वर्तमान युग में फैशन में लगातार बदलाव आ रहा है. फिर चाहे बात कपड़ों की हो अथवा ब्राइडल ज्वैलरी की. ब्राइडल ज्वैलरी हर साल नए रूप में बाजार में दिखाई देती है. नए रूप में दिखाई दे भी क्यों न, क्योंकि आज हर दुलहन ऐसे गहने खरीदना चाहती है, जो परंपरागत होने के साथसाथ आधुनिक भी हों. उन की उपयोगिता न केवल विवाह के मौके पर ही हो, बल्कि बाद में भी हो.

विवाह में मांगटीका, हार, चूड़ा, झुमके, नथ, करधनी, पायल आदि सभी दुलहनें पहनती हैं पर इन में वे कम बजट में अधिक खूबसूरत गहने तलाशती हैं. यही वजह है कि प्लैटिनम के गहने दुलहनों को खूब भा रहे हैं. इन में स्वरोस्की डायमंड प्रमुख है. इस के अलावा कुंदन और जड़ाऊ सैट जिन पर सुंदर मीनाकारी काम हो, अधिक पसंद किए जाते हैं.

गहने अलमारियों या लौकर्स के लिए नहीं हर अवसर पर पहने जाएं, इस सोच को ध्यान में रख कर ज्वैलरी डिजाइनर गहने बना रहे हैं. मुंबई के पोपले इटरनल के ओनर सूरज रामचंद्र पोपले कहते हैं, ‘‘ब्राइडल ज्वैलरी की मांग उपयोगिता पर निर्भर करती है. वैस्टर्न डिजाइनों को ट्रैडिशन में ढाल कर नया रूप दिया जाता है. इन में सेमीप्रिसिअस स्टोन खासकर इमरल्ड, रूबी डायमंड आदि अधिक पसंद किए जा रहे हैं. टू इन वन कौन्सैप्ट इस दिशा में अधिक लोकप्रिय है. ये गहने विवाह के दिन के अलावा रिसैप्शन में भी पहने जा सकते हैं. केवल गले का हार ही नहीं वरन कानों की बालियां भी अवसर के अनुसार भारी और हलकी तैयार की जा रही हैं.’’

सगाई के गहने: सगाई में सगाई की अंगूठी सब से खास होती है. क्लासिक डायमंड सौलिटेयर से ले कर कंटैंपररी रिंग स्टाइल, जिस में स्टोन, इमरल्ड, रूबी आदि किसी भी प्रकार का नग दुलहन के लिए उचित रहता है. अंगूठी खरीदते समय यह भी देखें कि उस की बैंड आप की उंगली पर कितनी सटीक लगती है. आजकल प्लैटिनम अधिक प्रचलित है. इस के अलावा पीले गोल्ड, सफेद गोल्ड, गुलाबी गोल्ड, ग्रीन गोल्ड आदि की रिंग्स भी मिलती हैं.

मेहंदी की रस्म के गहने: संगीत और मेहंदी की रस्म के दिन दुलहने अधिकतर हलके और साधारण गहने चुनती हैं. सिंपल गोल्ड चेन पर खूबसूरत पैंडेंट और सोने व डायमंड की लंबी इयररिंग्स काफी पसंद की जाती हैं. फूलों की नक्काशी वाले आभूषणों को भी दुलहनें पसंद करती हैं.

विवाह के गहने: विवाह का दिन सब से अधिक महत्त्वपूर्ण होता है. इस दिन दुलहन नख से शिख तक शृंगार करती है. पहले ज्यादातर भारतीय शादियों में दुलहनें पीले सोने के गहने ही पहनती थीं, जो उन के बजट में होते थे. मगर आजकल हीरे, सफेद सोने और प्लैटिनम के गहने भी दुलहनें पहनना पसंद करती हैं.

आजकल गहने दुलहन की पोशाक के आधार पर कस्टमाइज कर बनाए जाते हैं. इन में गले का हार, कंगन, शृंगारपट्टी, मांगटीका, नथ, झुमके, पंजा, बिछुआ, पायल, मंगलसूत्र आदि शामिल हैं. विवाह के गहने अधिकतर लाल और हरे रंग के पत्थर के बने पसंद किए जाते हैं. सौलिटेयर कलैक्शन, रजवाड़ी कडे़, रजवाड़ी हार, बटरफ्लाई ऐंक्लेट आदि सभी गहने इस अवसर पर खासतौर पर पहने जाते हैं.

रिसैप्शन के गहने: रिसैप्शन के दिन दुलहनें भारीभरकम ड्रैस पहनना पसंद नहीं करतीं ताकि अपने परिवार और दोस्तों के बीच आसानी से घूमफिर सकें. इसलिए गहने भी हलके और ऐलिगैंट पसंद किए जाते हैं. इन में सिंपल डायमंड नैकलैस, इयररिंग्स, बे्रसलेट, स्टोन लगी चूडि़यां आदि खास होती हैं.

सुहागरात के गहने: इस दिन दूल्हादुलहन एकदूसरे से अपने प्यार का इजहार करते हुए भेंटस्वरूप कुछ देना पसंद करते हैं. इस अवसर पर अंगूठी खास है. अंगूठी पीले सोने, सफेद सोने, प्लैटिनम आदि किसी की भी हो सकती है. आजकल दुलहन को अधिकतर रत्नजडि़त अंगूठी देने का चलन है. पोपले इटरनल की अंगूठी ‘दो हंसों का जोड़ा’ का इन दिनों विशेष आकर्षण है.

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