍टर दा्रा छान कर पीने की आवश्‍यकता होती है.

आपको कैसे पता चलेगा कि कौन सा पानी स्‍वास्‍थ्‍य के लिये अच्‍छा है और कौन सा पानी बुरा? कई कंपनियां पानी की शुद्धा जांचे बगैर ही बोतल में पानी भर कर बाजार में भेज देती हैं. लेकिन यह जरुरी नहीं है कि सभी कंपनियां ऐसा करें. इसलिये बोतल में पानी की शुद्धता कभी नहीं जानी जा सकती. कार्बन के तत्‍व- कई पानी की बोतलों में कई गुना कार्बन के तत्‍व मिले होते हैं.

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