लाल चकत्ते व ईचिंग
स्किन एलर्जी
एलिना अपनी दोस्त तनविका की शादी के लिए बनठन कर तैयार हुई. ड्रैस के साथ मैचिंग करती, चमचमाती ज्वैलरी उस की खूबसूरती में चार चांद लगा रही थी. सचमुच एलिना गजब ढा रही थी. शादी में वह सब के आकर्षण का केंद्र रही. शादी की पार्टी खत्म होने के बाद जब एलिना घर पहुंची तो उस ने अपने गले व कान के पास पड़े लाल निशान देखे तो परेशान हो गई. खैर रात को स्किन औयनमैंट लगा कर वह सो गई, लेकिन कुछ दिन बाद फिर एक पार्टी में एलिना ने आर्टिफिशियल ज्वैलरी पहनी, जिस की वजह से उसे खुद को स्किन स्पैशलिस्ट को दिखाना पड़ा.
दरअसल, एलिना को लाल चकत्ते व ईचिंग उस की मनपसंद चमचमाती आर्टिफिशियल ज्वैलरी से एलर्जी के कारण हुई. एलिना जैसी कई युवतियां एलर्जी से होने वाली परेशानियों को सहते हुए भी इस आर्टिफिशियल ज्वैलरी को पहनना नहीं छोड़तीं और हालात एलिना की तरह ही हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें डाक्टरी परामर्श लेने की नौबत आ जाती है.
आर्टिफिशियल ज्वैलरी पहनने का चसका युवतियों को छोटे परदे से लग रहा है. आएदिन दिखाए जाने वाले सीरियलों में युवतियों द्वारा पहनी जा रही आर्टिफिशियल ज्वैलरी ने इस की ज्यादा डिमांड बढ़ा दी है.
आइए, जानें आर्टिफिशियल ज्वैलरी से एलर्जी होने के क्या कारण हैं और यह कितनी नुकसानदायक साबित हो सकती है:
किस धातु से होती है एलर्जी
आभूषणों में निकल धातु से एलर्जी हो सकती है. सस्ती होने की वजह से निकल धातु आर्टिफिशियल ज्वैलरी में मिलाई जाती है और इस का नुकसान हमारी त्वचा को झेलना पड़ता है. त्वचा के साथ संपर्क में आने वाली धातु या आभूषणों के कारण ही इस तरह की एलर्जी होती है. सोने या चांदी के गहनों से कभी एलर्जी नहीं होती. अगर ज्वैलरी पहनने वाले हिस्से पर रैशेज पड़ गए हों या सूजन या फिर खुजली हो रही हो तो इस का मतलब है कि आप को ज्वैलरी से एलर्जी हो गई है.
अमेरिकन कौंटैक्ट डर्माटाइटिस सोसायटी की रिपोर्ट के मुताबिक लगभग हर 10 में से एक महिला को ज्वैलरी से एलर्जी होती है. पीला सोना यानी 14 कैरेट से ज्यादा के गोल्ड से किसी तरह की एलर्जी नहीं होती, क्योंकि इस में कौपर की मात्रा होती है जबकि व्हाइट गोल्ड से एलर्जी की आशंका बनी रहती है.
उम्र घटाती आर्टिफिशियल ज्वैलरी
भले ही आर्टिफिशियल ज्वैलरी आप की सुंदरता में चार चांद लगाती हो, लेकिन यह आप की जिंदगी को कम कर रही है. बाजार में बिकने वाली आर्टिफिशियल ज्वैलरी में 64.8% से ज्यादा में 90पीजीएम यानी पार्ट पर मिलियन से ज्यादा लेड (सीसा या रांगा) पाया जाता है. डाक्टर्स बताते हैं कि यह गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक है. लेड का खून से संपर्क होने पर बच्चों और युवाओं में भी 10% से अधिक की स्मरणशक्ति क्षीण हो जाती है.
सब से ज्यादा लेड अंगूठी में पाया जाता है जबकि ब्रैसलेट में यह काफी कम होता है. बता दें कि पिंक कलर की आर्टिफिशियल ज्वैलरी में लेड की मात्रा अधिक होती है. लेड न केवल ज्वैलरी बल्कि रंगों व खिलौने आदि में भी मिलाया जाता है.
डाक्टरी सलाह
स्किन स्पैशलिस्ट डा. सुधांशु मोहन शर्मा का मानना है कि ज्वैलरी से एलर्जी एक आम समस्या है. खासतौर पर आर्टिफिशियल ज्वैलरी के कारण ही अधिकांश युवतियों को स्किन की परेशानियों से दोचार होना पड़ता है. ज्वैलरी में निकल या लेड की मिलावट के कारण ही एलर्जी की समस्या सिरदर्द बनी हुई है, लेकिन आप हर जगह सोने या डायमंड की ज्वैलरी पहन कर भी नहीं निकल सकतीं. ऐसे में आर्टिफिशियल ज्वैलरी में मौजूद निकल, कोबाल्ट और क्रोमियम जैसी धातुओं की मिलावट ज्यादा हो तो त्वचा पर प्रतिकूल प्र्रभाव पड़ता है. इसलिए ज्वैलरी के इस्तेमाल से पहले आश्वस्त हो लें कि उस में निकल तो नहीं है.
एलर्जी के लक्षण
डा. सुधांशु के मुताबिक, ‘‘जंक ज्वैलरी पहनने से पहले यह जांच लें कि आप को ये गहने सूट करते भी हैं या नहीं. कई बार आर्टिफिशियल ज्वैलरी पहनने से त्वचा पर लाल चकत्ते, खुजली व दाने उभर आते हैं. कई युवतियों को कान व नाक के गहने पहनने के एक घंटे के अंदर ही खुजली होने लगती है और कुछ ही देर में त्वचा पर घाव या फफोले हो जाते हैं. धातुओं से एलर्जी का प्रभाव ज्यादातर त्वचा की ऊपरी सतह पर ही होता है. कई बार इन घावों से बने दागों को ठीक होने में सालों लग जाते हैं, इसलिए ऐसी धातुओं के प्रयोग से बचें. देखा जाए तो एलर्जी सोने, चांदी, हीरे या किसी भी धातु से हो सकती है, लेकिन ज्यादातर एलर्जी आर्टिफिशियल ज्वैलरी से ही होती है.’’
कैसे बचें एलर्जी से
हर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधी क्षमता अलगअलग होती है. इसलिए जिन गहनों से आप को एलर्जी हो, उस से दूसरे को भी हो यह जरूरी नहीं है. एलर्जी से बचने का सब से अच्छा तरीका है कि आप ऐसे आभूषण न पहनें. विशेषज्ञों का मानना है कि एलर्जी का कोई स्थायी इलाज नहीं है. अगर एलर्जी हो गई है तो उस पर तुरंत मौइश्चराइजर लगाएं. इस के अलावा आप ऐंटी एलर्जी दवा भी खा सकती हैं.