Relationship Tips: स्वभाव में कोमलता, करुणा, दूसरों के लिए निस्स्वार्थ प्रेम अच्छे गुण हैं पर कभीकभी गलत जगह अपने इमोशंस इन्वैस्ट करने से अपना ही दिल दुखी होने लगे तो संभल जाना चाहिए. जब ये गुण खुद पर ही भारी पड़ने लगें तो सोचसम  झ कर रिश्ते बनाने चाहिए वरना इंसान इमोशनल फूल बन कर रह जाता है.

कोईकोई इंसान इतना भावुक होता है कि जरा सा किसी ने उस से प्यार से बोला नहीं कि वह अपना दिल बिछा कर खड़ा हो जाता है. सामने वाला आराम से अपनी सहूलियत से इस भावुकता का फायदा उठा कर निकल लेता है.

जब आप बारबार छले जा रहे हों तो अपने स्वभाव, व्यवहार का पुनरावलोकन करें. ध्यान दें कि आप से कहीं कोई गलती तो नहीं हो रही. सामने वाले के साथ अपनापन बढ़ाते हुए एक बारीक लाइन जरूर खींच कर रखें. उस लाइन को कभी क्रौस न करें, भले ही कोई कितना भी अपनापन दिखाए.

आजकल मिलावट का जमाना है, लोगों को पहचानना काफी मुश्किल है. किसी को अपना समझ कर उस से इतना भावुक हो कर भी न मिलें कि जब वह कल को बदल जाए तो आप इमोशनली हर्ट हो कर बैठे रह जाएं. पेश हैं, इस विषय पर कुछ लोगों के जीवन के वास्तविक उदाहरण-

रंग बदलते लोग

मुंबई की सीमा अपना एक अनुभव शेयर करते हुए बताती हैं, ‘‘मैं 10 सालों से मुंबई में रह रही हूं और टीचर हूं. पिछले साल हमारी सोसाइटी में नीरा अपने परिवार के साथ रहने के लिए नईनई आई और जब मु  झ से उस का मिलना हुआ तो मैं ने उसे नयानया जान कर उस की बहुत हैल्प की. मैं स्कूल से आ कर उस के साथ उस के काम से चली भी जाती. उस की इच्छा देखते हुए उसे अपने स्कूल में जौब भी दिला दी.

वह फिर मेरे साथ ही आतीजाती, मेरे घर रुक कर मेरे साथ लंच करती, उस के हस्बैंड टूर पर होते तो बचा हुआ खाना रात के लिए ले जाती. उस के बच्चे स्कूल से आते तो सीधे मेरे घर ही आ जाते और तीनों अच्छी तरह खापी कर, ले कर ही जाते.

‘‘1 साल यही चला. वह मु  झे अपनी छोटी बहन सी लगती. जाने लगती तो अपने भरे हुए हाथ देख कर कहती कि आप के घर से जाती हूं तो लगता है मम्मी के घर से जा रही हूं. 1 साल हर तरह के मतलब निकाल लिए, अच्छी तरह हर तरह से सैट हो गई तो ऐसे रंग बदला कि पूछो मत. मेरे घरपरिवार की भी सारी जानकारी खोदखोद कर निकाल ली. फिर अचानक कट गई. ऐसी हो गई जैसे जानती भी न हो.

आनाजाना, फोन, सबकुछ अचानक बंद. मैं ने कई बार पूछा कि क्या बात है तो कुछ नहीं कह कर बात टाल देती.  फिर कोई दूसरा घर पकड़ लिया उस ने. अब कोई और इमोशनल फूल बन रहा होगा. मैं आज उस से इतने घुलनेमिलने के लिए बहुत पछताती हूं कि मैं भावनाओं में इतना कैसे बह गई.’’

रुड़की निवासी महेश और नीला बहुत खुश थे कि अब महेश के बचपन के दोस्त निलिन का भी ट्रांसफर लखनऊ से रुड़की ही हो गया है. महेश और नीला की शादी भी निलिन की शादी के 1 साल बाद ही हुई थी और नीला इस समय  प्रैगनैंट थी. महेश ने निलिन को रहने के लिए अपने ऊपर वाला फ्लैट ही दिला दिया कि दोनों परिवार आसपास ही रहेंगे. दोनों लखनऊ के रहने वाले थे, एकसाथ ही बचपन बीता था.

जब दोस्ती दुश्मनी में बदल जाए

निलिन की पत्नी उषा 1 महीने बाद रहने के लिए आने वाली थी. नीला को इस समय 9वां महीना चल रहा था फिर भी वह निलिन का बहुत ध्यान रखती, उस ने निलिन को कह दिया था कि भैया, जब तक उषा भाभी नहीं आती, आप का खानापीना हमारे साथ ही होगा. नीला इस समय भी अपनी तकलीफें भूल कर निलिन के नाश्ते से ले कर उसे लंच का टिफिन देती और डिनर भी अपने साथ ही कराती. महेश और नीला दोनों ने निलिन का खूब खयाल रखा. कहीं बाहर भी गए तो निलिन को ले कर गए, दोनों बहुत खुश थे कि दोस्त है, साथ रहेंगे.

1 महीने बाद उषा आई तो उस ने पहले दिन से इन दोनों से एक दूरी रखी, पहले तो दोनों ने सोचा कि नई जगह में परेशान हो रही होगी. अभी तक नीला और उषा ने कभी एकसाथ समय बिताया भी नहीं था. इसे दोनों ने कुछ अनजानापन सम  झा पर धीरेधीरे सम  झ आया कि उषा का स्वभाव तो कुछ रूखा है. जब तक उषा ने घरगृहस्थी संभाली, नीला ही उस का हाथ बंटाती रही.

एक ठंडी सांस ले कर नीला बताती हैं, ‘‘उषा दूसरे पड़ोसियों से तो थोड़ाबहुत बोल भी लेती पर हमारे साथ खिंची सी रहती. धीरेधीरे दोनों दोस्तों में दूरियां कुछ ज्यादा बढ़ने लगीं तो महेश ने निलिन से साफसाफ बात की तो निलिन का जवाब था कि तो क्या हो गया अगर उषा तुम लोगों से मिक्स नहीं होती? उस की मरजी. तुम दोनों ने मु  झे जो इतने दिन खिलाया है, उस का पैसा ले लो. इस बात से महेश को इतना धक्का लगा कि वे फिर कुछ नहीं बोले. चुपचाप आ गए.

मैं ने 9वें महीने में भी निलिन का ध्यान घर के सदस्य की तरह रखा पर उस ने उस अपनेपन का यह जवाब दिया. महेश तो कई दिन बहुत उदास रहे. मगर अब सोच लिया कि अब किसी के लिए इमोशनल फूल नहीं बनेंगे.’’

प्रमिला हरिद्वार में रहती हैं. कहानियां लिखती हैं. कई सालों से लिख रही हैं. अच्छा नाम है उन का. नई लेखिकाओं की हैल्प करने के लिए हर समय तैयार रहती हैं. एक दिन किसी नई लेखिका रुचि ने उन्हें फेसबुक पर मैसेज किया कि वह उन के शहर आई है और उन से मिलना चाहती है. फेसबुक फ्रैंड्स बन गए, फोन हुए, बातें हुईं. प्रमिला ने बहुत खुश हो कर रुचि, उस के पति और दोनों बच्चों को डिनर पर बुला लिया. रुचि परिवार के साथ आई.

प्रमिला ने दिल खोल कर उन का स्वागत किया. उन के पति विजय और प्रमिला ही घर पर रहते हैं. उन के दोनों बेटे विदेश में रहते हैं. रुचि का परिवार उन के घर करीब 4 घंटे रहा. खानापीना सब अच्छे माहौल में हुआ. लिखने से संबंधित बहुत सी जानकारी रुचि लेती रही. वह पूछती रही, प्रमिला बताती रही. सुंदर गिफ्ट दे कर प्रमिला ने सब को विदा किया.

बातों का मजाक

अगले दिन रुचि की फेसबुक पर पोस्ट थी जिस में प्रमिला का नाम लिए बिना उन के घर का, उन की बातों का मजाक उड़ाया गया था.्र

प्रमिला कहती हैं, ‘‘मैं अपने इस स्वभाव पर सिर पकड़ कर बैठ गई कि मैं ऐसी क्यों हूं क्या कमी है मेरे घरपरिवार में जो इस बेशर्म महिला ने   झूठ ही सब लिख डाला है. उस दिन से कोई भी मेरे घर आने के लिए कहता है, मैं माफी मांग लेती हूं और उस से बाहर ही जा कर मिल आती हूं. ऐसा सबक मिला कि याद रह गया. इस महिला ने हमारी सादगी का बहुत मजाक उड़ाया. सच, लोग कितने चालाक होते हैं, मु  झ से

क्याक्या पूछ गई. अब किसी को भी घर बुलाते हुए डर लगता है कि पता नहीं कोई जा कर क्या बात बनाए.’’

कभी भी कोई आप के लिए निस्स्वार्थ भाव से कुछ भी कर रहा हो, उस के साथ ऐसा व्यवहार कभी न करें कि समाज से यह गुण दूर होने लगे, लोग किसी के काम आने से बचें. किसी की भावनाओं का अपमान न करें. Relationship Tips

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